वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

वाणिज्य विभाग , वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय की 2021 वर्षांत समीक्षा


2021-22 में व्यापारिक वस्तुओं के लिये 400 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य पाने की तरफ तेजी से अग्रसर, पिछले महीने तक लक्ष्य का करीब 66 प्रतिशत प्राप्त 

अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात 263 अरब डॉलर से अधिक, पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 51 प्रतिशत से अधिक की बढ़त

भारत, मॉरीशस ने फरवरी में व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी के समझौते पर हस्ताक्षर किये, जबकि भारत-ऑस्ट्रेलिया सीईसीए अंतरिम समझौता जल्द होने की उम्मीद

दुबई वर्ल्ड एक्सपो 2020 में इंडिया पवेलियन एक बड़ा आकर्षण बना

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) प्लेटफॉर्म पर लगभग 32 लाख विक्रेता मौजूद

नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी स्वीकृति के अंतिम चरण में

Posted On: 30 DEC 2021 12:35PM by PIB Delhi

वाणिज्य विभाग के वर्ष 2021 के लिये मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  1. 2021-22 में व्यापारिक वस्तुओं के लिये 400 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य
  1. वाणिज्य विभाग द्वारा पिछले रुझानों, वर्तमान परिदृश्य. भारत और दुनिया भर में नीतियों से जुड़ी गतिविधियों को देखते हुए वर्ष 2021-22 के लिये 200 देशों और 30 त्वरित अनुमान वस्तु समूहों के लिये 400 अरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नवंबर 2021 तक भारत का व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात 400 अरब अमरीकी डॉलर के लक्ष्य के 65.89 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
  2. लक्ष्यों की प्राप्ति की हर माह निगरानी के लिये, डीजीएफटी के सांख्यिकी प्रभाग के तहत एक निर्यात निगरानी डेस्क की स्थापना की गयी है। अलग-अलग लक्ष्य देश/क्षेत्र/मिशन/उत्पादों/वस्तु समूहों/निर्यात संवर्धन परिषदों द्वारा कड़ी निगरानी को सक्षम बनाते हैं।
  3. माननीय प्रधानमंत्री ने 400 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य प्राप्त करने के लिये 6 अगस्त 2021 को "लोकल गोज़ ग्लोबल - मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड" विषय पर राजदूतों/उच्चायुक्तों/वाणिज्यिक मिशनों, मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, ईपीसी, कमोडिटी बोर्डों/प्राधिकरणों, उद्योग/व्यापार संघों आदि को संबोधित किया।
  1. निर्यात प्रदर्शन

व्यापारिक वस्तुएं

  1. पिछले 8 महीनों में भारत निर्यात के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और चालू वित्त वर्ष में लगातार 8वें महीने निर्यात 30 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक रहा है।
  2. अप्रैल-नवंबर 2020 अवधि के 174.16 अरब अमरीकी डॉलर की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान निर्यात का कुल मूल्य 263.57 अरब अमरीकी डॉलर अनुमानित किया गया है, जो 51.34 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि है। अप्रैल-नवंबर 2019 की तुलना में, अप्रैल-नवंबर 2021 में निर्यात ने 24.82 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है।

