जल शक्ति मंत्रालय
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

Posted On: 24 JUL 2025 1:46PM by PIB Delhi

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) वर्ष 2015-16 के दौरान शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य खेतों तक पानी की भौतिक पहुंच बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, खेतों में जल उपयोग दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण प्रथाओं को लागू करना आदि है।

पीएमकेएसवाई एक व्यापक योजना है, जिसके दो प्रमुख घटक हैं: त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और हर खेत को पानी (एचकेकेपी)। एचकेकेपी में चार उप-घटक शामिल हैं: कमान क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन (सीएडी और डब्ल्यूएम), सतही लघु सिंचाई (एसएमआई), जलाशयों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्स्थापन (आरआरआर), और भूजल (जीडब्ल्यू) विकास। एचकेकेपी के सीएडी और डब्ल्यूएम उप-घटक को एआईबीपी के साथ समान रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है।

भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2021 में 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए पीएमकेएसवाई के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि, पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी के तहत भूजल घटक की मंजूरी अनंतिम रूप से केवल प्रतिबद्ध देनदारियों के लिए 2021-22 तक दी गई है, जिसे बाद में चल रहे कार्यों के पूरा होने तक बढ़ा दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, पीएमकेएसवाई में दो घटक शामिल हैं, जिनका कार्यान्वयन अन्य मंत्रालयों द्वारा किया जाता है। पीएमकेएसवाई के वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी) का कार्यान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) घटक, 2015 में पीएमकेएसवाई की शुरुआत से दिसंबर, 2021 तक पीएमकेएसवाई का एक हिस्सा था। इसके बाद, इसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के एक भाग के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

सिंचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भूमि अधिग्रहण एक प्रमुख बाधा है। भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से लगभग 55,290 किलोमीटर लंबे वितरण नेटवर्क के निर्माण से लगभग 76,594 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण से बचा जा सका है। कुछ पीएमकेएसवाई परियोजनाओं में एससीएडीए आधारित जल वितरण और सूक्ष्म सिंचाई ने जल उपयोग दक्षता में सुधार किया है। एक समर्पित डैशबोर्ड और प्रबंधन सूचना प्रणाली के माध्यम से परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी से लगभग वास्तविक समय पर परियोजना की प्रगति और बाधाओं की निगरानी करने में मदद मिली है। इसके अलावा, पीडीएमसी के तहत सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा दिया जाता है।

परियोजनाओं के अंतर्गत आने वाले मुद्दों की निगरानी परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पोर्टल के माध्यम से की जाती है, जिसमें परियोजना में भूमि अधिग्रहण, वैधानिक मंजूरी आवश्यकताओं आदि जैसे मुद्दों और बाधाओं पर नियमित रूप से चर्चा की जाती है और परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए उनका समाधान किया जाता है।

यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्ना ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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(Release ID: 2147726)