सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
2020: आगे बढ़ते रहने का एक वर्ष
Posted On:
30 DEC 2020 12:40PM by PIB Delhi
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बीते 6 वर्षों में अनेक नीतिगत फैसले किए हैं। मंत्रालय ने इन वर्षों में विभिन्न परियोजनाओं से जुड़े कार्यों की प्रभावशाली गति बनाए रखी और देश के नागरिकों के हित में अनेक कदम उठाए। वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 8,948 किलोमीटर लंबाई की विभिन्न परियोजनाओं पर कार्यों का आवंटन किया गया और इसी अवधि में लगभग 10,237 किलोमीटर लंबी सड़कों पर निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। सड़कों के विकास की दर जहां 2013-14 में लगभग 11.7 किलोमीटर थी वहीं अब बढ़कर 28 किलोमीटर हो गई है। मंत्रालय के निरंतर प्रयासों के चलते राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई अप्रैल 2014 के 91,287 किलोमीटर की तुलना में 20 दिसंबर,2020 को बढ़कर 1,36,155 किलोमीटर हो गई।
राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण
वर्ष
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कार्य आवंटन (किमी)
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निर्माण (किमी)
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2020-21* (नवंबर तक)
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6,764
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6,207
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2019-20
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8,948
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10,237
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2018-19
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5,493
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10,855
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2017-18
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17,055
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9,829
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2016-17
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15,948
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8,231
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2015-16
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10,098
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6,061
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2014-15
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7,972
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4,410
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राजमार्गों का तेज गति से विकास
मंत्रालय ने आगामी 5 वर्षों में 60000 किलोमीटर अतिरिक्त राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का प्रस्ताव किया है, जिसमें 2500 किलोमीटर एक्सप्रेसवे/ नियंत्रित आवागमन राजमार्ग, 9000 किलोमीटर आर्थिक गलियारे, 2000 किलोमीटर तटीय एवं बंदरगाह संपर्क राजमार्ग और 2000 किलोमीटर सीमा सड़क/ रणनीतिक राजमार्ग शामिल हैं। मंत्रालय ने इस अवधि के दौरान 100 पर्यटन स्थलों के संपर्क को भी बेहतर करने का प्रस्ताव किया है और 45 कस्बों/शहरों में बाईपास के निर्माण की भी योजना है।
मंत्रालय द्वारा विकास कार्यों पर किए जाने वाले खर्च में भी बढ़ोतरी हुई है और यह 2013-14 के 33,745 करोड रुपए की तुलना में 2019-20 में बढ़कर 1,50,841 करोड़ रुपए पहुंच गया। इसके अलावा 2019-20 की अवधि में 21,926 करोड रुपए का निजी निवेश भी प्राप्त करने का लक्ष्य हासिल किया गया। वर्तमान वर्ष में नवंबर महीने तक कुल 79,415 करोड रुपए पहले ही खर्च किए जा चुके हैं। इसमें एनएचएआई के लिए आईईबीआर भी शामिल है। साथ ही नवंबर 2020 तक 8,186 करोड रुपए का निजी निवेश भी हुआ है।
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क विकसित करने की योजना है ताकि देश में सामानों की ढुलाई को प्रभावी और यातायात जाम की समस्याओं से मुक्त किया जा सके
भारतमाला परियोजना को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने अनुमति दी है। इसके अंतर्गत देश के विभिन्न भागों में 35 मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क (एमएमएलपी) विकसित किए जाएंगे। यह एमएमएलपी हब और स्पोक मॉडल पर विकसित किए जा रहे हैं। इनका विकास एनएचएआई और एनएचआईडीसीएल (पूर्वोत्तर भारत में) कर रहा है। यह एमएमएलपी इस परियोजना के महत्वपूर्ण उद्यम यानी प्रयास हैं ताकि भारत में माल जुलाई से जुड़ी अक्षमता को दूर किया जा सके और इससे जुड़ी लागत को कम किया जा सके। साथ ही साथ राजमार्ग परियोजनाओं को जल मार्गो, रेल मार्गो इत्यादि अन्य संपर्क माध्यमों को रणनीतिक रूप से इससे एकीकृत कर माल वाहन वितरण व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके।
एनएचएआई के अंतर्गत एक नई कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक प्रबंधन लिमिटेड एनएचएलएमएल का गठन किया गया ताकि एमएमएलपी और राष्ट्रीय राजमार्गों के बंदरगाहों से संपर्क से संबंधित विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।
ए) एमएमएलपी के लाभ एवं संकल्पना
मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क (एमएमएलपी) माल ढुलाई से संबंधित बहुस्तरीय सुविधा उपलब्ध कराने की संकल्पना है। इसके अंतर्गत माल भंडारण, विशेष कोल्ड चेन सुविधा, कंटेनर टर्मिनल और वृहद स्तर पर/ मध्यम स्तर पर कार्गो टर्मिनल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
एमएमएलपी के अंतर्गत मिलने वाली बहु स्तरीय माल ढुलाई सुविधाओं में समर्पित रेलवे लाइन, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों/एक्सप्रेस वे से आवागमन की सुविधा मिलती है जिससे वाणिज्यिक वाहनों की आवाजही सुलभ होती है और हवाई अड्डों या बंदरगाहों तक संपर्क सुनिश्चित होता है।
इन सब के साथ-साथ मूल्य संवर्धन के रूप में एमएमएलपी सीमा शुल्क से जुड़ी कार्रवाई की सुविधा, आखिरी चरण में प्रसंस्करण गतिविधियां जैसे छंटाई, ग्रेडिंग, संग्रहण करना, कोल्ड स्टोर की सुविधा इत्यादि भी उपलब्ध कराने का माध्यम है ताकि उपयोगकर्ता को एक ही स्थान पर इस तरह की सुविधाओं का लाभ उठाने का अवसर रहे।
बी) भारतमला परियोजना के अन्तरगत प्रस्तावित एमएमएलपी की वर्तमान स्थिति
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2017 से एनएचएआई और एनएचआईडीसीएल की साझेदारी से एमएमएलपी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में उल्लेखनीय प्रगति की है:
