स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

मुंबई के छात्र अन्वेषक की सहायता से कोरोना योद्धाओं को मिलेगी ‘कूल’ पीपीई किट


“पंखे के नीचे बैठने जैसी है कोव-टेक वेंटिलेशन प्रणाली, जब आप पीपीई के भीतर होते हैं”

Posted On: 23 MAY 2021 11:00AM by PIB Delhi

कहा जाता है, आवश्यकता अविष्कार की जननी है। मुंबई के छात्र अन्वेषक निहाल सिंह आदर्श के लिए, अपनी डॉक्टर मां की जरूरत उनकी खोज के लिए प्रेरणा की स्रोत बन गई। कोव-टेक नाम की बेहतरीन और किफायती खोज पीपीई किट के लिए एक वेंटिलेशन प्रणाली है, जो कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में लगे हमारे स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।

कोव-टेक : पूर्ण रूप से अलग और कूल पीपीई अनुभव का भरोसा

प्रफुल्लित नजर आ रहे के. जे. सोमैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी निहाल ने पीआईबी से बातचीत में, कोव-टेक के इस्तेमाल से पीपीई पहनने वाले कोरोना योद्धाओं के अनुभव में पैदा होने वाले अंतर का वर्णन किया : “कोव-टेक वेंटिलेशन प्रणाली आपको पंखे के नीचे बैठे होने का अहसास दिलाती है, भले ही आप पीपीई सूट के अंदर हों। यह आसपास की हवा लेती है, उसे साफ करती है और उसे पीपीई सूट के अंदर भेजती है। सामान्य रूप से वेंटिलेशन की कमी के चलते, यह गर्म हो जाती है और पीपीई सूट के भीतर नमी बढ़ जाती है; हमारा समाधान भीतर एक हवा का स्थायी प्रवाह सुनिश्चित करके एक आरामदेह अनुभव देने के तरीके की पेशकश करता है।वेंटिलेशन प्रणाली का डिजाइन पीपीई किट से पूरी तरह से हवा को सील करना सुनिश्चित करती है। यह महज 100 सेकंड के अंतराल में उपयोगकर्ता के लिए ताजी हवा का प्रवाह उपलब्ध कराती है।

 

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मां की सेवा के लिए हुई खोज

तो को-टेक की खोज कैसे हुई? निहाल की मां डॉ. पूनम कौर आदर्श एक डॉक्टर हैं, जो आदर्श क्लीनिक, पुणे में कोविड-19 मरीजों का उपचार कर रही हैं। इस क्लीनिक को वह खुद चलाती हैं। हर रोज घर आने के बाद, वह अपने सामने आने वाली मुश्किलों के बारे में बताती थीं, जिससे पीपीई सूट पहने से जुड़ी थीं और इससे वह पसीने से भीग जाती थीं। 19 वर्षीय निहाल ने सोचा कि मैं कैसे उनकी और उनके जैसे दूसरे लोगों की सहायता कर सकता हूं।

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समस्या की पहचान ने उन्हें टेक्नोलॉजिकल बिजनेस इनक्यूबेटर, रिसर्च इनोवेशन इनक्यूबेशन डिजाइन लैबोरेटरी द्वारा आयोजित कोविड संबंधित उपकरण से जुड़े एक डिजाइन चैलेंज में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

उपयोग अनुकूल डिजाइन की खोज में : पहले प्रोटोटाइप से तैयार उत्पाद तक

डिजाइन चैलेंज ने निहाल को पहले प्रोटोटाइप पर काम करने के लिए प्रेरित किया। नेशनल केमिकल लैबोरेटरी, पुणे के डॉ. उल्हास खारुल से मिले मार्गदर्शन से निहाल को 20 दिनों के भीतर पहला मॉडल विकसित करने में सहायता मिली। डॉ. उल्हास एक स्टार्ट-अप चलाते हैं, जो कोविड-19 के प्रसार को रोकने के उद्देश्य के साथ हवा को फिल्टर करने की झिल्ली (मेम्ब्रेन) पर शोध करता है। यहां से, निहाल के मन में यह विचार आया कि उसे फिल्टर दक्षता और हवा के प्रवाह की गुणवत्ता के लिए संतुलन कायम करने के क्रम में, किस तरह का फिल्टर उपयोग करना चाहिए।

इससे उन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी) द्वारा समर्थित सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय के आरआईआईडीएल (रिसर्च इनोवेशन इनक्यूबेशन डिजाइन लैबोरेटरी) से सहयोग हासिल करने में मदद मिली।

6 महीने से ज्यादा समय तक अथक परिश्रम के बाद शुरुआती प्रोटोटाइप सामने आया। यह गर्दन तक चढ़ा हुआ था, यू-आकार के एयर इनलेट्स के माध्यम से हवा खींचता था और इसका आकार तकिये जैसा था, जिसे गले में पहना जा सकता था।

निहाल ने इसे परीक्षण के लिए पुणे के डॉ. विनायक माने को सौंपा। उन्होंने कहा, हम इस प्रोटोटाइप का कुछ निष्पक्ष डॉक्टरों द्वारा परीक्षण कराना चाहते थे और इसलिए डॉ. विनायक माने से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि डिवाइस से निकलने वाली आवाज और कंपनी के कारण गले के आसपास पहनना डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए असहज हो सकता है। इसलिए, हमने प्रोटोटाइप को बाहर कर दिया और दूसरे डिजाइनों पर काम करना शुरू किया। निहाल ने पीआईबी को बताया कि वे नए डिजाइन तैयार करने की कोशिश करते रहे, जिसका उद्देश्य एक ऐसा प्रोटोटाइप तैयार करना था जिससे किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य कर्मचारियों का काम बाधित नहीं होता हो।

