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19 NOV 2020 1:54PM by PIB Delhi
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ वैश्विक बाजार श्रृंखलाओं की धुरी में भारत को एक निष्क्रिय बाजार से एक सक्रिय विनिर्माण केंद्र में बदलने के बारे में है। उन्होंने आज मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 119वीं वार्षिक आम सभा (एजीएम) को संबोधित करते हुए कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत ठोस विनिर्माण क्षेत्र के साथ एक मजबूत भारत है। इसके अलावा अब तक यह वैश्विक एकीकृत अर्थव्यवस्था में भी आत्मनिर्भर है। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए आत्मनिर्भर भारत एक फोर्स मल्टीप्लायर है। जब भारत आत्मनिर्भर बनने की बात करता है तो आत्म-केंद्रित प्रणाली की वकालत नहीं करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के आत्मनिर्भर होने का मतलब संपूर्ण विश्व में खुशी, सहयोग और शांति की चिंता है।
मंत्री ने कहा कि पूर्वी भारत के आत्मनिर्भर हुए बिना भारत आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोदय का उद्देश्य पूर्वी भारत में राष्ट्रीय विकास को गति देना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय विकास की अगली लहर को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए पूर्वी भारत केंद्रित विकास की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि ये मिशन पूर्वोदय का सार है। मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम के साथ-साथ इस्पात क्षेत्र को भी मिशन पूर्वोदय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मिशन पूर्वोदय के तहत हम पूर्वी भारत में एक एकीकृत इस्पात केंद्र का निर्माण कर रहे हैं। यह इस्पात क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा और रोजगार पैदा करने के साथ क्षेत्रीय विकास को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, ‘इस्पात क्लस्टर पूर्ण मूल्य श्रृंखला में रोजगार के अवसरों को बढ़ाएंगे, जिससे अविकसित क्षेत्रों में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने के साथ उद्यमशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा। यह अन्य विनिर्माण उद्योगों के विकास को बढ़ावा देगा और सामाजिक बुनियादी ढांचे के रूप में शहरों, विद्यालयों, अस्पतालों और कौशल केंद्रों आदि के साथ किया जाएगा।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारतीय गैस ग्रिड को देश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्से में नए बाजारों में विस्तारित किया जा रहा है। इसमें इंद्रधनुष उत्तर पूर्वी गैस ग्रिड परियोजनाओं के तहत सरकार की ओर से मदद के रूप में पूंजीगत अनुदान भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा (पीएमयूजी) परियोजना को पूर्वी राज्यों के लाखों घरों में पाइपलाइन से रसोई गैस उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मांग खत्म हो गई और आपूर्ति श्रृंखला को भी झटका लगा है। इससे हर जगह गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि भले ही महामारी सामान्य गतिविधि के संचालन को लगातार बाधित कर रही है, लेकिन घरेलू अर्थव्यवस्था के हिस्सों और क्षेत्रों में सुधार और क्रमिक वृद्धि के संकेत हैं।
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि आगे प्रगतिशील सुधारों की उम्मीद है क्योंकि लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील व्यापक रूप से दी जाएगी, जो देश को विकास के रास्ते पर फिर वापस ले जाएगी। श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने समाज के सभी वर्गों को राहत प्रदान की है और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी क्षेत्रों को आवश्यक सहयोग दिया गया है। ये भारत को तेजी से ऊपर ले जाने और भारत के विकास की कहानी के नए अध्याय को लिखने की शुरुआत करने में सक्षम बनाएंगे।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत के लोकतंत्र, मजबूत राजनीतिक नेतृत्व, बड़ा घरेलू बाजार और युवा जनसांख्यिकी को लंबे समय तक देश के सतत विकास क्षमता के प्रमुख कारक के रूप में देखा जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने तेल और गैस क्षेत्र के बारे में कहा कि हम तेजी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य को देख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार ने मजबूत आर्थिक विकास के लिए सुरक्षित, सस्ती और सतत ऊर्जा प्रणाली की उपलब्धता को लेकर बड़े सुधार किए हैं। विश्व में भारत अब तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। प्रधानमंत्री ने भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए स्पष्ट रोडमैप की कल्पना की है। यह ऊर्जा उपलब्धता और सभी के लिए इसकी सुलभता के पांच प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है। ये हैं- गरीब से गरीब लोगों के लिए ऊर्जा सामर्थ्य, ऊर्जा उपयोग में दक्षता, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ऊर्जा स्थिरता और वैश्विक अनिश्चितताओं को कम करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा।’