एमएमएलपी के अंतर्गत पहली परियोजना असम के जोगीघोपा में शुरू की गई और इसके अंतर्गत विकास कार्य आरंभ हो चुके हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री द्वारा इस परियोजना की आधारशिला 20 अक्टूबर, 2020 को रखी गई और इसका क्रियान्वयन एनएचआईडीसीएल असम में कर रहा है।
चेन्नई, नागपुर और बेंगलुरु में एसपीवी गठन की प्रक्रिया अग्रिम चरण में है और सूरत तथा मुंबई से जुड़ी एमएमएलपी परियोजना हेतु संबंधित पक्षों से भूमि उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता की प्रतीक्षा है। संगरूर पंजाब में एमएमएलपी के विकास के अनुरूप परिस्थितियां नहीं है और इस स्थान के लिए जम्मू-कटरा राजमार्ग पर सड़क आधारित भंडारण पार्क को विकसित किया जाना यहां उपयुक्त पाया गया।
सात और स्थानों पर एमएमएलपी की उपयोगिता और इसके निर्माण की संभावना का आकलन किया जा चुका है और एमएमएलपी कोयंबटूर एवं एमएमएलपी हैदराबाद के लिए एनएचएआई को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है ताकि इसे स्वीकृति के लिए आगे प्रस्तुत किया जा सके।
इसी प्रारूप से 21 स्थानों पर अध्ययन किया जाएगा जहां ऐसे मल्टीमॉडल पार्क विकसित किए जाने की आवश्यकता और क्षमता है अथवा नहीं। साथ ही साथ इसमें औद्योगिक मांग की क्षमता एवं जमीन की उपलब्धता इत्यादि का भी आकलन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त भारतमाला परियोजना के अंतर्गत चार राज्य सरकारों ने अपने-अपने क्षेत्र में एमएमएलपी के विकास का सुझाव दिया है जिसमें आंध्र प्रदेश में अनंतपुर, मध्य प्रदेश में सिंगरौली, झारखंड में साहिबगंज और असम में सिलचर शामिल हैं। इन चार स्थानों पर भी एमएमएलपी के विकास हेतु संभाव्यता का आकलन कार्य जारी है।
बन्दरगाहों के लिए समर्पित राष्ट्रीय राजमार्ग संपर्क का विकास (भारतमाला परियोजना के अंतर्गत):
ए) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय बन्दरगाहों से सामानों की ढुलाई को आसान बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है और चिन्हित बन्दरगाहों एवं आईडब्ल्यूटी टर्मिनल से राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ने के लिए कार्य कर रहा है।
बी) यह प्रयास यातायात से जुड़े विभिन्न निम्नलिखित मुद्दों का समाधान उपलब्ध कराएगा:
* बन्दरगाहों की तरफ जाने वाले माल ढुलाई वाहनों को शहरों में मिलने वाले यातायात जाम की समस्या से मुक्त करने के लिए सड़कों पर अलग से लेन का निर्माण या लेन का चौड़ीकरण किया जा रहा है।
* राज्यों/स्थानीय शहरी प्राधिकारियों द्वारा दिन के निर्धारित समय में वाणिज्यिक वाहनों के आवागमन को प्रतिबंधित करने के चलते होने वाली देरी में कमी लाना।
* वाणिज्यिक वाहनों और यात्री वाहनों के लिए अलग-अलग लेन निर्धारित कर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना।
नए तौर-तरीकों से धन जुटाने प्रयास
राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए नए श्रोतों से धन जुटाने के उद्देश्य के क्रम में एनएचएआई की टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल के माध्यम से आगामी 5 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। टोल राजस्व के प्रतिभूतिकरण से धन उपार्जित करने और इन्फ्रा इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (आईआईटी) की स्थापना की भी तैयारी है। एनएचएआई द्वारा नई परियोजनों के लिए वित्त उपलब्ध कराने के क्रम में उठाए जा रहे कदमों में परियोजनाओं को एसपीवी की मदद से राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा निधि (एनआईआईएफ) के द्वारा धन उपलब्ध कराना शामिल है।
टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) और राष्ट्रीय राजमार्गों पर रसीद मुक्त उपयोगकर्ता का प्रतिभूतिकरण
एनएचएआई के पास उपलब्ध परियोजना आधार को विस्तार देने के उद्देश्य से टीओटी मोड के अंतर्गत चिन्हित सार्वजनिक लागत/हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (एचएएम) वाले टोल से धन उपार्जन परियोजनाओं को प्रतिभूतिकरण के द्वारा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति सीसीईए) ने अपनी स्वीकृति दे दी थी (वाइड कम्युनिकेशन सं.सीसीईए/20/2019 (i) दिनांक 25.11.2019) ताकि एनएचएआई रसीद मुक्त टोल प्लाज़ा के प्रतिभूतिकरण से वैकल्पिक धन संग्रहणों के प्रयास में बैंकों से लंबी अवधि के लिए वित्त प्राप्त कर सके।
एनएचएआई को मंत्रालय द्वारा अगस्त 2020 में स्पेशल पर्पज वेहिकल (एसपीवी) के गठन के लिए प्राधिकृत किया गया जो पूर्ण रूप से एनएचएआई के अधीन काम करेगा और यह दिल्ली-मुंबई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए धन उपलब्ध कराने से लेकर इसके निर्माण और संचालन का जिम्मा संभालेगा। इसका गठन कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत किया गया, जो उपयोगकर्ता शुल्क रसीदों के प्रतूभूतिकरण के द्वारा कम ब्याज पर धन इकठ्ठा करने पर कार्य करेगा।
बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (आईआईटी)
एनएचएआई के संसाधनों को सशक्त करने के क्रम में कैबिनेट ने अपनी अधिसूचना (वाइड कम्युनिकेशन 39/सीएम/2019(i)दिनांक 13.12.2019) में एनएचएआई को सेबी द्वारा जारी आईएनवीआईटीके तहत बुनियादी ढांचा विकास ट्रस्ट (आईआईटी) गठित करने की स्वीकृति दी, जो पूर्ण हो चुके राष्ट्रीय राजमार्गों पर, जिन पर कम से कम एक वर्ष का टोल संग्रहण का रिकॉर्ड है, का मुद्रीकरण करेगा और उसे चिन्हित राजमार्गों पर शुल्क लगाने का पूरा अधिकार एनएचएआई को होगा साथ ही एसपीवी को भी इसमें शामिल किया जाएगा जो कि समूचे आईएनवीआईटीबुनियादी ढांचे का अविभाज्य हिस्सा है।
एक एसपीवी सभी चिन्हित सार्वजनिक लागत वाली परियोजनाओं का नियंत्रक होगा, जिन्हें एक आईएनवीआईटीका हिस्सा बनाया जाएगा
एक एसपीवी प्रस्तावित आईएनवीआईटीमें निवेश प्रबन्धक की भूमिका निभाएगा
एनएचएआई को आईएनवीआईटीसे प्राप्त हुए धन का एक रिजर्व बनाने के लिए प्राधिकृत किया गया है जो प्राप्त धन को एक अलग खाते में रखेगी, इसका उपयोग बकायों के भुगतान के लिए किया जाएगा। इस संबंध में निवेश प्रबंधन कंपनी का गठन किया जा चुका है और इसके निदेशक मण्डल की भी नियुक्ति सरकार की स्वीकृत से की जा चुकी है।
बीओटी (टोल) मॉडल, टीओटी मॉडल और एचएएम से संबन्धित छूट के प्रावधानों में बदलाव
वर्ष 2020 के दौरान बीओटी (टोल) मॉडल, टीओटी मॉडल और एचएएम से संबन्धित छूट के प्रावधानों में बदलाव संबंधी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय निम्नलिखित हैं:
