विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डीएसटी इंस्‍पायर संकाय ने जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोग और ऑप्टिकल सेंसर वाले नैनोमेट्री विकसित किया


एसईआरएस काफी कम सांद्रता वाले पानी में मौजूद हानिकारक मॉलिक्‍यूल का पता लगाने में मदद कर सकता है

Posted On: 06 MAY 2020 6:41PM by PIB Delhi

      भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा स्थापित इंस्‍पायर  फैकल्टी अवार्ड प्राप्‍त करने वाले वाराणसी के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) में सहायक प्रोफेसर डॉ. आशिष कुमार मिश्रा ने अपने समूह के साथ मिलकर सुपरकैपेसिटर के उच्च ऊर्जा घनत्व और शक्ति घनत्व को प्राप्त करने के लिए सुपरकैपेसिटर आधारित नैनोमैटिरियल विकसित करने में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

      मानव आबादी के बढ़ने और तकनीकी प्रगति के कारण बढ़ती ऊर्जा मांग मानव समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। सुपरकैपेसिटर के उच्च ऊर्जा घनत्व से पता चलता है कि निरंतर वर्तमान को बिना रिचार्ज किए लंबी अवधि के लिए वापस लिया जा सकता है। इसलिए ऑटोमोबाइल चार्जिंग के बिना लंबी दूरी तक चला सकते हैं। सुपरकैपेसिटर ऐसे उद्देश्यों के लिए एक विकल्प हो सकता है।

      डॉ. मिश्रा और आईआईटी (बीएचयू) के उनके शोध समूह ने उच्च क्षमता प्रदर्शन के साथ 100 डिग्री सेल्सियस के मध्यम तापमान पर एक कम ग्राफीन ऑक्साइड (rGO) विकसित किया है। उत्पादन प्रक्रिया काफी किफायती है जो इसे वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त बनाती है। इस काम के बारे में एक रिपोर्ट मैटेरियल्‍स रिसर्च एक्सप्रेस में प्रकाशित हुई है।

      यह समूह उच्च ऊर्जा घनत्व एवं शक्ति घनत्व वाले सुपरकैपेसिटर प्राप्‍त करने के लिए सुपरकैपेसिटर आधारित नैनोमेटेरियल कार्बन (कार्बन नैनोट्यूब, ग्रैफीन) और धातु डाइक्लोजेनाइड्स (MoS2, MoSe2, आदि) पर काम करता है। समूह ने लौह-आधारित नैनोकैटलिस्‍ट के संश्लेषण के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण भी विकसित किया है जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर कार्बन नैनोट्यूब के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

      डॉ. मिश्रा का समूह ऊर्जा भंडारण के अलावा नैनोमैटिरियल के ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक अनुप्रयोगों पर भी काम कर रहा है। इस संदर्भ में वे फोटोडिटेक्शन और सरफेस-एनहांस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एसईआरएस) के लिए कार्बन और मेटल डाइक्लोकेनाइड्स सेमीकंडक्टर्स के अभनव नैनोस्ट्रक्चर विकसित करने पर काम कर रहे हैं। इस काम के माध्यम से उन्होंने दृश्य प्रकाश का पता लगाने के लिए नैनोस्केल MoS2 के विभिन्न आर्किटेक्चर के उत्कृष्ट फोटोडिटेक्शन व्यवहार का प्रदर्शन किया है। इस कार्य से प्राप्त उच्च फोटोरेस्पॉन्सिबिटी का उपयोग सिग्नलिंग उद्देश्य के लिए अल्ट्राफास्ट डिटेक्टरों को विकसित करने में किया जा सकता है। यह काम जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

      एसईआरएस काफी कम सांद्रता वाले पानी में मौजूद हानिकारक मॉलिक्‍यूल का पता लगाने में मदद कर सकता है। उनके समूह ने rGO और MoS2 नैनोमैटेरियल का उपयोग करके सब-नैनो-मोलर सांद्रता की न्यूनतम सीमा तक एक कार्बनिक लेजर डाई रोडेमाइन 6G (R6G) का पता लगाने का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। इस काम को जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री सी में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने विकसित की गई सामग्री की नॉनलीनियर ऑप्टिकल प्रतिक्रिया की भी जांच की है जिससे पता चलता है कि इनमें से कुछ सामग्रियों का उपयोग उच्च शक्ति प्रकाश स्रोतों जैसे लेजर के लिए प्रोटेक्‍टर विकसित करने में किया जा सकता है।

      ऊर्जा और ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर ध्यान केंद्रित किए जाने से सस्‍ते और कुशल उपकरणों के विकास का मार्ग प्रशस्त होता है जिनका उपयोग स्टोरेज अनुप्रयोग के लिए किया जा सकता है। उनके निष्कर्ष ने उन सामग्रियों के लिए मार्ग प्रशस्‍त किया है जिन्हें उन्नत फोटोडिटेक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए ऑप्टिकल सेंसर के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।

(पकाशन : https://doi.org/10.1021/acs.jpclett.9b03726)

चित्र: डॉ. आशिष कुमार मिश्रा अपने समूह के साथ

 

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एएम/एसकेसी



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