वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ लॉजिस्टिक्स के लिए कुशल और स्थायी पैकेजिंगमहत्वपूर्ण

Posted On: 10 FEB 2021 1:57PM by PIB Delhi

पैकेजिंग, उपयोगकर्ता और साजो-सामान आपूर्ति करने वाली कंपनियों के बीच इंटरफेस के तौर पर काम करती है और कुशल तथा टिकाऊ लॉजिस्टिक्स पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग के लिए महत्वपूर्ण है। समूचे साजो-सामान (लॉजिस्टिक्स) कुशलता परिदृश्य में सुधार के लिए पैकेजिंग पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के लॉजिस्टिक विभाग द्वारा 9फरवरी को आयोजित एक परामर्श बैठक मेंविशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) श्री पवन अग्रवाल ने उक्त विचार व्यक्त किए।

यह परामर्श बैठक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के अंग रूप में राष्ट्रीय पैकेजिंग पहल और इसकी गुंजाइस को परिभाषित करने के लिए आयोजित की गई थी जिसे फिलहाल अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस नीति का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करना, उत्पाद सुरक्षा सुनिश्चित करना और स्थिरता को बढ़ावा देना है। यह परामर्श भारतीय उद्योग परिसंघ, विभिन्न उपयोगकर्ता उद्योगों जैसे खाद्य और पेय, ई-कॉमर्स, 3 पीएल/4पीएल के साथ आयोजित किया गया था। बैठक में इस बात पर विचार किया गया कि भारतीय पैकेजिंग क्षेत्र में इस समय क्या माहौल है और बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए क्या किया जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में विनियम, मानकीकरण/सामंजस्य, अनुसंधान और विकास, कौशल, स्थिरता, आदि शामिल हैं। इस बात पर आम सहमति बनी कि माध्यमिक और तृतीयक पैकेजिंग पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

पैकेजिंग पर मूल्यवान इनपुट 3पीएल/4पीएलप्रतिभागियों की ओर से आये। राष्ट्रीय पैकेजिंग पहल के निर्माण में इसी तरह के अन्य मुख्य भागीदारों को शामिल किया जाएगा। टीसीआई, टीवीएस और एपीएल लॉजिस्टिक्स कुछ ऐसे भागीदार थे जिन्होंने मंगलवार की वर्चुअल बैठक में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वापसी योग्य पैकेजिंग- एक्जिम दृष्टिकोण से एक और महत्वपूर्ण पहलू है और इसे एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया। पैलेटाइज़ेशन के मुद्दे और परिवहन के दौरान तय क्षेत्र के बेहतर उपयोग के माध्यम से परिचालन लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार लाने में इसकी भूमिका पर भी चर्चा की गई।

श्री पवन अग्रवाल ने कहा कि लॉजिस्टिक दक्षता उपयोगकर्ता उद्योग और उपयोगकर्ता मंत्रालय द्वारा संचालित की जा सकती है न कि लॉजिस्टिक कंपनियों द्वारा। इस संबंध में, इसे आगे ले जाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी बैठक का आयोजन किया जाएगा।

ई-कॉम कंपनियों जैसे- अमेज़ॅन, फ्लिपकार्टआदि से टिकाऊ पैकेजिंग में निवेश करने का आग्रह किया गया क्योंकि वे पैकेजिंग सामग्री के सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं में से एक हैं। यह भी कहा गया किपैकेजिंग में खतरनाक और रासायनिक द्रव्यों के इस्तेमाल पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी।

विशेष सचिव ने सलाह दी कि टिकाऊ पैकेजिंग समाधानों के बारे में किए गए शोधों पर पहले ही बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया जा चुका है। पैकेजिंग सामग्री के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग पर भी चर्चा की गई।श्री अग्रवाल ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग को सलाह दी कि वह उपयोगकर्ता उद्योगों के कर्मचारियों की इस संबंध में कुशलता बढ़ाने के लिए लघु अवधि के पाठ्यक्रम तैयार करे। उन्होंने लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल से यह भी अनुरोध किया कि वे प्रतिभा पूल का निर्माण करने के लिए जल्द से जल्द पैकेजिंग में कम से कम 8-10रोजगार सूचियां तैयार करे। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार को सहयोग करने की आवश्यकता होगी और लॉजिस्टिक विभाग उस प्रयास का नेतृत्व कर इसमें मदद करेगा।

परामर्श के दौरान, थोक वस्तुओं जैसे कि सीमेंट, उर्वरक, आदि के लिए पैकेजिंग आवश्यकताओं को उपयुक्त बनाने के लिए भी सुझाव दिए गए।इस दौरान पैकेजिंग सामग्री की पुनर्प्राप्ति के लिए तंत्र की स्थापनाऔर एक मजबूत रिवर्स लॉजिस्टिक तंत्र की आवश्यकता बताई गई जो लागत को कम करेगी। बैठक के बाद क्षेत्र विशेष के संबंध में परामर्श बैठक आयोजित की जाएगी ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि सभी आवश्यकताओं पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है।

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