आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय

नए वर्ग के पुरस्कार ‘प्रेरक दौर सम्मान’ का आरंभ किया


अपशिष्ट का गीले, सूखे एवं खतरनाक वर्गों में पृथक्करण, सी एंड डी अपशिष्ट प्रसंस्करण, शहरों की स्वच्छता स्थिति आदि प्रदर्शन मानक होंगे

स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 टूलकिट लॉन्च की गई -शहरी भारत के वार्षिक स्वच्छता सर्वे का छठा संस्करण

एकीकृत एसबीएम-अर्बन एमआईएस पोर्टल लॉन्च किया गया

नवी मुंबई, सूरत, खरगोन तथा कराड के लाइटहाउस शहरों ने सोर्स सेग्रेशन मॉडल प्रदर्शित किए

Posted On: 03 JUL 2020 4:01PM by PIB Delhi

केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित शहरी भारत के वार्षिक स्वच्छता सर्वे के छठे संस्करण-स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के लिए टूलकिट लॉन्च करते हुए कहा कि, ‘ प्रत्येक वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण की नवोन्मेषी तरीके से फिर से डिजाइन तैयार की जाती है कि जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यवहारगत बदलाव पर फोकस बनाये रखते हुए प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि स्वच्छता मूल्य श्रृंखला की संधारणीयता सुनिश्चित करने की दिशा में मंत्रालय के पिछले वर्ष के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, एसएस 2021 के संकेतकों का फोकस अपशिष्ट जल उपचार एवं मल कीचड़ के पुर्नउपयोग से संबंधित मानकों पर रहेगा। इस अवसर पर आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा भी उपस्थित थे जिन्होंने स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की पद्धति एवं विभिन्न मानदंडों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। श्री पुरी ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के एक हिस्से के रूप में प्रेरक दौर सम्माननामक पुरस्कारों के एक नए वर्ग की घोषणा की। प्रेरक दौर सम्मान के कुल पांच अतिरिक्त उप वर्ग- दिव्य (प्लेटिनम), अनुपम (स्वर्ण), उज्जवल (रजत), उदित (कांस्य), आरोही (आकांक्षी) हैं जिनमें से प्रत्येक में शीर्ष तीन शहरों को चुना जाएगा। आबादी वर्गपर शहरों का मूल्यांकन करने के वर्तमान मानदंड से अलग, यह नया वर्ग शहरों को पांच चुने हुए संकेतक वार प्रदर्शन मानदंड के आधार पर वर्गीकृत करेगा जो निम्नलिखित हैं:

  • अपशिष्ट का गीले, सूखे एवं खतरनाक वर्गों में पृथक्करण
  • गीले अपशिष्ट के खिलाफ प्रसंस्करण क्षमता सृजित की गई
  • गीले एवं सूखे अपशिष्ट का प्रसंस्करण एवं रिसाइक्लिंग
  • निर्माण एवं विध्वंस (सीएंडडी) अपशिष्ट प्रोसेसिंग
  • लैंडफिल में जाने वाले अपशिष्ट का प्रतिशत
  • नगरों की स्वच्छता स्थिति

एक वेबिनार के जरिये प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मंत्री ने इसका उल्लेख किया कि किस प्रकार स्वच्छ सर्वेक्षण एक सच्चे जन आंदोलनकी भावना के साथ नागरिकों से जुड़ने का एक माध्यम बन गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष नागरिक प्रतिभागिता पर फोकस ऐसे संकेतकों को लागू करने के जरिये एक कदम और आगे बढ़ गया है जो अन्य बातों के अतिरिक्त, नागरिकों के नेतृत्व वाले नवोन्मेषणों, स्टार्टअप्स, उद्यमियों एवं स्वच्छता चैंपियनों को प्रोत्साहित करते हैं। इस समारोह की एक और मुख्य विशेषता एकीकृत एसबीएम-अर्बन एमआईएस पोर्टल को लॉन्च किया जाना था। पिछले कई वर्षों से डिजिटल नवोन्मेषण हमेशा मिशन का अग्रणी हिस्सा रहा है जो बढ़ी हुई नागरिक भागीदारी के साथ इसमें बढ़ोतरी करने तथा परिणामों की बेहतर निगरानी में सक्षम बनाता है। एकीकृत एमआईएस पोर्टल को लॉन्च किया जाना मंत्रालय द्वारा एक सिंगल प्लेटफार्म पर अनगिनत डिजिटल पहलों को लाने तथा यह सुनिश्चित करने कि राज्यों और शहरों के लिए एक संघटित तथा बाधा मुक्त अनुभव प्राप्त हो सके और न केवल स्वच्छ बल्कि वास्तव में एक डिजिटल भारत का सृजन करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके, की कोशिशें हैं। इस वर्चुअल समारोह के दौरान आवासन तथा यूएसएआईडी के बीच संविद तथा समन्वयन व्यवस्था (ईसीए) पर हस्ताक्षर हुए जोकि डब्ल्यूएएसएच के क्षेत्र में, जिस पर 2015 में भारत सरकार और यूएसएआईडी के बीच हस्ताक्षर हुआ था, सहयोग पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) की निरंतरता है।

