वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
श्री पीयूष गोयल ने औद्योगिक गतिविधि एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के उद्योग मंत्रियों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के साथ वर्चुअल रूप से बैठक की
राष्ट्रीय जीआईएस-सक्षम भूमि बैक प्रणाली लॉन्च की गई
श्री गोयल ने राज्यों से ‘टीम इंडिया’की भावना से सामूहिक रूप से काम करने की अपील की
सभी राज्यों से सार्वजनिक खरीद नीति-मेक इन इंडिया ऑर्डर अंगीकार करने को कहा
भारत में व्यवसाय परिचालन आरंभ करने के लिए वांछित सभी आवश्यक मंजूरियों/अनुमोदनों को प्राप्त करने के लिए एक सिंगल विंडो प्रणाली के विकास में राज्यों से सहयोग मांगा
‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) दृष्टिकोण पर श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह भारत को विनिर्माण महाशक्ति बनाने में सहायता कर सकता है
Posted On:
27 AUG 2020 2:57PM by PIB Delhi
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज राज्यों के उद्योग मंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों एवं केंद्रीय तथा राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्चुअल रूप से बैठक की। बैठक में देश में औद्योगिक विनिर्माण को बढ़ावा देने, निवेशों को आकर्षित करने, ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और ‘आत्म निर्भर भारत’की दिशा में एक राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने से संबंधित मुद्दो पर चर्चा की गई।
श्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय जीआईएस-सक्षम भूमि बैक प्रणाली(https://iis.ncog.gov.in/parks) ई-लॉन्च की। इस प्रणाली का विकास राज्य जीआईएस प्रणालियों के साथ औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) के समेकन द्वारा किया जा रहा है। आज छह राज्यों के लिए परियोजना लॉन्च की गई। प्रणाली लॉन्च करने के दौरान, श्री गोयल ने विश्वास जताया कि दिसंबर 2020 तक अन्य राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा। यह अभी केवल प्रोटोटाइप ही है और इसे भूमि की पहचान एवं खरीद का एक प्रभावी, पारदर्शी तंत्र बनाने के लिए राज्यों से मिले इनपुट के साथ और आगे विकसित किया जाएगा।
आईआईएस पोर्टल सभी राज्यों के औद्योगिक क्षेत्रों/क्लस्टरों का एक जीआईएस सक्षम डाटाबेस है। प्रणाली में लगभग 475,000 हेक्टेयर भूमि को कवर करते हुए 31 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 3,300 से अधिक औद्योगिक पार्कों का मानचित्रण किया गया है। उपलब्ध सूचना में वन, ड्रेनेज, कच्चा माल हीट मैप्स (कृषि संबंधी, बागवानी, खनिज स्तर), कनेक्टिविटी के विविध स्तर शामिल हैं।राष्ट्रीय जीआईएस सक्षम भूमि। आईआईएस संसाधन ईष्टतमीकरण, औद्योगिक उन्नयन एवं संधारणीयता की दिशा में एक प्रतिबद्ध दृष्टिकोण अपनाता है। इस पहल का समर्थन इन्वेस्ट इंडिया, नेशनल सेंटर ऑफ जियो-इंफार्मेटिक्स (एनसीओजी), राष्ट्रीय ई-गर्वेनेंस प्रभाग (एनईजीडी), इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भास्कराचार्य इंस्टीच्यूट फॉर स्पेस ऐप्लीकेशंस एंड जियो-इंफार्मेटिक्स (बीआईएसएजी) द्वारा किया जा रहा है।
अपने संबोधन में श्री गोयल ने भारत के 1.3 बिलियन लोगों को बेहतर जीवन उपलब्ध कराने तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर संभावना प्रदान करने के लिए देश में औद्योगिक विनिर्माण को बढ़ावा देने, निवेशों को आकर्षित करने के लिए राज्यों से ‘टीम इंडिया’की भावना से सामूहिक रूप से काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत को विश्वास और ताकत की स्थिति के साथ विश्व के साथ भागीदारी बढ़ानी है। भारत को पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य अर्जित करना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए विनिर्माण को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी जो रोजगार और मूल्य वर्धन उपलब्ध करा सके।
