संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2021: दूरसंचार विभाग
ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार-घनत्व मार्च 2014 के 44% से बढ़कर सितंबर 2021 में 59% हो गया
ब्रॉडबैंड कनेक्शन मार्च 2014 के 6.1 करोड़ से बढ़कर जून 2021 में 79 करोड़ हो गया, 1200% की वृद्धि
2002-2014 की तुलना में 2014-2021 के बीच दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई
सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र में संरचनात्मक और प्रक्रिया से जुड़े सुधारों को मंजूरी दी
भारत नेट: इस वर्ष 17,000 से अधिक ग्राम पंचायतें सेवा के लिए तैयार
भारत नेट: 1 नवंबर 2021 तक 5,52,514 किमी ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाई गयी जिससे लगभग 1.8 लाख ग्राम पंचायतें जुड़ीं
पीएम-वाणी योजना: 7 जनवरी 2021 से 23 नवंबर 2021 तक दूरसंचार विभाग द्वारा 125 पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर्स (पीडीओए) और 63 ऐप प्रदाताओं को पंजीकृत किया गया है
पीएम-वाणी योजना: 50,000 से अधिक एक्सेस पॉइंट स्थापित किये गये हैं
नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स-2021 में भारत की 21 स्थान की छलांग, 2020 में 88वें स्थान से 2021 में 67वें स्थान पर पहुंचा
दूरसंचार विभाग द्वारा वित्त पोषित स्वदेशी 5G टेस्ट बेड परियोजना अपने अंतिम चरण में पहुंच गयी है; 31 दिसंबर 2021 तक इसके पूरा होने की संभावना
6जी अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस इकोसिस्टम को तैयार करने की दिशा में विभाग द्वारा 6जी टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप (टीआईजी) का गठन
Posted On:
27 DEC 2021 12:37PM by PIB Delhi
A. 2021 में भारतीय दूरसंचार का परिदृश्य
टेलीफोन सब्सक्रिप्शन में वृद्धि:
- कुल टेलीफोन कनेक्शन सितंबर 2021 में बढ़कर 118.9 करोड़ हो गये, जो मार्च 2014 में 93 करोड़ थे, इस अवधि के दौरान 28% की वृद्धि हुई। सितंबर 2021 में मोबाइल कनेक्शन की संख्या 1165.97 करोड़ तक पहुंच गयी। मार्च 2014 में दूरसंचार-घनत्व 75.23 प्रतिशत था, जो सितंबर 2021 में 86.89 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
- शहरों में टेलीफोन कनेक्शन सितंबर 2021 में बढ़कर 66 करोड़ हो गये, जो मार्च 2014 में 55 करोड़ थे, यानि 20 प्रतिशत की वृद्धि, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन कनेक्शन में वृद्धि 40 प्रतिशत थी, जो शहरों में दर्ज हुई वृद्धि दर का दोगुना है, ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 के 38 करोड़ से बढ़कर सितंबर 2021 में 53 करोड़ हो गये हैं। ग्रामीण टेलीफोन-घनत्व मार्च 2014 में 44% से बढ़कर सितंबर 2021 में 59% हो गया।
इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की पहुंच में उछाल:
· इंटरनेट कनेक्शन की संख्या मार्च 2014 के 25.15 करोड़ से बढ़कर जून 2021 में 83.37 करोड़ हो गयी, जो कि 231 प्रतिशत की वृद्धि है।
· ब्रॉडबैंड कनेक्शन मार्च 2014 के 6.1 करोड़ से बढ़कर जून 2021 में 79 करोड़ हो गया, जो लगभग 1200 प्रतिशत बढ़ा है।
· प्रत्येक ग्राहक के लिये प्रति जीबी वायरलेस डेटा औसत राजस्व प्राप्ति दिसंबर 2014 में 268.97 रुपये से घटकर जून 2021 में 9.8 रुपये पर आ गया, यानि 96% से अधिक की कमी।
· प्रति वायरलेस डेटा उपभोक्ता की औसत मासिक डेटा खपत जून 2021 में 22605 प्रतिशत बढ़कर 14 जीबी हो गई, जो मार्च 2014 में 61.66 एमबी थी।
बीटीएस और टावर्स में वृद्धि:
