पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

सर्बानंद सोनोवाल ने कारोबार को आसान बनाने के साथ दक्षता बढ़ाने के लिए 'वन नेशन-वन पोर्ट' प्रक्रिया का अनावरण किया


सागर आंकलन से बंदरगाह की दक्षता बढ़ेगी: केंद्रीय मंत्री

"भारत पोर्ट्स ग्लोबल कंसोर्टियम भारत की समुद्री पहुंच का विस्तार करेगा, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा": सोनोवाल

सोनोवाल ने मैत्री लोगो लॉन्च किया; इसका उद्देश्य निर्बाध 'वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर' के लिए एआई और ब्लॉकचेन के जरिए डिजिटल एकीकरण के साथ वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना है

'समुद्री विरासत और समुद्री विकास' का जश्न मनाने के लिए 27 से 31 अक्टूबर, 2025 तक मुंबई में भारत समुद्री सप्ताह आयोजित किया जाएगा

Posted On: 27 FEB 2025 5:35PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओएसपीडब्ल्यू) की कई प्रमुख पहलों की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना, वैश्विक व्यापार में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना और स्थायित्व को बढ़ावा देना है। इन पहलों की शुरुआत आज मुंबई में हितधारकों की एक बैठक के दौरान की गई, जिसमें समुद्री क्षेत्र के लिए केंद्रीय बजट में की गई प्रमुख घोषणाओं से विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा की गई।

केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत के प्रमुख बंदरगाहों पर परिचालन को मानकीकृत और सुव्यवस्थित करने के लिए 'एक राष्ट्र-एक बंदरगाह प्रक्रिया (ओएनओपी)' की शुरुआत की। इस कदम का उद्देश्य दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियाओं में विसंगतियों को दूर करना है। इन विसंगतियों की वजह से अकुशलता, लागत में वृद्धि और परिचालन में देरी होती है।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीपीआई) सागर आंकलन का भी शुभारम्भ किया, जो भारत के समुद्री क्षेत्र में दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री सोनोवाल ने कहा, मुझे अपने मंत्रालय की महत्वपूर्ण पहलों का शुभारम्भ करते हुए बहुत खुशी हो रही है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के विजन के अनुरूप हैं और जो आत्मनिर्भरता, स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं। 'वन नेशन - वन पोर्ट' प्रक्रिया और सागर आंकलन - एलपीपीआई इंडेक्स के शुभारंभ के साथ, भारत मानकीकृत, कुशल और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बंदरगाहों की ओर एक निर्णायक कदम उठा रहा है। बंदरगाह के प्रदर्शन को बढ़ाने और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने से, हम अकुशलता को कम कर रहे हैं, कार्बन उत्सर्जन में कटौती कर रहे हैं और वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। आधुनिक, हरित और स्मार्ट बंदरगाह बुनियादी ढांचे के लिए हमारी प्रतिबद्धता न केवल आर्थिक सुदृढ़ता को बढ़ावा देगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी समुद्री भविष्य भी सुनिश्चित करेगी। यह भारत को एक समुद्री महाशक्ति बनाने, 2047 तक आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत में योगदान देने की दिशा में एक परिवर्तनकारी छलांग है।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत की समुद्री पहुंच का विस्तार करके और वैश्विक व्यापार में मजबूती बढ़ाकर वैश्विक व्यापार को मजबूत करने के लिए भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम का भी शुभारम्भ किया। उन्होंने व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, नौकरशाही अतिरेक को कम करने और मंजूरी में तेजी लाने के उद्देश्य से मैत्री लोगो (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नियामक इंटरफेस के लिए मास्टर एप्लीकेशन) का भी शुभारंभ किया, जिससे कारोबार करने में आसानी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बल मिला।

श्री सोनोवाल ने यह भी कहा, भारत पोर्ट्स ग्लोबल कंसोर्टियम और मैत्री ऐप का शुभारम्भ भारत के समुद्री और व्यापार प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। ये पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ऊर्जस्वी नेतृत्व में 2014 से की गई पहलों को बनाए रखेंगी, ताकि दक्षता बढ़ाई जा सके, व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सके और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत किया जा सके। इससे अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत तेजी से अपने बंदरगाहों और व्यापार बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण कर रहा है, जो कि विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के अनुरूप है। डिजिटल नवाचार और वैश्विक साझेदारी का लाभ उठाकर हम एक निर्बाध, कुशल और भविष्य के लिए तैयार व्यापार नेटवर्क बना रहे हैं, जो वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में भारत की यात्रा को गति दे रहा है।

