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श्री धर्मेंद्र प्रधान और श्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में काशी तमिल संगमम 4.0 का भव्यता के साथ उद्घाटन किया गया

प्रविष्टि तिथि: 02 DEC 2025 7:15PM by PIB Delhi

काशी तमिल संगमम (केटीएस) 4.0 का उद्घाटन आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में भव्यता के साथ किया गया।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने काशी तमिल संगमम 4.0 के सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और उनके सुखद प्रवास की कामना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना से प्रारंभ हुआ काशी तमिल संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच एक अद्भुत ज्ञान–सेतु का निर्माण कर रहा है, जिससे भारतीय सभ्यता के इन दो प्रमुख स्तंभों के बीच सदियों पुराने संबंध और अधिक सुदृढ़ हुए हैं। श्री प्रधान ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में, काशी तमिल संगमम एक जन-नेतृत्व वाले आंदोलन और अनुभवात्मक शिक्षा के एक शक्तिशाली साधन के रूप में विकसित हुआ है।

श्री प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विविधता और भाषाई परंपराएं इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं, और इसलिए भाषाई एकता और गौरव केटीएस के मूल में हैं। उन्होंने कहा कि तमिल करकलम - आइए तमिल सीखें - को अपने व्यापक विषय के रूप में रखते हुए, काशी तमिल संगमम 4.0 ज्ञान और भाषा-आधारित आदान-प्रदान के माध्यम से युवाओं की सहभागिता पर जोर देता है, साथ ही तमिलनाडु से परे तमिल भाषा सीखने का विस्तार करने के लिए भी काम करता है।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी तमिल संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक भागीदारी के नए रास्ते खोल रहा है। उन्होंने तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि काशी, प्रयागराज और अयोध्या की उनकी यात्रा वास्तव में एक अनूठा और समृद्ध अनुभव होगा।

उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष की थीम राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि संगमम का महत्व तेनकाशी से शुरू होने वाली कार रैली से और भी बढ़ जाता है, जो लगभग दो हज़ार किलोमीटर की यात्रा करके काशी पहुंचेगी। श्री योगी आदित्यनाथ ने ज़ोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में चल रही यह पहल भारत की ज्ञान, अध्यात्म, कला और सभ्यता की चिरस्थायी परंपराओं को और ऊंचाइयों तक ले जाएंगी।

कार्यक्रम में डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में, एक भारत, श्रेष्ठ भारत के परिवर्तनकारी विचार ने आकार लिया और इसी दृष्टि से काशी तमिल संगमम का उदय और विकास हुआ। उन्होंने कहा कि यह पहल सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने और भारत की सभ्यतागत विरासत का जश्न मनाने के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

केटीएस 4.0 का आयोजन तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित, यह पहल दोनों क्षेत्रों के बीच सभ्यतागत, सांस्कृतिक, भाषाई और जन-जन संबंधों का सम्मान करती है, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रतिबिम्बित करती है।

इस वर्ष का आयोजन 'तमिल करकलम - आइए तमिल सीखें' विषय पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में तमिल शिक्षा को बढ़ावा देना है। तमिलनाडु से विभिन्न शैक्षणिक और सामुदायिक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1,400 से अधिक प्रतिनिधि सात श्रेणियों में भाग ले रहे हैं।

केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) ने तोलकप्पियम, जो कि थोलकाप्पियार (8वीं शताब्दी ईसा पूर्व) से संबंधित सबसे प्राचीन तमिल व्याकरण ग्रंथ है, का 4 भारतीय और 6 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया है। इन पुस्तकों का आज गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विमोचन किया गया।

तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आरएन रवि; सूचना एवं प्रसारण और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन; उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री ब्रजेश पाठक; उत्तर प्रदेश के श्रम और रोजगार, समन्वय मंत्री श्री अनिल राजभर; उत्तर प्रदेश के स्टाम्प, न्यायालय शुल्क और पंजीकरण राज्य मंत्री (आईसी) श्री रवींद्र जायसवाल; उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री डॉ. दया शंकर मिश्रा; पुडुचेरी के उपराज्यपाल श्री के. कैलाशनाथन; उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी; बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी; आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि और वरिष्ठ अधिकारी भी आज इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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पीके/केसी/केएल/एनजे


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