रक्षा मंत्रालय
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में अत्याधुनिक डीपीएसयू भवन का उद्घाटन किया और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रदर्शन की समीक्षा की


रक्षा मंत्री श्री सिंह ने चार मिनीरत्न डीपीएसयू को सम्मानित किया, रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा हरित ऊर्जा पहलों का शुभारंभ किया

देश ने 1.51 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन किया, जिसमें डीपीएसयू का योगदान 71.6 प्रतिशत रहा। रक्षा निर्यात 6,695 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिससे भारत की स्वदेशी प्रणालियों में वैश्विक विश्वास को बल मिला

Posted On: 10 NOV 2025 2:35PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 10 नवंबर, 2025 को नवनिर्मित डीपीएसयू भवन, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, नौरोजी नगर, नई दिल्ली में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) की एक व्यापक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में चार डीपीएसयू - म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (एवीएनएल), इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) को मिनीरत्न (श्रेणी-I) का दर्जा दिए जाने पर सम्मानित किया गया।

श्री राजनाथ सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए देश के रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम को मज़बूत करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में डीपीएसयू के निरंतर योगदान की सराहना की। उन्होंने संगठनों को उनके निरंतर समर्पण और उत्कृष्टता के लिए बधाई देते हुए कहा कि हमारे सभी 16 डीपीएसयू देश की आत्मनिर्भरता के मज़बूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में उनका उत्कृष्ट प्रदर्शन हमारे स्वदेशी प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता और क्षमता का प्रमाण है।

श्री राजनाथ सिंह ने मिनीरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए एचएसएल, एवीएनएल, आईओएल और एमआईएल की सराहना की। उन्होंने इसे रक्षा क्षेत्र में उनकी बढ़ती दक्षता, स्वायत्तता और योगदान का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में आयुध निर्माणी बोर्ड के सात नए डीपीएसयू में परिवर्तन से अधिक कार्यात्मक स्वतंत्रता, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इन चार डीपीएसयू को दिया गया नया मिनीरत्न का दर्जा उन्हें क्षमता विस्तार, आधुनिकीकरण और सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों के भागीदारों के साथ संयुक्त उद्यम और विलय सहित नए उपक्रमों और सहयोगों की खोज करने के लिए सशक्त बनाएगा।

श्री राजनाथ सिंह ने इस क्षेत्र के उल्लेखनीय प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 2024-25 में, भारत ने 1.51 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसमें डीपीएसयू का योगदान कुल 71.6 प्रतिशत रहा। रक्षा निर्यात 6,695 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो भारत की स्वदेशी प्रणालियों में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। इससे यह स्पष्ट है कि 'मेड इन इंडिया' रक्षा उत्पाद वैश्विक सम्मान प्राप्त कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने इस गति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी डीपीएसयू से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के तीव्र स्वदेशीकरण, समग्र अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद गुणवत्ता संवर्धन, समय पर डिलीवरी और निर्यात बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने डीपीएसयू को निर्देश दिया कि वे मापनीय लक्ष्यों के साथ स्पष्ट स्वदेशीकरण और अनुसंधान एवं विकास रोडमैप तैयार करें और अगली समीक्षा बैठक में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जहाँ भी विशेष हस्तक्षेप या सहायता की आवश्यकता होगी, वह तुरंत प्रदान की जाएगी।

इस आयोजन के एक भाग के रूप में, डीपीएसयू के बीच तीन प्रमुख समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया, जो सहयोग और आत्मनिर्भरता की भावना को दर्शाता है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने यंत्र इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) के आधुनिकीकरण प्रयासों का समर्थन करने और 10,000 टन फोर्जिंग प्रेस सुविधा स्थापित करने के लिए उसके साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एचएएल ने वाईआईएल को 435 करोड़ रुपये की ब्याज-मुक्त अग्रिम राशि देने की प्रतिबद्धता जताई है, जबकि बीडीएल दस वर्षों में 3,000 मीट्रिक टन तक का निरंतर कार्यभार प्रदान करेगा। राष्ट्रीय महत्व की रक्षा परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मिधानी में एक मेटल बैंक के निर्माण के लिए तीसरे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

रक्षा मंत्री ने एचएएल अनुसंधान एवं विकास मैनुअल सहित अनुसंधान एवं विकास पहलों की एक श्रृंखला का भी अनावरण किया, जिसका उद्देश्य डिजिटलीकरण, बौद्धिक संपदा सृजन और भारतीय शिक्षा क्षेत्र के साथ सहयोग के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास इको-सिस्टम को मज़बूत करना है। डीपीएसयू का अनुसंधान एवं विकास रोडमैप वर्तमान पहलों और भविष्य की रणनीतियों को एकीकृत करता है, जो लाइसेंस प्राप्त उत्पादन से स्वदेशी डिज़ाइन और विकास की ओर बदलाव का प्रतीक है, जो रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

सतत रक्षा विनिर्माण की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, श्री राजनाथ सिंह ने - स्वयं (एसडब्ल्यूएवाईएएम) - सतत और हरित रक्षा निर्माण -  का शुभारंभ किया। यह एक व्यापक संग्रह है जो डीपीएसयू में हरित परिवर्तन को दर्शाता है। व्यापक ऊर्जा दक्षता कार्य योजना 2023 में शामिल, स्वयं, रक्षा उत्पादन इको-सिस्टम में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने का विस्तार करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों का विवरण देता है। स्वर्ण डैशबोर्ड और डीपीएसयू ऊर्जा दक्षता सूचकांक जैसे डिजिटल उपकरणों द्वारा समर्थित, यह पहल आत्मनिर्भरता के साथ स्थिरता को जोड़ने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

रक्षा मंत्री ने आईओएल और बीईएल को 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा उपयोग प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया। आईओएल सितंबर 2025 से पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा पर स्थांतरित हो चुका है, जिससे वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 8,669 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है और 26.36 लाख रुपये की बचत हुई है। नवरत्न डीपीएसयू, बीईएल, जनवरी 2025 में आरई100 उपलब्धि हासिल करने वाला प्रथम बन गया, जिससे उसका स्कोप-2 उत्सर्जन 15,000 मीट्रिक टन से घटकर पूर्ण शून्य हो गया, जो उसके नेट ज़ीरो लक्ष्यों की ओर एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

श्री राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम को आगे बढ़ाने में डीपीएसयू के नेतृत्व, नवाचार और प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर देश को न केवल रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लें, बल्कि इसे एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भी स्थापित करें। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में निरंतर योगदान के लिए सभी डीपीएसयू को शुभकामनाएं दीं।

नव स्थापित डीपीएसयू भवन श्री राजनाथ सिंह और रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ के नेतृत्व में परिकल्पित एक अत्याधुनिक सुविधा है। रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा विकसित, यह भवन सभी 16 डीपीएसयू के लिए 'संगच्छध्वं संवदध्वं' ('एक साथ चलें, एक साथ संवाद करें') के आदर्श वाक्य के अंतर्गत सहयोग, नवाचार और तालमेल को बढ़ावा देने हेतु एक साझा मंच के रूप में कार्य करता है। आधुनिक सम्मेलन कक्षों, सिमुलेशन सुविधाओं और एक प्रदर्शनी क्षेत्र से सुसज्जित, यह भवन डीपीएसयू की क्षमताओं को सुदृढ़ करने और घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के समक्ष देश की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करने में मदद करेगा।

इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार, सभी डीपीएसयू के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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