विद्युत मंत्रालय
एनटीपीसी ने दो दिवसीय ब्रिक्स ग्रीन हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन का आयोजन किया
Posted On:
23 JUN 2021 12:30PM by PIB Delhi
बिजली मंत्रालय के तहत भारत की सबसे बड़ी ऊर्जा समेकित कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने ग्रीन हाइड्रोजन, जो वर्तमान समय में सबसे लोकप्रिय तथा मांग वाले क्षेत्रों में से एक तथा ऊर्जा की अगली वाहक मानी जाती है, पर दो दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया।
इस ऑनलाइन कार्यक्रम में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स देशों) के अग्रणी विशेषज्ञों ने भाग लिया जिन्होंने इस विषय पर तथा ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में उनके देशों में हो रहे नवीनतम घटनाक्रमों पर अपनी अंतर्दृष्टि और प्रोफेशनल विचार साझा किए।
ब्रिक्स वर्चुअल सम्मेलन के प्रमुख वक्ताओं में सुश्री एग्नेस एम डा कोस्टा (ब्राजील की खदान एवं ऊर्जा मंत्री), श्री कोवलेव एंड्रे (रूस के ऊर्जा एजेंसी मंत्री), डॉ. प्रकाश चंद्र मैथानी (भारत सरकार के एमएनआरई के वैज्ञानिक), सुश्री फु तियानइ (चीन की नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन), श्री मैकगाबो एच सिरी (दक्षिण अफ्रीका के अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय ऊर्जा विभाग) शामिल थे।
बिजली मंत्रालय के सचिव श्री आलोक कुमार ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि सरकार और उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए कि वर्तमान विनियमन निवेश की राह में अनावश्यक बाधा नहीं है, अनिवार्य रूप से एक साथ मिल कर काम करना चाहिए। हाइड्रोजन की बड़ी मात्रा के परिवहन तथा भंडारण की सुरक्षा के लिए समान अंतर्राष्ट्रीय मानकों तथा उद्भव के उपयुक्त प्रमाणपत्रों से व्यापार को लाभ पहुंचेगा। ब्रिक्स देशों को इन पहलुओं पर एक साथ मिल कर काम करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से निजी क्षेत्र से संबंधित उर्वरकों, रिफाइनरियों के लिए हाइड्रोजन खरीद दायित्व लागू करने के लिए एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन आरंभ किया है।
एनटीपीसी लिमिटेड के सीएमडी श्री गुरदीप सिंह ने स्वागत टिप्पणियों के दौरान कहा कि ब्रिक्स के पांचों देश टिकाऊ विकास तथा समावेशी आर्थिक वृद्धि पर समान विजन साझा करते हैं। ऊर्जा सहयोग को सुदृढ़ बनाने तथा सभी के लिए किफायती, भरोसेमंद, सुविधाजनक और सुरक्षित ऊर्जा सुनिश्चित करना ब्रिक्स देशों के एजेन्डा में एक महत्वपूर्ण कार्यनीतिक क्षेत्र रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लिए हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में रूपांतरण न केवल हाइड्रोकार्बनईंधनों पर आयात निर्भरता में कमी लाएगा बल्कि यह इसके नागरिकों के लिए स्वच्छ वायु उपलब्ध करायेगा, समग्र तरीके से जीएचजी उत्सर्जन में कमी लाएगा तथा देश के आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करेगा।
ये ब्रिक्स देश यह सुनिश्चित करने में सक्षम हैं कि कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल शून्य हो जाए, क्योंकि इन देशों में उभरती प्रौद्योगिकियों की तैनाती की लागत अन्य विकसित देशों की लागत की तुलना में बहुत कम है। कार्बन डायऑॅक्साइड से बचाव का दुनिया भर में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
एनटीपीसी भारत में हरित हाइड्रोजन पहलों में अग्रणी भूमिका निभा रही है। एनटीपीसी कार्बन कैप्चर तथा हाइड्रोजन के क्षेत्रों में व्यापक अध्ययन, प्रयोग भी कर रही है और उसने इसके लिए ग्रीन हाइड्रोजन पर कुछ पायलट परियोजनाओं की भी घोषणा की है।
ग्रीन हाइड्रोजन ब्रिक्स सहित सभी देशों के लिए बहुत सामयिक दिलचस्पी का विषय है क्योंकि इसमें सतत ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने, ऊर्जा उपलब्धता के स्तर को बढ़ाने तथा पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने की काफी क्षमता है।
एमजी/एएम/एसकेजे/डीसी
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