विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

एसटीआईपी 2020 में विशेषज्ञों ने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी एवं नेतृत्व संबंधी प्रमुख चिंताओं को हल करने के तरीकों के बारे में चर्चा की

Posted On: 22 SEP 2020 1:46PM by PIB Delhi

विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की कम प्रतिशतता एवं खासकर इस क्षेत्र में महिला नेतृत्व के संदर्भ में लैंगिक अंतर और नवीन विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति (एसटीआईपी) 2020 में इन प्रमुख चिंताओं को हल करने के तौर – तरीकों के बारे में हाल ही में एसटीआईपी 2020 से संबंधित एक सूचना – सत्र एवं परिचर्चा में विचार विमर्श किया गया। इस परिचर्चा में एसटीआईपी 2020 सचिवालय की टीम के साथ - साथ 100 से अधिक महिला वैज्ञानिकों एवं विज्ञान के प्रति उत्साह रखने वाले लोगों ने भाग लिया।

इस परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विजय भाटकर, अध्यक्ष, विभा (विजनानभारती) ने इस बात पर जोर दिया कि निरंतरता एवं आत्मानिर्भरता तभी संभव है जब महिलाओं को उचित महत्व दिया जाए। महिला अन्वेषकों को तैयार करने के नगण्य सांस्थानिक उपाय, उम्र संबंधी बाधा, छिद्रयुक्त व्यवस्था, महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए धन, नेतृत्व, लैंगिक  पूर्वाग्रह और महिला उद्यमियों तथा परिवार व बच्चों के पालन – पोषण के संदर्भ में रुढ़िवादिता से निबटने के क्रम में समावेशी एवं विविध एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र की जरुरत जैसे विभिन्न मुद्दों पर भी विचार – विमर्श किया गया।

डॉ. अखिलेश गुप्ता, प्रमुख, एसटीआईपी 2020 ने ट्रैक II विशेषज्ञ परामर्श के दौरान एथेना स्वान चार्टर के भारतीय संस्करण के कार्यान्वयन, अकादमिक जगत में अनिवार्य पदों, महिलाओं के 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व, अनुसंधान एवं प्रशासन में वरिष्ठ महिला वैज्ञानिकों को नेतृत्व की भूमिका के संदर्भ में सुझाये गये कुछ प्रमुख बातों को सामने रखा।

सूचना सत्र का आयोजन विजनानभारती द्वारा किया गया था, जो स्वदेशी की भावना से लैस एक विज्ञान आंदोलन है और देशभर के 22 राज्यों में फैला हुआ है। यह आयोजन विजनानभारती की स्वतंत्र इकाई शक्ति, जो महिला सशक्तिकरण का एक राष्ट्रीय आंदोलन है, के तहत हुआ।

डॉ. गुप्ता ने डीएसटी के "किरण" (नॉलेज इन्वोल्वमेंट इन रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नर्चरिंग), विशेष रूप से सीयूआरआईई (कंसोलिडेशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी रिसर्च फॉर इनोवेशन एंड एक्सीलेंस इन वीमेन यूनिवर्सिटीज) कार्यक्रम, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बायोकेयर कार्यक्रम एवं अन्य स्कीमों सहित कुछ महत्वपूर्ण सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने दोहरी भर्ती नीति, काम करने के समय में लचीलापन, डेकेयर केंद्रों की सुविधा, ‘ऑफिस ऑफ़ इक्विटी एंड इन्क्लूज़नकी स्थापना, आदि का सुझाव देते हुए महिलाओं के करियर से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देने की जरुरत पर बल दिया।

ज़रूरतों और अनूठी विशेषताओं के संदर्भ में नई एसटीआई नीति को पेश करते हुए डॉ. गुप्ता ने लीलावती, गार्गी और खाना जैसी महान महिला वैज्ञानिकों एवं दार्शनिकों के कुछ ऐतिहासिक उदाहरण देकर विज्ञान एवं शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने ट्रैक 1 सार्वजनिक परामर्श के विशेष संदर्भ में एसटीपी 2020 के सूत्रीकरण प्रक्रिया के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण पेश किया और इसमें महिलाओं की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया।

विशेषज्ञों ने महिला उद्यमियों और महिलाओं के नेतृत्व वाली अर्थव्यवस्था के लिए एक समर्थन नेटवर्क बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने नीतियों एवं कार्यक्रमों के संदर्भ में एक स्पष्ट तथा सख्त क्रियान्वन रणनीति, संवेदनशील एवं जागरूक बनाने की जरुरत और राज्य विश्वविद्यालयों के पुनरुद्धार पर जोर दिया।

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