(i) बोट (टोल)परियोजनाओं के मॉडल कन्सेशन एग्रीमेंट (एमसीए) में बदलाव:(टोल) पर विभिन्न पक्षकारों के समक्ष बोटढांचे से जुड़ीउत्पन्न होने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कई बदलाव किए गए। परियोजना तैयारी और शर्त उदाहरण, विवाद समाधान एवं जवाबदेही की सीमा, व्यवसाय अनुकूल वातावरण के अलावा सौहार्दपूर्ण विकल्प, बाधित परियोजनाओं के समाधान के लिए नीति इत्यादि नई नीतियों का समायोजन और सुधार जैसे सड़कों की स्थिति और परिवहन की निगरानी हेतु अत्याधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल, अतिरिक्त सुरक्षा प्रदर्शन इत्यादि जारी किए गए (मंत्रालय के ओएम नं.एनएच-35014/25/2017-एचदिनांक 24.08.2020 और 25.08.2020)।
(ii) टीओटी ढांचे के एमसीए में बदलाव:टीओटी मॉडल के एमसीए में बदलाव जो टीओटी बोली के लिए बोली की प्रक्रिया से पहले इनिशियल एस्टीमटेड कन्सेशन वैल्यू (आईईसीवी) के गैर प्रकटीकरण की छूट देता है, जारी किया गया। (मंत्रालय के ओएम नं.एनएच-24031107/2014-P&P (वाल्यूम V) दिनांक 22.09.2020)।
(iii) एचएएम मॉडल के एमसीए में बदलाव: विभिन्न पक्षकारों द्वारा हाइब्रिड एन्यूइटी मोड (एचएएम) के अंतर्गत एनएच परियोजनाओं से जुड़े उठाए गए मुद्दों का समाधान करने के लिए कई प्रावधानों में बदलाव किए गए जिसमें मालिकाना हक में बदलाव (बाहर निकलने का विकल्प), सुविधाओं का स्थानांतरण, निर्माण की अवधि के दौरान देखभाल, वित्तीय समापन, निर्माण अवधि के दौरान भुगतान, लागू बैंक दर, भुगतान की समाप्ती और विवाद समाधान इत्यादि से जुड़े बदलाव किए गए और इसके संबंध में आदेश (मंत्रालय के ओएम नं. 24028/14/2014-एच (वॉल्यूम II) दिनांक 10 नवंबर, 2020) जारी किया गया।
(iv) बोली दस्तावेजों में बदलाव:
(a) एचएएम की वित्तीय क्षमता में बदलाव: इस बदलाव के बाद बोलिकर्ताओं का नेट वर्थ पिछले वित्तीय वर्ष के आखिर में ईपीसी का 15% होना चाहिए। बोलीकर्ता संघ के प्रत्येक सदस्य की नेट वर्थ पिछले वित्तीय वर्ष में अनुमानित परियोजना लागत की 7.5% होनी आवश्यक है।
(b) एचएएम और बीओटी (टोल) परियोजनों की तकनीकि क्षमता में बदलाव: प्रमुख क्षेत्र से यह अपेक्षा रहेगी कि वह ऊर्जा क्षेत्र, वाणिज्यिक स्थापना (एसईज़ेड इत्यादि) दूरसंचार, बन्दरगाह, हवाई अड्डों, रेलवे, मेट्रो रेल, औद्योगिक पार्क/सम्पत्तियों, लॉजिस्टिक पार्क, पाइपलिने, सिंचाई, जलापूर्ति, स्टेडियम, अस्पताल, होटल, स्मार्ट सिटी, भंडारगृह, तेल एवं गैस, नालों और रियल स्टेट विकास से जुड़ी सिविल निर्माण लागत को भी इसमें शामिल करेगा।
परियोजना की पूंजी लागत निर्धारित परियोजना लागत की कुल राशि के 5% से अधिक होने चाहिए।
(c) टनल परियोजनाओं से जुड़ी बोलियों के लिए भी दस्तावेजों में बदलाव
आत्मनिर्भर भारत: सड़क क्षेत्र में निर्माण से जुड़े ठेकेदारों को राहत
आत्मनिर्भर भारत के अभिन्न अंग के रूप में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सड़क क्षेत्र के ठेकेदारों / डेवलपर्स / रियायतदाताओं को कोविड के प्रभाव और कोविड को रोकने के लिए बाद में लगाए लॉकडाउन और अन्य एहतियाती उपायों के प्रभाव से राहत देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए।
सड़क क्षेत्र में निर्माण से जुड़े ठेकेदारों, निर्माणकर्ताओं और रियायतदाताओंको राहत राहत
(i) रिटेंशन राशि (जो निर्माण अवधि तक प्रदर्शन सुरक्षा का एक हिस्सा है) को अनुबंध विनिर्देश के अनुसार पहले से किए गए कार्य के अनुपात में जारी करने की सिफारिश की गई और 3 महीने से 6 महीने तक की अवधि के लिए आगे रिटेंशन राशि भी ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत किए गए बिलों में से काटी नहीं जाएगी। यदि ठेकेदार अनुबंध का उल्लंघन नहीं करता है तो अनुबंध में उपलब्ध कराये गए प्रो-राटा आधार पर एचएएम / बीओटी ठेका, प्रदर्शन की गारंटी जारी की जा सकतीहै।
(ii) ठेकेदारों/रियायतदाताओं को निर्माण स्थल की स्थिति के अनुरूप निर्माण की समय सीमा में 3 से 6 महीने तक विस्तार दिया जा सकता है ताकि निर्माण कार्य पूर्ण किए जा सकें।
(iii) अनुसूची एच में छूट दी गई ताकि ईपीसी/एचएएम अनुबंधों के अंतर्गत निर्माण के दौरान ठेकेदारों/निर्माणकर्ताओं को पूर्ण किए गए और स्वीकृत किए गए कार्यों के लिए मासिक आधार पर भुगतान किया जा सके।
(iv)उप-ठेकेदारों को एस्क्रो खाते से सीधे भुगतान की स्वीकृति
(v) मार्च 2020 से सितंबर 2020 के बीच नए ठेकों में प्रदर्शन सुरक्षा/बैंक सुरक्षा उपलब्ध कराने में देरी के चलते लगाए गए जुर्माने में छूट।
(vi) निर्माण स्थल पर स्थितियों के आधार पर परामर्श के समय में (आईई/एई) 3 से 6 महीने के विस्तार को अनुमति। हालांकि इस दौरान यह माना जाएगा कि कार्य जारी है।
(vii) बीओटी / टीओटी रियायतडाटा: बीओटी ठेकों के समय को भी 3 महीनों से लेकर 6 महीनों तक का विस्तार दिया जा सकता है। उपयोगकर्ता शुल्क में आगे भी नुकसान के चलते छूट की अवधि में और अधिक समय का विस्तार किया जा सकता है जो कि ठेके से संबन्धित संविदा में उल्लेखित नियम पर आधारित होगा। इसके अंतर्गत प्रतिदिन औसत दैनिक शुल्क संग्रहण 90% से कम होने की अवस्था में छूट दी जाएगी।
(viii) सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल ठेके पर शुल्क संग्रहण में नुकसान की भरपाई संविदा के आधार पर की जा सकती है।
मोटर वाहन से जुड़े क़ानूनों में प्रमुख बदलाव
मोटर वाहन अधिनियम 1988, सड़क परिवहन और राजमार्ग से संबन्धित नियम क़ानूनों का नियमन करता है। इस अधिनियम में मोटर वाहनों के पंजीकरण, ड्राइवरों के लाइसेंस, लर्नर लाइसेंस के लिए आवेदन, कंडक्टरों के लाइसेंस, परमिट के माध्यम से मोटर वाहनों पर नियंत्रण, राज्य परिवहन उपक्रमों से संबंधित विशेष प्रावधान, यातायात विनियमन, बीमा, अपराधों के बारे में विधायी प्रावधान दिए गए हैं। इन विधायी प्रावधानों को लागू किए जाने और नियमों के उल्लंघन पर दंड के लिए भारत सरकार ने केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 का प्रावधान किया।
उपरोक्त नियमों का प्रबंधन करने हेतु सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन और सारथी दो व्यापक व्यवस्थाएं शुरू कीं। ये प्रणालियाँ देश भर में उपयोग किए जा रहे विभिन्न 15 से अधिक अनुप्रयोगों की रीढ़ बनीं। सीएनजी मेकर, एसएलडी मेकर, होमोलॉगेशन, राष्ट्रीय परमिट, एनआर सेवाओं, वीएलटी एंड ईएएस, ई-चलान, फैंसी नंबर बुकिंग, पीयूसीसी इत्यादि व्यवस्थाएं शुरू की गईं जो विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।
(1) वाहन: वाहन ई-ट्रांसपोर्ट मिशन के अंतर्गत एक महत्वाकांक्षी अभियान है। इसके अंतर्गत वाहनों का पंजीकरण, परमिट, कर, फिटनेस और अन्य जुड़ी सेवाएँ उपलब्ध होती हैं। यह प्रत्येक राज्य की आवश्यकता के अनुरूप सुविधा उपलब्ध कराता है और इस समय इसे 33 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
