कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कोविड-19 पर आईटीईसी-एनसीजीजी के अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला -महामारी में सुशासन के कार्य- का उद्घाटन किया


भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर कोविड की दिशा में सहयोग के लिए वातावरण तैयार किया:डॉ. जितेन्द्र सिंह

भारत अपने मजबूत डिजिटल ढांचे के कारण कोविड के कारण उत्पन्न शासकीय चुनौतियों का सामना करने को तैयार है:डॉ. जितेन्द्र सिंह

दो दिवसीय कार्यशाला में 26 देशों के 184 प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और सर्वोत्तम कार्यकलापों को साझा किया

Posted On: 06 AUG 2020 5:32PM by PIB Delhi

केन्द्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेन्‍द्र सिंह नेआज कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर कोविड-19 की दिशा में सहयोग के लिए वातावरण तैयार किया है। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में श्री मोदी की असामान्य विदेश दौरों ने इस महामारी के दौर में अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को स्थापित करने में महज्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी), विदेश मंत्रालय और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "कोविड-19- एक महामारी में सुशासन की भूमिका" विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।

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डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ही थे, जिन्होंने भारत में संक्रमण के शुरूआती दौर में ही तुरंत राष्ट्रव्यापी पूर्णबंदी (लॉकडाउन) लागू करके इस चुनौती से मुकाबला करने के लिए पूरे विश्व को जागृत किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और दृष्टिकोण ने भारत को प्रभावी तरीके से महामारी से मुकाबला करने में मदद की और इसका कई अन्य देशों द्वारा भी अनुकरण किया गया। आपसी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विषय पर चर्चा करते हुए कहा डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्री मोदी ने एक करोड़ (10 मिलियन) अमरीकी डॉलर की प्रतिबद्धता के साथ कोविड-19 आपातकालीन फंड बनाने में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि सार्क, नैम, जी-20 जैसे और अन्य मंचों पर महामारी के मुद्दे को संबोधित भी किया तथा साथ ही व्यक्तिगत तौर पर शासनाध्यक्षों और राज्याध्यक्षों के साथ के साथ जुड़कर कार्य करने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा घोषित आत्मानिर्भर भारत के तहत 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का पैकेज भारत की जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है और यह इस महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरे विश्व में सबसे अधिक में से एक था। उन्होंने दोहराया कि भारत कोविड के बादवैश्विक जगत में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण स्तंभ होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई जीतने में राष्ट्र के लिए तैयार रोडमैप अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और सहकारी संघवाद को मजबूत करने में ही निहित है। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर संस्थानों की मजबूती, -गवर्नेंस मॉडल की मजबूती, डिजिटल रूप से सशक्त नागरिकों और बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए है।

डॉ.जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि टीम वर्क, संवेदना और राजकीय कौशल ने कोविड-19 महामारी के जवाब में भारत के शासन को परिभाषित किया है और इसने एक मजबूत डिजिटल ढांचे के साथ शासन का उदाहरण भी पेश किया है। मंत्रीजी ने आगे कहा कि "दो गजदूरी"- सामाजिक दूरी, पर ही ध्यान केन्द्रित कर आगे का रास्ता तय किया जा सकता है, जो आज के दौर में वैश्विक मानदंड बन गया है।

अपने संबोधन में, विदेश राज्य मंत्री, श्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि विकासशील देशों को अपने सीमित संसाधनों और स्वास्थ्य तथा चिकित्सा अवसंरचना के कारण ही इस महामारी की चपेट में आ गए। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस क्षेत्र में और चिकित्सा तथा अन्य सहायता के साथ साथी देशों तक पहुंचने का भी बीड़ा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के अन्य देशों के साथ मिलकर टीका (वैक्सीन) विकसित करने के प्रयास में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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इस दो दिवसीय सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के 26 देशों के राजनयिकों, सिविल सेवकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों सहित 184 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

उद्घाटन सत्र में भारत सरकार में डीएआरपीजी और डीपीपीडब्ल्यू में सचिव डॉ. क्षत्रपति शिवाजी, श्री वी. श्रीनिवास, अतिरिक्त सचिव, डीएआरपीजीऔर महानिदेशक, राष्ट्रीय सुशासनकेंद्र; सुश्री देवयानी खोबरागड़े, संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

कार्यशाला को संयुक्त रूप से विदेश मंत्रालय, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग और राष्ट्रीय सुशासन केंद्र द्वारा आईटीईसी देशों के लिए भारत के सुशासन प्रथाओं के प्रसार के उद्देश्य की अवधारणा के आधार पर तैयार किया गया था।

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एमजी/एएम/पीकेपी

 


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