स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को उन्नत बनाना
Posted On:
07 FEB 2025 5:26PM by PIB Delhi
“भारत के अच्छे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण का अर्थ केवल बीमारी से मुक्त होना नहीं है, बल्कि सभी के लिए अच्छी सेहत और कल्याण सुनिश्चित करना है। हमारा लक्ष्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना है।
श्री नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री
मानसिक स्वास्थ्य क्या है
मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ किसी व्यक्ति की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सेहत से है। यह दर्शाता है कि लोग दैनिक जीवन में कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं। यह फैसले लेने, तनाव प्रबंधन और रिश्तों को भी प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण की एक स्थिति है, जो लोगों को जीवन की मुश्किलों से निपटने, अपनी क्षमताओं का एहसास करने, हालातों से सबक लेने, अच्छी तरह से काम करने और अपने समुदाय के लिए योगदान करने में सक्षम बनाती है।
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ख़राब मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
- उत्पादकता पर प्रभाव: खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण कार्यस्थल पर उत्पादकता कम होती है, ग़ैरमौजूदगी बढ़ती है और दक्षता भी कम होती है।
- सामाजिक और भावनात्मक कल्याण: मानसिक कल्याण आपसी संबंधों, आत्मविश्वास और सामाजिक संबंधों को भी प्रभावित करता है।
- आर्थिक प्रभाव: डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मानसिक विकार बीमारी के वैश्विक बोझ में अहम योगदान देते हैं, और ऐसी समस्याओं का सही समाधान नहीं निकलने से आर्थिक लागत पर भी काफी असर पड़ता है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य परिदृश्य
डब्ल्यूएचओ डेटा से मिली जानकारी
- वैश्विक जनसंख्या में भारत का योगदान 18% है। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार भारत में प्रति 10000 जनसंख्या पर 2443 विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) है; प्रति 100000 जनसंख्या पर आयु-समायोजित आत्महत्या दर 21.1 है। 2012-2030 के बीच मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है।
व्यापकता:
- एनआईएमएचएएनएस द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएमएचएस) 2015-16 में पाया गया कि भारत में 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं।
- भारत में मानसिक विकारों का जीवनकाल प्रसार 13.7% है।
- राष्ट्रीय अध्ययनों से पता चलता है कि भारत की 15% वयस्क आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है, जिसमें हस्तक्षेप की ज़रुरत होती है।
- ग्रामीण (6.9%) की तुलना में शहरी क्षेत्रों में इसका प्रसार (13.5%) अधिक है।
उपचार में अंतराल
- जागरूकता की कमी, समाज के डर और पेशेवरों की कमी के कारण मानसिक विकार वाले 70% से 92% लोगों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है।
- इंडियन जर्नल ऑफ साइकाइट्री के अनुसार भारत में प्रति 100,000 लोगों पर 0.75 मनोचिकित्सक हैं, जबकि WHO प्रति 100,000 पर कम से कम 3 मनोचिकित्सकों की सिफारिश करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से अंतर्दृष्टि
मानसिक स्वास्थ्य, जीवन की चुनौतियों से निपटने और उत्पादक ढंग से कार्य करने की क्षमता है। इसके महत्व को पहचानते हुए, आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मानसिक कल्याण में हमारी सभी मानसिक-भावनात्मक, सामाजिक, संज्ञानात्मक और शारीरिक क्षमताएं शामिल हैं। इसे मन के समग्र स्वास्थ्य के रूप में भी समझा जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए संपूर्ण सामुदायिक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है और ज़ाहिर है कि अब व्यवहार्य, प्रभावशाली निवारक रणनीतियों और हस्तक्षेपों को खोजने का वक्त आ गया है। भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश उसके युवाओं के कौशल, शिक्षा, शारीरिक स्वास्थ्य और सबसे ज़रुरी, मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के सुझाव:
- स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ाना: छात्रों में चिंता, तनाव और व्यवहार संबंधी मुद्दों के हल के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप रणनीतियाँ।
- कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य नीतियों में सुधार करें: नौकरी के तनाव, लंबे समय तक काम करने और थकान को दूर करें।
- डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करें: टेली मानस को मजबूत करें और एआई-आधारित मानसिक स्वास्थ्य समाधानों को एकीकृत करें।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी व्यवस्था
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, साल 2024 में, मानसिक स्वास्थ्य में अधिक स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षित करने और उन्नत उपचार प्रदान करने के लिए 25 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दी गई थी।
- 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य में 47 पीजी विभाग स्थापित या अपग्रेड किए गए हैं। 22 नव स्थापित एम्स में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं भी शुरू की जा रही हैं।
- 3 केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, तेजपुर, असम और केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान, रांची, सहित 47 सरकारी-संचालित मानसिक अस्पताल।
- आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का एकीकरण।
आयुष्मान भारत के तहत, सरकार ने 1.73 लाख से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में अपग्रेड किया है। इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में प्रदान की जाने वाली व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत सेवाओं के पैकेज में, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी जोड़ा गया है। ये एचडब्ल्यूसी निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करते हैं:
- पीएचसी स्तर पर बुनियादी परामर्श और मनोरोग चिकित्सा।
- हल्के से मध्यम मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को संभालने के लिए सामान्य चिकित्सकों के लिए प्रशिक्षण।
- उन्नत मनोरोग देखभाल के लिए जिला अस्पतालों से जुड़ाव।
यह पहल सुनिश्चित करती है कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध है, जिससे विशेष अस्पतालों पर निर्भरता कम हो जाएगी और मनोरोग देखभाल अधिक समुदाय-केंद्रित हो जाएगी।
भारत सरकार द्वारा संचालित नीतियां और योजनाएं
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) - 1982
मानसिक विकारों के बढ़ते बोझ और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को देखते हुए, भारत ने 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) शुरू किया। इसका प्राथमिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था, कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, विशेष अस्पतालों तक सीमित रहने के बजाय, सामान्य स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का एक अभिन्न अंग बन जाए।