इसके अद्यतन संस्कारण, वाहन 4.0 का शुभारंभ 2 जून, 2015 को किया गया था, यह एक केन्द्रीय योजना है जिसे वेब आधारित एप्लीकेशन के मध्यम से लागू किया गया है। यह सभी आरटीओ कार्यालयों,डीलरों, नागरिकों, ट्रांसपोर्टरों के साथ-साथ अन्य संबद्ध पक्षों के लिए उपलब्ध है। इसका स्वरूप विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है। देश के 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1300 से अधिक आरटीओ में इसको क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके अलावा 25,000 से अधिक डीलर और लगभग 20,000 से अधिक पीयूसीसी केंद्र भी वाहन 4.0 से जुड़े हुए हैं।
(2) सारथी (एसएआरएटीएचआई):ई-ट्रांसपोर्ट मिशन मोड परियोजना के अंतर्गतसारथीएक महत्वाकांक्षी एप्लीकेशन है, जो ड्राइविंग लाइसेन्स के कंप्यूटरीकरण से जुड़ी सेवाएँ उपलब्ध कराता है। यह परिवहन विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले सभी प्रकार के ड्राइविंग लाइसेन्स, लर्नर लाइसेन्स से जुड़ी विभिन्न सेवाओं का एक ही मंच पर समाधान है। यह विभिन्न राज्यों में उनकी अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप संबन्धित राज्य में सेवाएँ उपलब्ध काराता है। यह आरटीओ में ड्राइविंग, लर्नर, कंडक्टर और ड्राइविंग स्कूल लाइसेन्स जारी करने और उनका प्रबंधन करने में मदद करता है। यह एप्लिकेशन देश के 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1300 से अधिक आरटीओ में क्रियान्वित किया जा रहा है।
(3) ई-चलान: ई-चलान की शुरुआत माननीय मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा 10 जनवरी, 2017 को किया गया था जिसे व्यापक प्रवर्तन समाधान के लिए एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल हेतु विकसित किया गया था और यह एक वेब एप्लिकेशन से भी जुड़ा हुआ है। इस सुविधा के प्रमुख उपयोगकर्ता हैं परिवहन प्रवर्तन अधिकारी और यातायात पुलिस भिभाग के कर्मचारी। इस ऐप के माध्यम से किसी भी प्रकार के ट्रैफ़िक उल्लंघन के लिए ऑन-द-स्पॉट चालान जारी किया जा सकता है और विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से इसका पालन किया जा सकता है। यह कई उन्नत सुविधाओं के साथ एक उपयोगकर्ता अनुकूल ऐप है और इसका राज्य-स्तरीय अनुकूलन, जियो-टैगिंग, गूगल मैप के साथ एकीकरण, ऑन-स्पॉट तस्वीर लेने, ऑनलाइन-ऑफलाइन विकल्पों, ई-भुगतान के साथ एकीकरण के साथ-साथइसे वाहन एवं सारथी डेटा बेस से भी मदद मिलती है। इस समय यह एक कुशल और पारदर्शी चालान प्रबंधन प्रणाली के रूप में उपलब्ध है जिसकी सहायता से उपयोगकर्ताओं को स्वचालित उपकरणों के माध्यम से भी सीधे सूचनाएं भेजी जा सकती हैं। इस प्रणाली को 24 राज्यों द्वारा अपनाया गया है और इस प्रणाली का उपयोग करते हुए देश भर में अब तक 4.2 करोड़ से अधिक चालान जारी किए गए हैं।
(4) एम-परिवहन: एम-परिवहन की शुरुआत माननीय मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा जनवरी, 2017 में की गई। इसेनागरिकों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों के लिए विकसित किया गया था, जो रोड टैक्स का भुगतान, विभिन्न सेवाओं के लिए आवेदन, आरटीओ के साथ अपॉइंटमेंट, दस्तावेजों को अपलोड करने जैसी परिवहन संबंधी विभिन्न सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। यह ट्रांसपोर्ट नेशनल रजिस्टर, एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड और आधार-आधारित प्रमाणीकरण के माध्यम से वर्चुअल ड्राइविंग लाइसेंस और वर्चुअल वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र उपलब्ध कराता है जिससे यह मौजूदा पुराने दस्तावेजों / कार्डों को सुरक्षित डिजिटल स्वरूप में बदलने का विकल्प उपलब्ध कराता है साथ ही यह डिजिटल पहचान भी उपलब्ध कराता है। ऐप में अन्य सूचनात्मक सुविधाएं, दुर्घटना रिपोर्टिंग मॉड्यूल, उल्लंघन रिपोर्टिंग मॉड्यूलजैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
क्रियान्वयन की स्थिति:
- 4.0 करोड़ से अधिक डाउनलोड
- सम्पूर्ण भारत में लागू करने योग्य
- एंड्रोइड और आईओएस संस्करण में उपलब्ध
केंद्रीय संग्राहक (राष्ट्रीय रजिस्ट्री) में लगभग 28 करोड़ वाहन रिकॉर्ड और 17 करोड़ लाइसेंस रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। बड़ी संख्या में समेकित डेटा नागरिक-केंद्रित ऑनलाइन सेवाओं और सूचनाओं के लिए एक बड़े आधार के रूप में कार्य करता है। केंद्रीय संग्राहक के पास मौजूद इसटे बड़े आंकड़ा आधार का इस्तेमाल सड़क और सार्वजनिक सुरक्षा संबंधित अतिरिक्त सुविधाओं के एकीकरण के लिए किया जा रहा है, जो निम्न लिखित है:
(ए)प्रदूषणप्रमाणपत्र (पीयूसी) के विवरण का वाहन डाटाबेस में एकीकरण: यह सुविधा पीयूसी केंद्र पर पंजीकरण, नवीनीकरण,वाहन के लिए पीयूसीसी प्रमाणपत्र जारी करने, शुल्क का संग्रहण, एसएमएस इत्यादि समेत विभिन्न आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराता है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत विकसित की गई इस सेवा को प्रत्येक राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया और इस समय देश के 13 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है।
पीयूसीसी एक वेब आधारित एप्लिकेशन है। यह केंद्रीकृत वातावरण में लागू की गई वेब आधारित सेवा है जो सभी आरटीओ, पीयूसी केंद्र और नागरिक के लिए उपलब्ध है।
(b) वाहन डेटाबेस में वाहन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन विवरण का एकीकरण: इसएप्लिकेशन को सार्वजनिक सेवा में लगे वाहनों (बसों, टैक्सी इत्यादि) में वीएलटीडी और आपात बटन लगाए जाने के लिए विकसित किया गया है ताकि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों में सुरक्षा का भाव बढ़े और सार्वजनिक वाहन सेवा प्रदान करने वाले वाहन मालिकों/संचालकों में उत्तरदायित्व का बोध बढ़े।
(सी) वाहन डेटाबेस में गति नियंत्रण यंत्र / स्पीड गवर्नर से जुड़े विवरणों का एकीकरण: नियंत्रित और जवाबदेह वाहन चालन के मध्यम सेनागरिकों में सुरक्षा का भाव सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए (कैब, बसों, ट्रकों इत्यादि) परामर्श जारी कर एसएलडी/ स्पीड गवर्नर लगाए जाने को कहा।
इसे समबद्ध और प्रभावी ढंग से लागू करने के क्रम में स्पीड गवर्नर और एसएलडी निर्माताओं के लिए वेब आधारित नई व्यवस्था शुरू की गई ताकि निर्माता स्वीकृत उपकरणों का विवरण उस पर उपलब्ध कराएं और इन उपकरणों के विवरण का वाहन 4.0 के साथ एकीकरण सुनिश्चित किया जा सके।
(डी) बीमा से जुड़े आंकड़ों का वाहन डेटाबेस्ट से एकीकरण: भारत में बीमित वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबी) के साथ उपलब्ध बीमा के आंकड़ों को वाहन पोर्टल के साथ एकीकृत किया है। यह संबंधित राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में उनके क्षेत्र में बिना लाइसेंस के चल रहे वाहनों के बारे में प्रवर्तन अधिकारी को जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