· मोबाइल बेस ट्रान्सीवर स्टेशनों (बीटीएस) की संख्या 2014 में 8 लाख से बढ़कर 2021 में 23 लाख हो गयी, जो कि 187 प्रतिशत की बढ़त है।
· मोबाइल टावरों की संख्या 2014 के 4 लाख से बढ़कर 2021 में 6.6 लाख हो गयी, इसमें 65% की वृद्धि हुई।
एफडीआई में वृद्धि:
- दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2002 से 2014 के बीच के 62,386 करोड़ रु से बढ़कर 2014-2021 के दौरान 1,55,353 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, यानि 2002-2014 से 2014-2021 के बीच 150 प्रतिशत की बढ़त।
(B) दूरसंचार सुधार
(i) 15.9.2021 को घोषित दूरसंचार सुधार:
दूरसंचार उद्योग के सामने आर्थिक समस्याओं और नकदी, तर्कसंगत शुल्क, समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) और स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण जैसे मुद्दों पर चुनौतियों को देखते हुए, सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रिया से जुड़े सुधारों को मंजूरी दी है।
(a) संरचनात्मक सुधार
1. तर्कसंगत एजीआर: दूरसंचार से अलग आय को भावी आधार पर एजीआर की परिभाषा से बाहर रखा जाएगा।
2. बैंक गारंटी (बीजी) तर्कसंगत बनी: लाइसेंस शुल्क (एलएफ) और अन्य समान शुल्क के प्रति बीजी आवश्यकताओं (80 प्रतिशत) में भारी कमी। देश में विभिन्न लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्रों (एलएसए) में एक से अधिक बीजी की कोई आवश्यकता नहीं। इसकी जगह, एक बीजी पर्याप्त होगा।
3. तर्कसंगत हुई ब्याज दरें/दंड हटाया गया: 1 अक्टूबर, 2021 से, लाइसेंस शुल्क (एलएफ)/स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के भुगतान में देरी पर एसबीआई के एमसीएलआर पर 4 प्रतिशत अतिरिक्त के स्थान पर एमसीएलआर पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज लगेगा. ब्याज मासिक के बजाय सालाना संयोजित होगा; जुर्माने पर जुर्माना और ब्याज हटाया गया।
4. अब से आयोजित होने वाली नीलामी के लिये, किश्त भुगतान प्राप्त करने में किसी बीजी की आवश्यकता नहीं होगी। उद्योग अब परिपक्व हो गये हैं और पहले चल रही बीजी प्रथा की अब आवश्यकता नहीं है।
5. स्पेक्ट्रम की अवधिः भविष्य की नीलामी में स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी गयी।
6. भविष्य की नीलामी में हासिल किये गये स्पेक्ट्रम में 10 साल बाद स्पेक्ट्रम को सरेंडर करने की अनुमति होगी।
7. भविष्य की स्पेक्ट्रम नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) नहीं।
8. स्पेक्ट्रम शेयरिंग को प्रोत्साहन- स्पेक्ट्रम शेयरिंग के लिए 0.5% का अतिरिक्त एसयूसी हटाया गया।
9. निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये, दूरसंचार क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है। सुरक्षा से जुड़े सभी उपाय लागू होंगे।
(b) प्रक्रियात्मक सुधार
10. नीलामी कलैण्डर निर्धारित - स्पेक्ट्रम नीलामी सामान्यत प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आयोजित की जाती है।
11. कारोबार में सुगमता को बढ़ावा - वायरलेस उपकरणों के लिए 1953 के सीमा शुल्क अधिसूचना के तहत लाइसेंस की बोझिल आवश्यकता को हटा दिया गया। इसे स्व-घोषणा के साथ बदला गया।
12. अपने ग्राहकों को जानें (केवाईसी) सुधार: स्व-केवाईसी (ऐप आधारित) की अनुमति । ई-केवाईसी दर संशोधित कर केवल एक रुपये की गयी। प्रीपेड से पोस्ट-पेड या पोस्टपेड से प्रीपेड स्थानांतरण के लिए नए केवाईसी की आवश्यकता नहीं होगी।
