जनजातीय कार्य मंत्रालय

जनजातीय मामले मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने ‘जनजातीय आजीविकाओं एवं सुरक्षा’ पर राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की


श्री अर्जुन मुंडा ने राज्यों को संशोधित समर्थन मूल्यों पर एमएफपी की खरीद में तेजी के लिए राज्यों को बधाई दी

जनजातीय मामले मंत्री ने वन धन कार्यक्रम एवं कोविड-19 के बाद घर लौटने वाले जनजातीय प्रवासियों/छात्रों के लिए राज्यों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की भी समी़क्षा की

Posted On: 12 MAY 2020 6:40PM by PIB Delhi

जनजातीय मामले मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली में जनजातीय आजीविकाओं एवं सुरक्षापर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की। बैठक में 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, उप मुख्यमंत्रियों, जनजातीय मामले राज्य मंत्रियों तथा वन राज्य मंत्रियों के अतिरिक्त राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। जनजातीय मामले राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, जनजातीय मामले मंत्रालय में सचिव श्री दीपक खांडेकर, ट्राइफेड के एमडी श्री प्रवीर कृष्णा एवं जनजातीय मामले मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने राज्यों को संशोधित समर्थन मूल्यों पर गौण वन ऊपज (एमएफपी) की खरीद में तेजी लाने के द्वारा जनजातीय आजीविका को समर्थन देने के लिए राज्यों को बधाई दी।

1 मई, 2020 से, जब से 50 मदों के लिए एमएफपी हेतु एमएसपी को संशोधित किया गया था, 17 राज्यों द्वारा 40 करोड़ रुपये तक की खरीद कर ली गई है। पांच और राज्य जल्द ही खरीद की प्रक्रिया आरंभ कर देंगे। श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि एमएफपी जनजातीय आबादी के लिए आजीविका के एक प्रमुख माध्यम के रूप में उभरा है और सरकार यह सुनिश्चित करने का सभी संभव प्रयास कर रही है कि जनजातीय लोगों को उनके उत्पादों के लिए सही मूल्य प्राप्त हो। उन्होंने शेष राज्यों से भी जल्द ही सच्ची तत्परता से एमएफपी की खरीद आरंभ करने का आग्रह किया।

जनजातीय मामले मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने राज्यों में प्रधानमंत्री की वन धन योजना के कामकाज की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जनजातीय ऊपज को वैश्विक बाजार से जोड़ने के लिए मूल्य वर्धन की आवश्यकता है जोकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दीर्घकालिक विजन है। उन्होंने कहा कि वनधन केंद्र एवं जनजातीय ऊपज के मूल्य वर्धन तथा विपणन के लिए आवश्यक अवसंरचना सुविधाओं की राज्यों में जनजातीय मामले मंत्रालय द्वारा सहायता की जा रही है और इस संबंध में राज्यों की अन्य आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जाएगी। उन्होंने जैविक प्रकृति के ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक ले जाने के लिए एक बाजार श्रृंखला विकसित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

श्री अर्जुन मुंडा ने कोविड-19 द्वारा उत्पन्न स्थिति के बाद घर लौटने वाले जनजातीय प्रवासियों/छात्रों के लिए राज्यों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की भी समी़क्षा की।

मंत्री ने कहा कि वीडीवीके तथा उचित समर्थन मूल्य के माध्यम से मूल्य वर्धन तथा विपणन के साथ गौण वन ऊपज को दिया गया बढ़ावा प्रवासियों के लिए अतिरिक्त आजीविका अर्जित करने में वरदान साबित होगा जो इस नाजुक समय में घर लौट रहे है।

जनजातीय मामले राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने विभिन्न राज्यों से लौटने वाले जनजातीय लोगों को रोजगार देने के लिए ग्राम स्तर पर लघु स्तर की इकाइयों की स्थापना करने और जनजातीयों के बीच अंतनिर्हित पारंपरिक ज्ञान का लाभ उठाने की आवश्यकता की अनुशंसा की।

विभिन्न राज्यों ने वन धन केंद्रों, स्वयं सहायता समूहों एवं जनजातीय ऊपज के विपणन के जरिये आजीविका एवं रोजगार सृजन में सहायता के लिए केंद्र सरकार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। वन धन केंद्रो से बहुत अच्छे आरंभिक परिणाम प्राप्त करने के बाद लगभग सभी राज्यों ने अपने राज्यों में वन धन केंद्रां को दोगुना किए जाने का आग्रह किया है। उन्होंने अपने राज्यों में उपलब्ध गौण वन ऊपज की किस्मों एवं लाभों तथा किस प्रकार एमएसपी में बढोतरी ने एमएफपी की खरीद को सुगम बनाने में सहायता की है, को भी रेखांकित किया। कुछ राज्यों ने कोविड 19 के बाद जनजातीयों द्वारा बनाये गए हैंड सैनिटाइजर एवं फेस मास्क जैसे उत्पादों को भी प्रदर्शित किया जिनकी आपूर्ति स्थानीय समुदायों एवं रेलवे जैसी राज्य एजेन्सियों को की जा रही है।

ट्राइफेड के एमडी श्री प्रवीर कृष्णा ने वन धन केंद्रों की स्थापना के संबंध में अलग अलग राज्यों के प्रदर्शन पर प्रस्तुति दी।

संशोधित एमएसपी पर राज्यों द्वारा एमएफपी खरीद

ब्यौरा

04/05/ 2020 तक 

09/05/ 2020 तक 

12/05/ 2020 तक

 

राज्यों की संख्या

10 राज्य

10 राज्य

17 राज्य

 

खरीद

23.06 करोड़ रुपये

29.07 करोड़ रुपये

40 करोड़ रुपये

 

श्री प्रवीर कृष्णा ने खुलासा किया कि राज्य एजेन्सियों द्वारा एमएफपी के 40 करोड़ रुपये के बराबर की खरीद का परिणाम वन ऊपज के बाजार मूल्य में बढोतरी के रूप में आया है जिससे जनजातीयों को संशोधित लागत पर निजी व्यापारियों द्वारा खरीद के परिणामस्वरूप 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा।

राज्यों में 1205 वन धन केंद्रों की स्थापना की गई है और इसने 18075 स्वयं सहायता समूहों के जरिये 3.75 लाख लाभार्थियों को फायदा हुआ है। अभी तक वीडीवीके की स्थापना के लिए लगभग 166 करोड़ रुपये की मंजूरी दी जा चुकी है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0018QGS.jpg

फोटो  कैप्शन (जनजातीय मामले मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय आजीविकाओं एवं सुरक्षा पर राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ वीडियो कांफ्रेंस आयोजित की )

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0020UYU.jpg

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003186B.jpg

***

एएम/एसकेजे/डीसी


(Release ID: 1623414) Visitor Counter : 423