इन लोकार्पणों के बाद 'सेग्रगैशन एट सोर्स: की टू सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट' पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें 1,000 से ज्यादा राज्य और शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) के अधिकारियों और अन्य हितधारकों ने हिस्सा लिया। इस वर्कशॉप में नवी मुंबई, सूरत, खरगोन और कराड जैसे लाइटहाउस शहरों ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा 'सेग्रगैट, सेग्रगैट , सेग्रगैट' रिपोर्ट जारी करने के साथ-साथ अपने सोर्स सेग्रेशन मॉडलों का भी प्रदर्शन किया। इस अवसर पर 'सेग्रग्रैशन एट सोर्स: की टू सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट' विषय पर एक कार्यशाला का भी आयोजन किया गया और इसमें 1000 से ज्यादा राज्य और शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) के अधिकारियों और अन्य हितधारकों ने हिस्सा लिया। इसी प्रकार, सर्वेक्षण के इस संस्करण में, पुराने अपशिष्ट प्रबंधन और लैंडफिल के समाधान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को भी सामने लाया गया है।

शहरी स्वच्छता में सुधार लाने हेतु शहरों को प्रोत्साहित करने के लिए, एक प्रस्ताव के रूप में, एमओएचयूए ने जनवरी 2016 में 73 शहरों की रेटिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 का आयोजन किया, इसके बाद जनवरी-फरवरी 2017 में 434 शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 का आयोजन किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018, दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण बन गया, जिसमें 4203 शहरों को रैंकिंग दी गई, इसके बाद स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2019 में न केवल 4237 शहरों को कवर किया गया, बल्कि 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में इसे पूरा भी कर लिया गया, जो कि अपनी तरह का पहला डिजिटल सर्वेक्षण भी था। सर्वेक्षण 2020 में भी इस गति को जारी रखा गया और इसमें 1.87 करोड़ नागरिकों की अभूतपूर्व भागीदारी रही। एक कदम आगे बढ़ते हुए, शहरों द्वारा जमीनी स्तर पर प्रदर्शन की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने पिछले वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण लीग की भी शुरुआत की, जिसमें शहरों और कस्बों की त्रैमासिक सफाई का आकलन, तीन तिमाहियों में किया गया और अंतिम स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर 25 प्रतिशत वेटेज दिया गया।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) ने 2014 में अपनी शुरुआत के बाद से,  स्वच्छता और ठोस कचरा प्रबंधन दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 4324 शहरी यूएलबी को खुले में शौच मुक्‍त (4204 प्रमाणीकृत खुले में शौच मुक्‍त), 1306 शहरों को खुले में शौच मुक्‍त + और 489 शहरों को खुले में शौच मुक्‍त ++ प्रमाणित घोषित किया गया है। इसके अलावा, 66  लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 6 लाख से अधिक सामुदायिक / सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है/निर्माणाधीन है। इसके अतिरिक्त, 2900+ शहरों में 59,900 से अधिक शौचालयों को गूगल मैप पर दिखाया गया है। ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में 96 प्रतिशत वार्डों में घर-घर से 100 प्रतिशत कचरा एकत्र किया जा रहा है , जबकि कुल उत्पन्न 66 प्रतिशत कचरे को संसाधित किया जा रहा है। कचरा मुक्त शहरों के स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के तहत कुल छह शहरों को 5 स्टार, 86 को 3 स्टार और 64 को 1 स्टार के रूप में प्रमाणित किया गया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण ने नागरिकों और हितधारकों के मन में समान रूप से जगह बना ली है और हर गुजरते साल के साथ उनकी बढ़ती भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि नागरिकों ने अपने शहरों की स्वच्छता का पूरा स्वामित्व अपने हाथों में ले लिया है। इस प्रकार इस सर्वेक्षण ने शहरों और कस्बों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सफलता पाई है, ताकि स्वच्छ और ज्यादा रहने योग्य शहरों का निर्माण करने की दिशा में नागरिकों के प्रति ये सेवा आपूर्ति बेहतर की जा सके। स्वच्छ सर्वेक्षण ने आज 'स्वच्छता’ को प्रेरणा और गर्व की चीज बना दिया है, एक ऐसी चीज जिसकी आकांक्षा की जा सके। जहां मैसूरू ने इस सर्वेक्षण के पहले संस्करण में भारत के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार जीता था, वहीं इंदौर ने लगातार तीन वर्षों (2017, 2018, 2019) में इसमें अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के परिणामों की घोषणा जल्द ही मंत्रालय द्वारा की जाएगी।

ज्ञान प्रबंधन और क्षमता निर्माण इस मंत्रालय के ध्यान का प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण इंजीनियरिंग संगठन (सीपीएचईईओ) द्वारा तैयार किए गए दो दस्तावेजों का अनावरण किया - 'ऑन-साइट और ऑफ-साइट सीवेज प्रबंधन प्रथाओं पर एडवाइज़री' और 'शहरी ठोस कचरे के पृथक एकत्रीकरण और परिवहन' पर एक मार्गदर्शन पुस्तिका। जहां पहला दस्तावेज राज्यों और शहरों में एकीकृत ऑन-साइट और ऑफ-साइट सीवेज ट्रीटमेंट तकनीकों को अपनाने में बहुत अधिक उपयोगी साबित होगा, वहीं दूसरा दस्तावेज़ अलग-अलग यूएलबी से केस स्टडी और सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के साथ साथ पृथक कचरा एकत्रीकरण और परिवहन प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से बताता है।

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