(5) मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019: मोटर वाहन अधिनियम, 1988 वह प्रधान नियम है जिसके माध्यम से देश में सड़क परिवहन को विनियमित किया जाता है। इसमें पहली बार व्यापक रूप से संशोधन किया गया और मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया तथा 9 अगस्त,2019 को इसे भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया।
इस संशोधन अधिनियम के माध्यम से सड़क सुरक्षा, नागरिक सुविधा, पारदर्शिता लाने और सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से भ्रष्टाचार में कमी लाने तथा बिचौलियों को दूर करने में मदद मिलने की उम्मीद है। यह अधिनियम देश में सड़क सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करेगा, नागरिक सुविधा को बढ़ावा देगा, भ्रष्टाचार में कमी लाएगा, बीमा और मुआवजा संबंधित सुधारों को उपलब्ध कराएगा औरराज्यों के सशक्तीकरण के साथ सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 के मुख्य प्रावधान:
- स्वचालित केन्द्रों के माध्यम से अनिवार्य फिटनेस परीक्षण
- ईएलवी के लिए नए प्रावधान
- वाहन को वापस लेने के लिए नए प्रावधान
- पदयात्रियों एवं गैर वाहन परिवहन की सुरक्षा
- आवागमन के दौरान बच्चों की सुरक्षा
- सड़क सुरक्षा के लिए इलेक्ट्रोनिक निगरानी एवं प्रवातन
- मुसीबत में मदद करने, गोल्डेन आवर में उपचार, असफल रहने पर कोई जवाबदेही नहीं जैसे नए उपाय
जुर्माना
- दुर्घटना पीड़ित दावेदारों को अन्तरिम राहत के लिए योजनाएँ
- मोटर वाहन दुर्घटना राहत निधि का गठन
- सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 1 सितंबर, 2019 को मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 की लगभग 60 धाराओं को लागू करने के लिए निर्धारित किया।
(6) मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 की निर्धारित धाराओं और नियमों का क्रियान्वयन और नियमों की आवश्यकता: मंत्रालय ने धाराओं 45, 74, 88, 90 और धारा 91 के नियम (ई) के उपनियम (बी) को क्रियान्वित 1 अक्टूबर, 2020 से लागू किया जाना अधिसूचित किया, जो कि दुर्घटना में मदद करने वालों के संरक्षण, बिना पंजीकरण के वाहनों के उपयोग, दस्तावेजों की कुर्की के लिए पुलिस अधिकारियों की शक्ति, दस्तावेजों और प्रकाशनों के इलेक्ट्रोनिक संस्कारण का इस्तेमाल, नियमों और अधिसूचनाओं के लागू होने से संबन्धित था।
नियमों को क्रियान्वित करने के संबंध में अधिसूचित प्रावधानों को एक अधिसूचना के माध्यम से प्रकाशित किया गया। यह नियम चलान की परिभाषा उपलब्ध कराते हैं। एक पोर्टल का प्रावधान किया गया जो आईटी के मध्यम से सेवाएँ उपलब्ध कराता है और इलेक्ट्रोनिक निगरानी तथा प्रवर्तन की सुविधा उपलब्ध कराता है।
अयोग्य करार दिये गए लाईसेंसों या लाइसेन्स जारी करने वाले प्राधिकारियों द्वारा इसे रद्द किए जाने का विवरण काल क्रम अनुसार पोर्टल पर दर्ज किया जाना चाहिए। इससे विवरण की इलेक्ट्रोनिक आधार पर निगरानी की जा सकेगी और ड्राईवर के व्यवहार पर नज़र रखी जा सकेगी।
प्रमाण पत्रों की हार्ड कॉपी के साथ-साथ सॉफ्ट कॉपी प्राप्त करने और ऐसे दस्तावेजों की वैधता तथा उन्हें प्रस्तुत करने संबंधी प्रावधान किए गए हैं, ऐसे दस्तावेजों की वैधता, उनके जारी करने, संबंधित अधिकारी के निरीक्षण और पहचान की तारीख और समय की मुहर का भी प्रावधान है। यह भी प्रावधान किए गए कि यदि प्रवर्तन अधिकारी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दस्तावेजों के विवरण को वैध पाया जाता है, तो निरीक्षण के लिए ऐसे दस्तावेजों हार्ड कॉपी की मांग नहीं की जाएगी, यहाँ तक उन मामलों में भी जिनमें नियमों के उल्लंघन के कारण दस्तावेजों को ज़ब्त करने की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा किसी भी दस्तावेज की मांग करने या उसका निरीक्षण करने पर, पुलिस अधिकारी पर दर्ज नाम या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य अधिकारी की पहचान, निरीक्षण की तारीख और समय की मोहर पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। यह वाहनों की अनावश्यक पुन: जाँच या निरीक्षण से बचने में मदद करेगा और ड्राइवरों को उत्पीड़न से राहत दिलाएगा।
इसके अंतर्गत यह भी प्रावधान किए गए कि वाहन चलाते समय ऐसे संचार उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है जिन्हें नेविगेशन के लिए लगाया गया हो और जिससे चालक की एकाग्रता में व्यवधान नहीं आता है।
(7) दुर्घटनाओं में दूसरों की मदद करने वालों के संरक्षण हेतु नियम: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 में एक नई धारा 134 ए जोड़ी गई जो भलाई करने वालों को संरक्षण प्रदान करने से संबन्धित है। इसके अंतर्गत मददगारों की परिभाषा निर्धारित होती है और यह मददगारों को संरक्षण प्रदान करता है।
मंत्रालय ने उन नियमों को प्रकाशित किया जो मददगारों के अधिकारों से संबन्धित हैं।इसके अंतर्गत यह प्रावधान किया गया कि मदद करने वालों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाएगा और उनके साथ धर्म, राष्ट्रीयता, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
यह नियम मदद करने वालों को यह अधिकार प्रदान करता है कि उसे किसी भी पुलिस अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा उसका नाम, पहचान, पता या ऐसे किसी अन्य व्यक्तिगत विवरण का खुलासा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा। हालांकि वह स्वेच्छा से अपना नाम या पहचान ज़ाहिर कर सकता है। प्रत्येक सार्वजनिक और निजी अस्पताल प्रवेश द्वार या अन्य विशिष्ट स्थान पर और अपनी वेबसाइट पर मददगार लोगों के अधिकार संबंधी इसअधिनियम और इससे संबन्धित नियमों को हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में एक चार्टर प्रकाशित करेगा। दुर्घटना पीड़ित की मदद करने वाला व्यक्ति यदि स्वेच्छा से उस मामले में गवाह बनने के लिए सहमत होता है जिसमें उसने एक मदद की है, तो उसकी जांच इस नियम के प्रावधानों के अनुसार की जाएगी और विस्तृत दिशानिर्देश और प्रक्रिया का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
(8) धारा 210ए के तरह राज्य सरकारें जुर्माने की राशि में बढ़ोत्तरी कर सकती हैं: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 राज्य सरकारों को यह अधिकार देता है कि मोटर वाहन से जुड़े नियमों के बार-बार उल्लंघन के मामले में जुर्माने की राशि को 10 गुना तक वह बढ़ा सकते हैं। यह विकल्प उल्लंघन को रोकने के उद्देश्य से उपलब्ध कराया गया है।
मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि धारा 210ए के तहत जुर्माने की राशि में वृद्धि संबंधी अधिकार लागू करते समय राज्य सरकारें शर्तों को ध्यान में रखेंगी, जिसमें सड़क सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा आंकड़ों का संग्रहण, यातायात प्रबंधन, अपराध नियंत्रण, जुर्माना या राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद या राज्य सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा प्रदत्त सलाह, या केंद्र सरकार अध्वा राज्य सरकार द्वारा किए गए संदर्भ शामिल हैं।
(9) “मोबाइल नंबर” का स्थान शामिल करने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के विभिन्न प्ररूपों में संशोधन:मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 के अधिनियमन के साथ-साथ, नागरिकों को सुविधा देने के उद्देश्य से ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र के संबंध में "मोबाइल नंबर" जोड़े जाने के लिए सीएमवीआर 1989 में भी संशोधन करने की आवश्यकता थी। यह एसएमएस के माध्यम से आईटी से आधारित ट्रैफिक अपराधों का पता लगाने और अपराधों से संबंधित जानकारी भेजने की सुविधा प्रदान करेगा। मंत्रालय नेअधिसूचना के माध्यम से “मोबाइल नंबर” को जोड़ने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के विभिन्न रूपों में संशोधन किया।
(10) मोटर वाहन अधिनियम 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 से संबन्धित दस्तावेजों की वैधता को विस्तार: कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए देशभर में पूर्ण लॉकडाउन के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा 24 मार्च, 2020 को जारी की गई अधिसूचना के अनुपालन के क्रम में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 से संबन्धित दस्तावेजों की वैधता को विस्तार देने हेतु 30 मार्च, 2020 और 9 जून, 2020 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक अधिसूचना जारी किया था। इसमें परामर्श दिया गया था कि फिटनेस, परमिट (सभी प्रकार के) लाइसेन्स, प्रमाणपत्र और अन्य सभी प्रकार के दस्तावेजों को 30 सितंबर, 2020 तक वैध माना जाएगा।
देश भर में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के क्रम में इसकी गंभीर स्थितियों के कारण, आगे भी यह सलाह दी गई कि उपरोक्त सभी दस्तावेजों की वैधता, जिनकी वैधता का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है या कोविड के कारण लागू लॉकडाउन के चलते नवीकरण की संभावना नहीं है, को 31 दिसंबर, 2020 तक वैध माना जा सकता है। प्रवर्तन अधिकारियों को परामर्श दिया गया कि ऐसे सभी दस्तावेजों को 31 दिसंबर, 2020 तक वैध माना जाए। यह उपाय परिवहन से संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने में नागरिकों की मदद करने के लिए किया गया था।
(11) केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 में निर्धारित शुल्कों में 31 जुलाई, 2020 तक छूट: नागरिकों को असुविधा और परेशानी से बचाने के लिए दस्तावेजों के नवीनीकरण, जिसके लिए शुल्ल्क पहले से दिया जा चुका है या जिसके लिए शुल्क अभी अदा किया जाना बाकी है, लेकिन नागरिक कोविड के चलते लगे लॉकडाउन के कारण ऐसा करने में असमर्थ हैं, मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर 31 जुलाई, 2020 तक केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के नियम 32 और 81 के अंतर्गत लगने वाले शुल्कों से छूट प्रदान की थी।
- ड्राइविंग लाइसेन्स प्राप्त करने में आड़े आने वाली हल्की से मध्यम रंग अंधता के नियमों में ढील देते हुए मंत्रालय ने नियामकों को प्रकाशित किया: मंत्रालय दिव्याङ्गजनों को परिवहन संबंधी सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए विशेष रूप से ड्राइविंग लाइसेन्स प्राप्त करने के लिए कई कदम उठा रहा है। दिव्याङ्गजनों को ड्राइविंग लाइसेन्स की सुविधा के संबंध में पहले जारी किए गए परामर्शों में से जुड़े सुविधा बढ़ाई गई थी। साथ ही जो एक आँख से देखने में सक्षम हैं उन्हें भी सुविधा उपलब्ध होगी।
मंत्रालय को प्राप्त अभिवेदन में पता कहा गया कि रंग अंधता से प्रभावित नागरिक ड्राइविंग लाइसेन्स प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि ड्राइविंग लाइसेन्स से जुड़े आवेदन के शारीरिक दक्षता (फॉर्म I) और चिकित्सा प्रमाणपत्र (फॉर्म IA) ऐसे विकल्प उपलब्ध नहीं थे।
इस मुद्दे को एक चिकित्सा विशेषज्ञ संस्थान के समक्ष रखा गया था और इस संबंध में सलाह मांगी गई। संस्थान से प्राप्त हुए सुझाव के अनुसार हल्के से मध्यम रंग अंधता से प्रभावित नागरिकों को वाहन चलाने की अनुमति दी जा सकती है जबकि गंभीर रंग अंधता से प्रभावित नागरिकों को वाहन चलाने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे छूट दुनिया के अन्य देशों में भी दी जाती है। मंत्रालय ने हल्के से मध्यम रंग अंधता से प्रभावित नागरिकों को ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाने हेतुफॉर्म 1 और फॉर्म 1 ए में संशोधन किया।
(13) किराए पर कैब लेने की योजना 1989 और किराए पर मोटरसाइकिल लेने की योजना 1997 में के संबंध में परामर्श: मंत्रालय ने वर्ष 1989 में एक अधिसूचना जारी कर “किराए पर कैब” और 1997 में “किराए पर मोटरसाइकिल” की योजना की शुरुआत की। ऐसे वाहनों का इस्तेमाल पर्यटकों, दफ्तरों में कार्य करने वाले अधिकारियों, कारोबारियों और छुट्टी पर जाने वाले परिवारों द्वारा किया जाता है।
विभिन्न निर्धारित पक्षकारों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर मंत्रालय ने “किराए पर कैब” और “किराए पर मोटरसाइकिल” की योजना के क्रियान्वयन के संबंध में 1 जून, 2020 को परामर्श जारी किया, जिसमें निम्न लिखित बिन्दुओं को शामिल किया गया:
a. यदि कोई व्यक्ति इस योजना के अंतर्गत वाणिज्यिक वाहन का इस्तेमाल कर रहा है और वह वैध ड्राइविंग लाइसेन्स/आईडीपी के साथ-साथ किराए पर मोटर कैब (फॉर्म ¾) अथवा किराए पर मोटरसाइकिल (फॉर्म 2) का लाइसेन्स प्रदर्शित करता है तो उसे बैज के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
b. “किराए पर मोटरसाइकिल” की योजना क्रियान्वित की जाएगी और इसके लिए ओपरेटर्स को लाइसेन्स दिया जाएगा।
c. “किराए पर मोटरसाइकिल” की योजना के अंतर्गत दो पहिया वाहनों को प्रासंगिक कर भुगतान पर सम्पूर्ण राज्य में चलाने के लिए अनुमति होगी।
(14) चार पहिया बीएस 6 वाहनों के पंजीकरण विवरण पर 1 सेमी मोटी हरे रंग की पट्टी उपलब्ध कराई जाएगी: बीएस-6 उत्सर्जन मानक 1 अप्रैल, 2020 से अनिवार्य कर दिये गए, जो उत्सर्जन मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराता है। वाहनों के प्रकार की पहचान हेतु वाहनों के पंजीकरण विविरण पर एक विशेष प्रकार की हरे रंग की 1 सेमी चौड़ी पट्टी लगाया जाना अनिवार्य किया गया जबकि पहले से पेट्रोल और सीएनजी वाहनों पर हल्के नीले रंग की और डीज़ल वाहनों के पंजीकरण विविरण पर नारंगी रंग की पट्टी लगाई जाती थी।
