स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

झारखंड के सहिया: सभी जगह सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रेरणा के स्रोत


कोविड​​-19 के उच्च जोखिम वाली आबादी की पहचान करने के लिए गहन सार्वजनिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में लगभग 42,000 सहियाओं ने भाग लिया

Posted On: 01 JUL 2020 12:33PM by PIB Delhi

        झारखंड के बोकारो जिले के तेलो गाँव के कमरुन्निसा और उनके पति नूर मोहम्मद, जमात में भाग लेने के बाद 13 मार्च, 2020 को घर लौट आए। हवाई अड्डे पर कोविड जांच के बाद उन्हें गांव में घर पर क्वारंटीन रहने की सलाह दी गई। स्थानीय स्तर पर सहिया के रूप में पहचाने जाने वाली गाँव की मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता रीना देवी ने घरेलू सर्वेक्षण के दौरान कमरुन्निसा और उनके पति के बारे में यह जानकारी जानकारी प्राप्त की।

     उसने तुरंत ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारी को इसकी सूचना दी। पति-पत्नी को तय मानदंडों के अनुसार घर पर क्वारंटीन रहने के बारे में सारे तौर तरीके समझाए और इसके बाद उनके स्वास्थ्य की स्थिति और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के बारे में नियमित रूप से जानकारी लेती रही। कमरुन्निसा के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उसे तुरंत बोकारो जनरल अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। रीना देवी ने अगले दिन दंपत्ति के परिवार के सदस्यों को घर में क्वारंटीन में रहने में मदद करने के लिए एक मेडिकल टीम के साथ समन्वय किया और टीम ने कमरुन्निसा के घर जाकर परिवार वालों को सभी जरुरी जानकारियां दीं और उन्हें बताया कि किस तरह से क्वारंटीन में रहना है। रीना देवी ने इस तरह से कमरुन्निसा के परिवार के साथ-साथ समुदाय में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रीना देवी द्वारा समय पर की गई कार्रवाई और लगातार प्रयासों से कमरुन्निसा के परिवार के साथ ही स्थानीय समुदाय में कोविड का संक्रमण फैलने से रोकने में काफी मदद मिली।

          झारखंड में सहियाके नाम से जानी जाने वाली आशाकर्मी विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में सहयोग करती हैं। राज्य में लगभग 42,000 सहिया हैं, जिन्हें 2260 सहिया साथियों (आशाकर्मियों), 582 ब्लॉक प्रशिक्षकों, 24 जिला सामुदायिक मोबलाइज़र और एक राज्य स्तरीय सामुदायिक प्रक्रिया संसाधन केंद्र की ओर से मदद मिलती है। कार्यक्रम की शुरुआत से ही जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं पहुंचाने में सहियाओं की प्रतिबद्धता को स्वीकार किया गया है और उसे समुचित महत्व दिया गया है।

      मार्च 2020 से ही सहिया कोविड-19 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। इनमें कोविड​​-19 के निवारक उपायों के बारे में जागरूकता पैदा करना, जैसे साबुन और पानी से लगातार हाथ धोना, सार्वजनिक स्थानों पर बाहर निकलते समय मास्क/फेस कवर का उपयोग करना। खांसी और छींकने आदि के दौरान उचित शिष्टाचार का पालन करनाकॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, लाइन लिस्टिंग जैसे नियमों का पालन करना आदि शामिल है।

       झारखंड ने कोविड-19 के लिए उच्च जोखिम वाली आबादी की पहचान करने के लिए 18 से 25 जून के बीच सप्ताह भर गहन जन स्वास्थ्य सर्वेक्षण (आईपीएचएस) शुरू कराया। सर्वेक्षण के पहले दिन, ग्रामीण स्तर पर और शहरों में सामुदायिक बैठकें क्षेत्र स्तर की गतिविधियों की योजना बनाने के लिए आयोजित की गईं। इसके बाद लगातार तीन दिनों तक, हाउस-टू-हाउस सर्वे किया गया। इस सर्वेक्षण में लगभग 42,000 सहियाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उच्च जोखिम वाले लोगों की पहचान करने के लिए हजारों घरों का सर्वेक्षण किया।

       झारखंड ने कोविड- 19 के लिए उच्च जोखिम वाली आबादी की पहचान करने के लिए 18 से 25 जून के बीच सप्ताह भर गहन जन स्वास्थ्य सर्वेक्षण (आईपीएचएस) शुरु कराया। सर्वेक्षण के पहले दिन, ग्रामीण स्तर पर और शहरों में सामुदायिक बैठकें क्षेत्र स्तर की गतिविधियों की योजना बनाने के लिए आयोजित की गईं। इसके बाद लगातार तीन दिनों तक, हाउस-टू-हाउस सर्वे किया गया। इस सर्वेक्षण में लगभग 42,000 सहियाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्थानीय उच्च जोखिम वाले लोगों की पहचान करने के लिए हजारों घरों का सर्वेक्षण किया। इस दौरान लोगों में इन्फ्लुएंजा जैसे संक्रमण, (आईएलआई) गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के लक्षण, 40 वर्ष से अधिक की उम्र वालों में सह-रुग्ण स्थितियों, नियमित टीकाकरण से चूक गए पांच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों की आबादी एंटी नेटाल चेक अप से चूक गई गर्भवती महिलाओं का पता लगाया गया। आईएलआई की शिकायत वाले व्यक्तियों का परीक्षण उसी दिन सुनिश्चित किया गया। उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की जानकारी उप केंद्र और ब्‍लॉक/जिला स्तर की स्वास्थ्य टीमों के साथ साझा की गईं।

     सर्वेक्षण के दौरान, सहियाओं ने कई कार्य किए (जैसे कि एनएसी/पीएनसी के लिए काउंसलिंग, घर में नए जन्मे बच्चे की देखभाल, छोटे बच्चे की घर पर देखभाल, पुरानी बीमारियों के इलाज पर लगातार निगरानी रखना) सहियाओं के सहयोग के कारण विभिन्न गतिविधियों के लिए एक ही घर में कई बार जाने की आवश्यकता कम हुई।

     झारखंड के आशा, या सहिया, जिन्होंने मातृ, नवजात शिशु और बाल स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में सक्रिय सहयोग किया कोविड-19 संबंधित गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर सहयोग दिया।

 

झारखंड से झलकियाँ: सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं में लगे सहिया

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