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खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने कोविड-19 के दौरान जम्मू और कश्मीर में खादी कारीगरों के जीवन यापन के लिए 30 करोड़ रुपये वितरित किये

Posted On: 30 DEC 2020 2:13PM by PIB Delhi

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कोविड-19 की अवधि के दौरान जम्मू और कश्मीर में खादी कारीगरों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। इस बीच, केवीआईसी ने देश भर में स्थायी रोजगार सृजित करने के लिए अथक प्रयास किये हैं, इतना ही नहीं आयोग ने केवल जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में ही खादी संस्थानों को 29.65 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जिस पर भारत सरकार विशेष तौर पर ध्यान दे रही है।

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इस राशि को मई 2020 से लेकर सितंबर 2020 तक जम्मू-कश्मीर के 84 खादी संस्थानों में वितरित किया गया है, जिससे इन संस्थानों से जुड़े लगभग 10,800 खादी कारीगरों को लाभ पहुंचा है। केवीआईसी की संशोधित विपणन विकास सहायता (एमएमडीए) योजना के तहत यह वित्तीय सहायता प्रदान की गई है जो उत्पादन गतिविधियों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। इस योजना के तहत, पैसा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से कारीगरों के बैंक खातों में सीधा स्थानांतरित किया जाता है।

कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान केवीआईसी द्वारा जम्मू और कश्मीर के खादी संस्थानों के 951 पुराने एमएमडीए दावों को निपटाने के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया गया था। ऐसे दावे वर्ष 2016-17 से लेकर 2018-19 तक संबंधित थे और विभिन्न तकनीकी कारणों से लंबित चल रहे थे।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि, इस विशेष अभियान के माध्यम से 84 खादी संस्थानों को जारी किये गए 29.65 करोड़ रुपये के भुगतान से जम्मू-कश्मीर में 10,800 कारीगरों को लाभ हुआ है। जो हर कमजोर तबके को "आत्मनिर्भर" बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को मजबूत करता है।

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श्री सक्सेना ने कहा कि, “खादी संस्थानों और कारीगरों को एमएमडीए योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के अलावा, केवीआईसी ने जम्मू, उधमपुर, पुलवामा, कुपवाड़ा तथा अनंतनाग के स्व-सहायता समूहों में काम करने वाली हजारों महिला कारीगरों को खादी फेस मास्क की सिलाई का कार्य उपलब्ध कराया है। लगभग 7 लाख खादी फेस मास्क इन महिला कारीगरों द्वारा तैयार किये गए थे और इनकी आपूर्ति जम्मू-कश्मीर सरकार को की गई थी।”

इस समय जम्मू-कश्मीर में 103 खादी संस्थान काम कर रहे हैं। इनमें से 12 मुख्य रूप से कश्मीर की विश्व स्तर पर पसंद की जाने वाली पश्मीना शॉल को बनाने का काम कर रहे हैं। इन शॉल का 60 प्रतिशतसे अधिक का उत्पादन दक्षिण कश्मीर क्षेत्र यानी अनंतनाग, बांदीपोरा, पुलवामा और कुलगाम में किया जाता है। जम्मू-कश्मीर में बने उत्पादों के खरीदार बड़ी संख्या में दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मिल जाते हैं। ये उत्पाद विभिन्न खादी इंडिया सेल आउटलेट्स और केवीआईसी ई-पोर्टल के माध्यम से बेचे जा रहे हैं।

एमजी/एएम/एनके/डीसी



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