पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
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उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत एक पंजीकृत सोसायटी- एनईआरसीआरएमएस की पहल के जरिए आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सुधार

Posted On: 17 MAR 2022 12:03PM by PIB Delhi

अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले में कोन्सा नाम का एक छोटा सा गांव है। पोंगचाउ ब्लॉक म्यांमार सीमा के नजदीक अंतिम गांवों में से एक है। पीआरए की रिपोर्ट के अनुसार इस गांव में 120 परिवार हैं। यहां से जिला मुख्यालय की दूरी 68 किलोमीटर है। इस गांव में आठ स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) हैं। इनके नाम हैं- बानू, जिंगनुंगजा, मोहिमन, जोसा, चिंगखो, जोंगखा, मोखा और लमन्गोई। इन सब एएसजी को एनईआरसीओएमआरपी (उत्तर पूर्वी क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी) III तिराप और लोंगडिंग प्रोत्साहित और सहायता करते हैं।

 

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इस क्षेत्र के संसाधनों में अधिकांश कृषि उत्पाद जैसे कि मिर्च, कद्दू, अदरक, मक्का, बाजरा और स्क्वैश के साथ ही गैर-लकड़ी उत्पाद जैसे कि बांस के अंकुर, केले के फूल, जंगली खाद्य पत्ते और फल शामिल हैं। वहीं, गांव की महिलाएं परिवहन साधनों की कमी और अधिक किराए के कारण स्थानीय स्तर पर उपलब्ध अपने सुलभ उत्पादों व सेवाओं को बढ़ावा देने में असमर्थ थीं।

7 सितंबर, 2019 को पोंगचाउ उप-ग्राम में क्लस्टर स्वयं सहायता समूह फेडरेशन की बैठक में साप्ताहिक बाजार की अवधारणा विकसित की गई थी। सहयोगी एनजीओ एआईडीए टीम के सहयोग से कोन्सा, कोन्नू, पोंगचाउ और बोनिया के एसएचजी सदस्यों ने श्री खम्पाई वांगसा (चिंगके एनएआरएम-जी कोन्सा ग्राम के अध्यक्ष सह पिक-अप वैन केयरटेकर) को बैठक में आमंत्रित किया गया। एसएचजी ने उनसे अपने उत्पादों को बेचने की इच्छा व्यक्त की और उचित किराए के लिए बातचीत की। इसके अलावा किराया और विपणन का दिन भी निर्धारण किया गया।

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इसके बाद 5 अक्टूबर 2019 को एसएचजी सदस्यों ने अपने उत्पादों के विपणन के लिए पहली बार लोंगडिंग जिला मुख्यालय पहुंचीं। इससे पहले एआईडीए की टीम ने उन्हें व्यापार करने के बारे में प्रशिक्षिण दिया था। हालांकि, उन्हें अपने उत्पादों का विपणन कहां करना है, उन्हें कैसे छांटना व ग्रेड देना है और उत्पाद की लागत के बारे में जानकारी की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यह विपणन के साथ-साथ इसमें सीधे जुड़ने को लेकर उनका पहला प्रयास था।

एआईडीए की टीम पहल और सहायता से महिलाओं ने अपने उत्पादों को वर्गीकृत किया और उनकी कीमतें तय कीं। स्वयं सहायता समूह की सदस्यों ने सफलतापूर्वक खुद को इस स्थिति के अनुकूल किया और सभी वस्तुओं को बेचने में केवल तीन घंटे लगे।

अवलोकन

  1. उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी
  2. वस्तुओं की ग्रेडिंग और मानकीकरण करना
  3. बेहतर हिसाब-कितान का कौशल प्राप्त करना
  4. ग्राहकों के साथ बातचीत करने का तरीका सीखना
  5. गैर-निवासियों द्वारा खरीदारी

सीख

  1. कोन्सा एसएचजी की सफलता के बाद पोंगचाउ, कोन्नू और बोनिया ने सहायता के लिए एआईडीए टीम से संपर्क किया और ऐसा करने की इच्छा व्यक्त की।
  2. स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने विपणन में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
  3. चूंकि इनके उत्पाद जैविक थे और ठंडी जलवायु के कारण अलग स्वाद वाले थे। इस कारण अधिकांश लोग इन उत्पादों को एसएचजी से खरीदना अधिक पसंद करते थे।
  4. स्वयं सहायता समूहों को मूल्यवर्धन पर अधिक क्षमता निर्माण की जरूरत है।
  5. बाजार के दिनों में प्राप्त लाभ को आगे बढ़ाया गया।
  6. भविष्य की आय-सृजन गतिविधियों के लिए विपणन के बाद अपने अनुभवों और विचारों पर चर्चा करना और इसे अन्य के साथ साझा करना।

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एमजी/एएम/एचकेपी/एसएस


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