रेल मंत्रालय

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा उपयोग की गई नई प्रौद्योगिकियों से यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा तथा अन्य रेल परिचालनों में वृद्धि हो रही है


आरपीएफ ने कोविड अनाथों की सुरक्षा के लिए एक विशेष योजना तैयार की

 आरपीएफ केंद्रीय बल है, जिसमें महिलाओं की सबसे अधिक हिस्सेदारी है

आरपीएफ में 9 प्रतिशत (6242) महिलाएं हैं

आरपीएफ ने लगभग 3 वर्ष में 56000 से ज्यादा बच्चों को बचाया

आरपीएफ द्वारा पिछले तीन वर्षों में 976 बच्चे तस्करों से बचाए गए

पिछले दो वर्षों में छूटे हुए 37.13 करोड़ रुपये मूल्य के कुल 22835 सामान उनके वैध मालिकों को सौंपे गए


Posted On: 25 JUN 2021 4:54PM by PIB Delhi

सुरक्षा और संरक्षा भारतीय रेल की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में एक है। यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा के अतिरिक्त रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने कोविड-19 के दैरान भारतीय रेलवे के प्रयासों में वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। महामारी के दौरान आरपीएफ भारतीय रेलवे के प्रयासों में सबसे आगे रही जैसे पार्क किए गए रोलिंग स्टॉक की सुरक्षा की, जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया, सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का मार्गरक्षण किया, श्रमिक स्पेशल में 45 सामग्रियों तथा 34 मेडिकल सहायता सामग्रियों की डिलीवरी की।

आरपीएफ ने कोविड अनाथों की सुरक्षा के लिए एक विशेष योजना 'पहुंच, सुरक्षा और पुनर्वास' तैयार की है। आरपीएफ ने स्टेशन/ट्रेनों पर संकट में घिरे या आसपास के कस्बों/गांवों/अस्पतालों में कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों की पहचान करने का अभियान शुरू किया है। कर्मचारियों को कोविड-19 के फैलने के कारण प्रभावित बच्चों पर विशेष ध्यान देने के लिए संवेदी बनाया गया है। आस-पास के क्षेत्रों के लोगों और स्टेशनों पर जाने वाले यात्रियों को संकट की स्थिति में बच्चों के लिए आस-पास उपलब्ध सेवाओं और सुविधाओं के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है। प्रत्येक बच्चे के लिए एक नोडल आरपीएफ कर्मी बच्चे को सुरक्षित करने के समय से उसके पुनर्वास तक जिम्मेदार होता है।  

स्टेशनों पर कीमती जान बचाने के दौरान आरपीएफ जवानों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालने की कई घटनाएं सामने आईं। वर्ष 2018 से माननीय राष्ट्रपति द्वारा आरपीएफ जवानों को जान बचाने के लिए 9 जीवन रक्षा पदक और 01 वीरता पदक प्रदान किए गए हैं।

आरपीएफ में बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल करने से महिला सुरक्षा में सुधार के लिए भारतीय रेलवे के प्रयासों को बल मिला है। आरपीएफ में 10568 रिक्तियों की भर्ती 2019 में पूरी हुई थी। सीबीटी, पीईटी/पीएमटी, दस्तावेज सत्यापन, मेडिकल जांच और पुलिस सत्यापन  के बाद भर्ती का काम पूरा हुआ।  भर्ती से पहले आरपीएफ में महिलाओं का प्रतिशत 3 प्रतिशत (2312), भर्ती के बाद यह 9 प्रतिशत (6242) था। आरपीएफ केंद्रीय बल है, जिसकी रैंक में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।

आरपीएफ द्वारा 17 अक्टूबर, 2020 से शुरू की गई मेरी सहेली पहल से लंबी दूरी की ट्रेनों में अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आरपीए की महिला कर्मियों की एक टीम प्रारंभिक स्टेशन से, रास्ते में और यात्रा समाप्त होने वाले स्टेशन तक उनसे बातचीत करती है।

भैरवी, वीरांगना, शक्ति जैसे विशेष महिला दस्तों के गठन से आरपीएफ द्वारा महिला यात्रियों की सुरक्षा को उन्नत बनाया गया है। आरपीएफ द्वारा मेट्रो शहरों और लोकल ट्रेनों में सभी लेडीज स्पेशल ट्रेनों का मार्गरक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है। देर रात और सुबह लोकल ट्रेनों के दौरान फोकस रूप में उनकी तैनाती की जाती है। नियमित रूप से लैंगिक संवेदीकरण/यात्री जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। आरपीएफ के जवानों द्वारा नियमित रूप से महिला कोचों में यात्रा करने वाले अपराधियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। लगभग 129500 (2019 से मई 2021 तक) लेडीज कोचों में यात्रा करने वाले पुरुष यात्रियों को रेलवे अधिनियम की धारा 162 के तहत गिरफ्तार किया गया है और आरपीएफ द्वारा मुकदमा चलाया गया है।

बच्चों को बचाने में आरपीएफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) के परामर्श से मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप दिया गया। 2020 तक 132 स्टेशनों पर नामित गैर सरकारी संगठनों द्वारा चाइल्ड हेल्प डेस्क का संचालन किया गया। 2017 से मई 2021 तक कुल 56318 बच्चों को बचाया गया है। कुल 976 बच्चों को 2018 से मई 2021 तक तस्करों से बचाया गया है।  

आरपीएफ यात्रियों की यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए उनकी सहायता करती रहती है । शिकायत निवारण, यात्रियों के छूटे हुए सामानों की वसूली और सुरक्षा संबंधी कॉल कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें आरपीएफ सक्रिय भूमिका निभाती है।

37.13 करोड़ रुपये मूल्य के छूटे हुए सामान के कुल 22835 मामले में (2019 से मई 2021 तक) सामान उनके वैध मालिकों को वापस कर दिए गए। पिछले दो वर्षों (2019-20) में ऑल इंडिया रेलवे सिक्योरिटी हेल्पलाइन 182 पर कुल 37275 वास्तविक सुरक्षा संबंधी कॉल प्राप्त हुए और उनका समाधान किया गया। हेल्पलाइन 182 को 01.04.2021 से 139 रेलमदद के साथ विलय किया गया था। अप्रैल और मई, 2021 में 8258 सुरक्षा संबंधी 139 कॉल का समाधान किया गया है। 

बाढ़ के कारण ट्रेनों में फंसे यात्रियों तक पहुंचने और राहत प्रदान करने के लिए आरपीएफ आपदा राहत पहल- रेलवे बाढ़ राहत दल (आरएफआरटी)- शुरू की गई है। यह टीम पानी, भोजन, दवाइयां आदि ले जा सकती है। यह टीम अन्य बचाव और राहत एजेंसियों के साथ घनिष्ठ समन्वय और एक अच्छी तरह से निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर काम करती है। 15 आरपीएफ पुरुषों/महिलाओं को एनडीआरएफ द्वारा प्रशिक्षित किया गया है तथा 75 और प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। सुरक्षा उपकरणों से लैस 05 मोटरचालित इन्फ्लेटेबल नौकाएं खरीदी गईं हैं और 05 संवेदनशील स्थानों पर उनकी तैनाती की गई है। यह रेलवे के बाहर भी इस तरह के संचालन के लिए नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर काम कर सकती है। 

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