13. पेपर कस्टमर एक्विजिशन फॉर्म (सीएएफ) को डेटा के डिजिटल स्टोर से बदल दिया जाएगा। टीएसपी के विभिन्न गोदामों में पड़े लगभग 300-400 करोड़ पेपर सीएएफ की आवश्यकता नहीं होगी। सीएएफ के वेयरहाउस ऑडिट की आवश्यकता नहीं होगी।
14. दूरसंचार टावरों के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आवंटन पर स्थायी सलाहकार समिति (एसएसीएफए) मंजूरी में ढील दी गयी। दूरसंचार विभाग स्व-घोषणा के आधार पर पोर्टल पर आंकड़े स्वीकार करेगा। अन्य एजेंसियों के पोर्टल (जैसे नागरिक उड्डयन) को डीओटी पोर्टल से जोड़ा जाएगा।
(c) दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की नकदी आवश्यकताओं का समाधान
सरकार ने सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के लिए निम्नलिखित कदमों को मंजूरी दी:
15. एजीआर पर फैसले के बाद सामने आने वाली देय राशि के वार्षिक भुगतान में चार साल तक का मोराटोरियम /विलम्बन, हालांकि, देय के शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) को संरक्षित करके रकम को सुरक्षित रखा जा रहा है।
16. पिछली नीलामियों (2021 की नीलामी को छोड़कर) में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के देय भुगतान पर संबंधित नीलामियों में निर्धारित ब्याज दर पर संरक्षित एनपीवी के साथ चार साल तक के लिए मोराटोरियम/विलम्बन।
17. टीएसपी को भुगतान को विलम्बित करने की वजह लगने वाले ब्याज राशि का भुगतान इक्विटी के माध्यम से करने का विकल्प।
18. सरकार के पास विकल्प है कि वह मोराटोरियम/विलम्बन अवधि के अंत में विलम्बित राशि से संबंधित देय रकम का भुगतान इक्विटी के माध्यम से भुगतान में परिवर्तित कर सकती है।
C. परियोजनाएं और पहल
(i) भारतनेट के माध्यम से गांवों में सेवाओं का वितरण - 2021 में प्रगति:
· देश में सभी ग्राम पंचायतों (लगभग 2.6 लाख ग्राम पंचायतों) को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए फ्लैगशिप भारतनेट परियोजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। पहला चरण दिसंबर 2017 में पूरा हो गया है जिसमें 1 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को शामिल कर लिया गया है।
· 2021 (01.1.2021 से 31.10.2021) में, कुल 17,232 ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार किया गया है, जिनमें से 16,344 जीपी ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिये और 888 जीपी सैटेलाइट मीडिया के जरिये जोड़े गये हैं।
· 01.11.2021 की स्थिति के अनुसार, भारतनेट चरण- द्वितीय के तहत जोड़ी जाने वाली शेष ग्राम पंचायतों में से कुल 1,79,247 ग्राम पंचायतों को 5,52,514 किमी ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाकर जोड़ा जा चुका है, जिनमें से 1 61,870 ग्राम पंचायत सेवा के लिए तैयार हैं।
· इसके अलावा, 4218 ग्राम पंचायतों को उपग्रह के माध्यम से जोड़ा गया है जिससे कुल सेवा के लिए तैयार जीपी की संख्या 1,66,088 हो गयी है।
· माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 15 अगस्त 2020 को की गयी घोषणा के अनुसार भारतनेट का दायरा अब देश के सभी गांवों तक बढ़ा दिया गया है।
· 30.06.2021 को, सरकार ने देश के 16 राज्यों में लगभग 3.61 लाख गांवों (1.37 लाख ग्राम पंचायतों सहित) को शामिल करते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से भारतनेट के कार्यान्वयन के लिए एक संशोधित रणनीति को मंजूरी दी।
