रेल मंत्रालय
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आरपीएफ, एनडीआरएफ और आईआरआईडीएम ने रेलवे आपदा प्रतिक्रिया को मज़बूत करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, इस साझेदारी से जीवन रक्षक समय पर समन्वित राहत प्रयासों के लिए रूपरेखा तैयार होगी


रेल के डिब्बों से तेज़ी से पहुँच, प्राथमिकता निर्धारण और निकासी के लिए अभ्यास और प्रोटोकॉल को और बेहतर किया जाएगा

राष्ट्रीय रेलवे आपदा तैयारी को बेहतर बनाने और तेज़, सुरक्षित तथा समन्वित राहत देने के लिए एक मापयोग्य, दोबारा दोहराने योग्य व्यवस्था का संचालन होगा

रेलवे बचाव कार्यों में संयुक्त अभ्यास, साझा जाँच सूची और सामान्य रेडियो शिष्टाचार के ज़रिए एजेंसियाँ एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करेंगी

Posted On: 06 OCT 2025 8:38PM by PIB Delhi

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और भारतीय रेलवे आपदा प्रबंधन संस्थान (आईआरआईडीएम), बेंगलुरु के बीच आज नई दिल्ली के रेल भवन में एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह साझेदारी रेलवे दुर्घटना के मामलों को ध्यान में रखते हुए, एकीकृत राहत कार्यों और क्षमता निर्माण के लिए एक बेहतर संस्थागत ढांचा तैयार करती है, जिसमें गोल्डन ऑवर के दौरान लोगों की जान बचाने पर खास जोर दिया जाता है। इस एमओयू पर श्री बी. वी. राव, आईजी (प्रशिक्षण), आरपीएफ, श्री नरेंद्र सिंह बुंदेला, आईजी, एनडीआरएफ और श्री श्रीनिवास, निदेशक, आईआरआईडीएम ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान श्री आर. राजगोपाल, सदस्य (ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक), रेलवे बोर्ड (एमटीआरएस), सुश्री अरुणा नायर, महानिदेशक/मानव संसाधन, श्री पीयूष आनंद, महानिदेशक/एनडीआरएफ, सुश्री सोनाली मिश्रा, डीजी/आरपीएफ तथा एनडीआरएफ और आरपीएफ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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रेलवे सुरक्षा बल की महानिदेशक सुश्री सोनाली मिश्रा ने कहा कि सभी हितधारकों के बीच प्रभावी सहयोग और समन्वय होना चाहिए और इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जानी चाहिए।

अपने संबोधन में, रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रैक्शन एवं रोलिंग स्टॉक) श्री आर. राजगोपाल ने ज़ोर देते हुए कहा कि मानव निर्मित आपदाओं के अलावा, चक्रवात, मूसलाधार बारिश और लू जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने बचाव और राहत कार्यों से जुड़े क्षमता निर्माण में जगजीवन राम आरपीएफ अकादमी (जेआरआरपीएफए) और आईआरआईडीएम की पहल की सराहना की, जिसमें गोल्डन ऑवर पर खास ध्यान दिया गया।

अपने संबोधन में, एनडीआरएफ के महानिदेशक श्री पीयूष आनंद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आपदाओं के प्रभावों को कम करने में शामिल सभी एजेंसियों को एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। इसके साथ ही रेलवे की अन्य एजेंसियों को भी क्षमता निर्माण के प्रयासों में शामिल किया जाना चाहिए।

यह साझेदारी राष्ट्रीय रेलवे आपदा तैयारी को बढ़ाने के लिए एक मापयोग्य, दोहराए जाने योग्य व्यवस्था को तैयार करता है, ताकि ऐसे वक्त में जब हर मिनट अहमियत रखता हो, यात्रियों और कर्मचारियों को तेज़, सुरक्षित और अधिक समन्वित मदद प्रदान की जा सके।

मुख्य विशेषताएँ

  • गोल्डन-ऑवर बचाव परिणामों पर मुख्य ध्यान: प्रत्येक अभ्यास और प्रोटोकॉल का मकसद डिब्बों से तेज़ी से पहुँच, प्राथमिकता निर्धारण और निकासी के लिए महत्वपूर्ण मिनटों को कम करना है।
  • रेलवे-विशिष्ट प्रथम प्रतिक्रिया: आरपीएफ अधिक कुशल, डिब्बा और ट्रैक-आधारित क्षमताएँ, खासकर सीमित-स्थान पर बचाव, का निर्माण करेगा, ताकि घटनास्थल पर सबसे पहली की जाने वाली कार्रवाई सही हो।
  • मानक, साझा डिब्बा-निष्कासन मानक संचालन प्रक्रियाएँ: आईआरआईडीएम प्रवेश क्रम, स्थिरीकरण, कटिंग योजनाएँ, रोगी पैकेजिंग और हैंडओवर को निर्देशित करेगा।
  • डिज़ाइन द्वारा अंतर-संचालनीयता: समान रेडियो शिष्टाचार, साझा जाँच-सूचियाँ और घटना स्थल पर संयुक्त समन्वित अभ्यास यह सुनिश्चित करते हैं, कि एजेंसियाँ बचाव और राहत कार्यों के दौरान एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करें।
  • एक प्रगतिशील, त्रि-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम: जेआरआरपीएफए ​​(मॉड्यूल ए) में आधारभूत प्रशिक्षण, नामित एनडीआरएफ बटालियनों में क्षेत्र संवेदीकरण (मॉड्यूल बी), और आईआरआईडीएम (मॉड्यूल सी) में संयुक्त उन्नत, सिमुलेशन-आधारित मॉड्यूल दोहराए जाने योग्य, मापनीय दक्षताएँ निर्मित करते हैं।

समझौता ज्ञापन में सभी की भूमिकाएँ साफ तौर पर निर्धारित की गई हैं—जेआरआरपीएफए ​​नोडल केंद्र के रूप में, एनडीआरएफ बटालियन-स्तरीय संवेदीकरण की मेजबानी करेगा और आईआरआईडीएम के संयुक्त पाठ्यक्रमों में शामिल होगा, और आईआरआईडीएम उन्नत, परिदृश्य-आधारित पाठ्यक्रमों का डिज़ाइन, अपडेशन और दस्तावेज़ीकरण करेगा। यह ढाँचा सभी क्षेत्रीय रेलवे में लागू किया जा सकता है और इसे आने वाले सालों में समीक्षा और निरंतर सुधार के लिए तैयार किया गया है।

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पीके/केसी/एनएस


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