पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

गहरे सागर अभियान, गहरे समुद्री संसाधनों का पता लगाने और उनका दोहन करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना है और 4077 करोड़ रुपये के बजट के साथ 16 जून, 2021 को सीसीईए द्वारा अनुमोदित भारत सरकार की नील अर्थव्यवस्था पहल का समर्थन करती है


केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने 05 नवंबर 2021 को गहरे सागर मिशन के तहत भारतीय मानवयुक्त महासागर मिशन, समुद्रयान का शुभारंभ किया

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक अर्थ सिस्टम साइंस डेटा पोर्टल (ईएसएसडीपी) (https://incois.gov.in/essdp) का 27 जुलाई 2021 को शुभारंभ किया गया

उष्णकटिबंधीय चक्रवात तौकाते, यास, गुलाब और शाहीन के आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से जमीनी स्तर पर सटीक और समय पर दिए गए पूर्वानुमानों ने हजारों देशवासियों के मूल्यवान जीवन को बचाने में मदद की

अगले 12 घंटों के लिए पूर्वानुमान देने हेतु हाई रेजोल्यूशन रैपिड रिफ्रेश (एचआरआरआर) मॉडल विकसित किया गया

अंटार्कटिका के लिए 41वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान का नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर) गोवा से 15 नवंबर, 2021 को शुभारंभ किया गया

भारत और वियतनाम ने 17 दिसंबर 2021 को समुद्री विज्ञान और पारिस्थितिकी में वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्मारकीय अवसर को मनाने के लिए 18 अक्टूबर, 2021 को प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का शुभारंभ किया और इसका समापन 24 अक्टूबर, 2021 को हुआ

गोवा सरकार के साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान भारती द्वारा आयोजित भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2021) के 7वें संस्करण का 10-13 दिसंबर, 2021 के दौरान गोवा में आयोजन किया गया

Posted On: 29 DEC 2021 3:14PM by PIB Delhi

कोविड-19 महामारी के बीच, वर्ष 2021 मानव जाति के लिए कुछ अभूतपूर्व चुनौतियां लेकर आया। भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने वर्ष 2021 में पृथ्वी विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों की कई सफलता की गाथाओं को नीचे उल्लेखित किया गया है।

2021 के दौरान पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की प्रमुख सफलता की कहानियां