(ii) एलडब्लूई प्रभावित हिस्सों में मोबाइल टावर की स्थापना: लेफ्ट विंग उग्रवाद (एलडब्लूई) प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये, सरकार ने इस परियोजना के पहले चरण के तहत 2343 स्थानों पर मोबाइल टावर स्थापित किए हैं और ये टावर मोबाइल सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इस परियोजना के दूसरे चरण के तहत, सरकार ने 4जी मोबाइल सेवाएं प्रदान करने के लिए 2542 टावरों की स्थापना को मंजूरी दी है और इस परियोजना पर कार्य जारी है।
(iii) मोबाइल सेवाओं से दूर 354 गांवो में से 210 गांवों को कनेक्टिविटी मिली: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए, सरकार ने 354 गांवों को जोड़ने की योजना बनाई है। अक्टूबर 2021 तक, लगभग 210 गांवों को मोबाइल सेवाओं से कवर कर लिया गया है।
(iv) आकांक्षी जिला योजना के तहत सेवा दायरे से बाहर 502 गांवों में 4जी आधारित मोबाइल सेवाः उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे चार राज्यों के आकांक्षी जिलों में दूरसंचार बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने सेवाओं के दायरे से बाहर 502 गांवों में 4जी आधारित मोबाइल सेवा प्रदान करने की सहमति दी है और परियोजना कार्यान्वयन के अधीन है।
नवंबर 2021 में सरकार ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे 5 राज्यों के आकांक्षी जिलों में दूरसंचार के दायरे से बाहर 7287 गांवों में 4जी आधारित मोबाइल सेवा प्रदान करने की सहमति दी है।
(v) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विस्तृत दूरसंचार विकास योजना (सीटीडीपी) के तहत 1,358 टावर स्थापित: सरकार ने उत्तर पूर्व क्षेत्र में असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सेवा दायरे से बाहर गांवो और राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ लगे क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना तैयार की है। परियोजनाओं पर काम जारी है और अक्टूबर 2021 तक, 1246 गांवों और 283 राष्ट्रीय राजमार्ग स्थलों को संचार दायरे में लाते हुए कुल 1,358 टावर स्थापित किये गये हैं।
(vi) द्वीपों के लिए विस्तृत दूरसंचार विकास योजना के तहत सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल से कनेक्टिविटी:
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: चेन्नई एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बीच समुद्र के अंदर बिछी 2,313 किलोमीटर के ऑप्टिकल फाइबर आधारित दूरसंचार कनेक्टिविटी का उद्घाटन अगस्त 2020 में किया गया था।
लक्षद्वीप : सरकार ने कोच्चि और लक्षद्वीप द्वीप समूह के बीच समुद्र के अंदर लगभग 1891 किमी केबल बिछाकर सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी के प्रावधान के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। परियोजना पर कार्य जारी है और मई 2023 तक इसे लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।
(vii) लक्षद्वीप के लिए उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का शुभारंभ: संचार राज्य मंत्री और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक ने 14.08.2021 को ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए लक्षद्वीप के लिए उच्च क्षमता वाली उपग्रह-आधारित कनेक्टिविटी का शुभारंभ किया और राष्ट्र को समर्पित किया। इस सैटेलाइट परियोजना के तहत, लक्षद्वीप द्वीप समूह के लिए बैंडविड्थ को 318 एमबीपीएस से बढ़ाकर 1.71 जीबीपीएस कर दिया गया है। अगाथी, एंड्रोथी, मिनिकॉय और कावारत्ती द्वीप समूह के लिए, बैंडविड्थ को 200 एमबीपीएस तक बढ़ाया गया है, जबकि अमिनी, चेतलाट, कल्पेनी, कदमथ, किल्टन और बित्रा द्वीप समूह के लिए, बैंडविड्थ को 100 एमबीपीएस बढ़ाया गया है।
