विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
इन्सपायर फैकल्टी फेलो ने ऑप्टिकल सेंसर, प्रकाश उत्सर्जक उद्देश्यों, ऊर्जा रूपांतरण एवं सम्मिश्रों के लिए उपयोगी ऑप्टिकल सामग्रियों को बनाने के लिए छोटे डॉट्स को संशोधित किया
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शुरुआत हुई है, लेकिन इसका कोई अंत नहीं है और यह समय के साथ विकसित होता जायेगा: प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, सचिव, डीएसटी
Posted On:
01 APR 2021 12:22PM by PIB Delhi
पश्चिम बंगाल के उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग से जुड़े डॉ. सत्यप्रिया भंडारी पराबैंगनी प्रकाश से टकराने के बाद कई रंगों के प्रकाश का उत्सर्जन करने वाले छोटे नैनो–स्तरके क्रिस्टलों से मोहित हैं।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित इन्सपायर फैकल्टी फैलोशिप से सम्मानित यहवैज्ञानिक ऑप्टिकल सेंसर, प्रकाश उत्सर्जक उद्देश्यों, सम्मिश्र एवं प्रतिदीप्त जैविक लेबलों में सतत अनुप्रयोग हो सकने वाले ऑप्टिकल सामग्रियों के निर्माण के उद्देश्य से क्वांटम डॉट्स (क्यूडी) नामक नैनो– स्तर के इन क्रिस्टलों की सतह को संशोधित करने के लिए रासायनिक अभिक्रियाओं का उपयोग कर रहा है।
रासायनिक रूप से इन क्यूडी की सतह को संशोधित किया जाना उनकी ऑप्टिकल विशेषताओं मेंफेरबदल करने औरसफेद प्रकाश उत्सर्जक (डब्ल्यूएलई) सामग्रियों,रोग के प्रति संवेदनशील अणुओं या पर्यावरणीय प्रदूषकों का पता लगाने वालेरेश्योमेट्रिक सेंसर,फोटोकैटलिस्टस (H2के उत्पादनके लिए) के निर्माण एवं कैंसर कोशिकाओं की इमेजिंगमें उपयोगी साबित होने वालीनई ऑप्टिकल सामग्रियों को बनाने की दिशा में एक नया रास्ता हो सकता है।
डॉ. भंडारी द्वारा रासायनिक रूप से संशोधित क्यूडी का उपयोग इन विट्रो पीएच के रेश्योमेट्रिकट्रेसिंग, अमीनो एसिड और विटामिन बी - 12 का पता लगाने, दिन - सरीखे उज्ज्वल प्रकाश उत्सर्जित कर सकने में समर्थउन्नत डब्ल्यूएलई सामग्रियों को विकसित करने, कैंसर कोशिकाओं की छवि लेने में सक्षम बनाने और एंजाइमों की गतिविधि को बढ़ाने के लिए उनकी पैकेजिंग के लिए किया जा सकता है।
इस शोध को केमिकल कम्युनिकेशन्स, एडवांस्ड ऑप्टिकल मटेरियल्स, केमिस्ट्री: एन एशियन जर्नल, और नैनोस्केल एडवांसेज नाम की शोध -पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया था। डॉ. भंडारी ने इस क्षेत्र में एक नया प्रतिमान स्थापित करते हुए उन्नत, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल ऑप्टोइलेक्ट्रोनिक सामग्रियोंएवं सेंसरों के निर्माण की दिशा में काम किया है।
आईआईटी गुवाहाटी के सहयोग से, उन्होंने एक दोहरे उत्सर्जक नैनोप्रोब की स्थापना की जो Hg2+ और Cu2+ आयनों का पता लगाने के लिए एक सेंसर के रूप में काम कर सकता है। यह शोध हाल ही में 'जर्नल ऑफ मैटेरियल केमिस्ट्री सी' नाम की शोध – पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इन्सपायर फैकल्टी फैलोशिप के साथ, डॉ. भंडारी उन्नत ऊर्जा और संवेदन से संबंधित अनुप्रयोगों के लिए क्यूडी- आधारित ऑप्टिकल सामग्रियों के निर्माण की दिशा में काम कर रहेहैं,जिसका घरेलू प्रकाश, वैकल्पिक ईंधन उत्पादन, बेहतर मानव स्वास्थ्य निगरानी और स्वच्छ एवं टिकाऊ पर्यावरण के लिए उपयोग किया जा सकता है।
प्रकाशन लिंक:
1. https://doi.org/10.1039/C9CC01088B
2. https://doi.org/10.1039/D0NA00540A
3. https://doi.org/10.1039/D0TC01788D
4. https://doi.org/10.1002/asia.202000466
विस्तृत विवरण के लिए,डॉ. सत्यप्रिया भंडारी (saty.nano[at]gmail[dot]com; satyapriya@nbu.ac.in) से संपर्क करें.
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एमजी/एएम/आर
(Release ID: 1708994)
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