जल शक्ति मंत्रालय
                
                
                
                
                
                    
                    
                        पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने "जिला कलेक्टरों के पेयजल संवाद" का दूसरा संस्करण आयोजित किया
                    
                    
                        
यह जिला और पंचायत स्तर पर जल प्रशासन को मजबूत करने के लिए पहले संस्करण की गति पर आधारित है
दूसरा संस्करण स्रोत स्थिरता और नियामक तंत्र को मजबूत करने पर केंद्रित है
                    
                
                
                    Posted On:
                30 OCT 2025 3:38PM by PIB Delhi
                
                
                
                
                
                
                जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने 'जिला कलेक्टरों के पेयजल संवाद' के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। यह एक राष्ट्रीय संवाद है जिसका उद्देश्य स्थानीय शासन को मजबूत करने, स्रोत स्थिरता सुनिश्चित करने और जल जीवन मिशन (जेजेएम) के अंतर्गत  ग्रामीण जल सेवा वितरण में जवाबदेही बढ़ाने के लिए जिला नेतृत्व को सशक्त बनाना है।
यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक श्री कमल किशोर सोन ने की। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीणा नाइक, वरिष्ठ अधिकारियों, देश भर के जिला कलेक्टरों/जिला मजिस्ट्रेटों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मिशन निदेशकों और राज्य मिशन टीमों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुईं, जिसमें 800 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।


 
'जिला कलेक्टरों का पेयजल संवाद' श्रृंखला, जल जीवन मिशन के अंतर्गत स्थानीय शासन और विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन को सुदृढ़ करने के विभाग के सतत प्रयास का एक हिस्सा है। इसके पहले संस्करण (14 अक्टूबर, 2025) का ध्यान डिजिटल उपकरणों, जवाबदेही तंत्रों और सहकर्मी शिक्षण के माध्यम से जिलों और पंचायतों को सशक्त बनाने पर केंद्रित था। आज आयोजित दूसरे संस्करण ने इस संवाद को स्रोत स्थिरता की ओर अग्रसर किया, जिसमें डेटा-आधारित नियोजन, कानूनी सुरक्षा उपायों और मनरेगा के साथ तालमेल पर प्रकाश डाला गया ताकि ग्रामीण जल शासन का एक जिला-नेतृत्व वाला, समुदाय-आधारित मॉडल तैयार किया जा सके।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक ने मनरेगा और नियामक सुरक्षा उपायों पर आगे की रूपरेखा तैयार की
श्री कमल किशोर सोन ने अपने उद्घाटन भाषण में जिला कलेक्टरों के पेयजल संवाद के पहले संस्करण के बाद से निरंतर सक्रियता के लिए जिला कलेक्टरों/जिला मजिस्ट्रेटों की सराहना की। उन्होंने स्थानीय शासन, डिजिटल निगरानी और संस्थागत सुदृढ़ीकरण पर प्रमुख चर्चाओं को बेहतर परिणामों में बदलने के लिए जिलों की सराहना की।
उन्होंने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को मिशन के अगले चरण के लिए निम्नलिखित प्रमुख प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी दी:
	- स्रोत स्थिरता के लिए मनरेगा के साथ अभिसरण - जिलों से 23 सितंबर 2025 की राजपत्र अधिसूचना एसओ 4288 (ई) के साथ संरेखित करने का आग्रह किया गया, जिसमें पुनर्भरण, जल संचयन और स्रोत संरक्षण के लिए मनरेगा के अंतर्गत जल-संबंधी कार्यों पर समर्पित व्यय अनिवार्य किया गया है।
- ढ़ांचागत के संरक्षण के लिए नियामक तंत्र - विभाग के 27 अक्टूबर 2025 के हालिया संचार की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, उन्होंने संरक्षित पेयजल क्षेत्र स्थापित करने, गश्त और निरीक्षण प्रोटोकॉल लागू करने और सामुदायिक सतर्कता और रिपोर्टिंग के लिए ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अपर सचिव एवं मिशन निदेशक ने रेखांकित किया कि स्थायी सेवा वितरण डेटा-समर्थित निर्णय लेने, स्थानीय स्वामित्व और निवारक शासन पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर प्रमुख पदाधिकारी हैं और जल जीवन मिशन के अंतर्गत उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
स्रोत स्थिरता पर निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) का पायलट प्रोजेक्ट राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से फीडबैक के लिए प्रस्तुत किया गया
राष्ट्रीय जल जीवन के निदेशक श्री वाई.के. सिंह ने कहा कि जल जीवन मिशन के अगले चरण में जल स्रोतों की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि जहां इस मिशन ने 81.21 प्रतिशत  ग्रामीण घरों तक नल का जल पहुंचाया है, वहीं ग्रामीण पेयजल की लगभग 85 प्रतिशत मांग अभी भी भूजल पर निर्भर है (सीजीडब्ल्यूबी, 2024)। 'पेयजल' विषय पर दिसंबर 2023 में आयोजित तीसरे मुख्य सचिवों के सम्मेलन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, उन्होंने जल स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए की गई राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को याद किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि स्थायी जल स्रोत ही स्थायी नल कनेक्शनों की नींव हैं, और भारत में पानी का मामला वैज्ञानिक, आंकड़ों पर आधारित और समुदाय-आधारित होनी चाहिए।
 

