स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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एफएसएसएआई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हितधारक परामर्श में भारत में पारदर्शी और उत्तरदायी खाद्य सूचना पत्र लगाने के लिए रूपरेखा तैयार की गई; खाद्य सूचना पत्र लगाने और विज्ञापन में विश्वास तथा उत्तरदायित्व पर बल दिया गया


यह परामर्श वर्तमान नियमों की समीक्षा करता है, कार्यान्वयन चुनौतियों का समाधान करता है और उपभोक्ता संरक्षण, जन स्वास्थ्य तथा खाद्य उद्योग में नवाचार बढ़ाने के लिए वैश्विक मानकों के साथ संरेखण का प्रयास करता है

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने उभरते खाद्य क्षेत्र में नैतिक और सही सूचना पत्र तथा विज्ञापन की आवश्यकता पर बल दिया; सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, खाद्य उत्पादों की बारीकी से जाँच करने तथा ऐसे महत्वपूर्ण परामर्श आयोजित करने का आग्रह किया

खाद्य सूचना पत्र केवल एक विपणन उपकरण नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे उत्पादक और उपभोक्ता के बीच विश्वास का सबसे आवश्यक कारक भी माना जाना चाहिए, हम खाद्य उत्पाद में शामिल सभी चीज़ों की सही और ईमानदार घोषणा चाहते हैं और अंतिम निर्णय उपभोक्ता पर छोड़ दिया जाना चाहिए: श्रीमती निधि खरे

श्री संजीव सान्याल ने विज्ञापनों में वैज्ञानिक दावों के बाहरी सत्यापन की आवश्यकता पर बल दिया; सूचना पत्र उद्योग के लिए अनिश्चितता को कम करने के लिए सूचना पत्र में सभी परिवर्तनों को वर्ष में एक बार लागू करने के एफएसएसएआई के निर्णय की प्रशंसा की

Posted On: 13 AUG 2025 5:51PM by PIB Delhi

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आज नई दिल्ली में विज्ञान भवन में खाद्य सूचना पत्र, विज्ञापन और दावों पर भारत के नियामक ढांचे को मज़बूत करने के एक मज़बूत प्रयास के अंतर्गत, 'खाद्य सूचना पत्र, विज्ञापन और दावों पर नियामक ढांचे का व्यापक विश्लेषण' विषय पर राष्ट्रीय हितधारक परामर्श का आयोजन किया। इस परामर्श में संबंधित मंत्रालयों, सरकारी विभागों, वैज्ञानिक विशेषज्ञों, खाद्य व्यवसायों, राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों, उद्योग संघों, उपभोक्ता संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों के लगभग 700 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। इसका उद्देश्य वर्तमान नियमों के प्रभाव का मूल्यांकन करना, कार्यान्वयन चुनौतियों का समाधान करना और उपभोक्ता संरक्षण को मज़बूत करने, जन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तथा खाद्य उद्योग में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाने के स्वरूप तलाशना था।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव, श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने उद्घाटन भाषण में खाद्य क्षेत्र में सूचना पत्र और विज्ञापन में नैतिक तथा सत्यनिष्ठ प्रथाओं के महत्व पर बल दिया। श्रीमती श्रीवास्तव ने खाद्य क्षेत्र के विकसित होते माहौल की ओर इशारा करते हुए कहा, "आज चीज़ें तेज़ी से बदल रही हैं। अब हम पूरी दुनिया के संपर्क में हैं, जिसका अर्थ है कि हमें कई सकारात्मक बदलावों और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना होगा, साथ ही खाद्य उत्पादों की और भी बारीकी से जाँच करनी होगी। इस तेज़ी से बदलती दुनिया में, इस तरह के परामर्श अत्यंत आवश्यक हैं।"

उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे ने खाद्य उद्योग में ईमानदार और सत्य घोषणाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उद्योग से सच्ची और ईमानदार घोषणाएँ करने, स्वेच्छा से यह बताने कि उत्पाद में क्या है और भ्रामक विज्ञापनों और छल-कपट से दूर रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि "खाद्य सूचना पत्र केवल एक विपणन उपकरण नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे निर्माता और उपभोक्ता के बीच विश्वास का सबसे आवश्यक कारक भी माना जाना चाहिए। हम चाहते हैं कि खाद्य उत्पाद में जो कुछ भी शामिल है, उसकी सच्ची और ईमानदार घोषणा हो और अंतिम निर्णय उपभोक्ता पर छोड़ दिया जाना चाहिए।" उन्होंने यह सुनिश्चित करने के सामूहिक दायित्व पर भी बल दिया कि यह जानकारी सटीक, पारदर्शी और सत्य हो, ताकि उपभोक्ता पूर्ण विश्वास के साथ सूचित, सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प चुन सकें।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, श्री संजीव सान्याल ने उद्घाटन सत्र के दौरान अपने विशेष संबोधन में कहा, विज्ञापनों में दावों के मुद्दे की भी गहन जाँच की आवश्यकता है क्योंकि भले ही उनके समर्थन में कथित वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हों, फिर भी उन्हें बाहरी रूप से सत्यापित करने की आवश्यकता है। इस संबंध में श्री सान्याल ने एफएसएसएआई के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा, इस वर्ष की शुरुआत में एफएसएसएआई द्वारा एक घोषणा की गई थी कि सभी सूचना पत्र में परिवर्तन और संबंधित नियम तथा विनियम अब वर्ष में केवल एक बार, 1 जुलाई को लागू होंगे। यह वास्तव में एक बड़ा कदम है, क्योंकि यह सूचना पत्र उद्योग के लिए एक बड़ी समस्या और अनिश्चितता को दूर करता है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, श्री प्रभात ने खाद्य क्षेत्र में झूठे दावों की गंभीरता का उल्लेख करते हुए, उत्तरदायित्व और सटीक संचार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता बढ़ती जा रही है कि विज्ञापन नैतिक, सत्य और भ्रामक न हों, विशेष रूप से स्वास्थ्य और पोषण संबंधी दावों के संदर्भ में। इस क्षेत्र में झूठे दावे न केवल उपभोक्ता के भरोसे को कमजोर करते हैं, बल्कि गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य का खतरा भी पैदा करते हैं।"

"खाद्य सूचना पत्र, विज्ञापन और दावों पर वैश्विक तथा भारतीय नियामक ढांचे का अवलोकन" पर एक व्यावहारिक तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसके बाद एफएसएसएआई द्वारा "दावों से अनुपालन तक" शीर्षक से प्रवर्तन विषय अध्ययन पर एक सत्र आयोजित किया गया। सत्र का समापन विभिन्न हितधारकों की भागीदारी वाली एक संवादात्मक चर्चा के साथ हुआ, जिसमें प्रमुख चुनौतियों, उद्योग के दायित्वों और खाद्य सूचना पत्र और विज्ञापन नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर बातचीत को बढ़ावा दिया गया।

परामर्श ने हितधारकों के बीच ज्ञान और अनुभवों के आदान-प्रदान को सुगम बनाया, जिसके परिणामस्वरूप नियामक ढांचे में सुधार, उभरती चुनौतियों का समाधान करने और उपभोक्ता विश्वास एवं जन स्वास्थ्य को बढ़ाने हेतु सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें प्राप्त हुईं।

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर के हितधारक संवादों की एक लगातार श्रृंखला का हिस्सा था, जिसे बहु-हितधारक जुड़ाव की आवश्यकता वाले प्रमुख नियामक मुद्दों के समाधान के लिए तैयार किया गया था। उद्योग, शिक्षा जगत, उपभोक्ता समूहों, किसान संगठनों और नियामक निकायों के साथ मिलकर काम करके, एफएसएसएआई का लक्ष्य क्षेत्र-विशिष्ट दृष्टिकोणों और जमीनी स्तर के विचारों को अपने नियामक ढांचे में एकीकृत करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नीतियाँ व्यावहारिक रहें और जन स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के अनुरूप हों।

इस कार्यक्रम में एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री जी. कमला वर्धन राव, एफएसएसएआई की सलाहकार (एस एंड एस एंड आर) डॉ. अलका राव, एफएसएसएआई के कार्यकारी निदेशक श्री यू.एस. ध्यानी,  एफएसएसएआई के सलाहकार (क्यूए) श्री सत्येन कुमार पांडा, एफएसएसएआई और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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