सेवायें

  1. भारत से सेवाओं का निर्यात महामारी को लेकर अपेक्षाकृत लचीला रहा, जिसने 2020 में वाणिज्यिक सेवाओं में विश्व व्यापार को प्रभावित किया। विश्व भर के वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2019 की 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 4.1 प्रतिशत हो गयी, जिससे वाणिज्यिक सेवाओं के प्रमुख निर्यातकों में भारत का स्थान 8वें से सुधर कर 2020 में 7वां हो गया।
  1. आजादी का अमृत महोत्सव (ऐकेएएम)
  1. आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए, वाणिज्य विभाग ने 20 से 26 सितंबर, 2021 तक 'वाणिज्य सप्ताह' का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य यह दर्शाना था कि कैसे भारत अंतरराष्ट्रीय कारोबारी इकोसिस्टम में शामिल प्रत्येक हितधारक को गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन करने के लिए सशक्त बना रहा है जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा - मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड में खड़े हो सकते हैं। इसके लिए वाणिज्य विभाग ने राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन और सभी संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर पूरे देश में एक सप्ताह तक चलने वाली गतिविधियों को तय किया।
  2. सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम में विषयों और आकांक्षी लक्ष्यों जैसे (अ) आत्मनिर्भरता बढ़ाने की ओर (ब) शोकेसिंग इंडिया: ए राइजिंग इकोनॉमिक फोर्स (स) ग्रीन और स्वच्छ एसईजेड (द) वाणिज्य उत्सव (य) फार्म से विदेश तक आदि को लेकर कई गतिविधियां आयोजित की गयीं। सरकार इन लक्ष्यों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उत्पादों की गुणवत्ता के मामले में उत्कृष्टता प्राप्त करने के केंद्रीय विचार के साथ आगे बढ़ा रही है, जिससे उत्पाद वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना कर सके, जो कि मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
  3. आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित कार्यक्रम व्यापार और उत्सव का एक मिला जुला रुप था। सभी आयोजनों में न केवल व्यापार के प्राथमिक हितधारक अर्थात निर्यातक शामिल हुए साथ ही पूरे देश के लगभग 700 जिलों को शामिल करते हुए राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन, निर्यात संवर्धन परिषदों, उद्योगों, व्यापारियों, उत्पादकों, बागान श्रमिकों, एमएसएमई और अन्य हितधारकों द्वारा व्यापक रूप से और उत्साहपूर्वक भाग लिया गया। पांच विषयों पर हुए सभी कार्यक्रमों ने एक शानदार सफलता दर्ज की क्योंकि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के साथ-साथ सभी हितधारकों ने इसमें उत्साह के साथ भाग लिया।
  1. कारोबार करने में सुगमता
  1. महामारी की अवधि के दौरान नीतियों में स्थिरता प्रदान करने के लिए, विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 को वर्ष 2021-22 के लिए यानि 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया।
  2. ए़डवांस ऑथराइजेशन (एए)/ईपीसीजी, ईओयू योजना के तहत एकीकृत माल और सेवा कर और कंपन्सेशन सेस से छूट 31 मार्च 2022 तक बढ़ायी गयी।
  3. निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं पर सामुदायिक भागीदारों के साथ एपीआई आधारित संदेशों के आदान-प्रदान के साथ डीजीएफटी की आईटी प्रणालियों को नया रूप दिया गया।
  4. सामान्य ईसीओओ पोर्टल का विस्तार नॉन-प्रेफरेंशियल सर्टिफिकेट्स ऑफ ओरिजन को जारी करने के लिए भी किया गया है।
  5. विदेश व्यापार नीति अपडेट, आयात/निर्यात नीति, आयात/निर्यात आंकड़े, आवेदनों की स्थिति, सप्ताह में 24 घंटे वर्चुअल सहायता डीजीएफटी व्यापार सुविधा ऐप के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रही है जिसे माननीय सीआईएम के द्वारा 12.04.2021 को लॉन्च किया गया था।
  6. निर्दिष्ट अग्रिम और ईपीसीजी प्राधिकरणों के निर्यात दायित्व की अवधि 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दी गयी है।
