वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
पीएम गतिशक्ति पहल के तहत नेटवर्क योजना समूह की 99वीं बैठक में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया
तीन रेल और एक सड़क/राजमार्ग सहित चार परियोजनाओं का एकीकृत मल्टीमॉडल अवसंरचना और सामाजिक-आर्थिक हितों के साथ इसके जुड़ाव को लेकर मूल्यांकन किया गया
Posted On:
03 SEP 2025 6:34PM by PIB Delhi
आज सड़क, परिवहन और राजमार्ग की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मूल्यांकन के लिए नेटवर्क योजना समूह (एनपीजी) की 99वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टरप्लान (पीएमजीएस एनएमपी) के अनुरूप मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
एनपीजी ने 4 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया। इसमें सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की एक सड़क/राजमार्ग परियोजना और रेल मंत्रालय (एमओआर) की 3 रेल परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें 2 ब्राउनफील्ड, एक ग्रीनफील्ड और एक ग्रीनफील्ड + ब्राउनफील्ड परियोजनाएं शामिल हैं। यह मूल्यांकन पीएम गतिशक्ति सिद्धांतों के अनुरूपता सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। इसमें एकीकृत मल्टीमॉडल अवसंरचना, आर्थिक और सामाजिक सम्मति (नोड्स) के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी और ‘संपूर्ण सरकार’ की परिकल्पना शामिल हैं। इन उपायों से लॉजिस्टिक्स क्षमता में वृद्धि, यात्रा समय में कमी और परियोजनाओं द्वारा कवर किए गए क्षेत्रों को महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक सुविधाएं मिलने की उम्मीद है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव (लॉजिस्टिक्स) श्री पंकज कुमार ने बैठक की अध्यक्षता की। इन परियोजनाओं का मूल्यांकन और अनुमानित प्रभाव नीचे दिए गए हैं:
रेल मंत्रालय (एमओआर)
बारामूला से उरी तक नई ब्रॉड गेज (बीजी) लाइन: रेल मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर में बारामूला और उरी के बीच पांच मौजूदा स्टेशनों को जोड़ते हुए 40.2 किलोमीटर की नई रेलवे लाइन के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। यह परियोजना सभी मौसमों के लिए विश्वसनीय रेल संपर्क उपलब्ध कराएगी। साथ प्रतिकूल मौसम के दौरान सड़क यात्रा में बार-बार आने वाली बाधाओं को दूर करेगी। नियंत्रण रेखा के निकट कमान पोस्ट पर स्थित उरी पहले से ही एक सीमा पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। नई रेलवे लाइन के बनने से क्षेत्र में पर्यटन को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बारामूला और उरी तहसील में भारतीय सेना के प्रमुख प्रतिष्ठान स्थित हैं और ये दोनों सीमा के नजदीक स्थित हैं। प्रस्तावित रेलवे लाइन में 3 रोड अंडरब्रिज (आरयूबी) और 9 रोड ओवरब्रिज (आरओबी) शामिल होंगे और इसे एक नई एकल ब्रॉड-गेज लाइन के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए नए सिरे से भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी।
काजीगुंड से बड़गाम तक दोहरीकरण: रेल मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर में 73.50 किलोमीटर लंबे काजीगुंड-बडगाम रेलवे लाइन के दोहरीकरण का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में, काजीगुंड-बारामूला लाइन एकल ट्रैक के रूप में संचालित होती है। 2025 में कटरा-बनिहाल खंड के चालू होने के साथ यह गलियारा भारतीय रेलवे नेटवर्क के साथ पूरी तरह से एकीकृत हो जाएगा। इससे यात्री और माल यातायात के क्षेत्र में अपार संभावनाएं खुलेंगी। दोहरीकरण परियोजना सामरिक महत्व की है, जिससे सेना के जवानों, उपकरणों और सामान को ले जाने वाली सैन्य विशेष रेलगाड़ियों की निर्बाध आवाजाही संभव होगी। ऐसे में इसे पहाड़ी और रणनीतिक गलियारे के तहत नामित किया गया है।
मुख्य आकर्षण:
(ए) 10 स्टेशन (9 क्रॉसिंग स्टेशन और 1 हॉल्ट), जो सभी जम्मू और कश्मीर में मौजूद हैं को कवर किया जाएगा।
(बी) नई लाइन मौजूदा लाइन के समानांतर चलेगी।