श्री गोयल ने राज्यों से केंद्र द्वारा जारी सार्वजनिक खरीद नीति-मेक इन इंडिया ऑर्डर अंगीकार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत को अर्जित करने एवं स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने का यह एक प्रभावी माध्यम है। इसके तहत, 200 करोड़ रुपये से कम की खरीदों के लिए किसी ग्लोबल टेंडर इंक्वयरी की अनुमति नहीं है। भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के लाभदायक स्वामित्व के साथ बोलीकर्ता विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और खरीद करने वाले मंत्रालयों द्वारा दी गई मंजूरियों के आधार पर केवल एक अनिवार्य पंजीकरण के बाद सरकारी खरीदों में प्रतिभागिता करने में सक्षम हो पाएंगे। वैसे देश, जहां भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है, पारस्परिक खंड का उपयोग किया जा सकता है।
मंत्री ने राज्यों को एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने को कहा जो इसके त्वरित अनुपालन को सुगम बना सकता है। उन्होंने कहा कि ऑर्डर आत्म निर्भर भारत को बढ़ावा देता है और यह बड़ी संख्या में रोजगार उत्पन्न करेगा और इसलिए ऐसी कोई वजह नहीं है कि कोई भी राज्य इस आर्डर पर कोई आपत्ति उठायें। अभी तक मणिपुर, नागालैंड एवं सिक्किम की राज्य सरकारों ने ही इस आर्डर का अनुपालन किया है।
मंत्री ने भारत में व्यवसाय परिचालन आरंभ करने के लिए वांछित सभी आवश्यक मंजूरियों/अनुमोदनों को प्राप्त करने के लिए एक सिंगल विंडो प्रणाली के विकास पर बल दिया जो एक वन स्टाप डिजिटल प्लेटफार्म हो सकता है। यह निवेशकों के लिए सूचना प्राप्त करने एवं विभिन्न हितधारकों से मंजूरी प्राप्त करने के लिए विविध प्लेटफार्म/कार्यालयों तक जाने की आवश्यकता खत्म कर सकता है। यह विद्यमान प्रणालियों की क्षमताओं का लाभ उठा सकता है और निवेशकों को समयबद्ध मंजूरी तथा रियल टाइम स्टेटस उपडेट भी उपलब्ध करा सकता है। श्री गोयल ने कहा कि एक एकल आवेदन प्रारूप हो सकता है जो सभी संगत सूचना एवं दस्तावेज को सिंगल टाइम अपलोड करने के लिए आवश्यक हो सकता है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि स्थानीय निकायों को भी इस प्रणाली में शामिल किया जा सकता है और प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए मानद अनुमोदन की धारणा अपनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह विंडो हमारे सहकारी, सहयोगात्मक संघवाद का शोपीस हो सकता है और उन्होंने सभी राज्यों को डीपीआईआईटी के साथ हाथ मिलाने की अपील की।
‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) दृष्टिकोण पर श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह भारत को विनिर्माण महाशक्ति बनाने में सहायता कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में कुछ विशिष्टता, ताकत और अनूठापन होता है और ओडीओपी किसी जिले वास्तविक क्षमता को अर्जित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा रोगजार और ग्रामीण उद्यमशीलता उत्पन्न करने की दिशा में एक रूपांतरकारी कदम बन सकता है। इस दृष्टिकोण में विद्यमान औद्योगिक क्षमता को शहरी क्षेत्रों से आगे बढ़ कर जोड़ने और ग्रामीण/ अर्ध शहरी क्षेत्र से उत्पादक विनिर्माण का सृजन करने की बात की गई है। श्री गोयल ने कहा कि भविष्य के विनिर्माण क्लस्टरों में भी ग्रामीण भारत में निम्न मूल्यवर्धन विनिर्माण क्लस्टर हो सकते हैं। इसे राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने की अपील करते हुए, श्री गोयल ने ऐसे उत्पादों की पैकेजिंग, ब्रॉन्डिंग एवं वैश्विक विपणन में केंद्र की सहायता का आश्वासन दिया। मंत्री ने कहा कि राज्यों को आयात प्रतिस्थापन एवं निर्यात प्रबलन की बाजार क्षमता के साथ उत्पादों की पहचान करनी चाहिए और फारवर्ड एवं बैकवर्ड मार्केट लिंकेज माध्यमों की स्थापना करनी चाहिए। निर्यात हबों के रूप में जिलों के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया गया है कि वे प्रत्येक जिले के लिए अनूठे उत्पादों की पहचान करें और उनसे अनुरोध किया कि उन्हें उनके जिला स्तर निर्यात कार्यनीतियों के साथ समेकित करें जो राज्य स्तर निर्यात कार्यनीतियों के साथ जुड़ जाती हैं।
