विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

नई हाइब्रिड जीवाणुशोधन तकनीक का उपयोग करते हुए छोटी जीवाणुशोधन इकाई पीपीई किट को तेजी से संक्रामक रोगाणुओं से मुक्त कर सकती है

Posted On: 04 SEP 2020 7:20PM by PIB Delhi

वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड (संकर या मिश्रित) जीवाणुशोधन प्रणाली नामक एक नई तकनीक का उपयोग करते हुए छोटी जीवाणुशोधन इकाई विकसित की है जो कोविड-19 का आसानी से और तेजी से मुकाबला करने हेतु आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) को संक्रामक रोगाणुओं से मुक्त कर सकती है, जिससे इसका कई बार आसानी से उपयोग किया जा सकता है।

इसका उपयोग स्वास्थ्य पेशेवरों और अन्य कोविड योद्धाओं द्वारा किया जा सकता है जिनके लिए पीपीई आवश्यक हैं और साथ ही पीपीई के रूप में जमा हो रहे खतरनाक ठोस कचरे को भी रोका जा सकता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरूपति (आईआईटी-टी) तथा भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, तिरूपति (आईआईएसईआर-टी) ने मिलकर छोटा ऑप्टिकल कैविटी विकसित किया है।

यह जीवाणुशोधन इकाई (पीओएससीयू) व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और अन्य घरेलू वस्तुओं का कुशल और तेजी से परिशोधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत की सांविधिक निकाय, विज्ञान और अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सहयोग से यह जीवाणुशोधन इकाई विकसित की गई है।

जीवाणुशोधन के लिए यूवी विकिरण एक सिद्ध विधि है। हालांकि, यूवी-सी की कम वेधन क्षमता और स्रोत से तेज विचलन से असम निर्वहन हो सकता है। इस टीम में आईआईटीटी के डॉ. रीतेश कुमार गंगवार (सहायक प्रोफेसर, भौतिकी विज्ञान), डॉ. अरिजीत शर्मा (सहायक प्रोफेसर, भौतिकी विज्ञान) और डॉ. शिहाबुद्दीन एम. मलियेक्क्ल (सहायक प्रोफेसर, सिविल और और पर्यावरण अभियांत्रिकी) ने मिलकर एक यूवी विकिरण केविटी, शीत प्लाज्मा और H2O2 स्प्रे को मिलाकर इस संकर जीवाणुशोधन प्रणाली को विकसित किया है।

पारंपरिक यूवी प्रणाली के विपरीत, यह इकाई उपचार क्षेत्र में फोटॉन फ्लक्स के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए ऑप्टिकल कैविटी अवधारणा का अनुसरण करती है। प्रणाली यूवी विकिरण को परिभाषित करती है और फोटॉन-फ्लक्स तथा जीवाणुशोधन के प्रभाव को बढ़ाती है। यूवी-सी, शीत प्लाज्मा, और H2O2 स्प्रे का सुसंगत संचालन अधिक हाइड्रॉक्सिक रेडिकल उत्पादन के कारण जीवाणुशोधन दक्षता को मजबूत करता है।

आईआईएसईआर, तिरुपति की डॉ. वसुधराणी देवनाथन इस छोटी इकाई की जीवाणुशोधन दक्षता का मूल्यांकन करने में आईआईटीटी टीम की सहायता करेंगी। डॉ. आर. जयाप्रदा (एमडी कीटाणु-विज्ञान विभाग, एसवीआईएमएस अस्पताल, तिरुपति) एसवीआईएमएस कीटाणु-विज्ञान प्रयोगशाला में प्रणाली की प्रभावशीलता का परीक्षण भी करेंगी।

टीम वर्तमान में 2 मिनट से भी कम समय के लिए संपर्क में आने पर अधिकतम जीवाणुशोधन दक्षता प्राप्त करने के लिए यूवी खुराक, प्लाज्मा और H2O2 मिश्रण सहित डिजाइन मापदंडों का अनुकूलन कर रही है। उपचार की गैर-थर्मल प्रकृति के कारण, प्रस्तावित इकाई को अन्य वस्तुओं जैसे कि डिब्बा बंद और बिना बंद भोजन, मुद्रा और अन्य घरेलू वस्तुओं की जीवाणुशोधन के उपयोग के लिए भी खोजेगी।

अधिक जानकारी के लिए, संपर्क करें: डॉ. रीतेश कुमार गंगवार, आईआईटी तिरूपति, ईमेल: reetesh@iittp.ac.in, मोबाइल: 8018119014

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जीवाणुशोधन इकाई की योजनाबद्ध डिज़ाइन के साथ-साथ योगदानकर्ता डॉ. रीतेश कुमार गंगवार (ऊपर, बायें), डॉ. अरिजीत शर्मा (नीचे, बायें) और डॉ. शिहाबुद्दीन एम. मलियेक्क्ल (ऊपर, दायें) और डॉ. वसुधराणी देवनाथन (नीचे, दायें)

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एमजी/एएम/पीकेपी/एसएस

 



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