(viii) पीएम-वाणी के तहत 50000 एक्सेस पॉइंट स्थापित: सरकार ने 09.12.2020 को प्रधान मंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी) के ढांचे के तहत सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क के माध्यम से ब्रॉडबैंड के प्रसार के प्रस्ताव को मंजूरी दी। यह उम्मीद की जाती है कि सार्वजनिक वाई-फाई ब्रॉडबैंड के साथ, उपयोगकर्ता का अनुभव और ब्रॉडबैंड सेवा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा। यह सेवा उन ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी होगी जहां भारतनेट के तहत सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट भी बनाए जा रहे हैं। सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट के प्रसार से छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों के लिए रोजगार में वृद्धि होगी और उन्हें आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिलेगा।
पीएम-वाणी फ्रेमवर्क के तहत, 07.01.2021 को पीडीओए और ऐप प्रदाताओं का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हुआ है। 23.11.2021 तक, डीओटी द्वारा कुल 125 पीडीओए और 63 ऐप प्रदाता पंजीकृत किए गए हैं और पीएम-वाणी के तहत 50000 से अधिक एक्सेस पॉइंट स्थापित किये गये हैं।
(ix) अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के लिए नए दिशानिर्देश: विभाग ने ओएसपी के पंजीकरण के लिए नियमों और शर्तों को और सरल और उदार बनाने के लिए 05.11.2020 को ओएसपी के लिए नए दिशानिर्देश और फिर 23.06.2021 को ओएसपी के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह उम्मीद की जाती है कि ओएसपी के लिए नए दिशानिर्देश भारतीय आईटी/आईटीईएस उद्योग को वैश्विक बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बना देंगे और उद्योग को और बढ़ावा देंगे। नये दिशानिर्देशों के तहत, (क) ओएसपी से किसी पंजीकरण प्रमाणपत्र या बैंक गारंटी की आवश्यकता नहीं है,
(ख) भारत में कहीं से भी काम (डब्लूएफएच) करने की अनुमति है
(ग) घरेलू ओएसपी और अंतर्राष्ट्रीय ओएसपी के बीच बुनियादी ढांचे को साझा करने की अनुमति है आदि।
(x) स्पेक्ट्रम के उपयोग के लिए ऑनलाइन लाइसेंस: प्रयोगों, प्रदर्शनों और परीक्षण आवश्यकताओं के लिए स्पेक्ट्रम के उपयोग के लिए ऑनलाइन लाइसेंसिंग की सुविधा के लिए यह पहल 29.06.2021 को शुरू की गई है। डीओटी के मौजूदा सरल संचार पोर्टल का दायरा, जिस पर एक्सेस सेवाओं, इंटरनेट सेवाओं और अन्य लाइसेंसों के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे हैं, को इसी अनुसार नई पहल को शामिल करने और अनुमोदन प्रक्रिया को फेसलेस, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए विस्तारित किया गया है।
(xi) एकीकृत लाइसेंस और कमर्शियल वीसैट सीयूजी लाइसेंस का उदारीकरण
एकीकृत लाइसेंस और कमर्शियल वीसैट सीयूजी लाइसेंस व्यवस्था को निम्नलिखित अनुमति देकर उदार बनाया गया है:
- सेल्युलर मोबाइल सेवाओं और वाई-फाई हॉटस्पॉट के लिए एक्सेस सेवा प्रदाताओं को वीसैट का उपयोग करके उपग्रह के माध्यम से बैकहॉल कनेक्टिविटी।
- वाणिज्यिक वीसैट सीयूजी सेवा और बीएलडी सेवा दोनों के लिए वीसैट हब की साझेदारी
- किसी भी सेवा अनुमति के तहत एक ही लाइसेंस में अन्य अधिकृत सेवाएं प्रदान करने के लिये एक्टिव और पैसिव इंफ्रास्ट्रक्चर को साझा करना।