 
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीना नाइक ने बीआईएसएजी-एन के सहयोग से विकसित एक डिजिटल नियोजन और निर्णय-निर्माण ढांचे के रूप में निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पेयजल स्रोतों की वैज्ञानिक योजना बनाने, उनका आकलन करने और उनकी सुरक्षा करने में सहायता करना है। निर्णय सहायता प्रणाली जल-भू-आकृति विज्ञान, जलवायु और स्थानिक डेटासेट को एकीकृत करके पुनर्भरण क्षेत्रों की पहचान करता है और भूजल की भेद्यता का आकलन करता है। यह जल-जमाव स्रोत स्थानों और सीजीडब्ल्यूबी-आधारित क्षेत्रीकरण के साथ जिला-स्तरीय मानचित्र प्रदर्शित करता है, कृत्रिम पुनर्भरण के लिए उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करता है और उपयुक्त संरचनाओं की सिफारिश करता है।

श्रीमती अंकिता चक्रवर्ती (डीएस-एनजेजेएम) ने डीएसएस पोर्टल का प्रदर्शन किया और बताया कि कैसे यह प्रणाली कृत्रिम जल पुनर्भरण आवश्यकता (एडब्ल्यूआरआर) विश्लेषण, निर्णय मैट्रिक्स और बहुस्तरीय स्थानिक मानचित्रण के माध्यम से एक वैज्ञानिक, डेटा-संचालित और जिला-आधारित दृष्टिकोण को सक्षम बनाती है। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे यह प्लेटफ़ॉर्म स्रोतों की जियो-टैगिंग, जिला स्रोत स्थिरता कार्य योजनाओं (डीएसएसएपी) की तैयारी और आरपीडब्ल्यूएसएस-आईएमआईएस के माध्यम से रीयल-टाइम ट्रैकिंग का समर्थन करता है, और व्यापक जल नियोजन के लिए पीएम गति शक्ति के साथ एकीकृत होता है।
निर्णय सहायता प्रणाली बुनियादी ढांचे के निर्माण से लेकर सेवा-प्रदायगी स्थिरता की ओर बदलाव का प्रतीक है, जो जिलों को भूजल पुनर्भरण, स्रोत संरक्षण और दीर्घकालिक कार्यक्षमता के लिए वैज्ञानिक ढांचा अपनाने में मदद करता है।
सर्वोत्तम प्रथाओं पर जिला प्रस्तुतियां
पांच डीसी/डीएम - श्री अविश्यंत पांडा, आईएएस (गढ़चिरौली, महाराष्ट्र), श्री अमरजीत सिंह, आईएएस (हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश), सुश्री शालिनी दुहान, आईएएस (डांग, गुजरात), श्री मिंगा शेरपा, आईएएस (बारामूला, जम्मू और कश्मीर), और श्री अजय नाथ झा, आईएएस (बोकारो, झारखंड) ने अपने क्षेत्र के अनुभव और नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।
	- गढ़चिरौली (महाराष्ट्र): पाइप जलापूर्ति योजनाओं और सौर ऊर्जा आधारित लघु जलापूर्ति योजनाओं के संयुक्त कार्यान्वयन के माध्यम से, जिले ने कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) कवरेज में प्रभावशाली वृद्धि - 8.37 प्रतिशत से 93 प्रतिशत तक हासिल की है। जिले ने अपना सौर दोहरे पंप वाला लघु जलापूर्ति मॉडल प्रस्तुत किया, जिसे दूरस्थ और नक्सल प्रभावित बस्तियों में निर्बाध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। दीर्घकालिक स्रोत स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, जिला एक हनीकॉम्ब प्रौद्योगिकी आधारित वर्षा जल संचयन प्रणाली की खोज कर रहा है, जो भूजल पुनर्भरण को बढ़ाएगा और साल भर पानी की उपलब्धता का समर्थन करेगा। महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के माध्यम से जल-गुणवत्ता परीक्षण में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे सामुदायिक स्वामित्व और स्थानीय निगरानी संभव हुई है। जिले ने कुवाकोडी गांव की सफलता की कहानी भी प्रस्तुत की

	- हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश): सभी 248 ग्राम पंचायतों में 'हर घर जल' की उपलब्धि प्रदर्शित हुई, जिसे जिला जल संसाधन प्रबंधन समितियों (डीडब्ल्यूएसएम) और प्रशिक्षित जल नल मित्रों के माध्यम से सशक्त जिला निगरानी का समर्थन प्राप्त हुआ। जिले की व्हाट्सएप-आधारित सामुदायिक निगरानी प्रणाली, त्रैमासिक कार्यात्मक सर्वेक्षण और महिला एफटीके परीक्षक निरंतर निगरानी और समय पर शिकायत निवारण सुनिश्चित करते हैं।
- डांग (गुजरात): मुख्यमंत्री महिला जल समिति प्रोत्साहन योजना के माध्यम से महिलाओं के नेतृत्व वाले जल प्रशासन पर प्रकाश डाला गया, जिससे संचालन एवं रखरखाव दक्षता और राजस्व संग्रह से जुड़े वित्तीय प्रोत्साहनों के साथ पानी समितियों में महिला नेतृत्व को बढ़ावा मिला। ज़िले ने 100 प्रतिशत एफएचटीसी कवरेज भी हासिल किया और कार्यात्मक प्रबंधन के लिए मनरेगा और डबल्यूएएसएमओ के सामुदायिक मॉडलों के साथ अभिसरण का प्रदर्शन किया।

 
	- बारामूला (जम्मू और कश्मीर): एक आकांक्षी ज़िला, बारामूला ने टैंकरों से पानी प्राप्त करने वाले गाँवों से लेकर जल-सुरक्षित समुदायों तक, ज़िले के परिवर्तन को दर्शाया है। 6,600 किलोमीटर लंबे पाइप नेटवर्क, 228 फ़िल्टरेशन प्लांट और 391 सेवा जलाशयों के साथ, बारामूला अब जम्मू-कश्मीर में सबसे ज़्यादा एफएचटीसी और हर घर जल प्रमाणपत्रों वाला ज़िला है।
जीआई पाइपों की कमी और दुर्गम भूभाग जैसी चुनौतियों के बावजूद, ज़िले ने वास्तविक समय की निगरानी, तृतीय पक्ष निरीक्षण (टीपीआईए) और आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एफआरपी ओवरहेड टैंकों के उपयोग के माध्यम से निरंतर प्रगति सुनिश्चित की। 60 करोड़ रुपये की परिहासपोरा बहु-ग्राम जलापूर्ति योजना, जो 35 गांवों और 75,000 लोगों को सेवा प्रदान करती है, अब 2 एमजीडी रैपिड सैंड फ़िल्ट्रेशन प्लांट के माध्यम से बीआईएस-मानक जल प्रदान करती है। मज़बूत संस्थागत तंत्र, स्थानीय समन्वय और विभागों के बीच तालमेल के साथ, बारामूला भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में से एक में सेवा वितरण, स्रोत स्थिरता और सामुदायिक विश्वास को मज़बूत कर रहा है।
बारामुल्ला ने पट्टन क्षेत्र का एक वीडियो भी प्रस्तुत किया , जिसमें दिखाया गया कि किस प्रकार जल जीवन मिशन ने घरों में सहजता, सम्मान और आशा लाकर, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के दैनिक जीवन में सुधार किया है ।
	- बोकारो (झारखंड): बोकारो ने यह दर्शाया है कि कैसे जल जीवन मिशन महिला सशक्तिकरण और सतत सेवा वितरण के लिए उत्प्रेरक बन गया है। छह प्रमुख नदियों से प्राप्त जल संसाधनों के आधार पर , यह ज़िला सतही जल-आधारित योजनाओं के माध्यम से जल आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जिसे एक मज़बूत संचालन एवं रखरखाव ढांचे द्वारा संपूरित किया जाता है। जल सहियासों - संचालन, रखरखाव, जल परीक्षण और वित्तीय प्रबंधन में प्रशिक्षित महिलाओं - की अवधारणा ने सामुदायिक स्वामित्व और पारदर्शिता को मज़बूत किया है। ई-जल कर पोर्टल ने बिलिंग और निगरानी को सक्षम बनाया है। जिला जल सहियासों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित करने हेतु जल जीवन सम्मान भी शुरू कर रहा है।
विभाग ने जिलों द्वारा प्रदर्शित नवीन दृष्टिकोणों की सराहना की तथा कहा कि ये मॉडल सामुदायिक भागीदारी, प्रौद्योगिकी एकीकरण और विकेन्द्रीकृत शासन के सार को मूर्त रूप देते हैं - जो सतत ग्रामीण जल आपूर्ति प्रबंधन के प्रमुख स्तंभ हैं।

जिला कलक्टर पेयजल संवाद के बारे में
डीडीडब्ल्यूएस द्वारा शुरू की गई जिला कलेक्टरों की पेयजल संवाद श्रृंखला, जल जीवन मिशन को लागू करने वाले जिला कलेक्टरों और क्षेत्रीय पदाधिकारियों के लिए एक राष्ट्रीय ज्ञान-साझाकरण और सहकर्मी-शिक्षण मंच के रूप में कार्य करती है। यह संवाद व्यावहारिक अंतर्दृष्टि के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है, पारस्परिक शिक्षा को बढ़ावा देता है, और ग्रामीण भारत में दीर्घकालिक जल सुरक्षा और सेवा वितरण स्थिरता प्राप्त करने की दिशा में गति प्रदान करता है।
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पीके/केसी/एचएन/एनजे 
                
                
                
                
                
                (Release ID: 2184200)
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