उप राष्ट्रपति सचिवालय

उप राष्ट्रपति ने हैदराबाद स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल काम्पलेक्स में दो नई सुविधाओं का उद्घाटन किया


उपराष्ट्रपति ने भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के बहुत करीब तक पहुंचाने के लिए डीआरडीओ की प्रशंसा की

भारत अपने स्तर को बढ़ाकर उसे हथियारों  का आयात करने वाले देश की जगह उनका निर्यात करने वाले देश के रूप में स्थापित करना चाहता है -उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने डीआरडीओ से भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकी पर अपना ध्यान केंद्रित करने को कहा

कोविड -19 के खिलाफ भारत की जंग ने इस वायरस पर रोक लगाने में हासिल हुई सफलता की गाथा लिखी है-

उपराष्ट्रपति ने रिकार्ड समय में कोविड-19 का टीका बनाने में सफलता पाने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की, उम्मीद जताई कि यह टीका बहुत जल्द हर भारतवासी तक पहुंच जाएगा

उपराष्ट्रपति ने कोविड-19के खिलाफ जंग में तहेदिल से सहायता करने के लिए डीआरडीओ की प्रशंसा की

Posted On: 25 JAN 2021 12:13PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत , प्रतिबद्धता और दृड़ता के बल पर भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के बहुत करीब पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा, " रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना देश के लिए सिर्फ अति महत्वपूर्ण और रणनीतिक रूप से ज़रूरी ही नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय गौरव के लिए भी अनिवार्य है।"

उपराष्ट्रपति ने आज हैदराबाद स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल काम्पलैक्स में दो नई सुविधाओं का उद्घाटन करने के बाद देश के वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए । उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर मिसाइल काम्पलैक्स की प्रयोगशालाओं द्वारा प्रदर्शित प्रौद्योगिकी उत्पादों को भी देखा और कहा कि उन्हें स्वदेश निर्मित उत्पादों को देखकर बहुत प्रसन्नता हुई । उन्होंने कहा , "आरडीओ के वैज्ञानिकों की  स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास को लेकर की गई शानदार प्रगति को देखकर मेरे मन में देश की सुरक्षा और क्षमता के बारे में काफी भरोसा पैदा हुआ है।" श्री नायडू ने विश्वास व्यक्त किया कि डीआरडीओ के वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता से भारत को इतना आत्मनिर्भर बना देंगे कि "आत्मनिर्भर भारत"उस स्थिति को प्राप्त कर लेगा जहां पूरा विश्व भारत पर निर्भर हो जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत के महत्व पर ज़ोर देते हुए ,उपराष्ट्रपति ने कहा कि आत्मनिर्भर प्रौद्योगिकी स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देगी ,रोज़गार के अवसर पैदा करेगी और मूल्यवान विदेशी मुद्रा कमाने का जरिया बनेगी।

इस बात का ज़िक्र करते हुए कि रक्षा मंत्रालय ने हाल में आकाश मिसाइल प्रणाली को उन वस्तुओं की सूची में डाल दिया है जिनका अब आयात नहीं किया जाएगा ,उन्होंने इसे डीआरडीओ की सराहनीय उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा , "इसका मतलब यह है कि अब भारत इस तरह की मिसाइल प्रणाली के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है और इसलिए अब हमारी सशस्त्र सेनाओं को इस तरह की मिसाइल प्रणाली का आयात करने की कोई ज़रूरत नहीं होगी।"

यह उल्लेख करते हुए कि 2018 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण समझौते (एमटीसीआर) पर हस्ताक्षर करने से पहले विकसित देशों की इस उच्च कोटि की मिसाइल प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने में भारत को किन किन सीमाओं से पार पाना पड़ा , श्री नायडू ने कहा कि डीआरडीओ ने स्वदेशी मिसाइल प्रणाली  का विकास कर इस संकट को अवसर में बदल दिया ।

श्री नायडू ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि भारत रक्षा उत्पादों के सबसे बड़े आयातक देश के अपने स्वरूप को अब रक्षा उत्पादों के सबसे श्रेष्ठ निर्यातक देश के रूप में बदलने का प्रयास कर रहा है। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि रक्षा उत्पादों के निर्यात में सात गुणा की वृद्धि होने के बावजूद भारत का रक्षा उत्पाद निर्यात अभी भी बहुत कम है , उन्होंने कहा कि निर्यात योग्य रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास की अनंत संभावनाएं हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों से कहा कि वे सिर्फ देश के लिए भविष्य की रक्षा ज़रूरतों  की पहचान न करें बल्कि ऐसी प्रौद्योगिकियों की पहचान भी करें जिनका निर्यात किया जा सकता हो।

तेजी से बदल रहे प्रौद्योगिकी परिदृश्य का ज़िक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने डीआरडीओ से कहा कि उसे अपना ध्यान रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों  और कुछ गतिविघियों को आउटसोर्स करने पर लगाना चाहिए जिन्हें निजी क्षेत्र के सक्षम भागीदारों से पूरा कराया जा सके। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि डीआरडीओ ने भविष्य  में सेना के उपयोग में आने वाले हथियारों और अन्य साजोसामान के बारे में अनुसंधान करने के लिए आठ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए हैं । श्री नायडू ने कहा कि वह चाहते हैं कि महिलाओं को भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

