सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय

“खादी प्राकृतिक पेंट” के नाम पर धोखाधड़ी


दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक इकाई पर ब्रांड नाम 'खादी' का उपयोग करने पर रोक लगाई

Posted On: 11 JUN 2021 3:13PM by PIB Delhi

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नकली खादी प्राकृतिक पेंट के अवैध निर्माण और इसकी बिक्री में शामिल गाजियाबाद के एक व्यापारी को ऐसी सभी गतिविधियों को तुरंत रोकने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि, उमेश पाल के एकल स्वामित्व वाली प्रतिवादी जेबीएमआर एंटरप्राइजेज "खादी" ब्रांड नाम का अवैध रूप से इस्तेमाल करके तथा "खादी प्राकृतिक पेंट" के नाम एवं पैकेजिंग की नकल करके उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही है और यह "जालसाजी" में लिप्त है। इसने खादी की "ख्याति तथा प्रतिष्ठा" को ठेस पहुंचाई है।

खादी प्राकृतिक पेंट गाय के गोबर से बनाया गया एक अनूठा अभिनव पेंट है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा विकसित फंगसरोधी तथा जीवाणुरोधी पेंट को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी के द्वारा 12 जनवरी 2021 को लॉन्च किया गया था। लॉन्च होने के बाद से ही यह पेंट काफी लोकप्रिय हो गया और देश के सभी हिस्सों से भारी मात्रा में इसके ऑर्डर मिल रहे हैं।

अदालत ने प्रतिवादी - जेबीएमआर एंटरप्राइजेज - को अपनी वेबसाइट www.khadiprakritikpaint.com का संचालन रद्द करने, व्यवसायिक नाम "खादी प्राकृतिक पेंट" के लिए संचालित अपना फेसबुक अकाउंट बंद करने और इसकी ईमेल आईडी khadiprakritikpaint[at]gmail[dot]com को निलंबित करने का भी निर्देश दिया है।

केवीआईसी के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि, प्रतिवादी जेबीएमआर एंटरप्राइजेज द्वारा इंडिया मार्ट और ट्रेड इंडिया जैसी थर्ड पार्टी वेबसाइटों पर भी नकली "खादी प्राकृतिक पेंट" बेचा जा रहा था। इसके अलावा, यह अपनी वेबसाइट पर एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार के आधिकारिक लोगो का इस्तेमाल उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिए कर रहा था कि, जेबीएमआर एंटरप्राइजेज सरकार से संबद्ध थी।

केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि, केवीआईसी ने "खादी प्राकृतिक पेंट" के निर्माण या विपणन के लिए किसी भी एजेंसी को आउटसोर्स नहीं किया है।

केवीआईसी ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसे उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। केवीआईसी ने अब तक 1000 से अधिक निजी फर्मों को अपने ब्रांड नाम का दुरुपयोग करने और खादी के नाम से उत्पाद बेचने के लिए कानूनी नोटिस जारी किए हैं।

http://delhihighcourt.nic.in/dhcqrydisp_O.asp?pn=119319&yr=2021

 

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