उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 10 राज्यों के साथ मिलकर जुलाई 2025 तक उपभोक्ता मामलों के 100 प्रतिशत से अधिक निपटान की दर हासिल की
एनआरआई सहित दो लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं ने ई-जागृति प्लेटफॉर्म के शुरू होने के बाद से पंजीकरण कराया है
अकेले इस वर्ष ई-जागृति पर 85,531 मामले दर्ज किए गए हैं
Posted On:
17 AUG 2025 9:36AM by PIB Delhi
देश में उपभोक्ता शिकायत निवारण की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के साथ दस राज्यों ने जुलाई 2025 में 100 प्रतिशत से अधिक की निपटान दर दर्ज की। यह दर्शाता है कि इस अवधि के दौरान निपटाए गए मामलों की संख्या दर्ज मामलों की संख्या से अधिक थी।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, एनसीडीआरसी ने 122 प्रतिशत की निपटान दर हासिल की, जबकि तमिलनाडु में 277 प्रतिशत, राजस्थान में 214 प्रतिशत, तेलंगाना में 158 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 150 प्रतिशत, मेघालय में 140 प्रतिशत, केरल में 122 प्रतिशत, पुद्दुचेरी में 111 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 108 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 101 प्रतिशत की निपटान दर दर्ज की गई।
1 जुलाई से 31 जुलाई 2025 तक की अवधि के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि देश भर में उपभोक्ता मामलों का समग्र निपटान 2024 की इसी अवधि की तुलना में बहुत अधिक है। यह उपभोक्ता विवादों के समय पर और प्रभावी समाधान की दिशा में निरंतर प्रयासों को दर्शाता है।
इस उपलब्धि के अलावा, 6 अगस्त 2025 तक, एनआरआई सहित दो लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं ने ई-जागृति प्लेटफॉर्म पर इसके शुभारंभ के बाद से पंजीकरण कराया है और अकेले इस वर्ष इसके माध्यम से 85,531 मामले दर्ज किए गए हैं।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामले विभाग ने देश भर में उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रिया में बदलाव लाने हेतु एक अगली पीढ़ी के एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में 1 जनवरी, 2025 को ई-जागृति की शुरुआत की। सुगमता, पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया यह प्लेटफॉर्म ओसीएमएस, ई-दाखिल, एनसीडीआरसी सीएमएस और कॉन्फोनेट पोर्टल जैसी पुरानी प्रणालियों को एक सहज इंटरफेस में एकीकृत करता है। जिससे उपयोगकर्ताओं को अलग-अलग स्थानों पर अपनी शिकायत दर्ज नहीं करवानी पड़ती है।
अब एनसीडीआरसी और सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में परिचालनरत, ई-जागृति उपभोक्ताओं और अधिवक्ताओं को ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण के माध्यम से पंजीकरण करने, भारत या विदेश में कहीं से भी शिकायत दर्ज करने, ऑनलाइन या ऑफलाइन शुल्क का भुगतान करने और वास्तविक समय में मामले की प्रगति को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है।
ई-जागृति अपने समावेशी, नागरिक-केंद्रित डिजाइन के लिए जाना जाता है जो डिजिटल रूप से मामला दर्ज करने, दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने, वर्चुअल सुनवाई करने, वास्तविक समय पर एसएमएस करने और ईमेल करने, बहुभाषी सहायता, चैटबॉट सहायता और दृष्टिबाधित और बुजुर्ग उपयोगकर्ताओं के लिए वॉइस-टू-टेक्स्ट सुविधाएं प्रदान करता है। यह अधिवक्ताओं को मामलों पर नजर रखने, सुनवाई के अलर्ट प्राप्त करने, दस्तावेज अपलोड करने और बार काउंसिल एकीकरण के माध्यम से प्रमाण-पत्र सत्यापित करने के लिए समर्पित मॉड्यूल प्रदान करता है जबकि न्यायाधीशों को तेज, दूरस्थ सुनवाई के लिए पूरी डिजिटल केस फाइलों, स्मार्ट कोर्ट कैलेंडर, विशलेषणात्मक डैशबोर्ड और आभासी न्यायालय तक सुरक्षित पहुंच प्राप्त होती है जिससे भौतिक बुनियादी ढांचे पर निर्भरता कम होती है।
ई-जागृति, निर्बाध शुल्क लेनदेन के लिए भारत कोष और पे गॅव भुगतान गेटवे को एकीकृत करता है, भूमिका-आधारित अनुमतियों और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के माध्यम से सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करता है, और कार्य को पूरी तरह से डिजिटल बनाकर कागज और यात्रा पर निर्भरता कम करता है। यह न केवल उपभोक्ता आयोगों की दक्षता को बढ़ाता है और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देता है बल्कि तेज और अधिक समावेशी उपभोक्ता न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। उपभोक्ता मामले विभाग देश भर के नागरिकों से इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपने अधिकारों का आसानी और पारदर्शिता से दावा करने का आग्रह करता है।
