श्रम और रोजगार मंत्रालय
श्री गंगवार ने श्रम ब्यूरो के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया
Posted On:
11 SEP 2020 6:14PM by PIB Delhi
श्रम और रोज़गार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने आज चंडीगढ़ के श्रम ब्यूरो भवन में श्रम ब्यूरो के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्रम और रोज़गार सचिव हीरालाल सामरिया तथा श्रम ब्यूरो के महानिदेशक डी.पी.एस नेगी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि नीति बनाने में इनपुट के रूप श्रम के सभी पहलुओं का डेटा बहुत महत्वपूर्ण है और यह श्रम सांख्यिकी को समर्पित श्रम ब्यूरो जैसे संगठन के अस्तित्व को भी सही ठहराता है। इस तथ्य के साथ कि आने वाले समय में डेटा का महत्व बढ़ता ही जाएगा। भारत एक प्रचुर श्रम वाला राष्ट्र है, इसलिए श्रम आंकड़ों के लिए समर्पित श्रम ब्यूरो जैसा संगठन इसे अधिक मजबूत बनाता है।
श्री गंगवार ने कहा कि ब्यूरो इस वर्ष, सभी मोर्चों पर प्रभावशाली उन्नति कर रहा है। ब्यूरो के अस्तित्व में आने के 100 वर्षों के बाद एक नए भवन में स्थानातंरित होने के अवसर और पेशेवर निकायों व घरेलू श्रमिकों पर किए गए दो बड़े सर्वेक्षणों को सौंपा जाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि श्रम ब्यूरो को हाल ही में प्रस्तावित चार श्रम संहिताओं पर आधारित डेटा संग्रह का कार्य अनिवार्य किया गया है।
इस मौके पर हरियाणा के श्रम मंत्री श्री अनूप धानक और पंजाब के श्रम मंत्री श्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि हरियाणा के आर्थिक और सांख्यिकीय विश्लेषण विभाग तथा श्रम विभाग के नोडल अधिकारी क्षेत्रीय सहयोग के आधार स्तंभ हैं और अतीत में कई मौकों पर श्रम ब्यूरो द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर काम किया गया है।
ब्यूरो ने अपने मूल्य सूचकांकों, प्रशासनिक आंकड़ों तथा श्रम संबंधी सर्वेक्षण डेटा जुटाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अत्यधिक ख्याती पाई है। श्रम ब्यूरो मासिक आधार पर सीपीआई-आईडब्ल्यू सूचकांक प्रस्तुत करता है जिसका उपयोग केंद्र और राज्य सरकारों से संबंधित लाखों श्रमिकों तथा कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और मजदूरी के विनियमन के लिए किया जाता है। सीपीआई-आईडब्ल्यू के अलावा, ब्यूरो सीपीआई-एएल/आरएल सूचकांक भी जुटाता है, जिसका प्रयोग न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, मनरेगा मजदूरी और मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत खाना पकाने की कीमत में संशोधन और ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण के लिए किया जाता है। इसके तहत खरीद/न्यूनतम समर्थन मूल्य (सीएसीपी) का निर्धारण, लागत अध्ययन और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का आकलन भी किया जाता है।
ब्यूरो को "व्यावसायिक मजदूरी सर्वेक्षण" जैसे अनूठे सर्वेक्षणों के लिए भी मान्यता प्राप्त है, जो इसे भारत का एक मात्र ऐसा संगठन बनाता है, जिसके पास विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मौजूद मजदूरों का डेटा है। ब्यूरो के पास विभिन्न श्रम अधिनियमों के तहत इकठ्ठा किए गए महत्वपूर्ण प्रशासनिक आंकड़ों का भंडार भी उपलब्ध है।
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