उन्होंने इस महीने की शुरुआत में सेरावीक द्वारा आयोजित चौथे इंडिया एनर्जी फोरम में प्रधानमंत्री के भाषण का उल्लेख किया। इस भाषण में प्रधानमंत्री ने भारत के ऊर्जा रणनीति के सात प्रमुख स्तंभों पर प्रकाश डाला था और वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के बड़े उपभोक्ता के रूप में भारत के उदय पर जोर दिया था। इन सात प्रमुख कारकों में गैस आधार अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के प्रयासों में तेजी, जीवाश्म ईंधनों का स्वच्छ उपयोग, जैव ईंधन को चलाने के लिए घरेलू ईंधन पर अधिक निर्भरता, 2030 तक 450 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करना, कार्बनरहित गतिशीलता के लिए बिजली के योगदान में वृद्धि, उभरते हुए ईंधनों जैसे, हाइड्रोजन की ओर बढ़ना और सभी ऊर्जा प्रणालियों में डिजिटल नवाचार शामिल हैं।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उज्ज्वला योजना ने सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का नेतृत्व किया है। इसके अलावा भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए स्थान को बढ़ाया है। इस योजना ने देश में एलपीजी कनेक्शनों की संख्या दोगुनी कर दी है और एलपीजी कवरेज 55 फीसदी से बढ़कर 98 फीसदी हो गया है। एसएटीएटी (सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) पर उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य विकास के प्रयास के रूप में एक सतत वैकल्पिक सस्ता परिवहन प्रदान करना है, जो दोनों वाहन उपयोगकर्ताओं-किसानों और उद्यमियों को लाभान्वित करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पहल कुशल नगरपालिका ठोस कचरा प्रबंधन और पराली जलने और कार्बन उत्सर्जन की वजह से शहरों में प्रदूषित हवा की समस्या से निपटने के लिए बहुत बड़ा वादा है। सीबीजी का उपयोग कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने और किसानों की आय, ग्रामीण रोजगार और उद्यमशीलता को बढ़ाने के संबंध में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेगा। कृषि पर सार्थक ध्यान देने के साथ यह पूर्वी भारत के लिए अपार संभावनाएं रखता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर जाने के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए तेल और गैस संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण में बड़े पैमाने पर 100 अरब डॉलर खर्च करने की परिकल्पना की है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि गैस अवसंरचना विकसित कर रहा है, जिसमें पाइपलाइन, एलएनजी टर्मिनल्स और सीजीजी नेटवर्क शामिल हैं। इसके अलावा 400 से अधिक जिलों में देश की 70 फीसदी आबादी को दायरे में लाने की क्षमता वाले सिटी गैस परियोजनाओं का विस्तार किया जा रहा है।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्पात उद्योग पर कहा कि यह देश की रीढ़ की हड्डी के रूप में सेवा करता है और हमारे देश में इस्पात एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि हम एक आधुनिक अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं। भारतीय इस्पात क्षेत्र सभी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करना चाहता है और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन होने के बावजूद भारत की प्रतिव्यक्ति इस्पात की वार्षिक खपत 74.1 किलोग्राम है। यह वैश्विक औसत (224.5 किलोग्राम) का एक-तिहाई है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह अपनी इस्पात की खपत को बढ़ाने और इस्पात के अधिकतम उपयोग जैसे, जीवन चक्र लागत में कमी और स्थायित्व में वृद्धि एवं अधिक पर्यावरणीय स्थिरता का लाभ उठाने का बेहतरीन अवसर है।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस्पात मंत्रालय ने देश में इस्पात के उपयोग को उचित बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगी ब्रांडिंग अभियान ‘इस्पाती इरादा’ शुरू किया है। इसका उद्देश्य एक उपयोग में आसान, पर्यावरण के अनुकूल, लागत-प्रभावी, सस्ती और मजबूती देने वाली सामग्री के रूप में इस्पात का फायदा उठाना है। उन्होंने कहा, ‘हम केंद्र सरकार के संगठनों द्वारा प्राथमिकता को अनिवार्य करके लौह और इस्पात के उत्पादों की घरेलू सोर्सिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस डीएमआई एंड एसपी नीति के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपये के स्टील के आयात से अब तक बचा गया है। हम इस क्षेत्र के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे है। हम कोयले के आयात को कम करने लिए अपने स्रोतों में विविधता ला रहे हैं। हम स्टील स्क्रैप नीति लेकर आए हैं, जो विभिन्न स्रोतों और कई तरह के उत्पादों से उत्पन्न लौह स्क्रैप को वैज्ञानिक प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण के लिए भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है। पॉलिसी फ्रेमवर्क एक संगठित, सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से संग्रह, निराकरण और कतरन गतिविधियों के लिए मानक दिशा-निर्देश प्रदान करता है।’
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों को तेल, गैस और इस्पात के क्षेत्रों में व्यापक अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि ‘लोकल के लिए वोकल हों’ और एक आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को साकार करने में योगदाने दें।
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