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दूरसंचार विभाग ने साइबर धोखाधड़ी पर सख्ती से लगाम लगाने के लिए "वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई)" पेश किया


एफआरआई से बैंकों, यूपीआई सेवा प्रदाताओं और वित्तीय संस्थानों को उन्नत खुफिया जानकारी साझा करना संभव

एफआरआई चिह्नित मोबाइल नंबरों के मामले में साइबर सुरक्षा और सत्यापन जांच तेजी से करता है जब ऐसे नंबरों पर डिजिटल भुगतान होना होता है

एफआरआई से दूरसंचार और वित्तीय दोनों क्षेत्रों में संदिग्ध धोखाधड़ी के खिलाफ त्वरित, लक्षित और सहयोगात्मक कार्रवाई संभव

यूपीआई पूरे भारत में सबसे पसंदीदा भुगतान विधि है, इससे लाखों लोगों को साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाया जा सकता है

Posted On: 21 MAY 2025 4:38PM by PIB Delhi

साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय अपराध से निपटने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने हितधारकों के साथ "वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई)" साझा करने की घोषणा की है। यह डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म (डीआईपी) के हिस्से के रूप में विकसित एक बहुआयामी विश्लेषणात्मक उपकरण का आउटपुट है, जो साइबर धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए अग्रिम कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी उपलब्ध कराकर वित्तीय संस्थानों को सशक्त बनाता है। इससे इस उपकरण के साथ चिह्नित मोबाइल नंबरों के मामले में साइबर सुरक्षा और सत्यापन जांच में तेजी आएगी, जब ऐसे नंबरों पर डिजिटल भुगतान किए जाने का प्रस्ताव होता है।

" वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक" क्या है?

यह एक जोखिम-आधारित मापीय उपकरण है जो किसी मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के मध्यम , उच्च या बहुत उच्च जोखिम से जुड़े के रूप में वर्गीकृत करता है। यह वर्गीकरण भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी), डीओटी के चक्षु प्लेटफ़ॉर्म और बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों की ओर से साझा की गई खुफिया जानकारी सहित विभिन्न हितधारकों से प्राप्त जानकारी का परिणाम है। यह हितधारकों-विशेष रूप से बैंकों, एनबीएफसी और यूपीआई सेवा प्रदाताओं को प्रवर्तन को प्राथमिकता देने और मोबाइल नंबर के उच्च जोखिम के मामले में अतिरिक्त ग्राहक सुरक्षा उपाय करने का अधिकार देता है।

ऐसी अग्रिम सूचना से क्या मदद मिलती है?

दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) नियमित रूप से उन मोबाइल नंबरों की सूची हितधारकों के साथ साझा करती है जिन्हें डिस्कनेक्ट किया गया था (मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची - एमएनआरएल)। साथ ही उन्हें साइबर अपराध में शामिल होने, पुनः सत्यापन में विफल होने, निर्धारित सीमा से अधिक उपयोग करने जैसे डिस्कनेक्ट होने के कारण भी बताए जाते हैं। इन नंबरों का इस्तेमाल आमतौर पर वित्तीय धोखाधड़ी के लिए भी किया जाता है।

साइबर धोखाधड़ी में दुरुपयोग किए जाने वाला मोबाइल नंबर आम तौर पर ज्यादा दिनों तक नहीं चलाया जाता है, और इसके पूर्ण सत्यापन में कई दिन लग सकते हैं। ऐसे नंबरों से जुड़े जोखिम पर एक अग्रिम संकेतक बहुत उपयोगी है। इस प्रकार, जैसे ही किसी संदिग्ध मोबाइल नंबर को कोई हितधारक चिह्नित करता है, तो ऐसे नंबर का बहुआयामी विश्लेषण किया जाता है और इसे इससे जुड़े मध्यम , उच्च या बहुत उच्च वित्तीय जोखिम में वर्गीकृत करता है। फिर यह नंबर के बारे में इस आकलन को तुरंत डीआईपी के माध्यम से सभी हितधारकों के साथ साझा करता है।

एफआरआई को सबसे पहले फोन-पे ने अपनाया था। फोन-पे ने इसका उपयोग बहुत उच्च एफआरआई मोबाइल नंबरों से जुड़े लेनदेन को अस्वीकार करने और फोन-पे प्रोटेक्ट सुविधा के हिस्से के रूप में ऑन-स्क्रीन अलर्ट प्रदर्शित करने के लिए किया है। फोन-पे द्वारा साझा किए गए डेटा इस मॉडल की प्रभावकारिता को इंगित करते हैं क्योंकि सॉफ्ट सिग्नल के रूप में पारित किए गए नंबरों की साइबर धोखाधड़ी के मामलों में वास्तव में शामिल होने की भविष्यवाणी बहुत अधिक पाई गई है। मध्यम एफआरआई नंबरों के लिए, फोन-पे लेनदेन की अनुमति देने से पहले एक सक्रिय उपयोगकर्ता चेतावनी प्रदर्शित करने के लिए काम कर रहा है।

वित्तीय धोखाधड़ी को कम करने के लिए अन्य उद्योग सहयोग

फ़ोनपे, पेटीएम और गूगल पे जैसे अग्रणी यूपीआई प्लेटफ़ॉर्म, जो सामूहिक रूप से यूपीआई लेनदेन के 90 प्रतिशत से अधिक के लिए ज़िम्मेदार हैं, ने अपने सिस्टम में डीआईपी अलर्ट को जोड़ना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए:

  • अग्रणी यूपीआई प्लेटफॉर्म में से एक ने लेनदेन में देरी, अलर्ट और उपयोगकर्ता की पुष्टि की आवश्यकता जैसी सुविधा शुरू की है।

  • अन्य बैंक भी साइबर धोखाधड़ी को कम करने के लिए डेटा का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं।

यूपीआई पूरे भारत में सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली भुगतान पद्धति है, इसलिए इसका उपयोग लाखों नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने से बचा सकता है। एफआरआई दूरसंचार और वित्तीय दोनों क्षेत्रों में संदिग्ध धोखाधड़ी के खिलाफ़ त्वरित, लक्षित और सहयोगात्मक कार्रवाई को संभव बनाता है।

दूरसंचार विभाग राष्ट्रीय स्तर पर प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों को लागू करके और हितधारकों के साथ सहयोग करके दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रकार यह सभी नागरिकों के लिए एक सुरक्षित दूरसंचार प्रणाली सुनिश्चित करता है। दूरसंचार विभाग अलर्ट तंत्र को और बेहतर बनाने तथा प्रतिक्रिया समय को कम करने के लिए वित्तीय संस्थानों और डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों के साथ जुड़ना जारी रखता है। कस्टमर फेसिंग सिस्टम में एफआरआई के एकीकरण को एक उद्योग मानक बनने की उम्मीद है, जिससे भारत के डिजिटल वित्तीय तंत्र में प्रणालीगत मजबूती आएगी।

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