(15) वाहनों की लंबाई-चौड़ाई: मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के वाहनों की लंबाई-चौड़ाई से जुड़े नियम 93 में अधिसूचना के माध्यम से संशोधन किया।
इस संशोधन से मोटर वाहनों के परिमाण का मानकीकरण होगा जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के भी अनुरूप होगा। साथ ही इससे देश में वाहन संचालन (लोजीस्टिक) क्षमता में सुधार होगा क्योंकि इस नियमन से वाहनों के आकार में विस्तार होगा जिससे समान वजन के वाहन में भी अतिरिक्त यात्रियों और सामानों की क्षमता बढ़ेगी।
(16) अखिल भारतीय पर्यटन वाहन अनुज्ञप्ति एवं परमिट नियम 2020: हमारे देश में पिछले 10-15 वर्षों में पर्यटक उद्योग कई गुना बढ़ा है। इस वृद्धि में घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का योगदान है और हाल के दिनों में उत्कृष्ट ग्राहक सुविधाओं और अनुभवों की अपेक्षा भी बढ़ी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय राष्ट्रीय परमिट व्यवस्था के अंतर्गत मालवाहक वाहनों के लिए ऐसी सुविधा की सफलता के बाद पर्यटक यात्री वाहनों के निर्बाध आवागमन कराने के लिए कार्य कर रहा है। “ऑल इंडिया टुरिस्ट वेहिकल अथराइजेशन एंड परमिट रुल्स 2020” का मसौदा तैयार किया गया है और जनता तथा संबन्धित पक्षकारों की प्रतिक्रिया के लिए प्रकाशित किया गया है।
इस नई योजना के तहत, कोई भी पर्यटक वाहन ऑपरेटर “अखिल भारतीय पर्यटक प्राधिकरण / परमिट” के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकता है। इस तरह के सभी प्राधिकार पत्र / परमिट तभी जारी किए जाएंगे, जब आवेदक नियमों में निर्धारित किए गए सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ-साथ इसके लिए निर्धारित किया गया शुल्क आवेदन के जमा होने के 30 दिनों के भीतर उपलब्ध कराता है। यह परमिट प्राप्त करने के लिए आवेदक को वन स्टॉप सॉल्यूशन के माध्यम से पूरी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
(17) विभिन्न श्रेणियों के वाहनों के नंबर प्लेट पर दर्ज होने वाले अक्षरों और नंबरों तथा प्लेट के रंग: मंत्रालय ने वर्ष 1989 से लेकर अब तक वाहनों के पंजीकरण प्लेटों के रंग, आकार आदि के नियमन के लिए कई आदेश जारी किए हैं। लेकिन कुछ श्रेणियों के वाहनों के मामले में कुछ अस्पष्टताएं देखने को मिली हैं। इन विसंगतियों को दुरुस्त करने के लिएमंत्रालय ने विभिन्न वर्गों और श्रेणियों के वाहनों के पंजीकरण प्लेट, अक्षरों और नंबरों की एक विस्तृत सारणी को अधिसूचित किया ताकि यह साफ-साफ स्पष्ट हो सके।
(18) टायर रिपेयर किट से संबन्धित नए सुधार और दो पहिया वाहनों में निश्चित वस्तुओं के लिए नए मानक: मंत्रालय ने 3.5 टन के अधिकतम द्रव्यमान तक के वाहनों के लिए टायर दबाव निगरानी प्रणाली (टीपीएमएस) हेतु विनिर्देशन प्रदान करने के लिए सीएमवीआर 1989 में संशोधन किया है। टीपीएमएस व्यवस्था टायर में दबाव की निगरानी करता है और चालक को सूचना प्रेषित करता है, जिससे चालक को अग्रिम जानकारी मिलजाती है और वाहन को दुरुस्त रखने मदद मिलती है जिससे सड़क सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है। दो पहिया वाहनों में फुट रेस्ट की आवश्यकताओं के लिए भी मानक अधिसूचित किया गया है। दो पहिया वाहनों पर पीछे बैठने वालों के लिए अनुमति देने संबंधी प्रावधान किए गए, यहां तक कि अगर हल्के वजन वाले कंटेनर को पिलियन राइडर स्पेस के पीछे लगाया गया है तब भी बशर्ते वाहन के आयाम और इसके कुल वजन (वाहन निर्माता द्वारा उपलब्ध कराये गए विवरण के अनुरूप) के मापदंड पूर्ण होते हैं परीक्षण एजेंसी द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
(19) केन्द्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के अंतर्गत सड़क निर्माणऔर पुनर्वास तथा हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी (एचईएमएम) के लिए पंजीकरण / ड्राइविंग लाइसेन्स से जुड़ी चिंताएँ: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक सलाह जारी की गई कि सड़क निर्माण और पुनर्वास उपकरण (पहिएदार कोल्ड मिलिंग मशीन, पहिएदार मिट्टी स्थिरीकरण मशीन, पहिएदार कोल्ड रिसाइक्लर उपकरण, मशीन आदि) और बंपर, पेलोडर, फावड़ियों, ड्रिल मास्टर, बुलडोजर, मोटर ग्रेडर और रॉक ब्रेकर के पंजीकरण की मांग नहीं की जाएगी। यह स्पष्ट किया गया कि ऐसे उपकरण एक वाहन से दूसरे वाहन पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाए जाते हैं, और स्वयं सड़क पर नहीं चलते हैं। इसके अलावा, खनन परिसर के दयारे में इनका उपयोग विशेषज्ञ संचालकों द्वारा किया जाता है। ऐसे मेंजब तक ये उपकरण सार्वजनिक स्थान पर नहीं आते हैं तब तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जोर नहीं डाला जाना चाहिए।
(20) कृषि से जुड़ी मशीनों और निर्माण से जुड़े वाहनों के उत्सर्जन हेतु अलग से नियमों का निर्धारण:कृषि मंत्रालय के कृषि मशीनरी (कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर और संयुक्त हार्वेस्टर) तथा निर्माण उपकरण वाहनों के संबंध में प्राप्त अनुरोधों पर विचार करने के बाद मंत्रालय नेसीएमवीआर 1989 में उत्सर्जन संशोधन के प्रस्ताव के मसौदे को अधिसूचित कर कृषि ट्रैक्टर्स तथा अन्य उपकरणों के लिए भारत स्टेज (सीईवी / टीआरईएम) -IV से लेकर भारत स्टेज (सीईवी / टीआरईएम) -V,टीआरईएम स्टेज- IV और टीआरईएम स्टेज- V में जबकि निर्माण उपकरण वाहनों के लिए सीईवी स्टेज- IV और सीईवी स्टेज- V के लिए उत्सर्जन मानदंडों में संशोधन किया।
ऐसा बीएस मानदंड वाले अन्य वाहनों के बीच उत्सर्जन मानदंडों के किसी भी प्रकार के भ्रम से बचने के लिए किया गया है। कृषि ट्रैक्टर और वाहनों के लिए उत्सर्जन मानदंडों के अगले चरण के कार्यान्वयन के लिए एक वर्ष का विस्तार भी प्रस्तावित किया गया है।
(21) निर्माण उपकरण वाहनों के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं के संबंध में सीएमवीआर, 1989 में संशोधन: मंत्रालय ने निर्माण उपकरण वाहनों के सार्वजनिक मार्गों पर चलते समय चालक और अन्य वाहनों के सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के समाधान हेतु सीएमवीआर 1989 में संशोधन हेतु अधिसूचना जारी की है जिसे चरणबद्ध से लागू किया जाएगा। पहला चरण अप्रैल 21; दूसरा चरण अप्रैल 24। सीएमवीआर में ऐसे वाहनों को आगे निकलने के लिए ध्वनि के संबंध में भी संशोधन किया गया। ध्वनि का मापन ऑपरेटर के कान के स्तर से होगा।
