विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सीएसआईआर – सीएमईआरआई द्वारा हाई फ्लो रेट फ्लोराइड एंड आयरन रिमूवल के जरिए जल - शोधन की सामुदायिक स्तर की प्रणाली की प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण


सामुदायिक स्तर की इस प्रणाली की रणनीतिक तैनाती से देशभर में आयरन और फ्लोरोसिस के खतरे के खिलाफ हवा का रुख मोड़ने में मदद मिल सकती है

Posted On: 08 OCT 2020 6:54PM by PIB Delhi

सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने आज दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) में अपनी हाई फ्लो रेट फ्लोराइड एंड आयरन रिमूवल तकनीक को मैसर्स कैप्रिकैन्सएक्वा प्राइवेट लिमिटेड, हावड़ा, पश्चिम बंगाल को हस्तांतरित कर दिया। यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण ​​सीएसआईआर-सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक प्रोफ़ेसर (डॉ.) हरीश हिरानी की उपस्थिति में एक आभासी मंच पर हुआ।

 

 

कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर हिरानी ने बताया, “सामुदायिक स्तर की इस जल शोधन प्रणाली की प्रवाह - दर क्षमता 10,000 लीटर प्रति घंटा की है और इसमें सामान्य रूप से उपलब्ध रेत, बजरी और सोखने वाली सामग्रियों जैसे कच्चे माल का उपयोग होता है। इसमें एक तीन-चरण वाली शुद्धि की प्रक्रिया शामिल होती है, जो अनुमेय सीमा (फ्लोराइड और आयरन के लिए क्रमशः 1.5 पीपीएम और 0.3 पीपीएम) के भीतर पानी को शुद्ध करती है। यह तकनीक एक किफायती पैकेज में ऑक्सीकरण, गुरुत्वीय स्थायीकरण और रसोवशोषण प्रक्रिया का संयुक्त रूप से उपयोग करती है। इस प्रौद्योगिकी का एकीकृत बैकवाशिंग प्रोफाइल शुद्धिकरण करने वाली मीडिया के उपयोग की अवधि को संसाधन युक्त तरीके से बढ़ाने में मदद करेगा।”

प्रोफेसर हिरानी ने कहा, “उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले 50 वर्षों में फ्लोराइड प्रभावित व्यक्तियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यह जल स्तर में असंगत गिरावट के अनुरूप है, जिसके कारण क्षेत्र विशेष में फ्लोराइड की सांद्रता के स्तर में बढ़ोतरी हुई है। देश के बड़े पैमाने पर प्रभावित वर्गों के लिए फ्लोराइड की समस्या को दूर करने के सस्ते उपाय की दुर्लभता के कारण फ्लोरोसिस से प्रभावित होने के आंकड़ों में भी उछाल देखी गई है। इसके अलावा, इस प्रौद्योगिकी का भी एक प्रमुख जोर आत्मनिर्भर भारत अभियान की तरफ है। इस तकनीक का प्रसार देश के युवाओं के लिए रोजगार सृजन के अवसरों को बढ़ाने में भी मदद करेगा। प्रभावित स्थानों पर सामुदायिक स्तर की इस प्रणाली की रणनीतिक तैनाती से देशभर में आयरन और फ्लोरोसिस के खतरे के खिलाफ हवा का रुख मोड़ने में मदद मिल सकती है।

कैप्रिकैन्स एक्वा प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री संजय दत्ता ने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई वाटर टेक्नोलॉजीज ने देश के सबसे कमजोर वर्गों की सेवा के लिए एक किफायती और लागत प्रभावी समाधान प्रदान किया है। उन्होंने कहा, “इस जल प्रौद्योगिकी की तैनाती का बहुत ही व्यापक असर होगा।” उन्होंने आगे कहा कि कैप्रिकैन्स अब झारखंड, उत्तर प्रदेश और असम के फ्लोराइड एवंआयरन की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों में सीएमईआरआई की जल प्रौद्योगिकी को तैनात करने का इरादा रखता है।

 

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