- सेटेलाइट बैंडविड्थ सीकर के साथ सेटेलाइट प्रोवाइडर के द्वारा प्रबंधित और संचालित एचटीएस उपग्रहों के लिए गेटवे हब को साझा करना।
D. उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग
(i) हाई थ्रूपुट उपग्रह (एचटीएस): एचटीएस में पारंपरिक उपग्रहों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से तेज गति के साथ डेटा भेजने की क्षमता है। आने वाले समय में एचटीएस का इस्तेमाल कनेक्टिविटी से बाहर या कम क्षमता के साथ कनेक्टेड क्षेत्रों को पूरी क्षमता और कनेक्टिविटी प्रदान करने में सहायक होगी। विभाग ने 23.09.2021 और 27.09.2021 को अधिसूचना जारी की है जो एचटीएस गेटवे हब को साझा करने के लिए रूपरेखा को सक्षम बनायेगा। विभिन्न प्रकार के कार्यरत उपग्रह-आधारित दूरसंचार नेटवर्क के लिए डेटा स्पीड पर प्रतिबंधों को हटा दिया गया है, जिससे तेज थ्रूपुट नेटवर्क को इस्तेमाल में लाया जा सके। इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की प्रगति के अनुरूप प्रासंगिक मानक को संशोधित किया गया है और यह सरकार की ब्रॉडबैंड प्रसार की पहल को साकार करने में मदद करेगा।
(ii) लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) उपग्रह एक उभरती हुई उपग्रह तकनीक है जो संचार में विलंब के कम होने की वजह से तेजी के साथ ज्यादा से ज्यादा आंकड़े भेजने की क्षमता प्रदान करती है। ऐसी नई प्रौद्योगिकी के उपग्रह अपेक्षित बैंडविड्थ की उपलब्धता के पूरक हो सकते हैं जिनका उपयोग दुर्गम इलाकों और दूर-दराज के क्षेत्रों में वॉइस कम्युनिकेशन के साथ ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने और इन क्षेत्रों में डिजिटल समावेशन और डिजिटल सशक्तिकरण को दूसरे क्षेत्रों के बराबर लाने की सरकार के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
(iii) दूरसंचार उपकरण का अनिवार्य परीक्षण और प्रमाणन: इस विभाग से संबद्ध एक कार्यालय दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी), ने विश्वसनीय दूरसंचार पोर्टल पर विश्वसनीय स्रोतों के निर्धारण के लिए उत्पादों का मूल्यांकन पूरा किया है। यह दूरसंचार उपकरण की खरीद के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश के तहत नियमों के अनुसार है।
E. वैश्विक सूचकांक में भारत की रैंकिंग:
- भारत नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2021 (2-12-2021 को जारी) में 21 स्थान बढ़कर 67वें स्थान पर पहुंच गया: एक बड़े सुधार में भारत ने 21 स्थान की छलांग लगाई, 2020 में 88 से 2021 में नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स में 67वें स्थान पर पहुंच गया। (एनआरआई) जिसे 2002 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा विकसित किया गया था और अब मेसर्स पोर्टुलन्स इंस्टीट्यूट, वाशिंगटन द्वारा प्रकाशित किया गया है भारत निम्न मध्यम आय वाले देशों में तीसरे और एशिया और प्रशांत देशों में 12वें स्थान पर है। मूल्यांकन किए जा रहे देशों की संख्या 130 है।
02-12-2021 को जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत ने न केवल अपनी रैंकिंग में सुधार किया बल्कि 2020 में एनआरआई स्कोर को 41.57 से सुधार कर 2021 में 49.74 यानि 20% का सुधार।
रिपोर्ट में कहा गया है,, “भारत इस क्षेत्र की एक और मजबूत अर्थव्यवस्था है और इसने 21 स्थानों की छलांग लगाकर एनआरआई 2021 में सबसे उल्लेखनीय सुधार किया है। एनआरआई ढांचे में अधिक प्रासंगिक संकेतकों की शुरूआत के अलावा देशव्यापी बेहतर प्रदर्शन के परिणामस्वरूप आक्रामक बढ़त प्राप्त हुई। भारत ने अधिकांश वर्गों और उप-वर्गों में महत्वपूर्ण प्रगति प्रदर्शित की, प्रौद्योगिकी वर्ग (49 वां) सबसे अच्छा आयाम है।"