(सी) दोहरीकरण से क्षमता बढ़ेगी, समय कम लगेगा और घाटी में कनेक्टिविटी मजबूत होगी।
यह परियोजना पर्यटन और स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगी, साथ ही रक्षा जरूरतों के लिए तीव्र, सुरक्षित और विश्वसनीय रसद सुनिश्चित करेगी। यह प्रस्ताव जम्मू और कश्मीर में एक आत्मनिर्भर और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रेलवे नेटवर्क के निर्माण की दिशा में एक और कदम है।
अंबाला-जालंधर के बीच प्रस्तावित तीसरी और चौथी लाइन: रेल मंत्रालय ने लुधियाना-जालंधर कैंट के बीच तीसरी लाइन और अंबाला कैंट-साहनेवाल के बीच चौथी लाइन के विकास का प्रस्ताव दिया है, जो ब्रॉड गेज (1676 मिमी) पर 138 किमी को कवर करेगी। यह मार्ग पंजाब के प्रमुख जिलों (पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना, कपूरथला, जालंधर) और हरियाणा के अंबाला जिले से होकर गुजरता है। इस परियोजना से यात्रा का समय कम होगा, भीड़भाड़ कम होगी तथा यात्री एवं मालगाड़ियों दोनों की क्षमता बढ़ेगी। यह अंबाला कैंट, पटियाला, लुधियाना, कपूरथला और जालंधर सहित 21 स्टेशनों को कवर करेगा और इसमें सुरक्षित और सुचारू संचालन के लिए 44 रोड अंडरब्रिज (आरयूबी) और एक रोड ओवरब्रिज (आरओबी) शामिल होंगे। यह खंड अंबाला-लुधियाना-जालंधर-अमृतसर कॉरिडोर का हिस्सा है, जो वर्तमान में प्रतिदिन प्रत्येक दिशा में लगभग 92 ट्रेनों का संचालन करता है। अतिरिक्त लाइनें महत्वपूर्ण क्षमता वृद्धि प्रदान करेंगी, जिससे क्षेत्र में कृषि, व्यापार, पर्यटन और उद्योग को लाभ होगा। रणनीतिक दृष्टि से, यह परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए असाधारण महत्व रखती है, क्योंकि यह गलियारा जम्मू और कश्मीर के लिए सबसे छोटा और सबसे महत्वपूर्ण रेल संपर्क है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा कर्मियों, रसद और सामान की तेजी से आवाजाही संभव हो सकेगी।
सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच)
खगड़िया से पूर्णिया तक 4-लेन (दो-दो लेन दोनों ओर) कैरिजवे का निर्माण: सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बिहार में खगड़िया से पूर्णिया के बीच मौजूदा दो-लेन को चार-लेन विभाजित कैरिजवे में अपग्रेड करने का प्रस्ताव दिया है। यह सड़क एनएच-31 (किमी 270.0-384.200) और एनएच-231 (किमी 384.200-410.0) के हिस्से को कवर करेगी। NH-31 भारत के प्रमुख राजमार्गों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश में उन्नाव के पास से शुरू होता है और पश्चिम बंगाल के पांडुआ में समाप्त होता है। इस बीच यह वाराणसी, गाजीपुर, छपरा, पटना, बेगुसराय, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार जैसे प्रमुख शहरों से होकर गुजरता है। यह मार्ग सीमांचल क्षेत्र के खगड़िया और कटिहार जैसे दूरदराज के जिलों को पटना और अन्य महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों से जोड़ेगा, जिससे अविकसित क्षेत्रों के लोगों को नौकरियों, बाजारों, स्वास्थ्य सेवा और सेवाओं तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित होगी। इससे हाशिये पर पड़े समाज को राज्य के आर्थिक केंद्रों से जोड़कर समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं:
5 प्रमुख पुल, 6 छोटे पुल, 4 रेलवे क्रॉसिंग/आरओबी, 2 टोल प्लाजा, 4 जगहों पर ट्रकों के ठहरने का प्रबंध।
कनेक्टिविटी सुविधाएं
(ए) पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे से सीधा संपर्क (एनएच-27 के माध्यम से)।
(बी) खगड़िया, भागलपुर, कटिहार और पूर्णिया रेलवे स्टेशनों तक आसान पहुंच।
(सी) पूर्णिया हवाई अड्डे के लिए बेहतर संपर्क (एनएच-231 और एनएच-27 के माध्यम से)।
पूरा हो जाने के बाद यह राजमार्ग तेजी से और सुरक्षित यात्रा उपलब्ध कराएगा, यात्रा समय को कम करेगा तथा माल एवं यात्रियों की आवाजाही में सुधार करेगा। इससे सीमांचल क्षेत्र में क्षेत्रीय व्यापार, कृषि, पर्यटन और समग्र विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
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पीके/केसी/आरकेजे
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