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Rural Prosperity

आत्मनिर्भर भारत का निर्माण

स्वामित्व योजना के 5 साल

Posted On: 23 APR 2025 5:52PM

"देश ने ठान लिया है कि गांव और गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना है, भारत की क्षमता को साकार करना है। इस संकल्प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका बहुत बड़ी है।"

                           प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सारांश

                            

अप्रैल 2020 में शुरू किया गया स्वामित्व ड्रोन-आधारित सर्वेक्षणों का उपयोग करके ग्रामीण आवासीय भूमि का कानूनी स्वामित्व प्रदान करता है।

स्वामित्व को पंचायती राज मंत्रालय द्वारा भारतीय सर्वेक्षण विभाग और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सेवा (एनआईसीएसआई) के सहयोग से लागू किया गया।

इसका उद्देश्य ग्रामीण नागरिकों को संपत्ति कार्ड प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना, ऋण तक पहुंच को सक्षम बनाना, विवाद समाधान और बेहतर योजना बनाना है।

इस योजना के अंतर्गत 1.61 लाख गांवों के लिए 2.42 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड बनाए गए हैं।

3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हुआ, जिसमें 68,122 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है।

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स्वामित्व ग्रामीण शासन में बदलाव ला रहा है, आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है और वैश्विक स्तर पर भारत की भूमि तकनीक का प्रदर्शन कर रहा है।

 

परिचय

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स्वामित्व (सर्वे ऑफ विलेज एंड मैपिंग विथ इम्प्रोवाइज्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरियाज) योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर किया गया था।

इस वर्ष, स्वामित्व अपनी 5वीं वर्षगांठ मना रहा है! यह योजना गांवों में लोगों को उनके मकानों और जमीन के कानूनी स्वामित्व के कागजात प्राप्त करने में मदद करती है। यह संपत्ति की सीमाओं को स्पष्ट रूप से चिह्नित करने के लिए ड्रोन और विशेष मानचित्रण उपकरणों का उपयोग करता है। इन कागजात की मदद से लोग बैंक से ऋण ले सकते हैं, जमीन के विवाद सुलझा सकते हैं और अपनी संपत्ति का इस्तेमाल अधिक कमाई के लिए भी कर सकते हैं। इससे गांव की बेहतर योजना बनाने में भी मदद मिलती है।

स्वामित्व योजना का क्रियान्वयन भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें प्रौद्योगिकी साझेदार के रूप में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर सर्विसेज इंकॉर्पोरेटेड (एनआईसीएसआई) शामिल है। वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक कुल लागत 566.23 करोड़ रुपये है, जिसे 2025-26 तक बढ़ाया जाएगा।

योजना के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियां

  • 18 जनवरी 2025 को, 10 राज्यों (छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) के 50,000 से अधिक गांवों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड वितरित किए गए।
  • 2 अप्रैल 2025 तक स्वामित्व योजना के तहत 3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इन सर्वेक्षणों ने प्रत्येक गांव में बसे हुए क्षेत्रों के औसत आकार के आधार पर अनुमानित 68,122 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया है।
  • 11 मार्च 2025 तक 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, लद्दाख, दिल्ली और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में पूर्ण कवरेज के साथ 3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। 1.61 लाख गांवों के लिए कुल 2.42 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए गए हैं।

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स्वामित्व भूमि प्रशासन में परिवर्तन लाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक वैश्विक उदाहरण स्थापित कर रहा है और अन्य देशों को समान मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है।

  • हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा), गुरुग्राम में 24-29 मार्च, 2025 तक आयोजित भूमि प्रशासन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में 22 देशों के वरिष्ठ अधिकारी एकत्रित हुए। इस कार्यक्रम में भारत के नवोन्मेषी दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया गया, जिसमें ड्रोन आधारित सर्वेक्षण, डिजिटल संपत्ति रिकॉर्ड और स्वामित्व योजना के माध्यम से पारदर्शी शासन शामिल है।
  • भारत मंडपम में आयोजित भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले 2024 में इस योजना ने प्रदर्शित किया कि कैसे ड्रोन और जीआईएस मैपिंग ग्रामीण समुदायों को स्पष्ट और कानूनी भूमि स्वामित्व प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं। इससे न केवल विवाद कम होंगे, बल्कि ऋण तक पहुंच भी बेहतर होगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, ग्रामीण भारत सशक्त होगा और संपत्ति के अधिकार में वृद्धि होगी।

स्वामित्व की आवश्यकता

दशकों तक भारत में कई गांवों के घरों और जमीनों का कभी भी उचित तरीके से रिकॉर्ड नहीं रखा गया। कानूनी दस्तावेजों के बिना लोग स्वामित्व साबित नहीं कर सकते थे या बैंक ऋण या सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए अपनी संपत्ति का उपयोग नहीं कर सकते थे। रिकॉर्ड की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक वृद्धि धीमी हो गई और अक्सर भूमि विवाद होने लगे। इसे हल करने के लिए, स्वामित्व योजना लोगों को कानूनी स्वामित्व के कागजात देती है, जिससे उन्हें अपने अधिकारों को सुरक्षित करने और बेहतर भविष्य बनाने में मदद मिलती है।

योजना के उद्देश्य

ग्रामीण नियोजन के लिए सटीक भूमि रिकॉर्ड का निर्माण तथा संपत्ति संबंधी विवादों में कमी लाना।

