सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
पर्वतमाला : राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम
सुदूर क्षेत्रों में संपर्क व्यवस्था बनाने पर जोर
Posted On:
11 MAR 2025 6:41PM by PIB Delhi
देश में पहली बार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों के लिए पर्वतमाला योजना शुरू की जा रही है। यह योजना पहाड़ों पर परिवहन और संपर्क की एक आधुनिक प्रणाली विकसित करेगी। इससे हमारे देश के सीमावर्ती गांवों को भी मजबूती मिलेगी, जिन्हें जीवंत बनाए रखने की आवश्यकता है। यह देश की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम-पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में दो प्रमुख रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर लंबे रोपवे को 2,730.13 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा, जबकि सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबे रोपवे को 4,081.28 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई है। दोनों परियोजनाओं को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) ढांचे में डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मॉडल के तहत निष्पादित किया जाएगा।
पर्वतमाला - एक सुरक्षित और कुशल वैकल्पिक परिवहन
पहाड़ी क्षेत्रों में कुशल परिवहन नेटवर्क विकसित करना एक बड़ी चुनौती है। इन क्षेत्रों में रेल और हवाई परिवहन नेटवर्क सीमित हैं, जबकि सड़क नेटवर्क के विकास में काफी तकनीकी चुनौतियां हैं। इस हालात में रोपवे एक सुविधाजनक और सुरक्षित वैकल्पिक परिवहन मोड के रूप में उभरा है।
सुदूर और पहाड़ी क्षेत्रों में अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी (संपर्क) बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने 2022 के बजट में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम-पर्वतमाला की घोषणा की थी। नैशनल हाइवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) द्वारा कार्यान्वित इस पहल का लक्ष्य पांच वर्षों के भीतर 1,200 किलोमीटर तक 250 से अधिक रोपवे परियोजनाएं विकसित करना है, जो पारंपरिक सड़क परिवहन के लिए एक सतत और कुशल विकल्प प्रदान करेगा।
‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इस कार्यक्रम में रोपवे निर्माण में कम से कम 50% स्वदेशी पुर्जों का उपयोग अनिवार्य किया गया है। न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ रोपवे परियोजना भारत के चुनौतीपूर्ण इलाकों के लिए लागत प्रभावी, ऊर्जा कुशल और विश्वसनीय परिवहन समाधान प्रदान करेंगे।
रोपवे के बुनियादी ढांचा को संचालित करने वाले प्रमुख कारक
1. किफायती - रोपवे बनाने के लिए न्यूनतम भूमि की आवश्यकता होती है, जिससे भूमि अधिग्रहण की लागत कम हो जाती है। सड़कों की तुलना में प्रति किलोमीटर निर्माण लागत अधिक होने के बावजूद रखरखाव लागत में कमी आने के कारण रोपवे समग्र रूप से अधिक किफायती हो सकते हैं।
2. तेज गति - रोपवे हवाई मार्ग प्रदान करते हैं, जिससे वे पहाड़ी और चुनौतीपूर्ण इलाकों को तेजी से पार करते हैं।
3. पर्यावरण अनुकूल - रोपवे में धूल उत्सर्जन कम होता है और साथ कंटेनरों को इस तरह डिजाइन किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में मदद मिले।
4. दूरदराज के क्षेत्रों से संपर्क - रोपवे परियोजनाएं यात्रियों के बड़े पैमाने पर आवागमन को सक्षम बनाती हैं, और लास्ट माइल कनेक्टिविटी का कुशल समाधान प्रदान करती हैं।
व्यापकता
व्यापक कार्यान्वयन : उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों को कवर किया गया।
शहरी और ग्रामीण संपर्क बनाने पर जोर : ग्रामीण क्षेत्रों और पर्यटन स्थलों में दैनिक आवागमन को सहायता प्रदान करना है।
भीड़भाड़ कम करना : भीड़भाड़ वाले स्थानों में वैकल्पिक परिवहन साधन उपलब्ध कराना है।
