विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अनुसंधान और नवाचार के लिए 20,000 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन के बारे में कहा कि भारत वैश्विक अनुसंधान एवं विकास के अग्रणी के रूप में उभर रहा है
भारत ने पिछले एक दशक में स्टार्टअप में वैश्विक स्तर पर तीसरी रैंक हासिल की
भारत वैज्ञानिक अनुसंधान में तीसरे स्थान पर है, वैश्विक नवाचार सूचकांक 81वें स्थान से बढ़कर 39वें स्थान पर पहुंचा, पेटेंट अनुदान में 17 गुना वृद्धि दर्ज की गई : डॉ. जितेंद्र सिंह
डीप-टेक, सनराइज सेक्टर और ट्रिपल पीएम रिसर्च फेलोशिप को बढ़ावा देने हेतु सरकार का नवाचार अभियान
डॉ. जितेंद्र सिंह बजट- पश्चात वेबिनार में: भारत राष्ट्रीय विस्तारित जीन बैंक प्रतिकृति के साथ फसल सुरक्षा को मजबूत करेगा
Posted On:
05 MAR 2025 5:52PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में स्टार्टअप के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर तीसरी रैंक हासिल की है। उन्होंने अनुसंधान, विकास और नवाचार पहल के लिए बजट 2025-26 में 20,000 करोड़ रुपये के आवंटन पर प्रकाश डालते हुए भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य निजी क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है। इसमें उभरते उद्योगों के संदर्भ में प्रयासों में तेजी लाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। "नवाचार में निवेश" पर बजट-पश्चात वेबिनार 2025 के समापन सत्र में अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह फंडिंग विशेष रूप से डीप-टेक क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देगी।
यह घोषणा निजी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को गति देने के लिए बजट 2024-25 में पेश किए गए 1 लाख करोड़ रुपए के कोष पर आधारित है। इसमें उदीयमान प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान दिया गया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि ये पहल भारत के नवाचार इको-सिस्टम को मजबूत करेगी और सेमीकंडक्टर विनिर्माण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 5जी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "भारत ने नवाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, 2014 से पेटेंट अनुदान में 17 गुना वृद्धि हुई है और वैश्विक नवाचार सूचकांक में हमारा स्थान 133 अर्थव्यवस्थाओं में 81वें से बढ़कर 39वें स्थान पर पहुंच गया है। आज, हम वैज्ञानिक अनुसंधान में अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर हैं।"

विश्व स्तरीय अनुसंधान प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता को महत्व देते हुए, सरकार ने प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलोशिप (पीएमआरएफ) योजना के तहत प्रवेश को तीन गुना बढ़ा दिया है। मूल रूप से 2018 में शुरू की गई इस योजना ने अब तक 3,688 स्कालरों का समर्थन किया है। नवीनतम बजट अगले पांच वर्षों में इसकी पहुंच को 10,000 फेलोशिप तक बढ़ाता है, जिससे युवा वैज्ञानिकों को भारत के प्रमुख संस्थानों में अभूतपूर्व अनुसंधान करने के लिए अधिक अवसर मिलेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "पीएमआरएफ सिर्फ वित्तीय सहायता के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के बारे में है, जहां अकादमिक उत्कृष्टता और बौद्धिक जिज्ञासा पनपती है।"
आर्थिक विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर की योजना के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के महत्व को चिन्हित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन पर प्रकाश डाला, जो 2022 की राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के तहत शुरू की गई एक पहल है। उन्होंने शहरी योजना, आपदा प्रबंधन और सटीक कृषि में इसके इस्तेमाल का हवाला देते हुए कहा, "यह मिशन 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लिए महत्वपूर्ण है।"
राष्ट्रीय विस्तृत जीन बैंक प्रतिकृति की स्थापना से भारत की कृषि सुरक्षा को भी बढ़ावा मिल रहा है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, "भारत का राष्ट्रीय जीन बैंक दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा बैंक है, जिसमें पारंपरिक फसलों सहित 2,147 प्रजातियों के 4.7 लाख से अधिक संग्रह संरक्षित हैं। नई पहल हमारी फसल विविधता को और अधिक सुरक्षित बनाएगी और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।"

भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत को सुरक्षित रखने के महत्वाकांक्षी प्रयास में, एक करोड़ से अधिक प्राचीन पांडुलिपियों को डिजिटल बनाने और एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी बनाने के लिए ज्ञान भारतम मिशन शुरू किया गया है। डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा, "भारत के पास अद्वितीय बौद्धिक और सांस्कृतिक संपदा है, जिसका अधिकांश हिस्सा नाजुक और दुर्गम है। यह पहल दुनिया भर के स्कॉलरों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए इसके संरक्षण और पहुंच को सुनिश्चित करेगी।"
सत्र का समापन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराते हुए कहा कि ये पहल सरकार के व्यापक दृष्टिकोण 'विकसित भारत 2047' के अनुरूप हैं, जो भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने का रोडमैप है। उन्होंने कहा, "नवाचार में निवेश केवल आर्थिक विकास के बारे में नहीं है - यह युवाओं को सशक्त बनाने, हमारी तकनीकी संप्रभुता को मजबूत करने और वैश्विक मंच पर भारत के भविष्य को सुरक्षित करने के बारे में है।"
अनुसंधान फेलोशिप, डीप-टेक और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में साहसिक निवेश के साथ, सरकार भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक स्तर पर अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए निर्णायक प्रयास कर रही है।
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