मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

आईसीएआर संस्थानों ने 12 भाषाओं में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए परामर्श  जारी किये


पूरी दुनिया में मत्स्य क्षेत्र के लाभ के लिए एफएओ ने स्वैच्छिक दिशानिर्देशों  में आईसीएआर के परामर्शों को शामिल किया 

Posted On: 07 MAY 2020 12:49PM by PIB Delhi

कोविद -19 महामारी दुनिया भर में फ़ैल गयी है। महामारी की रोकथाम के लिए लगाये गए लॉकडाउन ने देश में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्रों (एक्वाकल्चर) को कई तरीकों से प्रभावित किया है। मछली पकड़ने की गतिविधियों और मीठे और खारे पानी की प्रणालियों में एक्वाकल्चर के अलावा बीज उत्पादन, चारा संयंत्र संचालन, आपूर्ति और बाजार श्रृंखला आदि कई संबद्ध गतिविधियाँ अत्यधिक प्रभावित हुई हैं। मोटे तौर पर, मछुआरों, श्रमिकों, प्रसंस्करण काम में लगे लोगों और उनके समुदायों को महामारी के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इससे पूरी मूल्य श्रृंखला और इस पर आधारित आजीविका भी प्रभावित हो रही है।

कृषि क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई ), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से विभिन्न उप-क्षेत्रों से जुड़े सभी लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए कई अभिनव कदम उठाए हैं।

मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए, जिसमें मत्स्य पालन, जलीय कृषि (एक्वाकल्चर)   और अन्य संबद्ध गतिविधियाँ शामिल हैं, आईसीएआर ने मत्स्य संस्थानों के माध्यम से श्रमिकों की सुरक्षा और महामारी के प्रसार को रोकने के लिए परामर्श को विकसित करने और इसे जारी करने में प्रमुख भूमिका निभाई। इस प्रयास में, आईसीएआर- केद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईसीएआर-सीआईएफटी), कोच्चि ने मछुआरों, मछली पकड़ने वाले नावों के मालिकों, मछली पकड़ने के बंदरगाह, मछली बाजार और समुद्री खाद्य प्रसंस्करण संयंत्रों के लाभ के लिए परामर्श तैयार किये। ये परामर्श अंग्रेजी और हिंदी के अलावा 10 विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में जारी किये गए। आईसीएआर- केद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्‍थान (आईसीएआर-सीआईएफआरआई), बैरकपुर ने नदियों, नदियों के मुहानों, जलाशयों और आर्द्रभूमि में मछली पकड़ने की गतिविधियों में शामिल हितधारकों के लिए परामर्श तैयार किये। ये परामर्श प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाए गए और राज्य मत्स्य विभाग, विकासात्मक एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों तथा स्वयं सहायता समूहों में प्रसारित किये गए। देश भर में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इन प्रयासों का स्वागत किया है।

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) रोम, ने आईसीएआर-सीआईएफटी और आईसीएआर-सीआईएफआरआई द्वारा तैयार परामर्शों के महत्व को स्वीकार करते हुए इन्हें स्वैच्छिक दिशानिर्देशों में शामिल किया है। ये स्वैच्छिक दिशानिर्देश दुनिया भर में मत्स्य क्षेत्र के लाभ के लिए एशिया-क्षेत्रीय पहलों के तहत सतत लघु-मत्स्य पालन के लिए जारी किये गए हैं। (वेबपेज: http://www.fao.org/3/ca8959en/ca8959en.pdf )। यह आईसीएआर और इसके संस्थानों के प्रयासों की एक बड़ी स्वीकृति है। परिषद के इन प्रयासों से वैश्विक मत्स्य क्षेत्र को लाभ होने की उम्मीद है।

 

एएम / जेके



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