(22) मालिकाना प्रकार का विवरण प्राप्त करने हेतु और दिव्याङ्गजन को सुविधा देने हेतु सीएमवीआर 1989 के फॉर्म 20 में भी संशोधन किया गया:यहमंत्रालय के संज्ञान में आया है कि सीएमवीआर के तहत विभिन्न फॉर्म में स्वामित्व संबंधी विवरण उपयुक्त ढंग से उपलब्ध नहीं होते हैं, जो कि मोटर वाहनों के पंजीकरण के लिए आवश्यक होता है। स्वामित्व के प्रकार का विस्तृत विवरण प्राप्त करने के लिए मंत्रालय ने फॉर्म 20 में संशोधन करने के लिए अधिसूचना प्रकाशित की है और सर्वसाधारण तथा हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं।
इसके अलावा, सीएमवीआर 1989 के अनुसार, प्राप्त होने वाले स्वामित्व के विवरण में दिव्यांगजन के विवरण प्रतिबिंबित नहीं होते हैं, जो कि महत्वपूर्ण है क्योंकि कई सरकारी योजनाओं के अंतर्गत दिव्यांगजनों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। प्रस्तावित संशोधनों से इस तरह के स्वामित्व का विवरण उचित प्रकार से परिलक्षित होगा और दिव्यांगजन विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
(23) बिना बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और पंजीकरण: मंत्रालय ने बिना बैटरी के इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और पंजीकरण के संबंध में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एकपरामर्श जारी किया है। सरकार देश में एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने का प्रयास कर रही जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा मिले। यह न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा और तेल के आयात पर होने वाले खर्च को कम करेगा बल्कि ऑटोमोबाइल उद्योग को विकसित होने के अवसर भी प्रदान करेगा।
यह स्पष्ट किया गया है कि परीक्षण एजेंसी द्वारा जारी किए गए वाहन के प्रकार संबंधी अनुमोदन प्रमाण पत्र के आधार पर बिना बैटरी वाले वाहनों की बिक्री और पंजीकरण किया जा सकता है। आगे यह भी स्पष्ट किया गया है कि पंजीकरण के उद्देश्य के लिए बैटरी के निर्माण / प्रकार या किसी अन्य विवरण को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता नहीं है।
(24) कोविड-19 महामारी के दौरान ऑक्सिजन सिलेंडर्स की आपूर्ति और इन्हें लाने-ले जाने के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई: कोविड-19 महामारी के चलते लागू देश भर में लॉक डाउन के दौरान राज्यों के भीतर या सभी राज्यों तथा सम्पूर्ण देश में ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत परमिट की आवश्यकता से एक अधिसूचना के माध्यम से छूट दी।
(25) हाइड्रोजन ईंधन वाले वाहनों हेतु मानक: वैकल्पिक ईंधन और हरित ईंधन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में संशोधन के माध्यम से हाइड्रोजन ईंधन द्वारा चलने वाले वाहनों के सुरक्षा मूल्यांकन के मानकों को अधिसूचित किया है, यह हाइड्रोजन ईंधन आधारित वाहनों को देश में बढ़ावा देने की सुविधा प्रदान करेगा।
(26) एच-सीएनजी मोटर वाहन के ईंधन के रूप में: देश में परिवहन हेतु स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के क्रम में अन्य कदमों के रूप में मंत्रालय ने हाइड्रोजन समृद्ध सीएनजी (एच-सीएनजी) के मोटर वाहनों में इस्तेमाल हेतु केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में संशोधन संबधि अधिसूचना जारी की।
(27) चार पहिया वाहनों के लिए उत्सर्जन मानक भारत स्टेज VI (BS-VI): मंत्रालय ने चार पहिया वाहनों (एल-7 श्रेणी) के लिए उत्सर्जन मानक भारत स्टेज VI (BS-VI) अधिसूचित किया।
(28) मोटर वाहन (ड्राइविंग) (संशोधन) नियमन, 2020: मंत्रालय ने मोटर वाहन (ड्राइविंग) विनियमन 2017 और सीएमवीआर 1989 में कुछ निश्चित संशोधन किए जो कि उपयोगी उपकरणों,इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में दस्तावेजों की जांच इत्यादि से जुड़े थे। मोटर वाहन (ड्राइविंग) नियमन 2017 को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 118 के तहत बनाया गया, जो किधारा 177 ए के तहत उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान उपलब्ध कराता है, जो गैर-यौगिक है।
(29) उत्सर्जन एवं ध्वनि मानकों के अनुपालन हेतु सड़क-गुणवत्ता प्रमाणपत्र: मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के फॉर्म 22 में संशोधन किया ताकि उत्सर्जन एवं ध्वनि मानकों के अनुपालन हेतु सड़क-गुणवत्ता प्रमाणपत्र जारी किया जा सके।
(30) दो-पहिया वाहनों के लिए सुरक्षात्मक हेलमेट: देश में बीआईएस प्रमाणन की व्यवस्था के तहत दोपहिया वाहन के लिए हेलमेट को अनिवार्य करने के क्रम में मंत्रालय ने “दो पहिया वाहनों पर चलने वालों (गुणवत्ता नियंत्रण) के लिए हेलमेट अनिवार्य करने संबंधी आदेश, 2020’ जारी किया है। इससे भारत में दो पहिया वाहनों के लिए केवल बीआईएस प्रमाणित हेलमेट का निर्माण और बिक्री हो सकेगी। इससे दोपहिया वाहनों के लिए हेलमेट की गुणवत्ता बेहतर होगी और सड़क सुरक्षा परिदृश्य में सुधार होगा। इससे दो पहिया वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में होने वाली मौतों में कमी आएगी।
(31) वाहन के अंतर्गत वाहनों के पंजीकरण / फिटनेस के लिए फास्टटैग: मंत्रालय ने सीएमवीआर 1989 में संशोधन के माध्यम से यह आदेश जारी किया कि 1 दिसंबर, 2017 को और उसके बाद बेचे जाने वाले मोटर वाहनों में वाहन निर्माता या उसके अधिकृत डीलर द्वारा फास्टटैग लगाया जाएगा। इसके अलावा, ‘वाहन’के साथ राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) के एपीआई के माध्यम से एकीकरण 14 मई,2020 से शुरू किया गया।जहां ‘वाहन’प्रणाली को वीआरएन / वीआईएन के आधार पर एनईटीसी प्रणाली से फास्टटैग का विवरण सफलतापूर्वक मिल रहा है।
फास्टटैग को अनिवार्य किए जाने की व्यवस्था को और अधिक प्रभावी करने के लिए थर्ड पार्टी बीमा लेते समय फास्टटैग को प्रस्तुत किए जाने के लिए फॉर्म 51 (बीमा प्रमाणपत्र) में भी संशोधन किया गया। यह व्यवस्था 1 अप्रैल, 2021 से लागू होगी।
यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा कि टोल प्लाज़ा से होकर गुज़रने वाले वाहनों ने शुल्क का भुगतान केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से होता है और वाहन टोल प्लाज़ा से निर्बाध रूप से गुजरते हैं। टोल संग्रहण केन्द्रों पर प्रतीक्षा समय खत्म होने से ईंधन की बचत होगी।
सड़क सुरक्षा: सड़क सुरक्षा विभागसड़कों पर पैदल चलने वालों, साइकिल से चलने वालों, स्कूली बच्चों और भारी मोटर वाहन ड्राईवरों समेत सड़कों का इस्तेमाल करने वाले विभिन्न पक्षों को सड़क सुरक्षा के संबंध में जागरूक करने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से जागरूक करेगा। इसके लिए सम्मेलन एवं गोष्ठियों का भी आयोजन किया जाएगा। आम जनता में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सड़क सुरक्षा विभाग एनजीओ और अन्य के साथ भी सहभागिता करेगा।
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