रोजगार के अवसर : निर्माण, संचालन और रखरखाव जैसे क्षेत्रों में रोजगार सृजित होते हैं।
आर्थिक विकास: स्थानीय व्यवसायों और संबद्ध उद्योगों को मजबूती प्रदान करना है।
रोपवे के लाभ
कठिन / चुनौतीपूर्ण / संवेदनशील इलाके के लिए आदर्श: परिवहन का यह साधन दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आवागमन में सक्षम बनाएगा तथा उन्हें मुख्यधारा का हिस्सा बनने में मदद करेगा।
अर्थव्यवस्था: रोपवे जिसमें एक ही पावर-प्लांट और ड्राइव मैकेनिज्म द्वारा संचालित कई कारें हैं। यह निर्माण और रखरखाव लागत, दोनों को कम करता है। पूरे रोपवे के लिए एक ही ऑपरेटर का उपयोग श्रम लागत में एक और बचत करता है।
लचीला: रोपवे विभिन्न प्रकार की सामग्री के एक साथ परिवहन की सुविधा प्रदान करता है।
बड़ी ढलानों को संभालने की क्षमता: रोपवे और केबल-वे (केबल क्रेन) बड़े ढलानों और ऊंचाई में बड़े अंतर को संभाल सकते हैं। जहां किसी सड़क या रेलमार्ग को स्विचबैक या सुरंगों की आवश्यकता होती है, रोपवे सीधे ऊपर और नीचे फॉल लाइन की यात्रा करता है।
कम ज़मीन की ज़रूरत : तथ्य यह है कि अंतराल पर केवल संकरे-आधारित लंबवत समर्थन की आवश्यकता होती है, शेष जमीन को मुक्त छोड़कर, निर्मित क्षेत्रों में और उन जगहों पर जहां भूमि उपयोग के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है, रोपवे के निर्माण को संभव बनाता है।
केदारनाथ रोपवे परियोजना
राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम - पर्वतमाला परियोजना के तहत 4,081.28 करोड़ रुपये की लागत से सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे परियोजना (12.9 किमी) को मंजूरी दी गई है। इसे उन्नत ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3एस) प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया जाएगा, जिसकी क्षमता प्रति घंटे प्रत्येक दिशा में 1,800 यात्रियों की होगी। रोपवे से यात्रा का समय 8-9 घंटे से घटकर मात्र 36 मिनट रह जाएगा, जिससे केदारनाथ तीर्थयात्रियों को सुरक्षित, पर्यावरण अनुकूल तथा सभी मौसमों में आवागमन की सुविधा मिलेगी। इस परियोजना से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आतिथ्य एवं यात्रा जैसे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ में हर साल करीब 20 लाख तीर्थयात्री आते हैं और इस परियोजना से इस पवित्र तीर्थस्थल तक पहुंच और आसान हो जाएगी।
हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना
गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक रोपवे सभी मौसम में संपर्क प्रदान करेगा साथ ही आधुनिक परिवहन प्रणाली के साथ चुनौतीपूर्ण 21 किलोमीटर की यात्रा समाप्त हो जाएगी। इसमें गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) तक मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (एमडीजी) और घांघरिया से हेमकुंड साहिब जी (1.85 किमी) तक 1,100 यात्रियों प्रति घंटे की क्षमता के साथ ट्राइकेबल डिटैचेबल गोंडोला (3 एस) की सुविधा होगी, जिसमें प्रतिदिन 11,000 यात्रियों को ले जाया जा सकेगा। 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब जी में प्रतिवर्ष 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री आते हैं और यह फूलों की घाटी (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) के नजदीक है। इस परियोजना से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार सृजित होंगे तथा क्षेत्र के आर्थिक विकास को सहायता मिलेगी।
पर्वतमाला परियोजना के तहत प्रमुख रोपवे परियोजनाएं
