लोकसभा सचिवालय
लोकसभा अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक दलों से विधायी संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने और सदन की कार्यवाही का सुव्यवस्थित संचालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया; कहा-सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र को कमजोर बनाते हैं
विधायिका को चाहिए जनमत को नीति में बदले : लोकसभा अध्यक्ष
पूर्वोत्तर के विकास नीतियों में जलवायु अनुकूलन, हरित अवसंरचना और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी को समेकित करना होगा: लोकसभा अध्यक्ष
पूर्वोत्तर की विधानसभाओं में उल्लेखनीय डिजिटल परिवर्तन हो रहे है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का दायित्वपूर्ण और नैतिकता से उपयोग होना चाहिए: लोकसभा अध्यक्ष
प्रभावी शासन और सफल नीति परिणाम के लिए केंद्र और राज्यों के बीच मजबूत सहयोग महत्वपूर्ण है: लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष ने कोहिमा में 22वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन का उद्घाटन किया; कहा नागालैंड सहित सभी पूर्वोत्तर राज्य आत्मनिर्भर भारत की भविष्य दृष्टि योजना में भागीदार हैं
Posted On:
10 NOV 2025 4:51PM by PIB Delhi
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज सभी राजनीतिक दलों से विधायी संस्थाओं का सुचारू और व्यवस्थित संचालन सुनिश्चित कर उनकी गरिमा बनाए रखने की पुरज़ोर अपील की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोकतंत्र शांतिपूर्ण, सुनियोजित और सूचनाप्रद चर्चाओं द्वारा मुद्दों को उठाने, मुद्दों के प्रति विचार व्यक्त करने और बहस में शामिल होने के समुचित अवसर प्रदान करता है। कोहिमा स्थित नागालैंड विधानसभा में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ-सीपीए, भारत क्षेत्र, ज़ोन-तीन के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर मीडियाकर्मियों से संवाद करते हुए, उन्होंने आगाह किया कि सदन में सुनियोजित व्यवधान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करने के साथ ही नागरिकों को सार्थक विचार-विमर्श और जवाबदेही से भी वंचित करते हैं। एक दिसंबर 2025 से आरंभ होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र का उल्लेख करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक दलों से सदन की कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस पर बल दिया कि पारदर्शी शासन और कल्याणकारी नीति निर्माण के लिए विधानमंडलों को अधिक सक्रिय और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
इससे पहले, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र, ज़ोन-तीन सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष कहा कि विधानमंडलों को जनमत को नीति में परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। श्री ओम बिरला ने कहा कि विधानमंडलों का दायित्व कानून बनाने से कहीं आगे तक विस्तृत है—और जनता की आकांक्षाओं और चिंताओं को कार्यान्वयन योग्य नीतियों में परिवर्तित करना भी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि व्यापक विकास केवल सक्रिय जनभागीदारी से ही संभव है। उन्होंने कहा कि सच्ची प्रगति तभी होती है जब लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नीति निर्माण में नागरिकों की आकांक्षा सार्थक रूप से प्रतिबिंबित हो।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के इस वर्ष के सम्मेलन का विषय "नीति, प्रगति और नागरिक: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधायिका" है। श्री बिरला ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में सार्थक विचार-विमर्श से पूर्वोत्तर के विधानमंडलों को अधिक सशक्त, दायित्वपूर्ण और कुशल बनाने के उद्देश्य से ठोस कार्य योजनाएं तैयार होंगी।
लोक सभा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में, नागरिकों को लोकतंत्र से निकटता से जोड़ने में नई तकनीकों और नवाचारों के प्रभाव का उल्लेख खिया। उन्होंने बताया कि अधिकांश विधानमंडल अब कागज़ रहित और डिजिटल प्रणालियों में परिवर्तित कर दिए गए हैं। उन्होंने फिर से दोहराया कि भारतीय लोकतंत्र का आधार उसके लोगों में निहित है, और यह एक ऐसा सिद्धांत है जिसे संविधान निर्माताओं ने गहराई से संजोया था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लोकतांत्रिक शासन के केंद्र में बने रहना चाहिए। श्री बिरला ने सभी विधायी निकायों से विधायी प्रक्रिया में व्यापक जनभागीदारी बढाने के लिए कार्यवाही का सीधा प्रसारण, नागरिक-सुगम डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म अपनाने और लोगों तक व्यापक पहुंच जैसे उपाय अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब किसी राज्य में जनमत पर आधारित नीति बनती है, तो वह राज्य निरंतर और सतत विकास करता है।
श्री बिरला ने पूर्वोत्तर के विधानमंडलों में हो रहे उल्लेखनीय डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और इसे आधुनिक एवं पारदर्शी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने विशेष रूप से नागालैंड विधानमंडल के पूर्णतया कागज़ रहित बनने की सराहना की और इसे भारत में डिजिटल शासन का अग्रणी मॉडल बताया। श्री बिरला ने कहा कि इस तरह की डिजिटल पहल दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के साथ ही विधायी कार्यप्रणाली को और अधिक सुलभ और नागरिक-केंद्रित बनाती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता -एआई के गैर-जिम्मेदाराना इस्तेमाल के प्रति भी आगाह किया और विधायकों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस प्रकार अपनाने का आग्रह किया जिससे पारदर्शिता बढ़े, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ बनाया जा सके और विधायी कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित हो सके।