  1. आरओडीटीईपी योजना का कार्यान्वयन
  1. निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट के लिए योजना (आरओडीटीईपी) को 1 जनवरी 2021 से निर्यात पर अधिसूचित किया गया है। यह योजना ऐसे करों/शुल्कों/लेवी की प्रतिपूर्ति के लिए एक तंत्र बनाती है, जो वर्तमान में केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर किसी अन्य तंत्र के तहत वापस नहीं किये जा रहे हैं , लेकिन जो निर्यात किये गये उत्पादों के निर्माण और वितरण की प्रक्रिया में खर्च किये जाते हैं। ऐसे करों का प्रमुख घटक परिवहन/वितरण में उपयोग किये जाने वाले ईंधन पर वैट और बिजली शुल्क हैं।
  2. आरओडीटीईपी योजना लगभग 8555 एचएस लाइनों को कवर करती है, जिसमें छूट की दर 0.01% से 4.3% तक होती है।
  3. आरओडीटीईपी योजना एंड टू एंड डिजिटलीकरण के साथ संचालित होती है और आरओडीटीईपी लाभों का दावा करने के लिए कोई अलग आवेदन दायर करने की आवश्यकता नहीं है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), वित्त मंत्रालय इस योजना को लागू कर रहा है। सीबीआईसी का आईसीईजीएटीई ऑनलाइन मॉड्यूल चालू हो गया है और निर्यातकों ने योजना के तहत ई-स्क्रिप का लाभ उठाना शुरू कर दिया है।
  1. वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए एसईआईएस योजना की अधिसूचना
  1. वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रदान की गई सेवाओं के लिये, भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) को अधिसूचना संख्या 29 दिनांक 23.09.2021 के माध्यम से अधिसूचित किया गया था, जिसमें पात्र सेवा श्रेणियों और दरों की सूची शामिल थी।
  1. भारत और मॉरीशस ने व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (सीईसीपीए) पर हस्ताक्षर किये
  1. भारत और मॉरीशस ने 22 फरवरी 2021 को व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (सीईसीपीए) पर हस्ताक्षर किए जो 1 अप्रैल 2021 को लागू हुआ।
  2. सीईसीपीए अफ्रीका में किसी देश के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित पहला व्यापार समझौता है। समझौता एक सीमित समझौता है, जिसमें सामान के व्यापार, उत्पत्ति के नियम, सेवाओं में व्यापार, व्यापार के लिए तकनीकी बाधाएं (टीबीटी), स्वच्छता और पादप स्वच्छता (एसपीएस) उपाय, विवाद निपटान, लोगों की आवाजाही, दूरसंचार, वित्तीय सेवायें, सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और अन्य क्षेत्रों में सहयोग आदि शामिल होगा।
  3. भारत-मॉरीशस सीईसीपीए दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और सुधारने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है। भारत और मॉरीशस के बीच सीईसीपीए में भारत के लिए 310 निर्यात वस्तुओं को शामिल किया गया है। सेवाओं के व्यापार के संबंध में, भारतीय सेवा प्रदाताओं की 11मुख्य सेवा क्षेत्रों के लगभग 115 उप-क्षेत्रों तक पहुंच होगी।
  1. भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) वार्ता
  1. भारत-यूएई सीईपीए वार्ता 22 सितंबर 2021 को यूएई प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान शुरू की गयी थी। अब तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है और दोनों पक्षों का लक्ष्य दिसंबर 2021 तक वार्ता समाप्त करने और मार्च 2022 तक समझौते पर हस्ताक्षर करने का है।
  2. वार्ता के दौरान, दोनों पक्षों ने भारत-यूएई सीईपीए के महत्व और न केवल आर्थिक और निवेश के अवसरों का विस्तार करने की क्षमता को दोहराया, बल्कि सहयोग और सहकार्यता के एक नये चरण को चिह्नित किया। इस रणनीतिक आर्थिक समझौते से अनुमान है कि हस्ताक्षर होने के पांच वर्षों के अंदर वस्तुओं में व्यापार 100 अरब डॉलर और सेवाओं में व्यापार 15 अरब डॉलर तक बढ़ेगा।
  1. भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) वार्ता
