विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
एक नया अध्ययन हिमालयी क्षेत्र में ब्लैक कार्बन, जो कि ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है, के सटीक आकलन और मौसम एवं जलवायु संबंधी पूर्वानुमानों में सुधार लाने में मदद करेगा
Posted On:
07 JUN 2021 3:46PM by PIB Delhi
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करने वाला दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषक ब्लैक कार्बन (BC) का हिमालयी क्षेत्र में सटीक आकलन करना अब ऑप्टिकल उपकरणों का उपयोग करके संभव होगा। यह आकलन हिमालयी क्षेत्र के लिए मास एब्जॉर्प्शन क्रॉस-सेक्शन (एमएसी) नामक एक विशिष्ट मानदंड के आधार पर होगा, जिसका वैज्ञानिकों ने पता लगाया है। इससे संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान एवं जलवायु मॉडल के प्रदर्शन में भी सुधार होगा।
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एरीज), जोकि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, के वैज्ञानिकों नेदिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईटी कानपुर और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला, इसरो के वैज्ञानिकों के सहयोग से पहली बार मध्य हिमालयी क्षेत्र में ब्लैक कार्बन और एलिमेंटल कार्बन का व्यापक निरीक्षण किया हैऔर मासिक और तरंगदैर्ध्य- आधारितएमएसी के मान का आकलन किया है।
शोधकर्ताओं ने एमएसी, जोकि एक आवश्यक मानदंड है जिसका उपयोग ब्लैक कार्बन के द्रव्यमान सांद्रता मापने के लिए किया जाता है, का मान निकालाहै। 'एशिया-पैसिफिक जर्नल ऑफ एटमॉस्फेरिक साइंसेज' में प्रकाशित और अपने पीएच.डी. पर्यवेक्षक डॉ. मनीष नाजा के साथ मिलकरकिये गये एक अध्ययन मेंप्रियंका श्रीवास्तव ने एमएसीके वार्षिक माध्य मान (5.03 ± 0.03 m2g− 1 880 एनएम पर) की गणना की है और इसे पूर्व में इस्तेमाल किए गए स्थिर मान (16.6 m2g− 1 880 एनएम पर) से काफी कम पाया है। ये निम्न मान इस अन्यथा स्वच्छ स्थल पर प्रसंस्कृत (ताजा नहीं) वायु प्रदूषण उत्सर्जन के परिवहन का परिणाम हैं। इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि एमएसी के ये अनुमानित मान 880 एनएम पर 3.7 से 6.6 m2g− 1 की सीमा में फैले महत्वपूर्ण मौसमी बदलाव को दर्शाते हैं। यह पाया गया है कि ये बदलाव बायोमास जलने के मौसमी बदलाव, वायु द्रव्यमानमें भिन्नता और मौसम संबंधी मापदंडों के कारण होते हैं।
एरीज की टीम के अनुसार, एमएसी की गणना में उपयोग किए जाने वाले उच्च रिज़ॉल्यूशनबहु-तरंगदैर्ध्य वाले और दीर्घकालिक निरीक्षण ब्लैक कार्बन (BC) के उत्सर्जन के कारण होने वाले वार्मिंग प्रभावों का अनुमान लगाने में संख्यात्मक मौसम के पूर्वानुमान और जलवायु मॉडल के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। विभिन्न तरंगदैर्ध्य पर ब्लैक कार्बन (BC) के बारे में सटीक ज्ञान ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन के स्रोतों को बाधित करने के लिए किए जाने वाले स्रोत विभाजन अध्ययन में मदद करेगा। इस प्रकार यह ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन से निपटने की नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण जानकारी के रूप में काम आ सकता है।
चित्र 1: (बाएं) वर्तमान में निकाले गए साइट और महीने विशिष्ट एमएसी (संशोधित eBC) और 16.6 m2g− 1 (असंशोधित eBC) के मानक एमएसी का उपयोग करके 2014-2017 की अवधि के दौरान आकलन किए गए मासिक औसत समकक्ष ब्लैक कार्बन (eBC) सांद्रता में बदलाव। निरूपण में त्रुटि पट्टियाँ एक सिग्मा मानक भिन्नता का प्रतिनिधित्व करती हैं। (दाएं) विकिरण बल में वृद्धि को भी सही आकंड़ों’ में दिखाया गया है।
प्रकाशन लिंक: https://doi.org/10.1007/s13143-021-00241-6.
विस्तृत विवरण के लिए डॉ. मनीष नाजा से (manish@aries.res.in, 9411793315) संपर्क करें।
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एमजी/एएम/आर/सीएस
(Release ID: 1725306)
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