रक्षा मंत्रालय

स्वदेशी पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस ‘कवरत्ती’ को विशाखापत्तनम में कमीशन्ड किया जाएगा

Posted On: 21 OCT 2020 7:07PM by PIB Delhi

स्वदेश निर्मित पनडुब्बी रोधी प्रणाली (एएसडब्ल्यू) से लैस आईएनएस कवरत्ती को आज भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, एडीसी, चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ इसे गुरुवार 22 अक्टूबर 2020 को विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड को सौंपेंगे। आईएनएस कवरत्ती को प्रोजेक्ट 28 (कमोर्टा क्लास) के तहत निर्मित किया गया है।

एएसडब्ल्यू पोत को भारतीय नौसेना के संगठन डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (डीएनडी) ने डिजाइन किया है और इसे कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने बनाया है। इसने भारतीय नौसेना, जीआरएसई और देश की बढ़ती क्षमता को स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने में मदद किया है। इस प्रकार, यह "आत्मानिर्भर भारत" के हमारे राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करता है। इस पोत के निर्माण में 90 फीसदी देसी उपकरण लगे हैं और इसके सुपरस्ट्रक्चर के लिए कार्बन कंपोजिट का उपयोग किया गया है। भारतीय जहाज निर्माण में यह सराहनीय उपलब्धि है। पोत के हथियार और सेंसर सुइट मुख्य रूप से स्वदेशी हैं और यह आला क्षेत्र में देश की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करता है।

आईएनएस कवरत्ती में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है और इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने और उनका पीछा करने में सक्षम है। इसके अलावा, पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता के साथ ही पोत विश्वसनीय आत्मरक्षा क्षमता और लंबी दूरी के संचालन में सक्षम है।

आईएएनएस कवरत्ती को विशाखापट्टनम में कमीशन्ड किया जाएगा। यह पोत युद्ध के लिए बिल्कुल तैयार है। पोत ने सभी प्रणालियों के समुद्री परीक्षणों को पूरा किया गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान जारी प्रतिबंधों के बीच इसे नौ सेना को सौंपा जाना एक सराहनीय उपलब्धि है। कवरत्ती को कमीशन्ड किए जाने से भारतीय नौसेना की तैयारियों को मजबूती मिलेगी।

कवरत्ती का नाम पूर्व की आईएनएस कवरात्ती से मिला है जो अर्नला श्रेणी की मिसाइल कार्वेट थी। पुरानी कवरत्ती का 1971 में बांग्लादेश मुक्ति में शामिल हुई थी।

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एमजी/एएम/वीएस/डीसी



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