चूंकि, बंदरगाह अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू व्यापार के लिए महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में काम करते हैं, इसलिए इस पहल का उद्देश्य दक्षता बढ़ाने, लागत कम करने और भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को मजबूत करने के लिए बंदरगाह प्रक्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करना है। ओएनओपी प्रक्रिया के माध्यम से पहले कदम के रूप में, मंत्रालय ने आव्रजन, बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन और बंदरगाह प्राधिकरणों के साथ दस्तावेज़ीकरण को मानकीकृत किया है, जिससे कंटेनर संचालन दस्तावेजों में 33 प्रतिशत (143 से 96 तक) और बल्क कार्गो दस्तावेजों में 29 प्रतिशत (150 से 106 तक) की कमी आई है। ये सुधार समुद्री अमृत काल विजन 2047 की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पारदर्शी, टिकाऊ और अनुकूलित बंदरगाह प्रबंधन सुनिश्चित करता है। उन्होंने इसके प्रभाव को अधिकतम करने और वैश्विक मंच पर परिचालन उत्कृष्टता की ओर भारत के बंदरगाहों को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय हितधारक भागीदारी का आह्वान किया।

मैत्री भारत और यूएई के बीच 'वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर' (वीटीसी) के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पहल भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) के अनुकूल है। उम्मीद है कि दक्षता और सुरक्षा के लिए एआई और ब्लॉकचेन का लाभ उठाते हुए इसे बिम्सटेक और आसियान देशों तक विस्तारित किया जाएगा। व्यापार दस्तावेजीकरण को मानकीकृत करके और डिजिटल समाधानों को एकीकृत करके मैत्री प्रसंस्करण समय को कम करेगा, व्यापार प्रवाह को अनुकूलित करेगा और सतत विकास में योगदान देगा। मैत्री अंतरराष्ट्रीय व्यापार को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। इससे भारत वैश्विक लॉजिस्टिक्स और व्यापार सुविधा में अग्रणी देश के रूप में स्थापित होगा।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के साथ जुड़ा सागर आंकलन एलपीपीआई का उद्देश्य बंदरगाह प्रदर्शन को न्यूनतम मानदंड बनाना, परिचालन उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और भारत की व्यापार कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। सागर आंकलन दिशानिर्देशों के तहत विकसित एलपीपीआई बल्क (सूखा और तरल) और कंटेनर श्रेणियों के तहत सभी प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों का मूल्यांकन करता है। प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में कार्गो संचालन, जहाज से माल उतारने और लादने में लगने वाले समय (टर्नअराउंड टाइम), बर्थ निष्क्रिय समय, जहाज रहने का समय और शिप बर्थ-डे आउटपुट शामिल हैं। संरचित और डेटा-संचालित कार्यप्रणाली पूर्ण प्रदर्शन और साल-दर-साल सुधार को समान रूप से तौलकर पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। दक्षता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देकर, एलपीपीआई भारत के बंदरगाहों को वैश्विक मानकों के स्तर पर ले जाएगा, जिससे समुद्री क्षेत्र में अग्रणी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में देश की स्थिति मजबूत होगी। भारत ने पहले ही वैश्विक लॉजिस्टिक्स में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो "अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट" के लिए विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) 2023 में 44वें स्थान से चढ़कर 22वें स्थान पर पहुंच गया है।

भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम पहल मजबूत बंदरगाह अवसंरचना विकसित करके लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करेगी, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करेगी और निर्यात को बढ़ावा देकर 'मेक इन इंडिया' पहल में मदद करेगी। आईपीजीएल (संचालन), एसडीसीएल (वित्त), और आईपीआरसीएल (अवसंरचना विकास) को एक साथ लाकर यह कंसोर्टियम बंदरगाह विस्तार, संचालन और वित्तपोषण को आगे बढ़ाएगा ताकि भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और लॉजिस्टिक्स में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जा सके। कंसोर्टियम का उद्देश्य दक्षता, नवाचार और वैश्विक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके व्यापार संपर्क में सुधार करना और भारत की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना है। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसके शुभारंभ के दौरान कहा कि यह पहल वैश्विक मंच पर समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्टता और आर्थिक सुदृढ़ता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

केंद्रीय मंत्री ने देश के 'समुद्री विरासत' और 'समुद्री विकास' का उत्सव मनाने के उद्देश्य से मुंबई में 27 से 31 अक्टूबर, 2025 तक भारत समुद्री सप्ताह आयोजित करने की भी घोषणा की। यह द्विवार्षिक वैश्विक समुद्री सम्मेलन होगा जो दुनिया में सबसे बड़ा होगा। इस सप्ताह वैश्विक समुद्री भारत शिखर सम्मेलन (जीएमआईएस) का चौथा संस्करण, सागर मंथन का दूसरा संस्करण आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत समुद्री सप्ताह में '100 देशों और 100,000 प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है'। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के साथ साझेदारी में 'सागरमंथन: द ग्रेट ओशन्स डायलॉग' को वार्षिक संवाद के रूप में लॉन्च किया, ताकि भारत को सभी रणनीतिक समुद्री वार्तालापों के लिए वैश्विक स्थल के रूप में स्थापित किया जा सके।