  1. भारत-ऑस्ट्रेलिया सीईसीए वार्ता अग्रिम चरण में है। उम्मीद है कि दोनों देश जल्द ही अंतरिम समझौते के लिए बातचीत पूरी करेंगे। अंतिम समझौता 2022 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। वार्ता के प्रमुख विषयों में वस्तुओं, सेवाओं में कारोबार, निवेश, उत्पत्ति के नियम, सीमा शुल्क सुविधा, कानूनी और संस्थागत मुद्दों आदि हैं।
  1. 16 से 18 अगस्त 2021 के दौरान ब्रिक्स व्यापार मेला 2021 (वर्चुअल)
  1. वाणिज्य विभाग की एक पहल, और एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम ब्रिक्स व्यापार मेलाभारत की अध्यक्षता में 16 से 18 अगस्त, 2021 तक वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया था।
  2. ब्रिक्स व्यापार मेला 2021 में 5000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इस आयोजन में 2500 से अधिक पूर्व-निर्धारित बिजनेस टू बिजनेस बैठकें हुईं। व्यापार मेले में व्यापार प्रतिनिधियों द्वारा 8000 से अधिक वर्चुअल बूथ का दौरा भी किया गया, जिससे 2000 से अधिक व्यापारिक स्तर की बातचीत भी हुईं।
  1. दुबई में वर्ल्ड एक्सपो 2020 में इंडिया पवेलियन
  1. वर्ल्ड एक्सपो 2020 दुबई में 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक आयोजित किया जा रहा है। यह पहला एक्सपो है जो एमईएएसएस (मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया) क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है। दुबई में वर्ल्ड एक्सपो में इंडिया पवेलियन का उद्घाटन सीआईएम द्वारा 01.10.2021 को किया गया।
  2. वर्ल्ड एक्सपो 2020 का मुख्य विषय "कनेक्टिंग माइंड्स, क्रिएटिंग द फ्यूचर" है। मुख्य विषय को आगे एक्सपो के तीन उप विषयों- अवसर, गतिशीलता और स्थिरता में बांटा गया है। वर्ल्ड एक्सपो, दुबई 190 से अधिक देशों और 2.5 करोड़ मेहमानों की भागीदारी के साथ कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी की शुरुआत के संकेत देता है।
  3. दुबई एक्सपो में इंडिया पवेलियन एक बड़े आकर्षण के रूप में उभरा है, पवेलियन ने अपने उद्घाटन के केवल 83 दिनों में छह लाख से अधिक मेहमानों को दर्ज कर ऐतिहासिक स्तर हासिल किया।
  1. सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम): खुली और पारदर्शी खरीद
  1. जीईएम पर कुल 31.8 लाख विक्रेता जुड़े हुए हैं, जिनमें से 7.39 लाख एमएसएमई हैं, जो विक्रेता आधार का लगभग 23% हिस्सा हैं और जीईएम पर संचयी सकल व्यापारिक मूल्य का 57% से अधिक योगदान करते हैं।
  2. जीईएम ने खरीदारों के लिए प्रतीक्षा समय और कीमतों में भारी कमी की है और विक्रेताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया है। इसने जीएफआर में निर्धारित खरीद के विभिन्न तरीकों को सक्षम किया है और खरीद के दौरान जानकारी आधारित निर्णय लेने में खरीदारों की सुविधा के लिये विभिन्न विश्लेषणात्मक उपकरण उपलब्ध कराये हैं।
  3. सिंगल यूजर अनुभव प्रदान करने के लिए जीईएम पर डिफेंस पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोर्टल, सेंट्रल पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोर्टल और इसके सब-पोर्टल के फंक्शन को शामिल कर, सरकार की सोच के अनुरूप देश के लिए एक एकीकृत खरीद प्रणाली बनाई है।  जीईएम पर पोर्टल प्रकाशित करने पर एकीकृत खरीद प्रणाली देश भर में फैले हुए विक्रेताओं को एक साथ लायेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर लाभ, बेहतर मूल्य की खोज और खरीद में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का प्रसार होगा।
  4. समावेश, एमएसएमई, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), आदिवासी कारीगरों, शिल्पकारों, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिये एमएसएमई मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के परामर्श से जीईएम ने  इन्हें अपने प्लेटफार्म में शामिल करने के लिये स्टार्टअप रनवे, सरस संग्रह, ट्राइब्सइंडिया ईस्टोर, कारीगरों और बुनकरों, बैम्बू और वूमनिया आदि विभिन्न पहल की हैं।
  1. प्रगति मैदान का पुनर्विकास

