लोकसभा सचिवालय
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अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सशक्तिकरण के लिए केन्द्र और राज्य के बीच तालमेल महत्वपूर्ण: लोकसभा अध्यक्ष


प्रत्येक राज्य विधानसभा में स्पष्ट मकसद से की जाने वाली कार्रवाई के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण समितियाँ गठित की जानी चाहिए: लोकसभा अध्यक्ष

शिक्षा और प्रौद्योगिकी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के युवाओं के भविष्य के सशक्तिकरण के प्रमुख चालक हैं: लोकसभा अध्यक्ष

समिति की सिफारिशों को रचनात्मक मार्गदर्शन के रूप में देखा जाना चाहिए, आलोचना के रूप में नहीं: लोकसभा अध्यक्ष

 “भुवनेश्वर एजेंडा 2025” 2047 तक समतामूलक और समावेशी समाज के लिए रोडमैप का काम करेगा: लोकसभा अध्यक्ष

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण पर संसद और राज्य विधानमंडलों की समितियों के अध्यक्षों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न

Posted On: 30 AUG 2025 5:38PM by PIB Delhi

लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज इस बात पर ज़ोर दिया कि केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि कल्याणकारी योजनाएँ समाज के अंतिम व्यक्ति, विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों तक पहुँच सकें। उन्होंने कहा कि ऐसे समन्वित प्रयासों से ही विकास और प्रगति का सच्चा लाभ मिल सकता है। उन्होंने प्रत्येक राज्य विधानसभा द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए समर्पित समितियों के गठन की तत्काल आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि इन समुदायों से संबंधित मुद्दों पर स्पष्ट और निरंतर ध्यान दिया जा सके। श्री बिरला ने आज भुवनेश्वर में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण पर संसद और राज्य विधानमंडलों की समितियों के अध्यक्षों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि संसद में पहले से ही कल्याणकारी उपायों की सक्रिय निगरानी के लिए इस तरह की समितियाँ हैं, लेकिन कुछ राज्यों में ऐसी संस्थागत व्यवस्थाओं का अभाव जमीनी स्तर पर निगरानी की प्रभावशीलता को सीमित करता है। श्री बिरला ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी समितियाँ न केवल नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन की नियमित समीक्षा को सुगम बनाएँगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगी कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों की चिंताओं का समयबद्ध तरीके से समाधान किया जाए। उन्होंने राज्य विधानमंडलों से इन समितियों के गठन में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया, जिससे जवाबदेही ढाँचे को मज़बूत किया जा सके और कल्याणकारी पहलों को लोगों के और करीब लाया जा सके।

उन्होंने कहा कि भारत ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को मज़बूत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुधार किए हैं कि वे वर्तमान आकांक्षाओं के अनुरूप हों। उन्होंने कहा कि समितियाँ बजटीय प्रावधानों की सूक्ष्मता से जाँच करके, कल्याणकारी योजनाओं के प्रदर्शन की समीक्षा करके और सुधार सुझाकर इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह विस्तृत जाँच न केवल शासन में पारदर्शिता बढ़ाती है, बल्कि जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही भी सुनिश्चित करती है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि उनकी रचनात्मक सिफारिशें अक्सर सरकारों को अधिकारों का पुनर्मूल्यांकन करने, उनके अनुरूप योजनाएँ बनाने और नीतियों को सुव्यवस्थित करने में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं ताकि वे वंचित समुदायों की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सकें। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सम्मेलन के दौरान गहन चर्चाओं के माध्यम से, प्रतिभागियों ने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि संवैधानिक प्रावधानों, बजटीय आवंटन और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों तक कैसे पहुँचाया जा सकता है, जिससे वे वास्तव में सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकें।

श्री बिरला ने कहा कि इस तरह के रोडमैप में विकास के सभी पहलुओं—सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक—को शामिल किया जाना चाहिए ताकि वर्ष 2047 तक भारत बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के स्वप्न, एक समतामूलक, न्यायसंगत और समावेशी समाज, को साकार कर सके। उन्होंने कहा कि यह केवल एक आकांक्षा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दायित्व है और आशा व्यक्त की कि राज्य और राष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर समितियाँ इस मिशन के केन्द्र में रहेंगी।

उन्होंने दोहराया कि इन समितियों से प्राप्त सिफारिशों को आलोचना के बजाय, सुधार के लिए रचनात्मक मार्गदर्शन के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सरकारें और समितियाँ इसी भावना से मिलकर काम करती हैं, तो परिणाम हमेशा अधिक स्थायी और प्रभावी होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा और प्रौद्योगिकी अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सशक्तिकरण के प्रेरक हैं, और इन साधनों का उपयोग समुदायों और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए करने का आह्वान किया।

श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि "भुवनेश्वर एजेंडा 2025" आने वाले वर्षों में संसद और राज्य विधानमंडलों के कार्यों का मार्गदर्शन करते हुए, कार्ययोजना के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद और बाबासाहेब आंबेडकर के स्वप्न के साथ, भारत 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण की ओर आत्मविश्वास से आगे बढ़ेगा, जहाँ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का प्रत्येक सदस्य सम्मान, समानता और न्याय के साथ रहेगा।

इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति; ओडिशा सरकार की उपमुख्यमंत्री श्रीमती प्रवती परिदा; ओडिशा विधानसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुरमा पाढ़ी; अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष श्री फग्गन सिंह कुलस्ते; और राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने भी गणमान्य लोगों को संबोधित किया।

ओडिशा सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, संसदीय कार्य, तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. मुकेश महालिंग ने स्वागत भाषण दिया तथा ओडिशा विधानसभा की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री भास्कर मधेई ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

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पीके/केसी/केपी/डीए


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