  • भारत की महत्वाकांक्षी योजना, गहरे सागर अभियान को गहरे-समुद्री संसाधनों का पता लगाने, उनका दोहन करने और 4077 करोड़ रुपये के बजट के साथ भारत सरकार की नील अर्थव्यवस्था पहल का समर्थन करने के लिए 16 जून, 2021 को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) इस बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी मिशन को कार्यान्वित करने वाला नोडल मंत्रालय है। केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माननीय डॉ. जितेंद्र सिंह ने 05 नवंबर 2021 को गहरे सागर अभियान के तहत, भारतीय मानवयुक्त महासागर मिशन, समुद्रयान का शुभारंभ किया।
  • पानी के नीचे खनन प्रणाली को ओआरवी सागर निधि से तैनात किया गया था और पानी के नीचे खनन प्रणाली (वराह- I और II) के प्रायोगिक अंडरकैरिएज सिस्टम के सीबेड लोकोमोशन परीक्षणों को मध्य हिंद महासागर में (सीआईओ) मार्च-अप्रैल 2021 के दौरान 5270 मीटर की गहराई पर 120 मीटर की दूरी पर पानी से संतृप्त नरम मिट्टी पर सफलतापूर्वक किया गया था।
  • ऑक्सीजन न्यूनतम क्षेत्र (ओएमजेड) की अस्थायी और स्थानिक परिवर्तनशीलता को विशेष रूप से समझने पर बल देने के साथ गहरे समुद्र के भौतिक और जैव-रासायनिक मापदंडों की निगरानी के लिए बंगाल की खाड़ी में दो ग्लाइडर तैनात किए गए। 5000 किमी की दूरी तय करने के बाद दोनों ग्लाइडरो द्वारा एकत्र किए गए डेटा को पुनः प्राप्त किया गया।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक अर्थ सिस्टम साइंस डेटा पोर्टल (ईएसएसडीपी) (https://incois.gov.in/essdp) का 27 जुलाई 2021 को शुभारंभ किया गया। ईएसएसडीपी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विभिन्न कार्यक्रमों के तहत वर्षो तक एकत्र और रखरखाव किए गए डेटा के लगभग 1050 मेटाडेटा रिकॉर्ड रखता है और उन्हें संबंधित डेटा केंद्रों से जोड़ता है। इससे विभिन्न खोज मानदंडों द्वारा विभिन्न डेटा-सेटों की खोज में आसानी होती है। ईएसएसडीपी अनुसंधान संस्थानों, परिचालन एजेंसियों, रणनीतिक उपयोगकर्ताओं, शैक्षणिक समुदाय, उद्योग, नीति निर्माताओं और जनता सहित उपयोगकर्ताओं की एक विस्तृत श्रृंखला की बढ़ती डेटा-खोज आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात तौकाते, यास, गुलाब और शाहीन की आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से जमीनी स्तर पर बेहतर समन्व्यय सटीक और समय पर दिए गए पूर्वानुमानों ने हजारों देशवासियों के मूल्यवान जीवन को बचाने में मदद की।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भारी वर्षा, कोहरा, प्रचंड गर्मी, शीत लहर, गरज के तूफान सहित गंभीर मौसम की घटनाओं के संबंध में पूर्वानुमानों की सटीकता में महत्वपूर्ण रूप से सुधार किए गए हैं। सामान्य तौर पर, पिछले पांच वर्षों (2011-15) की तुलना में हाल के पांच वर्षों (2016-2020) में गंभीर मौसम की घटनाओं की पूर्वानुमान सटीकता में 20 से 40 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। 2016-2020 के आंकड़ों के आधार पर पिछले पांच साल की औसत त्रुटि 77, 117 और 159 किमी के मुकाबले 2021 में वार्षिक औसत ट्रैक पूर्वानुमान त्रुटियां 24, 48 और 72 घंटे के लिए क्रमशः 60 किमी, 93 किमी और 164 किमी रही हैं।
  • गरज के साथ आने वाले तूफानों और इनसे संबंधित गंभीर मौसम की घटनाओं के कारण होने वाली जनहानि  की संख्या को कम करने के लिए, आईएमडी नियमित रूप से रडार और उपग्रह डेटा के साथ-साथ भूमि आधारित अवलोकनों का उपयोग करते हुए भारत के लगभग 1084 स्टेशनों और सभी जिलों के लिए गंभीर मौसम परिस्थितियों और गरज के आने वाले तूफानों के लिए तीन घंटे के पूर्वानुमान जारी करता है। ये शीघ्र पूर्वानुमान भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय में प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, तेज आंधी और संबंधित गंभीर मौसम से जुड़ी परिस्थितियों की संभावना के मामले में, आपदा प्रबंधन अधिकारियों, आकाशवाणी, टीवी और सोशल मीडिया जैसे मास मीडिया को एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से चेतावनी जारी की जाती है।
