गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय ने दक्षिण-पश्चिमी मानसून 2021 के दौरान संभावित तौर पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन विभागों के राहत आयुक्तों और सचिवों के वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया

Posted On: 21 MAY 2021 5:00PM by PIB Delhi

गृह मंत्रालय ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन विभागों के राहत आयुक्तों व सचिवों के एक वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का आयोजन मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम मानसून 2021 के दौरान संभावित तौर पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों की स्थिति की समीक्षा के लिए किया गया था।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह सचिव द्वारा की गई थी। अपने उद्घाटन भाषण में, केन्द्रीय गृह सचिव ने पूरे साल 24x7 तैयारियां सुनिश्चित करने के लिए क्षमताओं के निर्माण और प्रतिक्रिया के लिए सजग रहने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने दक्षिण-पश्चिमी मानसून या किसी अन्य आसन्न आपदा के दौरान भारी बारिश/बाढ़ से सभी स्वास्थ्य सुविधाओं, ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की सलाह दी। केन्द्रीय गृह सचिव ने कोविड-19 महामारी के बीच बाढ़, चक्रवात तूफान, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी संबंधित अधिकारियों से अच्छी तैयारियां करने के लिए कहा है।

केन्द्रीय गृह सचिव ने राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (एनआरएससी) द्वारा विकसित आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीईएम) का वर्जन 4.0 भी जारी किया, जो देश में आपदा जोखिम में कमी के लिए पूर्वानुमान जारी करने वाली एजेंसियों से रियल टाइम अलर्ट व चेतावनी जारी करने और जिला स्तर तक आपदा प्रबंधन विभागों तक इस सूचना के एकीकरण में काफी मददगार होगा।

आईएमडी ने पूर्वानुमान, चेतावनी और प्रसार तंत्र, प्रतिक्रिया और तैयारियों से जुड़े उपायों आपदा प्रबंधन क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी भावी योजनाओं पर एक प्रस्तुतीकरण दिया।

सम्मेलन में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों, केन्द्रीय मंत्रालयों, केन्द्रीय सैन्य पुलिस बलों, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), हिमपात एवं हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई), एनआरएससी, इसरो, जीएसआई और अन्य वैज्ञानिक संगठनों के साथ ही सैन्य बलों और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी मुद्दे आपदा तैयारियों, पूर्व चेतावनी प्रणालियों, बाढ़ और नदी/ जलाशय प्रबंधन, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की आपदा प्रबंधन ऑन-साइट और ऑफ-साइट योजनाओं से जुड़े हुए थे।

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