माननीय प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस पर की गई वोकल फॉर लोकल की घोषणा का उल्लेख करते हुए श्री गोयल ने कहा कि घरेलू विनिर्मातों से सार्वजनिक खरीद को गवर्नमंट ई मार्केट प्लेस (जीईएम) के जरिये प्रोत्साहित किया जा रहा है जिसने जीईएम पर सभी नए उत्पादों को पंजीकरण करने के दौरान विक्रेताओं के लिए उद्भव के देश की प्रविष्टि करना अनिवार्य बना दिया है। जीईएम ने मार्केट प्लेस में सभी उत्पादों के लिए स्थानीय कंटेंट की प्रतिशतता के संकेत के लिए एक प्रावधान में सक्षम किया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को न केवल घरेलू स्तर को प्रोत्साहित किया जाना है बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर भी बढ़ावा दिए जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया के लिए विश्व, जिला और क्लस्टर स्तर की कार्यनीति कारीगरों और छोटे तथा सूक्ष्म स्तर के उत्पादकों को लाभान्वित करेगी और इस प्रकार उन्हें सीधे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ समेकित किया जा सकेगा।
कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों से अपेक्षाओं के मुद्दे पर श्री गोयल ने कहा कि केवल 14 राज्यों ने कार्य योजनाओं को अंतिम रूप दिया है है और उन्होंने दूसरे राज्यों को भी त्वरित गति से इसे अंतिम रूप देने की अपील कीं। राज्यों से इस उद्देश्य के लिए नोडल एजेन्सियों तथा नोडल अधिकारियों को मनोनीत करने तथा राज्य स्तर निगरानी समितियों का गठन करने का भी आग्रह किया गया।
निर्यात में मूल्य वर्धन के मुद्दे पर श्री गोयल ने कहा कि वर्तमान में भारत के निर्यात बास्केट में प्राथमिक उत्पादों (लौह अयस्क, खनिज अवयव, आदि) और निम्न मूल्य उत्पादों का बड़ा हिस्सा है। उन्होंने राज्यों के लिए इस जरुरत पर बल दिया कि न केवल कृषि में मूल्य वर्द्धन गतिविधि को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है बल्कि औद्योगिक उत्पादों को भी पीएलआई प्रोत्साहनों की जरुरत है जिससे कि बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था में तेजी लाई जा सके।
देश में निवेशों को आकर्षित करने में तेजी लाने के लिए संस्थागत तंत्रों का उल्लेख करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि केंद्र में विभिन्न मंत्रालयों में सचिवों के अधिकारसंपन्न समूह (ई-जीओएस) तथा परियोजना विकास सेल (पीडीसी) का गठन किया गया है। उन्होंने राज्यों से इसी तर्ज पर अपना खुद का तंत्र विकसित करने को कहा।
राज्य स्तर पर नियामकीय बोझ के मुद्वे पर श्री गोयल ने कहा कि नियामकीय अनुपालन बोझ का व्यवसाय के समय एवं लागत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसे भ्रष्टाचार में भी बढोतरी होती है तथा रिश्वतखोरी के बर्ताव को बढ़ावा मिलता है। सभी लाईसेंसों, प्रमाण पत्रों, अनुमतियों, निरीक्षणों, रिटर्न दायर करने, रजिस्टरों एवं रिकार्डों की पहचान के लिए कानूनों/नियमों की पूर्ण समीक्षा करने एवं नियामकीय अनुपालन को न्यूनतम करने की अपील करते हुए श्री गोयल ने कहा कि प्रक्रियाओं का सरलीकरण विदेशों से निवेशों को आकर्षित करने में मदद करेगा एवं घरेलू निवेशकों के लिए व्यवसाय करने की सुगमता में भी बढोतरी करेगा।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश ने कहा कि भारत को एक विनिर्माण हब बनाने तथा निवेश आकर्षित करने के लिए राज्यों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने उनसे प्रत्येक जिले में ऐसे उत्पादों की पहचान करने को कहा जिसे बढ़ावा दिया जा सकता है।
बैठक में राज्य मंत्रियों ने अपने अनुभवों, अवधारणाओं, उपलब्धियों, आवश्यकताओं एवं सुझावों को साझा किया, जिसमें से कुछ की श्री गोयल द्वारा अपने समापन टिप्पणियों में समुचित रूप से सराहना की गई। बैठक के दौरान विभिन्न विषयों को कवर करते हुए डीपीआईआईटी के अधिकारियों द्वारा विस्तृत प्रस्तुति की गई।
एमजी/एएम/एसकेजे/डीसी
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