  • उत्तराखंड के मुक्तेश्वर, हिमाचल प्रदेश के शिमला और जम्मू में तीन डॉपलर मौसम रडार संचालित किए गए हैं। वर्ष के दौरान ग्यारह नई जिला कृषि-मौसम विज्ञान इकाइयां (डीएएमयू) स्थापित की गईं, जिससे डीएएमयू की संख्या अब कुल 199 हो गई है।
  • वायुमंडलीय अनुसंधान परीक्षण खुले क्षेत्र में स्थापित एक वेधशाला है जो 100 एकड़ भूमि (मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में भोपाल के उत्तर-पश्चिम में 50 किमी) में फैली हुई है, इस वेधशाला में रडार, विंड प्रोफाइलर, यूएवी आदि जैसी अत्याधुनिक अवलोकन प्रणालियों का उपयोग करके मुख्य मानसून क्षेत्र में मानसून की चाल और भूमि-वायुमंडल को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाओं पर बेहतर समझ के साथ कार्य किया जाता है। वायुमंडलीय अनुसंधान परीक्षण के लिए उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में यह एक अनूठी सुविधा है। प्रमुख मानसून क्षेत्र में विस्तृत वर्षा प्रक्रिया अध्ययन के लिए हाल ही में उपरोक्त सुविधा में एक डुअल-पोलरिमेट्रिक सी-बैंड डॉपलर मौसम रडार को भी संचालित किया गया।
  • लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क के तहत, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) ने देश भर में कुल 83 सेंसर स्थापित किए हैं। इन प्रतिष्ठानों के साथ, लक्षद्वीप द्वीप समूह को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सेंसर लगाए गए हैं
  • आईआईटीएम ने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में उन्नत वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए स्वदेश में निर्मित निर्णय समर्थन प्रणाली (https://ews.tropmet.res.in/dss/) को सफलतापूर्वक विकसित किया है। इसका उद्घाटन 18 अक्टूबर 2021 को पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा किया गया था।
  • नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) में डेटा एसिमिलेशन (डीए) सिस्टम को नए उपग्रह से प्राप्त अवलोकनों के माध्यम से आत्मसात और अद्यतन किया गया है। आईएमडी की त्वरित पूर्वानुमान गतिविधियों का समर्थन करने के लिए एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन रैपिड रिफ्रेश (एचआरआरआर) प्रणाली भी कार्यान्वित की गई है।
  • अगले 12 घंटों के लिए पूर्वानुमान देने के लिए हाई रेजोल्यूशन रैपिड रिफ्रेश (एचआरआरआर) मॉडल विकसित किया गया है। राडार डेटा को एचआरआरआर मॉडल में हर 10-15 मिनट में 1 घंटे की अवधि में एकत्र किया जाता है। एचआरआरआर 2 किमी के हॉरिजॉन्टल रिज़ॉल्यूशन के साथ हर घंटे अपडेट होने वाला, क्लाउड-रिज़ॉल्विंग, संवहन-अनुमति देने वाला वायुमंडलीय मॉडल है और अगले 12 घंटों के लिए मौसम में होने वावे परिवर्तनों और वर्षा पूर्वानुमान की जानकारी प्रदान करता है। एचआरआरआर मॉडल भारत के संपूर्ण क्षेत्र उत्तर-पश्चिम, पूर्व और उत्तर-पूर्व और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत को कवर करता है और इसके पूर्वानुमान हर दो घंटे के बाद अपडेट किए जाते हैं।
  • पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के क्षेत्र में बहु-विषयक कार्यक्रमों के माध्यम से क्षेत्र का विस्तार करने के लिए आईआईटीएम पुणे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)/मशीन लर्निंग (एमएल)/डीप लर्निंग (डीएल) पर एक वर्चुअल सेंटर स्थापित किया गया है।
  • वर्ष के दौरान, संभावित कोरल ब्लीचिंग पर कई परामर्श (88 नंबर) प्रदान किए गए थे जिनमें दो-सप्ताह में एसएसटी विसंगतियों का उपयोग करते हुए हॉट स्पॉट (एचएस) के स्थल और डिग्री ऑफ हीटिंग वीक्स (डीएचडब्ल्यू) शामिल थी।
  • राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर) द्वारा पुडुचेरी के तटीय जल में (तट से 1.5 किमी) 10 मीटर की गहराई पर स्थापित किए गए एक जल गुणवत्ता बॉय को 28.07.2021 को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह पानी की गुणवत्ता और तटीय जल की उत्पादकता में भिन्नता की निगरानी के लिए सेंसर से सुसज्जित एक स्वचालित जल गुणवत्ता वाला बॉय है। इसकी मदद से, हर 20 मिनट के अंतराल पर वेब-आधारित पूर्वानुमान प्रणाली और एक मोबाइल ऐप "क्लीन कोस्ट" के माध्यम से वास्तविक समय में पानी की गुणवत्ता के आंकड़ों को जारी किया जाएगा।
  • रिसोर्स एक्सप्लोरेशन एंड इन्वेंटराइजेशन सिस्टम (आरईआईएस) कार्यक्रम के तहत भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के भीतर ऑन-बोर्ड एफओआरवी सागर संपदा में एकत्र किए गए नमूनों के टैक्सोनॉमिक अध्ययन से डिकैपोड क्रस्टेशियंस की छह नई प्रजातियां, पॉलीचीट की एक नई प्रजाति और डीप्स ईल की दो प्रजातियां मिलीं।
  • आईएनसीओआईएस द्वारा एनआईओटी और पीएमईएल-एनओएए के साथ संयुक्त रूप से विकसित संयुक्त ओएमएनआई-आरएएमए हिंद महासागर डेटा पोर्टल का 9 अगस्त 2021 को शुभारंभ किया गया। यह डेटा प्रदर्शन और वितरण के लिए सीधी पहुंच के साथ मौसम विज्ञान और समुद्र संबंधी डेटा सेट की बड़ी जानकारी को प्रदर्शित करेगा।
  • देश के अधिकांश हिस्सों में एम:3.0 या इससे अधिक के किसी भी भूकंप का पता लगाने के लिए परिचालन क्षमता में सुधार करने के लिए 35 नई भूकंपीय वेधशालाओं के साथ मौजूदा राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क को अब 150 स्टेशनों तक सक्षम बनाया गया है।
  • चार शहरों भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयंबटूर और मैंगलोर का भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन कार्य पूरा होने के अंतिम चरण में है और आठ और शहरों (पटना, मेरठ, अमृतसर, आगरा, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और धनबाद) से संबंधित कार्य प्रारंभ कर दिया गया है और विभिन्न भूभौतिकीय और भू-तकनीकी सर्वेक्षण प्रगति पर हैं।
  • वैज्ञानिक रूप से गहरी ड्रिलिंग परियोजना के तहत महाराष्ट्र में कोयना इंट्राप्लेट भूकंपीय क्षेत्र में कोयना सीस्मोजेनिक क्षेत्र में गहरे पानी के रिसाव को जानने के लिए स्थापित किया गया हैं, जिसमें भौतिक आधार और रॉक संरचनाओं के मैकेनिकल संघटकों के आधार पर कोयना पायलट बोरहोल में 2 से 3 किमी के बीच के कई नुकसान वाले क्षेत्रों को चित्रित किया गया है।
  • राष्ट्रीय नेटवर्क परियोजना के तहत, पनडुब्बी भूजल निर्वहन (एसजीडी), राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (एनसीईएसएस) ने एक्वीफर मॉडलिंग तकनीक के माध्यम से भारत के दक्षिण-पश्चिम तटीय क्षेत्र के तीन तटीय क्षेत्रों से एसजीडी प्रवाह का अनुमान लगाया है। एसजीडी विशेषताओं से युक्त एसडब्ल्यू तटीय क्षेत्र में सर्वेक्षण किए गए 640 किमी में से 106.5 किमी की कुल तटीय लंबाई के साथ नौ महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
  • अंटार्कटिका के लिए 40वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान (40-आईएसईए) का 43 भारतीय सदस्यों के साथ अभियान पोत एमवी वासिली गोलोविनिन के साथ जनवरी 2021 में गोवा के मुर्मुगांव से शुभारंभ किया गया था। अंटार्कटिका के लिए 41वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान 15 नवंबर, 2021 को नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर), गोवा से प्रारंभ किया गया।
  • 41वें अभियान के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं। पहले कार्यक्रम में भारती स्टेशन पर अमेरी आइस शेल्फ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है। इससे अतीत में भारत और अंटार्कटिका के बीच की कड़ी का पता लगाने में मदद मिलेगी। दूसरे कार्यक्रम में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण और नॉर्वेजियन पोलर इंस्टीट्यूट के सहयोग से मैत्री के पास 500 मीटर बर्फ कोर की ड्रिलिंग के लिए टोही सर्वेक्षण और प्रारंभिक कार्य शामिल है। यह पिछले 10,000 वर्षों से अंटार्कटिक जलवायु, पश्चिमी हवाओं, समुद्री-बर्फ और ग्रीनहाउस गैसों की जलवायु स्थिति की समझ में सुधार करने में सहायता प्रदान करेगा।
  • इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर ऑपरेशनल ओश्नोग्राफी (आईटीसीओओशन) की स्थापना आईएनसीओआईएस, हैदराबाद में एक यूनेस्को श्रेणी 2 के केंद्र में हुई थी, जिसमें अब तक 95 देशों के प्रशिक्षु रहे हैं। महामारी के कारण ऑनलाइन प्रशिक्षण मोड ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिंद महासागर रिम देशों की भागीदारी को बढ़ाने में मदद की है। जनवरी 2021 से नवंबर 2021 के दौरान 9 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और 3 वेबिनार आयोजित किए गए। कुल 1526 व्यक्तियों (पुरुष: 904, महिला: 622) को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 906 भारत से और 620 (पुरुष: 386, महिला: 234) 58 अन्य देशों से हैं।
  • "अफ्रीकी-एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई मानसून विश्लेषण और भविष्यवाणी (आरएएमए) के लिए अनुसंधान मूर्ड एरे के विकास में तकनीकी सहयोग और उत्तरी हिंद महासागर (ओएमएनआई) में मौसम और मानसून पूर्वानुमानों में सुधार के लिए महासागर मूर्ड बॉय नेटवर्क" पर एक कार्यान्वयन समझौता के रूप में 09 अगस्त 2021 को एक वर्चुअल कार्यक्रम में हस्ताक्षर किए गए।
  • भारत और वियतनाम ने 17 दिसंबर 2021 को समुद्री विज्ञान और पारिस्थितिकी में वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
  • "स्किन केयर एंड कॉस्मेटिक एप्लीकेशन के लिए रिकॉम्बिनेंट एक्टोइन डीप सी बैक्टीरिया" को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी) द्वारा और पर्यावरण की स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बायोसर्फैक्टेंट से मरीन बैक्टीरिया तक पर नवीन प्रौद्योगिकियों को क्रमशः मैसर्स कॉसमॉस बायोटेक एलएलपी (सीबीएलपी), बेंगलुरु और मेसर्स ईको बिल्डकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड (ईबीपीएल), बेंगलुरु, कर्नाटक द्वारा विकसित किया गया
  • आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष और इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। यह महोत्सव भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान के सभी प्रगतिशील क्षेत्रों का एक प्रतिबिंब है। पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय को इस प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का शुभारंभ 18 अक्टूबर, 2021 को हुआ और इसका समापन 24 अक्टूबर, 2021 को हुआ। स्मारकीय अवसर को मनाने के लिए, पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय और उसके सभी संस्थानों ने एक पुनरुत्थानवादी, आत्म निर्भर भारत के निर्माण में जारी अपनी गतिविधियों का आयोजन किया।
  • गोवा सरकार के साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान भारती द्वारा भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2021) के सातवें संस्करण का 10-13 दिसंबर, 2021 के दौरान गोवा में आयोजन किया गया। पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय के दी नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर) आईआईएसएफ 2021 के आयोजन के लिए नोडल एजेंसी थी। आईआईएसएफ 2021 का विषय 'विज्ञान में रचनात्मकता का महोत्सव' था। महोत्सव में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रदर्शन सहित कुल 12 कार्यक्रम थे। लगभग 25 प्रतिशत प्रतिनिधियों ने फिजिकल रूप में भाग लिया और 75 प्रतिशत प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया। आईआईएसएफ 2021 में छात्रों द्वारा तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए गए थे। इन रिकॉर्डों में (i) अधिकांश छात्रों ने एक मॉडल रॉकेट किट का निर्माण और इसका लांच (ii) बहुत से छात्रों ने एक ही स्थल पर ऑनलाइन वर्षा जल संचयन किट का निर्माण और (iii) सर्वाधिक संख्या में छात्रों द्वारा अंतरिक्ष अन्वेषण सत्र में भाग लेते हुए विशाल रेडियो टेलीस्कोप डिश एंटीना की प्रतिकृति बनाना शामिल था।

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एमजी/एएम/एसएस/डीवी



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