- भारत आईटीयू के वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (जीसीआई) 2020 (29.06.2021 को जारी) के शीर्ष 10 में शामिल है:: डीओटी ने साइबर सुरक्षा के संबंधित हितधारकों (जैसे एमईआईटीवाई, एनएससीएस, एमएचए आदि) के परामर्श से इस मामले पर आईटीयू को एक विस्तृत और व्यापक प्रतिक्रिया प्रस्तुत की थी। नतीजतन, भारत आईटीयू द्वारा शुरू किए गए वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (जीसीआई) 2020 में 37 स्थान की छलांग लगाकर 10वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत एशिया-प्रशांत देशों में चौथा है और आईटीयू की वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (जीसीआई) 2020 रैंकिंग देश की सफलता और साइबर सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
- नीति अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय दूरसंचार संस्थान (एनटीआईपीआरआईटी) ने 17.05.2021 को "राष्ट्रीय सुरक्षा" पर एक पाठ्यक्रम शुरू किया जो शुरुआत में डीओटी अधिकारियों के लिए है और बाद में अन्य सरकारी विभागों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के अधिकारियों के लिए इसका विस्तार किया जाएगा।
F. भविष्य के लिए योजना
वैश्विक प्रतिस्पर्धी बाजार में आगे बढ़ने और आईपीआर के साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में मूल्यवर्धन करने के लिये प्रौद्योगिकी के स्वामित्व को आवश्यक माना जाता है। प्रौद्योगिकी नियंत्रण देश में बड़े ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए डिजिटल सेवाओं के बीच अंतर को पाटने के लिए लागत प्रभावी संचार नेटवर्क उत्पादों और उपकरणों के विकास और उत्पादन की सुविधा भी देता है।
आत्मनिर्भर भारत पहल दूरसंचार क्षेत्र में वर्तमान और भविष्य की प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करती है। 5जी, आगामी 6जी, क्वांटम कम्युनिकेशंस आदि के साथ अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकियों में निम्नलिखित पहल चलाई जा रही हैं।
- 5जी टेस्ट बेड: डीओटी द्वारा वित्त पोषित स्वदेशी 5जी टेस्ट बेड प्रोजेक्ट अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। आठ कार्यान्वयन एजेंसियां जैसे आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर, आईआईएससी बैंगलोर, समीर और सीईडब्ल्यूआईटी 36 महीनों की अवधि से काम कर रही हैं। 224 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के 31 दिसंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है, जिससे 5जी उत्पादों/सेवाओं/उपयोग के मामलों को विकसित करने वाले 5जी हितधारकों जैसे स्वदेशी स्टार्ट-अप, एसएमई, शैक्षणिक संस्थान और उद्योग के द्वारा 5जी उपयोगकर्ता उपकरणों (यूई) और नेटवर्क उपकरणों के एंड-टू-एंड परीक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा। स्वदेशी 5जी टेस्ट बेड दूरसंचार क्षेत्र में शुरू की गई एक दूरदर्शी प्रौद्योगिकी विकास परियोजना, देश में "6जी प्रौद्योगिकी परिदृश्य" के विकास के लिए नींव स्थापित करने के अलावा, 5जी प्रौद्योगिकी प्रणाली के घटकों, क्रॉस-सेक्टरल उपयोग मामलों के विकास, परीक्षण और प्रसार को सक्षम बनाएगी।