इस बात का ज़िक्र करते हुए कि कोविड-19 महामारी द्वारा पेश अप्रत्याशित बाधाओं के कारण समाज के सभी तबकों के लोगों ,खासतौर से गरीब लोगों पर असर पड़ा है , श्री नायडू ने इस वायरस के प्रसार पर काबू पाने के लिए किए गए भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की । उन्होंने इतने कम और रिकार्ड समय में टीका तैयार कर लेने में सफलता पाने के लिए देश के वैज्ञानिक समुदाय की सराहना की और उम्मीद जताई कि यह टीका भारत के हर नागरिक तक पहुंच जाएगा और महामारी समाप्त हो जाएगी ।

श्री नायडू ने कहा कि कोविड महामारी के खिलाफ भारत की जंग इस वायरस पर काबू पाने में हमारी सफलता की गाथा कहती है । उन्होंने कहा कि इस जंग के बहादुर हीरो भारत के लोग,पुलिस बल , चिकित्सक समुदाय ,वैज्ञानिक ,प्रौद्योगिकीविद और अनिवार्य सेवा तथा आवश्यक वस्तुओं के प्रदाता हैं । इन लोगों ने इस राष्ट्रीय ज़रूरत के समय संक्रमित होने का खतरा उठाकर भी तहेदिल से अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह किया। उन्होंने महामारी के द्वारा पेश चुनौतियों के बावजूद रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन करने के लिए देश के किसानों की भी प्रशंसा की ।

यह बताते हुए कि महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को काफीहद तक प्रभावित किया है , उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसने हमें अपनी दृढ़ता और क्षमता को साबित करने का अवसर भी दिया है । उन्होंने कहा कि स्वदेश में निर्मित टीके और पीपीई किट के उत्पादन और निर्यात तथा चिकित्सा व्यवस्था ने हमारी आत्मनिर्भर भारत बनाने की क्षमता को साबित किया है ।

उन्होंने डीआरडीओ की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उसने विभिन्न नव प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराकर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया । उन्होंने कहा ," सिर्फ बारह दिन में एक हजार शय्याओं वाला एक अस्पताल स्थापित कर डीआरडीओ ने सिर्फ अपनी क्षमताओं का ही प्रदर्शन नहीं किया बल्कि यह भी साबित कर दिया कि युद्ध जैसी स्थिति में भी वह कितनी तेज़ी से यह काम कर सकता है ।"

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल काम्पलैक्स में दो नयी सुविधाओं -मिसाइल व्यवस्था समीक्षा हॉल और एयर कोमोडोर वी गणेशन समन्वित हथियार प्रणाली डिज़ाइन एवं विकास केंद्र का भी उद्घाटन किया ।

उपराष्ट्रपति ने डीआरडीएल की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उसने 1961 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । देश के समन्वित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी)की सफलता में डॉ कलाम जैसे श्रेष्ठ वैज्ञानिकों के योगदान की प्रशंसा करते हुए श्री नायडू ने भूतपूर्व राष्ट्रपति के साथ अपने व्यक्तिगत संपर्क को याद किया और कहा कि वह उनकी सादगी, उनके ज्ञान की गहनता और भारत को एक महाशक्ति बनाने की अदम्य इच्छा से बहुत प्रभावित हुए थे । उन्होंने प्रसन्नता जताई कि डीआरडीओ के मिसाइल विभाग के वैज्ञानिक डॉ कलाम की विरासत को अब भी कायम रखे हुए हैं और उन्होंने नयी पीढ़ी की स्टेट ऑफ दि आर्ट मिसाइल प्रणाली का विकास किया है।

कोविड -19 महामारी द्वारा पेश चुनौतियों के बावजूद मिसाइल विकास कार्यक्रम की महत्वपूर्ण उपलबधि को हासिल करने के वास्ते कठिन परिश्रम करने के लिए उन्होंने वैज्ञानिकों की प्रशंसा की और उनके द्वारा हासिल की गई तीव्र प्रतिक्रिया करने वाली सतह से आकाश में मारक क्षमता वाली मिसाइल (क्यूआरएसएएम), मद्यम दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल (एमआरएसएएम ),स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वैपन (एसएएडब्ल्यू),सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टिड रिलीज़ ऑफ टारपीडो (स्मार्ट )और मैन पोर्टेबल टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल (एमपीएटीजीएम) के सफल प्रायोगिक परीक्षण जैसी विभिन्न शानदार उपलब्धियों की चर्चा की ।

 

इस अवसर पर तेलंगाना के गृह मंत्री श्री मोहम्मद मेहमूद अली ,डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, महानिदेशक (मिसाइल एवं रणनीतिक प्रणाली) श्री एमएसआर प्रसाद और डीआरडीओ के वैज्ञानिक तथा अन्य लोग उपस्थित थे।

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