लोकसभा अध्यक्ष ने केंद्र-राज्य संबंधों पर कहा कि सरकार का प्रत्येक स्तर स्पष्ट रूप से परिभाषित संवैधानिक ढांचों के अंतर्गत कार्य करता है, फिर भी ठोस परिणाम के लिए दोनों के बीच प्रभावी सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच रचनात्मक संवाद शासन को मज़बूत बनाने के साथ ही ऐसी नीतियां निर्मित करता है, जो अधिक उत्तरदायी, समावेशी और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होती हैं। श्री बिरला ने कहा कि हाल के वर्षों में बढ़े परस्पर सहयोग से पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी अवसंरचना, सम्पर्क साधन और सार्वजनिक सेवा वितरण में काफी प्रगति हुई है।
पूर्वोत्तर राज्यों के समग्र विकास की व्यापक कार्य योजना की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री बिरला ने क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखने के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना में प्राकृतिक आपदाओं सहित उभरते जलवायु जोखिमों का विशेष रूप से समाधान होना चाहिए, जिनका इस क्षेत्र की आजीविका और बुनियादी अवसरंचना पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। सतत और समावेशी विकास के महत्व पर बल देते हुए श्री बिरला ने कहा कि पूर्वोत्तर की विकास नीतियों में दीर्घकालिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए जलवायु अनुकूलन, हरित बुनियादी अवसंरचना और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी को समेकित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए इसकी अपार क्षमता के उपयोग के लिए केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोगात्मक प्रयास जरूरी हैं।
श्री बिरला ने कहा कि यह गर्व की बात है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी विधानमंडल स्थानीय आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति सजगता दिखाते हुए सामूहिक विचार-विमर्श और निर्णय लेने की परंपरा का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये विधानमंडल शासन में उत्तरदायित्व और पारदर्शिता सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं, जो सहभागी लोकतंत्र की सच्ची भावना को दर्शाता है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास, खासकर सड़क, रेल और हवाई संपर्क में तेज़ी से प्रगति हो रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि योजना के अनुरूप, पूर्वोत्तर को विकास के केंद्र और भारत की एक्ट ईस्ट नीति की धुरी के रूप में स्थापित करने के योजना ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाओं का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि इस क्षेत्र की जीवंत संस्कृति, समृद्ध परंपराएं और प्राकृतिक सौंदर्य इसे अद्वितीय बनाते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि स्थानीय उत्पादों, कलाओं, संस्कृति और पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने विधानमंडलों से ऐसी नीतियां अपनाने का आग्रह किया, जो उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा दे, जिससे स्थानीय समुदायों के लिए अधिक अवसर उत्पन्न हों और व्यापक आर्थिक सशक्तिकरण हो सके।
श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र, ज़ोन-तीन सम्मेलन समूचे क्षेत्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने, विधायी प्रक्रियाओं के बेहतर पालन और शासन में लोगों का विश्वास बढ़ाने के लिए ठोस सुझाव देगा। उन्होंने आगामी हॉर्नबिल महोत्सव के लिए सभी प्रतिनिधियों को हार्दिक बधाई दी और इसे नागालैंड की संस्कृति, स्थिति प्रत्यास्थता, कलात्मकता और सामुदायिक भावना का वैश्विक उत्सव बताया।
नागालैंड के असाधारण आतिथ्य की सराहना करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह के आयोजन पूर्वोत्तर के विधानमंडलों के बीच संबंधों को घनिष्ठ बनाते हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाओं और विकासात्मक प्राथमिकताओं पर सामूहिक चिंतन के लिए उपयोगी मंच प्रदान करते हैं। दिसंबर में होने वाले आगामी हॉर्नबिल महोत्सव के लिए उन्होंने नागालैंड के लोगों को शुभकामनाएं दीं और इसे क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जीवंत लोक परंपराओं का प्रतीक बताया।
कार्यक्रम को नागालैंड के मुख्यमंत्री श्री नेफ्यू रियो; राज्यसभा उपसभापति श्री हरिवंश, नागालैंड विधानसभा अध्यक्ष श्री शारिंगेन लोंगकुमेर और नागालैंड के संसदीय कार्य मंत्री श्री के.जी. केन्ये ने संबोधित किया। भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाएं सीपीए ज़ोन-तीन के सदस्य हैं। सम्मेलन में, इस ज़ोन के 8 सदस्य राज्यों में से सात विधानसभाओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में कुल 12 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 7 अध्यक्ष और 5 उपाध्यक्ष शामिल हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के सांसदों और विधायकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
सम्मेलन का विषय नीति, प्रगति और जनता: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधानमंडल है। इसके उप-विषय हैं: (i) 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य प्राप्त करने में विधानमंडलों की भूमिका; और (ii) पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में हाल में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के आलोक में -जलवायु परिवर्तन।
***.**
पीके/केसी/एकेवी/जीआरएस
(Release ID: 2188472)
Visitor Counter : 112