प्रधानमंत्री कार्यालय

बर्लिन, कोपेनहेगन और पेरिस की अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री का प्रस्थान वक्तव्य

Posted On: 01 MAY 2022 11:56AM by PIB Delhi

मैं जर्मनी के संघीय चांसलर महामहिम श्री ओलाफ स्कोल्ज़ के निमंत्रण पर 2 मई, 2022 को बर्लिन, जर्मनी की यात्रा करूंगा और इसके बाद मैं डेनमार्क की प्रधानमंत्री महामहिम सुश्री मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर 3-4 मई, 2022 तक कोपेनहेगन, डेनमार्क की यात्रा पर रहूंगा, जहां मैं द्विपक्षीय बैठकों में भाग लूंगा तथा दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में शामिल होऊंगा। भारत वापस आते समय, मैं फ्रांस के राष्ट्रपति महामहिम श्री इमैनुएल मैक्रों के साथ बैठक हेतु पेरिस, फ्रांस में थोड़ी देरके लिए रुकूंगा।

बर्लिन की मेरी यात्रा चांसलर स्कोल्ज़ के साथ विस्तृत द्विपक्षीय चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी, जिनसे मैं पिछले साल जी20 में मिला था, जब वे उप-चांसलर और वित्त मंत्री थे। हम छठे भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता करेंगे, जो एक विशिष्ट द्विवार्षिक प्रारूप है; जिसे भारत, केवल जर्मनी के साथ आयोजित करता है। कई भारतीय मंत्री भी जर्मनी की यात्रा करेंगे और अपने जर्मन समकक्षों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।

मैं इस आईजीसी को जर्मनी में नई सरकार के गठन के छह महीने के भीतर एक शुरुआती संवाद के रूप में देखता हूं, जो हमारी मध्यम और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं की पहचान करने में सहायता प्रदान करेगा।

2021 में, भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे किए और दोनों देश 2000 से रणनीतिक साझेदार रहे हैं। मैं चांसलर स्कोल्ज़ के साथ रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम,जो दोनों देशों से संबंधित हैं,पर विचारों का आदान-प्रदान करने की आशा करता हूं।

भारत और जर्मनी के बीच लंबे समय से चले आ रहे वाणिज्यिक संबंध हमारी रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभों में से एक हैंऔर दोनों देशों के उद्योग क्षेत्र में आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ चांसलर स्कोल्ज़ तथा मैं संयुक्त रूप से एक व्यापार गोलमेज सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे, जो कोविड के बाद दोनों देशों में आर्थिक रिकवरी को गति प्रदान करेगा।

महाद्वीपीय यूरोप में भारतीय मूल के दस लाख से अधिक लोग निवास करते हैं और जर्मनी में इस प्रवासी समुदाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहता है। भारतीय प्रवासी, यूरोप के साथ हमारे संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार हैं और इसलिए मैं महाद्वीप की अपनी इस यात्रा के अवसर का उपयोग अपने भाइयों और बहनों से मिलने के लिए भी करूंगा।

बर्लिन सेमैं कोपेनहेगन की यात्रा करूंगा, जहां मेरी प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसेन के साथ एक द्विपक्षीय बैठक होगी, जो डेनमार्क के साथ हमारी विशिष्ट 'हरित रणनीतिक साझेदारी' में हुई प्रगति के साथ-साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करेगी। मैं भारत-डेनमार्क व्यापार गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लूंगा और डेनमार्क में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करूंगा।

डेनमार्क के साथ द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, मैं डेनमार्क, आइसलैंड, फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे के प्रधानमंत्रियों के साथ दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लूंगा, जहां हम 2018 में आयोजित पहले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के बाद से आपसी सहयोग में हुई प्रगति का जायजा लेंगे। शिखर सम्मेलन; महामारी के बाद आर्थिक रिकवरी, जलवायु परिवर्तन, नवाचार और प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, उभरता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

शिखर सम्मेलन के दौरान, मैं अन्य चार नॉर्डिक देशों के राजनेताओं से भी मिलूंगा और उनके साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करूंगा।

नॉर्डिक देश भारत के लिए सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटलीकरण और नवाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदार रहे हैं। यह यात्रा नॉर्डिक क्षेत्र के साथ हमारे बहुआयामी सहयोग को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

अपनी वापसी यात्रा के दौरान, मैं अपने मित्र, राष्ट्रपति मैक्रों से मिलने के लिए पेरिस में रुकूंगा। राष्ट्रपति मैक्रों को हाल ही में फिर से चुना गया हैऔर परिणाम आने के दस दिन बाद मेरी इस यात्रा से न केवल मुझे व्यक्तिगत रूप से बधाई देने का अवसर मिलेगा, बल्कि  दोनों देशों के बीच घनिष्ठ मित्रता की भी पुष्टि होगी। इससे हमें भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के अगले चरण की रूपरेखा तैयार करने का भी मौक़ा मिलेगा।

राष्ट्रपति मैक्रों और मैं विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा करेंगे और वर्तमान द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति का जायजा लेंगे। मेरा दृढ़ विश्वास है कि वैश्विक व्यवस्था के लिए समान दृष्टिकोण और मूल्य साझा करने वाले दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करना चाहिए।

मेरी यूरोप यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों और विकल्पों का सामना कर रहा है। अपनी बैठकों के माध्यम से, मैं यूरोपीय भागीदारों के साथ सहयोग की भावना को मजबूत करने का इरादा रखता हूं, जो भारत की शांति और समृद्धि की लक्ष्य-प्राप्ति से जुड़े प्रयास में महत्वपूर्ण साथी रहे हैं।

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