जनजातीय कार्य मंत्रालय
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जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा (1-15 नवंबर 2025) देश भर में शुरू

Posted On: 02 NOV 2025 5:28PM by PIB Delhi

जनजातीय नायकों के पराक्रम, दूरदर्शिता और योगदान को भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा (1-15 नवंबर 2025) पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ शुरू हुआ। पखवाड़े भर चलने वाला यह उत्सव भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले जनजातीय गौरव वर्ष का हिस्सा है। भगवान बिरसा मुंडा देश के सबसे सम्मानित जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक और औपनिवेशिक उत्पीड़न के विरुद्ध प्रतिरोध के एक स्थायी प्रतीक थे।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय समुदायों के बलिदान, संस्कृति और विरासत का सम्मान करने और उनके साहस तथा राष्ट्र-निर्माण की कहानियों को राष्ट्रीय चेतना में लाने के लिए जनजातीय गौरव वर्ष मनाने की घोषणा की थी। उनके दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार ने प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत की। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि भगवान बिरसा मुंडा और अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे।

माननीय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा को एक जन आंदोलन के रूप में मनाने का आह्वान किया है। इसमें पूरे देश में जनजातीय समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान, ज्ञान प्रणालियों और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा।

हिमालय से लेकर तटीय मैदानों तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 15 नवंबर 2025 को जनजातीय गौरव दिवस तक गौरव और स्मरण की साझा भावना को दर्शाते हुए सांस्कृतिक, शैक्षिक और समुदाय-उन्मुख कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शुरू की है।

जम्मू और कश्मीर में- प्रधानमंत्री जनमन, धरती आबा पहल, कानूनी सशक्तिकरण और एनईपी शिक्षाशास्त्र पर क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। आश्रम स्कूल के छात्रों के लिए वित्तीय और डिजिटल साक्षरता सत्र भी आयोजित किए गए। इससे जनजातीय युवाओं को आवश्यक कौशल से सशक्त बनाया गया।

मेघालय में - कला और संस्कृति विभाग तथा जनजातीय अनुसंधान संस्थान ने शिलांग स्थित राज्य केंद्रीय पुस्तकालय में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में जनजातीय प्रतीकों को पुष्पांजलि अर्पित की गई और मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत की गईं। इससे राज्यव्यापी समारोहों के लिए एक जीवंत माहौल तैयार हुआ।

राजस्थान में- सभी 31 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) ने जनजातीय गौरव वर्ष के उद्घाटन समारोहों में शामिल हुए। छात्रों ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाते हुए चित्रकला, निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं के माध्यम से रचनात्मकता का प्रदर्शन किया।

आंध्र प्रदेश में -आंध्र प्रदेश जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एपी टीआरआई) ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में राज्य भर के आदिवासी समुदायों की कला, नृत्य और एकता को दर्शाया गया।

सिक्किम में - समारोह की शुरुआत आदिवासी भाषा शिक्षकों के लिए एक प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला के साथ हुई। इसमें स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण के महत्व पर बल दिया गया। दूसरे दिन शतरंज, टेबल टेनिस, बास्केटबॉल और स्प्रिंट दौड़ जैसे इनडोर और आउटडोर खेल आयोजनों में आदिवासी युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

मणिपुर में- जिला प्रशासन, पुलिस और तामेंगलोंग स्वायत्त जिला परिषद ने संयुक्त रूप से रानी गाइदिन्ल्यू आदिवासी बाज़ार और हैपोउ जादोनांग पार्क में पुष्पांजलि अर्पित करके और समुदाय द्वारा संचालित स्वच्छता अभियान चलाकर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।

ओडिशा में- अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और यात्रा को प्रदर्शित करने वाला एक विशेष बिरसा मुंडा मंडप आयोजित किया, साथ ही ओडिशा की विविध आदिवासी परंपराओं को दर्शाती एक फोटो गैलरी भी लगाई। आदिवासी कला के जीवंत प्रदर्शन, छात्र जुड़ाव कार्यक्रम और आदिवासी विरासत पर प्रदर्शनियों ने समारोह को जीवंत बना दिया। दूसरे दिन ओडिशा राज्य जनजातीय संग्रहालय में एक आकर्षक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें ओडिशा के आदिवासी समुदायों के जीवंत जीवन, कला और संस्कृति को दर्शाती 80 तस्वीरें शामिल थीं।

गुजरात में -जनजातीय विकास विभाग और टीआरआई, गुजरात द्वारा संयुक्त रूप से टेंट सिटी-2, एकता नगर (नर्मदा जिला) में भगवान बिरसा मुंडा के जीवन, संघर्ष और योगदान पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। माननीय मंत्री श्री पी.सी. बरंडा द्वारा उद्घाटन किए गए इस संगोष्ठी में 600 से अधिक प्रोफेसरों, शिक्षाविदों और जनजातीय नेताओं ने भाग लिया। यह शैक्षणिक और सांस्कृतिक एकजुटता दोनों को दर्शाता है।

जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा जनजातीय पहचान का जश्न मनाने, स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को प्रदर्शित करने और जनजातीय सशक्तिकरण के लिए सरकारी पहलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी मंच के रूप में कार्य करता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और माननीय केंद्रीय मंत्री श्री जुएल ओराम के नेतृत्व में यह समारोह जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण और समावेशन के माध्यम से विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

जैसे-जैसे समारोह जारी रहेंगे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सांस्कृतिक उत्सवों और प्रदर्शनियों से लेकर शैक्षणिक संगोष्ठियों और युवा कार्यक्रमों तक विविध कार्यक्रमों की मेजबानी करेंगे। इसका समापन 15 नवंबर 2025 को जनजातीय गौरव दिवस के भव्य आयोजन के साथ होगा।

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पीके/ केसी/ एसके/डीके


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