विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

कोविड-19 महामारी के दौरान दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के सामने उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए, डीएसटी द्वारा सहायक उपकरणों, प्रौद्योगिकियों और तकनीकों का समर्थन प्रदान किया जा रहा है


उपकरणों को कोविड-19 की परिस्थितियों की आवश्यकता के अनुसार तैयार किया गया है

Posted On: 13 MAY 2020 6:37PM by PIB Delhi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने दिव्यांगजनों और बुजुर्गो के बीच कोविड-19 के प्रभावों में कमी लाने के लिए कई पहलों को किया गया है और उनके सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों का तकनीकी समाधान खोजने की दिशा में उनकी पहचान की है।

डीएसटी के साइंस फॉर इक्विटी एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (सीड) प्रभाग द्वारा समर्थित संगठन ने दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए समग्रता और सार्वभौमिक पहुंच का निर्माण करने के लिए, दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप (टाइड) पर अपने कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न सहायक उपकरणों, प्रौद्योगिकियों और तकनीकों को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है, जो भारतीय परिवेश के लिए सस्ता और अनुकूल हैं।

 

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इस कार्यक्रम के अंतर्गत, चेन्नई के राजलक्ष्मी इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा कोविड-19 महामारी के कारण बौद्धिक विकलांगता के शिकार व्यक्तियों के अकेलेपन को दूर करने के लिए शिक्षा और मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित जानकारी और जागरूकता उत्पन्न करने के लिए एक ई-टूल को विकसित किया गया है। यह बौद्धिक विकलांगता वाले व्यक्तियों को, टैब और मोबाइल के माध्यम से आमोद-प्रमोद के साथ सीखने में मदद करेगा। ई-टूल को अन्य स्वदेशी भाषाओं में भी परिवर्तित किया जा सकता है और ई-टूल के बीटा संस्करण का उपयोग, 200 विशेष-दिव्यांग बच्चों द्वारा किया जा रहा है।

प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, सचिव, डीएसटी ने दिव्यांगजनों और बुजुर्गों को ज्यादा स्वायत्तता प्रदान करने के लिए, इस कम ज्ञात एस एंड टी क्षेत्र के महत्व पर बल देते हुए बुजुर्ग और दिव्यांगजनों के लिए तकनीकी रूप से ज्यादा से ज्यादा और आर्थिक रूप से व्यवहार्य एस एंड टी समाधानों के विकास का आह्वान किया, वर्तमान समय में एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए जिसकी आवश्यकता है।

सॉफ्टवेयर/ ऐप के विभिन्न घटकों को दिखाने वाले ई-टूल का स्क्रीनशॉट

पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर द्वारा एक पहनने वाला सेंसर डिवाइस विकसित किया गया है जिससे बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के अकेले रहने या क्वारंटाइन या आइसोलेशन वार्ड के अंतर्गत होने वाली गतिविधियों पर दूर से नजर रखी जा सके। यह उपकरण पूर्वानुमान भी बताता है और बुजुर्गों के स्वास्थ्य में गिरावट और कमजोरी के स्तर की भी जानकारी देता है। थोक में उत्पादन होने पर इस उपकरण की कीमत 1,500 रुपये है।

 

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                        Wearable device                                                                                 Wearable device

मोटर फ़ंक्शन अक्षमताओं वाले बुजुर्गों के लिए वास्तविक समय की निगरानी और पुनर्वास निर्देशित प्रोटोकॉल के माध्यम से फिडबैक प्रक्रिया के साथ, एक पहनने वाले पुनर्वास बैंड को विकसित किया गया है।

                         Wearable device                                                    User interface of the mobile app

यह उपकरण बुजुर्गों को डॉक्टरों और फिजियोथेरेपिस्ट के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से और शारीरिक हस्तक्षेप किए बिना, पुनर्वास के दौरान मांसपेशियों की शक्ति, मांसपेशियों में लचीलापन और मांसपेशियों के सहनशीलता में सुधार लाने की दिशा में उपयुक्त और मात्रात्मक परिणाम की प्राप्त करने में मदद करेगा। भारत सरकार के दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग को शामिल करते हुए, डीएसटी के टेक्नोलॉजी बिजनस इनक्यूबेटर के माध्यम से, तैनाती और बढ़ावा देने के लिए इन उपकरणों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए एक कार्य योजना की शुरूआत की गई है।

(अधिक जानकारी के लिए, कृपया डॉ कोंगा गोपीकृष्ण, वैज्ञानिक-ई, डीएसटी, ईमेल: k.gopikrishna[at]nic[dot]in, फोन नं: 011 26590298 पर संपर्क करें)

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एएम/एके/डीए-



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