आईईसीसी परियोजना

  1. ऐतिहासिक प्रगति मैदान का दो चरणों में एक विश्व स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी सह कन्वेंशन सेंटर (आईईसीसी) में पुनर्विकास किया जा रहा है (दूसरा चरण कुछ साल बाद शुरू होगा)। आईईसीसी परियोजना पर काम चल रहा है और इसके सभी खंडों को अब जून 2022 तक पूरा किया जाना है। माननीय प्रधान मंत्री ने 13.10.2021 को प्रधानमंत्री गति शक्ति के शुभारंभ के मौके पर आईईसीसी परियोजना के एक भाग के रूप में नये प्रदर्शनी परिसर (हॉल 2, 3, 4 और 5) का उद्घाटन किया।
  1. नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी
  1. आपूर्ति और मांग पक्ष पर सभी केंद्रीय मंत्रालयों के साथ व्यापक परामर्श के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रंखला के साथ एकीकृत होने और लॉजिस्टिक क्षमता में वैश्विक मानकों के अनुरूप सुधार के मुख्य उद्देश्य के साथ क्षेत्र में विशिष्ट कार्रवाई बिंदुओं को परिभाषित करने का व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी विकसित की गयी है।
  2. नीति पर विशिष्ट कार्रवाई योग्य कदमों के साथ 75-सूत्री नेशनल लॉजिस्टिक रिफॉर्म कार्य योजना भी तैयार की गयी है।
  3. संशोधित नीति स्वीकृति के अंतिम चरण में है। नीति का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में लॉजिस्टिक्स की लागत को लगभग 5% तक कम करना, प्रमुख वैश्विक लॉजिस्टिक्स-संबंधित प्रदर्शन सूचकांकों के शीर्ष 25 में रैंकिंग प्राप्त करना और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार लॉजिस्टिक्स को प्रोत्साहित करना है।
  1. पीएम गति शक्ति एनएमपी
  1. आर्थिक क्षेत्रों के लिए मल्टी-मॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, जो एक जीआईएस प्लेटफॉर्म पर आर्थिक क्षेत्रों और मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को चित्रित करने वाली एक एकीकृत योजना है, को अक्टूबर, 2021 में विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के द्वारा उठाये गये कदमों को एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में समग्र रूप से एकीकृत करने और और परियोजनाओं की योजना, संचालन और निगरानी के लिए समन्वित आईटी सक्षम मानचित्र आधारित दृष्टिकोण प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  2. सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह और नेटवर्क योजना समूह का गठन किया गया है और उनकी पहली बैठक हो चुकी है। तकनीकी सहायता इकाई का गठन किया जा रहा है। बीआईएसएजी-एन द्वारा प्रशिक्षण कार्यशालाएं पूरी कर ली गयी हैं। राष्ट्रीय मास्टर प्लान में राज्यों को शामिल करने के लिए पीएम गति शक्ति पर राज्यों के क्षेत्रीय सम्मेलन वर्तमान में नवंबर 2021 से जनवरी 2022 तक चल रहे हैं।
  3. बीआईएसएजी-एन द्वारा विकसित किये जा रहे जीआईएस प्लेटफॉर्म पर राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अप्रैल 2022 तक पूरा होने और लॉन्च होने की उम्मीद है।
  4. विश्व बैंक द्वारा हर दो साल में जारी किया जाने वाला लॉजिस्टिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) देशों के लॉजिस्टिक क्षेत्र के प्रदर्शन का आकलन करने के लिये उपयोग की जाने वाली सबसे व्यापक रूप से संदर्भित रिपोर्टों में से एक है। सूचकांक में, भारत 2014 में 160 देशों में से 44वें स्थान पर था, जबकि देश 2014में 54वें स्थान पर था (अब तक का सबसे हालिया अध्ययन 2018में किया गया है)।
  1. निर्यात योजना के लिए ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर (टीआईईएस)
