जनजातीय कार्य मंत्रालय
‘जनजातीय गौरव दिवस’ सप्ताह में जनजातीय जीवन के तीन पक्षों का प्रस्तुतिकरण – शिल्प, खान-पान और सांस्कृतिक विरासत
Posted On:
20 NOV 2021 12:25PM by PIB Delhi
सप्ताह भर चलने वाला समारोह भारत के जनजातीय समुदायों को समर्पित है, जो पूरे हर्षोल्लास के साथ देशभर में 15 नवंबर, 2021 को शुरू हुआ था तथा जिसमें जनजातीय संस्कृति के विभिन्न रंगों को पेश किया जा रहा है।
आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न के क्रम में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोहों का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया था। वह आज पूरे उत्साह के साथ देशभर में चल रहा है। उल्लेखनीय है कि 15 नवंबर को महान जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुण्डा की जयन्ती है और इसी दिन हर वर्ष जनजातीय गौरव दिवस मनाया जायेगा। जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत के सम्मान में 15 नवंबर को शुरू होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम के ये सेनानी अब तक गुमनाम महानायक रहे हैं।
नई दिल्ली और 13 राज्यों में समारोहों में आकर्षक सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन हुआ। दिल्ली हाट में राष्ट्रीय जनजातीय समारोह ‘आदि महोत्सव’ का उद्घाटन भगवान बिरसा मुण्डा के पौत्र श्री सुखराम मुण्डा ने किया था। यह महोत्सव 30 नवंबर तक चलेगा। महोत्सव में जनजातीय शिल्प की शान तथा वहां के खान-पान और विभिन्न जनजातीय समुदायों की विरासत को पेश किया जायेगा। प्रदर्शनी में 200 से अधिक स्टॉलों पर तरह-तरह के उत्पादों को रखा गया है, जिनमें देशभर के हुनरमंदों द्वारा हाथ से बुने सूती कपड़े, रेशमी कपड़े, हस्तनिर्मित आभूषण और स्वादिष्ट व्यंञ्जन शामिल हैं।
गुजरात राज्य ने अहमदाबाद हाट में पांच दिवसीय पारंपरिक जनजातीय शिल्प, खान-पान, हर्बल सामग्री की बिक्री और प्रदर्शनी का आयोजन किया था, जिसका उद्घाटन जनजातीय विकास विभाग के मंत्री श्री नरेश पटेल और जनजातीय विकास की राज्य मंत्री श्रीमती निमिषाबेन सुथार ने किया। आयोजन में पारंपरिक जनजातीय कला और शिल्प, जैविक खाद्यान्न तथा जनजातीय जड़ी-बूटियों तथा औषधीय ज्ञान की पेशकश की गई। प्रदर्शनी मुलाकात का स्थान बन गई, जहां राज्य के जनजातीय लोगों और शहरवासियों को आपस में बातचीत करने का अवसर भी मिला। कार्यक्रम में पारंपरिक जनजातीय नृत्य प्रदर्शन भी हुआ, जिसने समृद्ध जनजातीय संस्कृति तथा आपसी एकता का प्रतिनिधित्व किया।
जनजातीय अनुसंधान संस्थान, मणिपुर, जनजातीय कार्य एवं पर्वत विभाग के अधीनस्थ, ने तीन दिवसीय राज्य जनजातीय कला और चित्रकारी प्रतियोगिता का आयोजन किया, जो 16 से 18 नवंबर, 2021 तक चली। इसे इंफाल आर्ट कॉलेज के सहयोग से आयोजित किया गया था तथा इसका उद्घाटन मणिपुर सरकार के अवर मुख्य सचिव श्री लेतखोगिन हाओकिप ने किया। प्रतियोगिता का उद्देश्य जनजातीय समुदायों के युवाओं के रचनात्मक कौशल, व्यक्तित्व, आत्मविश्वास, मानसिक कौशल और कल्पनाशीलता को प्रोत्साहित करना था।
तेलंगाना ने दो महान स्वतंत्रता सेनानी – रामजी गोंड और कोमारन भीम के जीवन पर आधारित वीडियो वृत्तचित्रों की एक श्रृंखला जारी की। कार्यक्रम इसलिये भी महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि इसमें दोनों स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने भी हिस्सा लिया।
छत्तीसगढ़ ने दो दिनों तक चलने वाला एक शानदार जनजातीय शिल्प मेले का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 15 नवंबर से 17 नवंबर, 2021 तक चला और इस दौरान बेहतर आर्थिक अवसर तथा जनजातीय शिल्पकारों के साथ अंतर-सांस्कृतिक संवाद का मौका भी मिला। मेले में भारी भीड़ उमड़ पड़ी और लोगों ने पूरे उत्साह के साथ इसमें शिरकत की। लोगों ने जनजातीय शिल्पकारों के साथ बातचीत भी की। मेले के तीन उद्देश्य थे – जनजातीय पारंपरिक कला और शिल्प की सुरक्षा, प्रोत्साहन और लोकप्रियता। जनजातीय शिल्पकारों को व्यापारिक अवसर मिलने से उनमें आत्मविश्वास भी पैदा हुआ।
जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान विभिन्न वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया। उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने जम्मू में समारोह की अध्यक्षता की, जबकि संभागीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों ने केंद्र शासित प्रदेशों के 20 भिन्न-भिन्न जिलों में कार्यक्रम का आयोजन किया। सभी शैक्षिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों ने अलग-अलग तरह के समारोहों का आयोजन करके जनजातीय गौरव दिवस मनाया।
जनजातीय इलाकों में ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की तैयारी के लिये दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई), दिल्ली के सहयोग से किया गया। जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने वर्चुअल माध्यम से इसमें हिस्सा लिया।
सांस्कृतिक रूप से समृद्ध अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह ने भी 16 नवंबर, 2021 को ‘जरावा जनजातीय का सांस्कृतिक कार्यक्रम’ आयोजित किया, जिसमें इस जनजातीय की गौरवशाली विरासत और शिल्प शैलियों को प्रस्तुत किया गया।
इन सभी पहलों का आयोजन इसलिये किया गया, ताकि जनजातीय समुदायों को एक मंच प्राप्त हो सके, जहां वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परिचय दे सकें तथा उनके आमूल विकास के लिये एक रोड-मैप बनाया जा सके।
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