ग्रामीण भारत के नागरिकों को ऋण लेने तथा अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी संपत्ति को वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में उपयोग करने में सक्षम बनाकर वित्तीय स्थिरता लाना।

संपत्ति कर का निर्धारण, जो सीधे उन राज्यों की ग्राम पंचायतों को प्राप्त होगा जहां इसे हस्तांतरित किया गया है या फिर राज्य के खजाने में जोड़ा जाएगा।

सर्वेक्षण अवसंरचना और जीआईएस मानचित्रों का सृजन, जिनका उपयोग किसी भी विभाग द्वारा किया जा सके।

जीआईएस मानचित्रों का उपयोग करके बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करने में सहायता करना।

स्वामित्व घटक

स्वामित्व योजना उन प्रमुख घटकों पर आधारित है जो सटीक भूमि मानचित्रण, कुशल कार्यान्वयन और सामुदायिक जागरूकता सुनिश्चित करते हैं:

कन्टिन्यूअस्ली ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशंस (सीओआरएस) नेटवर्क की स्थापना: सीओआरएस नेटवर्क ग्राउंड कंट्रोल प्वाइंट स्थापित करने में सहायता करता है, जो सटीक जियो-रेफरेंसिंग, ग्राउंड ट्रुथिंग और भूमि के सीमांकन के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।

ड्रोन का उपयोग करके बड़े पैमाने पर मानचित्रण: भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन सर्वेक्षण का उपयोग करके ग्रामीण आबादी क्षेत्र का मानचित्रण किया जा रहा है। यह स्वामित्व संपत्ति अधिकार प्रदान करने के लिए उच्च रिजॉल्यूशन और सटीक मानचित्र तैयार करता है। इन मानचित्रों या डेटा के आधार पर ग्रामीण मकान मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी किए जाते हैं।

सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) पहल: स्थानीय जनता को योजना की कार्यप्रणाली और इसके लाभ के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम।

स्थानिक नियोजन अनुप्रयोग का संवर्धनग्राम मानचित्र”: ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की तैयारी में सहायता के लिए स्थानिक विश्लेषणात्मक उपकरणों के निर्माण हेतु ड्रोन सर्वेक्षण के तहत बनाए गए डिजिटल स्थानिक डेटा/मानचित्रों का लाभ उठाना।

ऑनलाइन निगरानी प्रणाली: गतिविधियों की प्रगति पर नजर रखने के लिए ऑनलाइन निगरानी और रिपोर्टिंग डैशबोर्ड की निगरानी की जाती है।

परियोजना प्रबंधन: योजना कार्यान्वयन में मंत्रालय और राज्य को सहयोग देने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयां।

सफलता की कहानियां

स्वामित्व योजना स्पष्ट संपत्ति अधिकार प्रदान करके और भूमि प्रबंधन में सुधार करके ग्रामीण शासन को बदल रही है। ये उदाहरण ग्रामीण प्रगति को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में योजना की भूमिका को रेखांकित करते हैं।

विवाद समाधान: 25 वर्षों की अनिश्चितता के बाद, हिमाचल प्रदेश के तरोपका गांव की श्रीमती सुनीता को स्वामित्व योजना के माध्यम से अपनी पैतृक भूमि का कानूनी स्वामित्व मिला। अपने संपत्ति कार्ड की मदद से उन्होंने अपने पड़ोसी के साथ लंबे समय से जारी विवाद को सुलझाया, जिससे उनके परिवार के भविष्य में शांति और सुरक्षा आई। स्वामित्व योजना ने उन्हें स्पष्ट स्वामित्व दिया, जिससे उनका जीवन बेहतर हुआ।

वित्तीय समावेशन: राजस्थान के फलाटेड गांव के श्री सुखलाल पारगी को स्वामित्व योजना के तहत पट्टा और संपत्ति कार्ड मिला। इन दस्तावेजों की मदद से वे वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बनाने में सक्षम हो गए। उन्होंने संपत्ति कार्ड का इस्तेमाल करके 3 लाख रुपये का बैंक ऋण तुरंत प्राप्त किया। स्वामित्व योजना ने उन्हें कानूनी स्वामित्व दिया और उनकी वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद की।

निष्कर्ष

स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत में भूमि स्वामित्व में बदलाव ला रही है। इसने पुरानी चुनौतियों को विकास और सशक्तिकरण के नए अवसरों में बदल दिया है। यह योजना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विवादों को सुलझाने और बाधाओं को तोड़ने में मदद करती है। यह लोगों को अपनी जमीन का इस्तेमाल आर्थिक प्रगति के लिए करने में मदद करती है। ड्रोन और डिजिटल संपत्ति कार्ड के साथ यह नई संभावनाओं का सृजन करती है। स्वामित्व एक सरकारी कार्यक्रम से कहीं अधिक है, यह आत्मनिर्भरता, बेहतर योजना और मजबूत ग्रामीण भारत की दिशा में एक कदम है।

संदर्भ

पंचायती राज मंत्रालय

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/ HYPERLINK "https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jun/doc20226862301.pdf"2022 HYPERLINK "https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jun/doc20226862301.pdf"/jun/doc HYPERLINK "https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jun/doc20226862301.pdf"20226862301 HYPERLINK "https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jun/doc20226862301.pdf".pdf

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