समुद्री हितधारकों की बैठक में हाल ही में बजटीय घोषणाओं के आलोक में भारत के जहाज निर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक में मुख्य चर्चाएं भारतीय शिपयार्ड के लिए बढ़ी हुई वित्तीय सहायता, शिप ब्रेकिंग क्रेडिट नोट योजना और इसके प्रभाव, साथ ही नए जहाज निर्माण क्लस्टर विकसित करने के लिए पूंजी निवेश पर केंद्रित थीं। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना था। बैठक में समुद्री विकास कोष, इंफ्रास्ट्रक्चर हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट (एचएमएल) में बड़े जहाजों को शामिल करना, और कम लागत वाली टर्म फाइनेंसिंग की सुविधा में वित्तीय संस्थानों और बहुपक्षीय एजेंसियों की भूमिका प्रमुख फोकस क्षेत्र थे। इन उपायों का उद्देश्य वित्तीय पहुंच को बढ़ाकर, जहाज निर्माण को बढ़ावा देकर और उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करके भारत के समुद्री क्षेत्र को मजबूत करना है।

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने समुद्री क्षेत्र के लिए बजटीय घोषणाओं पर कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत एक विकसित देश की ओर अग्रसर है। भारत यह सुनिश्चित करने में लगा हुआ है कि हमारे बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग एक संपन्न अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनें। केंद्रीय बजट 2025 ने समुद्री क्षेत्र को भारत की विकास गाथा में सबसे आगे रखा है। 25,000 करोड़ रुपये का समुद्री विकास कोष क्षेत्र में बदलाव का बड़ा वाहक साबित होगा। यह दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करेगा, निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा और हमारे बंदरगाह और शिपिंग बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करेगा। बड़े जहाजों को बुनियादी ढांचे के रूप में मान्यता देने से वित्तपोषण के नए रास्ते खुलेंगे, जिससे कारोबारियों के लिए जहाज निर्माण और तटीय व्यापार में निवेश करना आसान हो जाएगा। संशोधित जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति (एसबीएफएपी 2.0) न केवल भारत को जहाज निर्माण का केंद्र बनाएगा बल्कि हजारों नौकरियां भी पैदा करेगा, नई तकनीकें लाएगा और हमारी वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करेगा। जहाज निर्माण क्लस्टर एक ऐसा विजन है जिस पर हम सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। इस उद्योग को और बढ़ावा देने के लिए, हमने जहाज निर्माण इनपुट पर सीमा शुल्क छूट को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। हमारे समृद्ध नदी नेटवर्क को आगे बढ़ाने के लिए, अंतर्देशीय जहाजों के लिए टन भार कर व्यवस्था का विस्तार नदी परिवहन को व्यवसायों के लिए अधिक आकर्षक और व्यवहार्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सहयोगी दृष्टिकोण के साथ, हम लॉजिस्टिक्स में बदलाव ला सकते हैं, माल ढुलाई की लागत कम कर सकते हैं और सड़क तथा रेल परिवहन के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प बना सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय ग्रीन पोर्ट और शिपिंग उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओईजीपीएस) की वेबसाइट भी लॉन्च की। यह समुद्री क्षेत्र में स्थायित्व को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह वेबसाइट ग्रीन पोर्ट और शिपिंग संचालन के लिए अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम प्रथाओं की पेशकश करेगा, जो अधिक टिकाऊ भविष्य को आगे बढ़ाने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी, स्वच्छ ईंधन और पर्यावरण के अनुकूल बंदरगाह प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगा।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने समापन भाषण में कहा, भारत की नीली अर्थव्यवस्था केवल जहाजों और बंदरगाहों से संबंधित नहीं है - यह नौकरियों, व्यापार, स्थिरता और आर्थिक विकास के बारे में है। इसमें अपार संभावनाएं हैं, और हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि आपके पास सही नीतियां, सही वित्तपोषण और फलने-फूलने के लिए सही वातावरण हो। हम 2030 तक केवल शीर्ष 10 जहाज निर्माण राष्ट्र बनने का लक्ष्य नहीं रख रहे हैं बल्कि हम एक ऐसी प्रणाली बनाने का लक्ष्य बना रहे हैं जो विश्व स्तरीय, कुशल और भविष्य के लिए तैयार हो। आइए इस अवसर का लाभ उठाएं। आइए निर्माण करें, नवाचार करें और सहयोग करें। साथ मिलकर, हम न केवल भारत के समुद्री भविष्य को आकार दे रहे हैं बल्कि भारत के आर्थिक भाग्य को भी आकार दे रहे हैं।

****

एमजी/केसी/एके/ओपी


(Release ID: 2106723) Visitor Counter : 101