रोपवे प्रौद्योगिकी संपर्क व्यवस्था को बढ़ाती है। पर्यटन को बढ़ावा देती है और लागत प्रभावी व भूमि कुशल होने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी सृजित करती है। नदियों, इमारतों, खड्डों या सड़कों जैसी प्राकृतिक बाधाओं को पार करके रोपवे पारंपरिक बुनियादी ढांचे के लिए एक व्यावहारिक विकल्प प्रदान करते हैं। पर्वतमाला परियोजना के तहत वित्त वर्ष 2024-25 तक 60 किलोमीटर की परियोजनाएं प्रदान करने की योजना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम और महाराष्ट्र सहित 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
निर्माणाधीन रोपवे परियोजनाएं:
वाराणसी शहरी रोपवे: भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में परिवहन के वैकल्पिक साधन के रूप में रोपवे का भी विकास किया जा रहा है। मार्च 2023 में प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी में भारत की पहली शहरी रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी गई, जो वाराणसी कैंट से निर्माणाधीन है। वाराणसी की व्यस्त सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने के लिए डिजाइन की गई इस परियोजना में 148 गोंडोला केबिन होंगे, जो प्रतिदिन 96,000 यात्रियों का परिवहन करने में सक्षम होंगे। रोपवे से कनेक्टिविटी बढ़ेगी और यात्रा का समय कम होगा, जिससे शहर के लिए आधुनिक, कुशल और पर्यावरण अनुकूल परिवहन समाधान उपलब्ध होगा। वाराणसी के चुनौतीपूर्ण परिदृश्य में इस 3.85 किलोमीटर खंड का विकास भारत के शहरी बुनियादी ढांचे में उन्नत रोपवे प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गौरीकुंड-केदारनाथ रोपवे (9.7 किमी, 3,584 मीटर ऊंचाई): इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि, ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला के साथ यात्रा का समय वर्तमान 7 से 9 घंटे से घटकर केवल 28 मिनट रह जाएगा, जो प्रति घंटे प्रत्येक दिशा में 3600 यात्रियों को ले जाएगा।
आगामी एवं स्वीकृत रोपवे परियोजनाएं:
प्लीज ध्यान दें,
यहां तीनों का टेबल बनेगा
स्वीकृत परियोजनाएं (4.93 किमी लंबाई)
बिजली महादेव (हिमाचल प्रदेश)
धोसी हिल (हरियाणा),
महाकालेश्वर मंदिर (मध्य प्रदेश)।
पसंदीदा बोलीदाताओं की पहचान की गई (3.25 किमी लंबाई)
संगम प्रयागराज (उत्तर प्रदेश),
शंकराचार्य मंदिर (जम्मू-कश्मीर)।
7 परियोजनाओं के लिए बोलियां आमंत्रित की गईं (कुल 53.28 किमी)
सोनप्रयाग-केदारनाथ (उत्तराखंड)
गोविंदघाट - हेमकुंड साहिब (उत्तराखंड)
कामाख्या मंदिर (असम),
तवांग मठ - पी टी त्सो झील (अरुणाचल प्रदेश)
काठगोदाम - हनुमान गढ़ी मंदिर (उत्तराखंड)
रामटेक गाड मंदिर (महाराष्ट्र)
ब्रह्मगिरि-अंजनेरी (महाराष्ट्र)।
निष्कर्ष
पर्वतमाला परियोजना भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जो चुनौतीपूर्ण इलाकों में सतत और कुशल परिवहन को सक्षम बनाती है। वर्तमान और आगामी परियोजनाओं के साथ रोपवे भारत के परिवहन नेटवर्क का एक प्रमुख घटक बनने जा रहा है, जिससे यात्रा का समय कम होगा, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए आर्थिक विकास में तेजी आएगी। इस पहल का उद्देश्य सुरक्षित, लागत प्रभावी, सुविधाजनक और विश्व स्तरीय रोपवे अवसंरचना स्थापित करना है। इससे देश में लॉजिस्टिक कार्यकुशलता बढ़ाने और समग्र गतिशीलता में सुधार के लिए निर्बाध रूप से शुरू से लेकर दूरदराज एरिया में संपर्क सुनिश्चित हो सकेगा।
संदर्भ
https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1796251®=3&lang=1
https://morth.nic.in/sites/default/files/Annual-Report-English-with-Cover.pdf
https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1993425
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/feb/doc202221516101.pdf
https://nhai.gov.in/nhai/sites/default/files/mix_file/Rajmaarg_July_2023.pdf
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एमजी/केसी/आरकेजे
(Release ID: 2110601)
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