अंतिम उत्पाद तैयार होने तक, पूर्णता हासिल करने की इस इच्छा से लगभग 20 विकास संबंधी प्रोटोटाइप और 11 एर्गोनोमिक प्रोटोटाइप सामने आए। इसके लिए, उन्हें आरआईआईडीएल के चीफ इनोवेशन कैटालिस्ट और दसॉ सिस्टम्स, पुणे के सीईओ गौरांग शेट्टी से सहायता मिली। दसॉ सिस्टम्स के अत्याधुनिक प्रोटोटाइप केन्द्र से निहाल को प्रभावी और सुगम प्रोटोटाइप विकसित करने में मदद मिली।

 

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अंतिम प्रोटोटाइप : एक बेल्ट की तरह आसान

तैयार डिजाइन के आधार पर, उत्पाद को एक बेल्ट की तरह कमर के चारों ओर पहना जा सकता है। इससे पारम्परिक पीपीई किट्स के साथ जोड़ा जा सकता है। इस डिजाइन से दो उद्देश्य पूरे होते हैं :

 

  1. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पर्याप्त हवा उपलब्ध कराता है, वहीं शरीर को असुविधा से बचाता है
  2. विभिन्न फंगल संक्रमणों से उन्हें सुरक्षित रखता है

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निहाल ने बताया कि चूंकि वेंटिलेटर शरीर के पास पहना जाता है, इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाले उपकरण उपयोग किए जाते हैं और सुरक्षा उपायों का भी ध्यान रखा जाता है। उन्होंने कहा, जब मैंने अपनी मां को बताया कि मैं इस उत्पाद के लिए पेटेंट आवेदन करने जा रहा हूं, तो वह बहुत खुश हुईं। एक जनरल फिजीशियन होने के कारण मेरी मां काम के लिए बाहर जाते समय इसका इस्तेमाल करती हैं। यह प्रणाली लिथियम आयन बैटरी के साथ आती है, जो 6 से 8 घंटे तक चलती है।

 

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निहाल सिंह आदर्श अपनी मां डॉ. पूनम कौर आदर्श के साथ

 

निहाल सिंह आदर्श को निधि (नेशनल इनीशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशंस) से मिली सहायता

कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम को हकीकत बनने में प्रोटोटाइप विकास और उत्पाद नवाचार के मिले 10,00,000 रुपये के अनुदान से खासी मदद मिली। निहाल को यह अनुदान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार से संबंधित निधि के प्रमोटिंग एंड एसेलेरेटिंग यंग एंड एस्पायरिंग टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप (प्रयास) से हासिल हुआ। इस नए उद्यमी ने वाट टेक्नोवेशंसनाम के स्टार्ट-अप का निर्माण किया है, जिसके तहत इस वेंटिलेशन सिस्टम को विकसित किया गया है। प्रयास के अलावा, इस स्टार्टअप को आरआईडीएल और के जे सोमैया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट द्वारा संयुक्त रूप से संचालित न्यू वेंचर इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम से 5,00,000 रुपये का सहयोग भी मिला।

 

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एक बेहद किफायती और लागत प्रतिस्पर्धी विकल्प

डिजाइन इंजीनियरिंग में द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी रित्विक मराठे और निहाल की सहपाठी सायली भावासर ने भी इस परियोजना में उनकी मदद की। सायली उनकी वेबसाइट https://www.watttechnovations.com के डिजाइन को संभालती हैं, साथ ही स्टार्टअप की सोशल मीडिया उपस्थिति और डिजिटल कंटेंट निर्माण को भी देखती हैं।

निहाल ने पीआईबी को बताया कि उनकी शुरुआती महत्वाकांक्षाएं मां का दर्द दूर करने से ज्यादा नहीं थीं। उन्होंने कहा, मैंने शुरुआत में व्यावसायिक रूप से आगे बढ़ने की बात कभी नहीं सोची थी। मैंने इसे छोटे स्तर पर बनाने और व्यक्तिगत रूप से परिचित डॉक्टरों को देने के बारे में सोचा था। लेकिन बाद में, जब हमने इसे व्यवहार्य बना लिया तो मुझे महसूस हुआ कि यह समस्या काफी बड़ी है जिससे हमारे स्वास्थ्य कर्मचारियों का रोज सामना होता है। तभी हमने इसके लिए एक व्यावसायिक योजना तैयार करने का विचार किया, जिससे यह जरूरत पर हर किसी को उपलब्ध हो।

 

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लोटस हॉस्पिटल में इस्तेमाल हो रही कोव-टेक वेंटिलेशन प्रणाली

 

 

 

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साई स्नेह हॉस्पिटल में इस्तेमाल हो रही कोव-टेक वेंटिलेशन प्रणाली

तैयार उत्पाद को साई स्नेह हॉस्पिटल, पुणे और लोटस मल्टी स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, पुणे में इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी की मई/ जून, 2021 तक इसका उत्पादन बढ़ाने की योजना है। इस उत्पाद की लागत 5,499 रुपये प्रति इकाई है और प्रतिस्पर्धी उत्पादों की तुलना में यह काफी सस्ता है, जिनकी लागत लगभग एक लाख रुपये प्रति इकाई आती है। उनकी टीम इसकी कीमत में और कमी लाने की कोशिश कर रही है।

उत्पाद का पहला बैच पहले ही तैयार हो चुका है, जो लगभग 30-40 इकाइयों का है और इसको परीक्षण के तौर पर देश भर के डॉक्टरों/एनजीओ को दिया जाएगा। लगभग 100 इकाइयों का अगला बैच निर्माणाधीन है।

निहाल सिंह से 7774099697 पर संपर्क किया जा सकता है।

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एमजी/एएम/एके/डीसी


(Release ID: 1721242)