  1. वाणिज्‍य विभाग  वित्त वर्ष 2017-18 से निर्यात से जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करके निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से टीआईईएस का कार्यान्‍वयन कर रहा है  जिसका उपयोग कई निर्यातकों द्वारा किया जा सकता है। 360 करोड़ रुपये के कुल बजट परिव्यय के साथ इस योजना को 5 साल के लिए यानी 2021-22 से 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है। बीई 2021-22 में योजना के लिए 75 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में 8 दिसंबर तक 113 करोड़ के कुल टीआईईएस फंड के साथ नयी परियोजनाओं को अधिकार प्राप्त समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  1. कृषि निर्यात नीति (एईपी)
  1. राज्य कृषि निर्यात कार्य योजना को समयबद्ध तरीके से अंतिम रूप देने के लिये संबंधित राज्य सरकारों के अधिकारियों से सहयोग के अनुरोध पर अनुसरण करते हुए पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने राज्य विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दिया है । शेष राज्यों की कार्य योजनाएं अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं।
  2. एपिडा ने किसान सहकारी समितियों के निर्यात लिंकेज को मजबूत करने के लिये नाफेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
  3. अमेज़ॅन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) टीम के साथ हुई बातचीत की श्रृंखला का अनुसरण करते हुए, जीआई आम (अल्फांसो) के लिए ब्लॉकचैन ट्रैसेबिलिटी और एपीडा पैकहाउस में डिजिटल परख पर प्रस्तुत प्रस्तावों के लिए दो पायलट परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिये मंजूरी दी गयी थी।
  4. ग्रेपनेट में ब्लॉकचेन तकनीक: एपीडा ने अपने ग्रेपनेट ट्रैसेबिलिटी सिस्टम के एक हिस्से के रूप में ब्लॉकचैन समाधान लागू किया। ब्लॉकचैन तकनीक ने कृषि आवंटन से लेकर अंगूर की डिलीवरी तक अंगूर के जीवनचक्र में शामिल सभी गतिविधियों और कदमों को ट्रैक करने में मदद की।
  1. ओडिशा में कॉफी विकास कार्यक्रम
  1. कॉफी बोर्ड ने कोरापुट जिले में आदिवासियों द्वारा कॉफी और काली मिर्च की खेती को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा सरकार के साथ एक कार्यक्रम शुरू किया है। चार साल के इस कार्यक्रम को ओडिशा सरकार की वित्तीय सहायता और कॉफी बोर्ड की तकनीकी सहायता से लागू करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिसका बजट 16.46 करोड़ रुपये है और कार्यक्रम में लगभग 2000 हेक्टेयर (मौजूदा और नये) क्षेत्र में कॉफी और काली मिर्च का उत्पादन करने के लिये लगभग 4100 आदिवासी उत्पादकों को मदद की योजना बनायी गयी है।
  1. रबड़ सेक्टर में गणना
    1. रबर बोर्ड, डिजिटल विश्वविद्यालय, केरल के सहयोग से विकसित डिजिटल मोबाइल एप्लिकेशन, 'आरयूबीएसी' का उपयोग करके रबर पर राष्ट्रव्यापी गणना आयोजित कर रहा है, जिससे रबर के तहत क्षेत्र, लगाये गये नये क्षेत्र, पुन: लगाये गये क्षेत्र, आयु प्रोफ़ाइल का पता लगाया जा सके। पेड़ों की संख्या, वर्षों से छोड़े गए क्षेत्र, नए क्लोन को अपनाने का स्तर, जोतों का आकार और टैपर आदि का विवरण। कोट्टायम जिले में क्षेत्र की गणना शुरू हो गयी है।
  2. एटीएमए के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में रबर वृक्षारोपण विकास के लिए सहयोगात्मक परियोजना
    1. ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) द्वारा प्रतिनिधित्व प्रमुख टायर कंपनियों के 1,100 करोड़ रुपये के योगदान के साथ उत्तर पूर्व में नए रबड़ बागानों के विकास और रबड़ के संसाधित रूपों की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी गई है और माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री की पहल और मार्गदर्शन में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं ।
    2. पांच वर्षों में पूर्वोत्तर में 2,00,000 हेक्टेयर रबर के बागान विकसित करने की योजना है। रबर की बुवाई जुलाई 2021 में शुरू हुई और 2021 में 5000 हेक्टेयर क्षेत्र मे पौधे लगाये जाने का अनुमान है।

 

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