ई-जागृति पोर्टल की सफलता की कुछ कहानियां नीचे दी गई हैं:
तमिलनाडु
मामला 1: उपभोक्ता को खराब टेलीविजन के लिए 14,429 रुपये लौटाए गए
आयोग: धर्मपुरी (तमिलनाडु)
मामले की अवधि: दाखिल करने की तिथि: 10-03-2025
निर्णय की तिथि: 29-05-2025
मामला निपटाया गया: 80 दिन में
एक उपभोक्ता जिसने एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से टेलीविजन खरीदा था उसने काली रेखा और बेमेल सीरियल नंबर वाले खराब टेलीविजन के लिए धनवापसी की मांग की। आयोग ने पाया कि निर्माता सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार है और उसने 14,249 रुपये (प्रतिदाय के रूप में), 5,000 रुपये (मानसिक पीड़ा के लिए) और 10,000 रुपये (मुकदमेबाजी के खर्च के लिए) का भुगतान करने का आदेश दिया।
मामला 2: उपभोक्ता को नीट की कोचिंग के लिए भुगतान किए गए 99,500 रुपये, 9 प्रतिशत ब्याज सहित, 500,000 रुपये मुआवजे और 10,000 रुपये मुकदमेबाजी की लागत के रूप में वापस किए गए।
आयोग: तंजावुर (तमिलनाडु)
मामले की अवधि: दाखिल करने की तिथि: 09-02-2025
निर्णय की तिथि: 29-04-2025
मामला निपटाया गया: 79 दिन में
एक उपभोक्ता ने 99,500 रुपये (नीट की कोचिंग के लिए भुगतान किए गए) की वापसी के साथ मानसिक पीड़ा के लिए 500,000 रुपये का मुआवजा और 10,000 रुपये मुकदमेबाजी खर्च की मांग की। उपभोक्ता की बेटियां अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण कोचिंग संस्थान में दाखिला नहीं ले सकी। आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए दूसरे पक्ष को 99,500 रुपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित, 500,000 रुपये मुआवजे के और 10,000 रुपये मुकदमेबाजी खर्च की राशि वापस करने का आदेश दिया।
पंजाब
उपभोक्ता को खराब टाइलों की खरीद जिसके कारण संरचनात्मक समस्याएं उत्पन्न हुईं उसके लिए पूरी राशि लौटाई गई।
आयोग: बरनाला (पंजाब)
मामले का विवरण: दाखिल करने की तिथि: 02-01-2025
निर्णय की तिथि: 23-05-2025
मामला निपटाया गया: 141 दिन में
उपभोक्ता ने खराब टाइलें खरीदीं जिससे संरचनात्मक समस्याएं उत्पन्न हुईं। उसने 4.5 लाख रुपये (टाइल के लिए 3.09 लाख रुपये + लगाने/मुआवजे के लिए 1.41 लाख रुपये) का दावा किया। आयोग ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और 3.09 लाख रुपये (टाइल की लागत) + 10,000 रुपये (मानसिक पीड़ा) + 5,000 रुपये (मुकदमा खर्च) 7 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। आयोग ने आदेश देते समय विशेषज्ञों के साक्ष्य पर भरोसा किया जिसमें निर्माण दोषों की पुष्टि हुई और विरोधी पक्ष साक्ष्यों का खंडन करने में विफल रहे।
हरियाणा
उपभोक्ता को खराब डिशवॉशर के लिए धन वापस मिला
आयोग: रेवाड़ी (हरियाणा)
मामले की अवधि: दाखिल करने की तिथि: 13-02-2025
निर्णय की तिथि: 24-04-2025
मामला निपटाया गया: 70 दिन में
उपभोक्ता ने एक प्रतिष्ठित ब्रांड का खराब डिशवॉशर 48,000 रुपये (मूल राशि) में खरीदा और एएमसी के लिए 13,097 रुपये का भुगतान किया। विक्रेता समस्या का समाधान करने में विफल रहा जिसके कारण शिकायत दर्ज की गई। अदालत ने डिशवॉशर बदलने या 48,000 रुपये + एएमसी के 13,097 रुपये की वापसी, और उत्पीड़न के लिए 25,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
गुजरात
एक बीमा कंपनी द्वारा मेडिक्लेम दावे को अस्वीकार करने पर उपभोक्ता को उत्पीड़न और मुकदमेबाजी की लागत के लिए 7 प्रतिशत ब्याज सहित पूरी राशि लौटाई गई।
आयोग: अहमदाबाद (गुजरात)
मामले की अवधि: दाखिल करने की तिथि: 17-06-2025
निर्णय की तिथि: 17-07-2025
मामला निपटाया गया: 30 दिन में
शिकायतकर्ता को एक बीमा कंपनी ने मेडिक्लेम का दावा देने से मना कर दिया था। आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी द्वारा की गई 35,496 रुपये की कटौती मनमानी थी और उसने पूरी राशि की प्रतिपूर्ति, 7 प्रतिशत ब्याज और उत्पीड़न एवं मुकदमेबाजी प्रत्येक की लागत के लिए 2,000 रुपये देने का आदेश दिया।



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(Release ID: 2157267)