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आधार के ज़रिए पहचान साबित करने की प्रक्रिया ने नया मुकाम हासिल किया, महज़ 6 महीनों में 100 करोड़ से बढ़कर 200 करोड़ आदान प्रदान हुए


यूआईडीएआई, गांवों से लेकर बड़े शहरों तक, आधार के ज़रिए पहचान साबित करने की प्रक्रिया को कामयाब बनाने के लिए सरकारों, बैंकों और सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है: श्री भुवनेश कुमार, सीईओ, यूआईडीएआई

Posted On: 11 AUG 2025 7:44PM by PIB Delhi

इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर, आज़ादी महज़ एक कदम की दूरी पर है। आधार के ज़रिए पहचान साबित करने की प्रक्रिया के ज़रिए आधार धारक अपनी पहचान तुरंत, सुरक्षित और संपर्क रहित तरीके से, कभी भी, कहीं भी सत्यापित कर सकते हैं, और खास बात ये है कि इसके लिए उन्हें किसी दस्तावेज़ की ज़रूरत भी नहीं है।

10 अगस्त 2025 को, यूआईडीएआई ने पहचान साबित करने की प्रक्रिया के 200 करोड़ आदान- प्रदान होने का जश्न मनाया, जो भारत की सरल, सुरक्षित और कागज़ रहित, पहचान पुख्ता करने की व्यवस्था की ओर तेज़ी से बढ़ती प्रगति को दर्शाता है।

इस व्यवस्था को अपनाने की रफ्तार लगातार बढ़ रही है। 2024 के मध्य तक 50 करोड़ आदान-प्रदान दर्ज किए गए। जनवरी 2025 में यह संख्या करीब पाँच महीनों में दोगुनी होकर 100 करोड़ हो गई। इसके बाद छह महीने से भी कम वक्त में, यह आँकड़ा फिर से दोगुना होकर 200 करोड़ के अप्रत्याशित कामयाबी के मुकाम तक पहुँच गया है।

इस उपलब्धि के मौके पर यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्री भुवनेश कुमार ने कहा, "इतने कम समय में 200 करोड़, आधार पहचान साबित करने की प्रक्रिया के आदान प्रदान के मुकाम तक पहुँचना, निवासियों और सेवा प्रदाताओं, दोनों के आधार के सुरक्षित, समावेशी और नए बदलावों से बनी व्यवस्था में विश्वास को दर्शाता है। छह महीने से भी कम वक्त में 100 करोड़ से 200 करोड़ आदान प्रदान तक का सफ़र, इसके विस्तार और देश की पुख्ता डिजिटल तैयारी का सुबूत है।" उन्होंने आगे कहा कि, "गाँवों से लेकर बड़े शहरों तक, यूआईडीएआई सरकारों, बैंकों और सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर, आधार के ज़रिए पहचान साबित करने की व्यवस्था को एक बड़ी कामयाबी बनाने और हर भारतीय को अपनी पहचान तुरंत, सुरक्षित तरीके से और कहीं भी साबित करने की ताकत प्रदान करने के लिए काम कर रहा है।"

आधार पर आधारित पहचान साबित करने की प्रक्रिया के, महज़ छह महीनों में 100 करोड़ से 200 करोड़ आदान प्रदान की तेज़ी से हुई ये वृद्धि, डिजिटल इंडिया के मूल दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो देश को एक डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान की अर्थव्यवस्था में बदल रहा है। देश के हर कोने में त्वरित, सुरक्षित और कागज़ रहित पहचान सत्यापन को कामयाब बनाकर, यूआईडीएआई डिजिटल शासन की रीढ़ को मज़बूत कर रहा है। यह कामयाबी महज़ संख्याओं को लेकर ही नहीं है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि जब समावेशी तकनीक को कुशलता के साथ इस्तेमाल किया जाता है, तो वह दूरियों को खत्म कर सकती है, नागरिकों को और सशक्त बना सकती है और सही मायनों में आत्मविश्वास से भरे डिजिटल भविष्य की ओर जाने की भारत की यात्रा को, रफ्तार दे सकती है।

पीके/केसी/एनएस


(Release ID: 2155298)
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