पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

जैव विविधता के संरक्षण के लिए कार्रवाई में तेजी लाना अत्यावश्यक : भारत, संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन में

Posted On: 01 OCT 2020 7:11PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जैव विविधता शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि अब हम यूएन डिकेड ऑन बायोडायवर्जिटी 2011-2020 के अंत के करीब आ रहे हैं। ऐसे में जैव विविधता के संरक्षण के लिए कार्रवाई में तेजी लाना अत्यावश्यक है।

 

यह शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र महासभा में जैव विविधता पर अपनी तरह का पहला आयोजन है। जैव विविधता शिखर सम्मेलन में उन देशों के प्रमुखों/ मंत्री स्तर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जो कॉन्‍वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्जिटी (सीबीडी) के पक्षकार हैं। केंद्रीय पर्यावरण ने वर्चुअल माध्‍यम से इस शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।

 

पर्यावरण मंत्री के संबोधन का पूरा पाठ इस प्रकार है: -

 

महामहिम, देवियों और सज्जनों,

 

  • मैं दुनिया के विशाल जैव विविधता वाले सत्रह देशों में से एक के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को संबोधित करने के लिए इस महत्वपूर्ण सभा में उपस्थित हूं।
  • भारत में अतिप्राचीन काल से ही प्रकृति के संरक्षण एवं सुरक्षा की ही नहीं बल्कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की संस्कृति रही है।
  • कोविड-19 के प्रकोप ने इस तथ्य को उजागर किया है कि अव्यवहार्य खानपान आदतों और उपभोग पैटर्न के साथ प्राकृतिक संसाधनों के गैर-विनियमित दोहन से मानव जीवन के लिए आवश्‍यक प्रणाली का विनाश होता है।
  • हालांकि, कोविड-19 ने यह भी दर्शाया है कि प्रकृति अभी भी संरक्षित, दुरुस्त और निरंतर उपयोग के लायक बन सकती है।
  • अब हम यूएन डिकेड ऑन बायोडायवर्जिटी 2011-2020 के अंत के करीब आ रहे हैं और ऐसे में  जैव विविधता के संरक्षण के लिए कार्रवाई में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है।

 

महामहिम,

 

  • हमारे वैदिक ग्रंथों में लिखा है 'प्रकृतिरक्षतिरक्षिता' यानी यदि आप प्रकृति की रक्षा करते हैं तो प्रकृति आपकी रक्षा करेगी।
  • महात्मा गांधी से प्रेरित अहिंसा और जीव एवं प्रकृति के संरक्षण संबंधी लोकाचार को भारत के संविधान में उपयुक्त जगह दी गई है और यह हमारे कई कानूनों एवं विधानों में परिलक्षित होता है।
  • यह भारत की इन्‍हीं मान्यताओं और लोकाचार के कारण पृथ्वी के महज 2.4 प्रतिशत भू-क्षेत्र पर विश्व की करीब 8 प्रतिशत प्रजातियां निवास करती हैं।
  • मुझे इस महत्वपूर्ण सभा को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले एक दशक के दौरान भारत ने अपने देश में वन क्षेत्र को कुल भौगोलिक क्षेत्र के 24.56 प्रतिशत भू-भाग तक बढ़ाया है।
  • अब हमारे पास जंगल में बाघों की संख्या सबसे अधिक है और हम 2022 की समय सीमा से पहले ही इसकी संख्या दोगुनी कर चुके हैं। हाल में प्रोजेक्ट लायन और प्रोजेक्ट डॉल्फिन को शुरू करने की घोषणा की गई है।
  • भारत ने बंजर और वन की कटाई वाली 2.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि को पुनर्स्थापित करने और 2030 तक भूमि-क्षरण तटस्थता को हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
  • भारत ने संरक्षण के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए व्यापक क्षेत्रों को पहले ही निर्धारित कर दिया है जिसमें आइची जैव विविधता लक्ष्य-11 और एसडीजी-15 में योगदान भी शामिल है।
  • भारत ने कॉन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्जिटी (सीबीडी) के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक व्यापक संस्थागत एवं कानूनी प्रणाली की स्थापना की है।
  • भारत ने देश भर में 2.5 लाख जैव विविधता प्रबंधन समितियों के एक राष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से सीबीडी के उपयोग और लाभ साझेदारी प्रावधानों के लिए एक एक व्यवस्था बनाई है। जैव विविधता के संबंधी दस्तावेज तैयार करने के लिए इसमें स्थानीय लोगों और 1.7 लाख पीपल्स बायोडायवर्जिटी रजिस्टर्स को शामिल किया गया है।

 

महामहिम,

 

  • वर्ष 2021 में सीबीडी के सभी पक्षकारों की होने वाले 15वें सम्मेलन में अपनाई जाने वाली वर्ष 2020 के बाद की वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा प्रकृति को संरक्षित और सुर‍क्षित करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करती है।
  • भारत एक वर्ष से भी कम समय में दो सम्मेलनों (सीओपी) का आयोजन करके जैव विविधता के संरक्षण में अग्रणी भूमिका पहले ही निभा चुका है।
  • हमने नई दिल्ली में सितंबर, 2019 के दौरान यूएनसीसीडी के सीओपी-14 का आयोजन किया था और उसके बाद फरवरी 2020 के दौरान गुजरात के गांधीनगर में प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (सीएमएस) पर सम्‍मेलन सीओपी-13 आयोजित किया गया।
  • भारत संरक्षण, स्थायी जीवन शैली और पर्यावरण के अनुकूल विकास मॉडल के माध्यम से 'जलवायु परिवर्तन' संबंधी गतिविधियों का बढ़चढ़कर समर्थन कर रहा है।

 

महामहिम,

संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं वर्षगांठ और 'यूएन डिकेड ऑफ एक्शन एंड डिलिवरी फॉर सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट' की शुरुआत के अवसर पर, आइये प्रकृति को सुधार की राह पर लाने के लिए हमारे प्रयासों में शामिल हों और 'प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने' के दृष्टिकोण को साकार करें।

 

 

धन्‍यवाद।

 

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एमजी/एएम/एसकेसी/डीए



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