- ट्राई को 5जी सेवाओं का संदर्भ हवाला और रोलआउट: सितंबर, 2021 में, ट्राई को एक संदर्भ हवाला भेजा गया है, जिसमें उद्योग (उद्योग 4.0) के लिये कैप्टिव 5जी अनुप्रयोगों की स्पेक्ट्रम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार (आईएमटी)/5जी में पहचाने गए स्पेक्ट्रम में 5जी सार्वजनिक और निजी 5जी नेटवर्क के लिए 526-698 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300-3670 मेगाहर्ट्ज और 24.25-28.5 गीगाहर्ट्ज बैंड में नीलामी के लिये आरक्षित मूल्य, बैंड योजना, ब्लॉक आकार, नीलामी किए जाने वाले स्पेक्ट्रम की मात्रा और शर्तों के संबंध में सिफारिशें मांगी गई हैं। टीएसपी को फ्रीक्वेंसी सौंपने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाएगी।
5जी सेवाओं की शुरुआत के लिये दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी)- मैसर्स भारती एयरटेल, मैसर्स रिलायंस जियो और मैसर्स वोडाफोन आइडिया- ने गुरुग्राम, बैंगलोर, कोलकाता, मुंबई, चंडीगढ़, दिल्ली, जामनगर, अहमदाबाद, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ, पुणे, गांधी नगर शहरमें 5जी परीक्षण स्थल स्थापित किए हैं। ये मेट्रो और बड़े शहर अगले साल से देश में 5जी सेवाएं शुरू करने वाले पहले स्थान होंगे।
- 6जी टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप (टीआईजी): डीओटी द्वारा एक 6 जी टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप (टीआईजी) का गठन क्षमता विवरण, मानक तय करने वाले अंतरराष्ट्रीय निकायों में मानकों के विकास में भागीदारी बढ़ाने के जरिये 6जी प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम के विकास में सह-निर्माण और भाग लेने के उद्देश्य से किया गया है। यह 6जी अवसर का फायदा उठाने के लिए भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस इकोसिस्टम को तैयार करने में आवश्यक होगा। 6 जी टीआईजी में सरकार, शैक्षिक संस्थान, उद्योग संघों और टीएसडीएसआई (टेलीकॉम स्टैंडर्ड डेवलपमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया) के सदस्य शामिल हैं। 25.11.2021 को अपनी पहली बैठक में, टीआईजी सदस्यों ने वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत के योगदान को बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य की प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं को सामने रखा। पहलुओं जैसे वैश्विक 6जी गतिविधियों की मैपिंग; भारत की क्षमताएं और संभावित मानकीकरण से पूर्व की गतिविधियां; मिशन 6जी कार्यक्रम; 2030 और उसके बाद के लिए आईएमटी पर शोध के विचार; नेटवर्क, उपकरण, स्पेक्ट्रम, बहु-विषयक नवीन समाधान के संबंध में सिफारिशें देने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
- क्वांटम कम्युनिकेशंस (क्यूसी): डीओटी की आर एंड डी शाखा, सी-डॉट, वर्तमान में क्वांटम संचार प्रणालियों पर काम कर रही है। क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन के तहत, ईटीजी (अधिकार प्राप्त प्रौद्योगिकी समूह) ने सी-डॉट की पहचान क्वांटम संचार के लिए प्रमुख एजेंसी के रूप में की है, जो राष्ट्रीय मिशन के चार घटकों में से एक है। टीएसडीएसआई ने हाल ही में एक अध्ययन को मंजूरी दी है जो विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में 5जी नेटवर्क में पोस्ट-क्वांटम-क्रिप्टोग्राफी की आवश्यकता को समझेगी और पोस्ट-क्वांटम-क्रिप्टोग्राफी आधारित सुरक्षा की तरफ जाने की राह विकसित करने के लिये विभिन्न प्रस्तावों को विकसित करेगी।
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