इसके प्रमुख घटकों में शामिल हैं:
सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के लिए एनएमएचपी के तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) शुरू किया गया था।
- 767 जिलों को कवर करता है
- परामर्श, बाह्य रोगी सेवाएँ, आत्महत्या रोकथाम कार्यक्रम और जागरूकता पहल प्रदान करता है।
- जिला स्तर पर 10 बिस्तरों वाली आंतरिक रोगी मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं।
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निमहंस अधिनियम, 2012
निमहंस अधिनियम 2012, भारत में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस अधिनियम के तहत, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस), बेंगलुरु को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था। इस मान्यता ने निमहंस को अपनी शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताओं का विस्तार करने की अनुमति दी, जिससे यह भारत में मनोचिकित्सा, न्यूरोसाइकोलॉजी और मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के लिए प्रमुख संस्थान बन गया।
दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016
दिव्यांगजनों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, जिसने दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 1995 का स्थान लिया, ने मानसिक बीमारी को शामिल करने के लिए दिव्यांगता की परिभाषा का विस्तार किया और मनोसामाजिक दिव्यांगजनों के लिए मजबूत कानूनी सुरक्षा की मदद की। यह अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीआरपीडी) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और इसका मकसद मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों वाले दिव्यांग लोगों सहित दिव्यांगजनों के लिए समानता, गरिमा और गैर-भेदभाव सुनिश्चित करना है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार को सुनिश्चित करने, मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों की गरिमा और उनके अधिकारों की रक्षा करने और भारत के मानसिक स्वास्थ्य कानूनों को अंतरराष्ट्रीय मानकों, खासकर दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीआरपीडी) के साथ एकीकृत करने के लिए अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम ने 1987 के मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम का स्थान लिया और भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं में कई प्रगतिशील बदलाव पेश किए, जैसे सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकार और भारत में आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से बाहर करना।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017, एक अहम पड़ाव था, जिसने मानसिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में स्वीकार किया। इस नीति का मकसद बहु-आयामी दृष्टिकोण के ज़रिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का समाधान करना, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में एकीकृत करना, मानव संसाधनों को मजबूत करना और उपचार की पहुंच में सुधार करना है।
मानसिक स्वास्थ्य को भारत के स्वास्थ्य सेवा ढांचे के केंद्र में रखते हुए, एनएचपी 2017 का लक्ष्य, आयुष्मान भारत के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) में मनोवैज्ञानिक सेवाएं उपलब्ध कराकर उपचार में अंतराल को खत्म करना है।
मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण के लिए आईजीओटी-दीक्षा सहयोग
सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े स्वास्थ्य पेशेवरों, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए वर्ष 2020 में एक डिजिटल शिक्षण पहल, आईजीओटी-दीक्षा प्लेटफॉर्म के साथ भी मिलकर काम किया है। यह कार्यक्रम निम्नलिखित पर केंद्रित है:
- जमीनी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए क्षमता निर्माण।
- मानसिक विकारों के निदान और उपचार के लिए डॉक्टरों और नर्सों को कौशल प्रशिक्षण देना
- ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देना।
आईजीओटी-दीक्षा के ज़रिए भारत ने बेहतर प्रारंभिक हस्तक्षेप रणनीतियों और सामुदायिक सहायता तंत्र को सुनिश्चित करते हुए अपने मानसिक स्वास्थ्य कार्यबल का विस्तार किया है।
राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (टेली मानस), 2022
10 अक्टूबर 2022 को लॉन्च किया गया, नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (टेली मानस) भारत के डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में एक गेम-चेंजर था। टेली मानस एक राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन (14416 / 1800-89-14416) के माध्यम से लोगों को मुफ्त, 24/7 मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करता है। यह 20 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।
टेली मानस हेल्पलाइन ने 2022 में लॉन्च होने के बाद से 7 फरवरी 2025 तक, 1.81 मिलियन (18,27,951) से अधिक कॉल्स को संभाला है, जो पूरे भारत में ज़रूरी मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करती है। विभिन्न राज्यों में 53 टेली मानस सेल हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक स्थानीय पहुंच सुनिश्चित करती हैं। यह कार्यक्रम देश भर में 23 परामर्श संस्थानों के साथ-साथ 5 क्षेत्रीय समन्वय केंद्रों द्वारा समर्थित है, जो मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में कुशल सेवा वितरण और विशेषज्ञ मार्गदर्शन सुनिश्चित करता है।
टेली मानस सेवाओं में शामिल हैं:
- प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा तत्काल टेली-परामर्श।
- गंभीर मामलों के लिए मनोचिकित्सकों को रेफरल सहायता।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान।
- मोबाइल आधारित मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच सुनिश्चित करना।
टेली मानस मोबाइल ऐप और वीडियो परामर्श
- टेली मानस ऐप अक्टूबर 2024 में लॉन्च किया गया था।
- स्व-देखभाल रणनीतियाँ, तनाव प्रबंधन उपकरण और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों तक सीधी पहुँच प्रदान करता है।
- कर्नाटक, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में वीडियो परामर्श सेवाएं शुरू की गईं।
डब्ल्यूएचओ की मान्यता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को अधिक समावेशी और किफायती बनाने वाले एक प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य समाधान के रूप में टेली मानस की प्रशंसा की।
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किरण हेल्पलाइन का टेली मानस में विलय
किरण हेल्पलाइन (1800-599-0019), जो शुरू में 2020 में शुरू की गई थी, मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवाओं की दक्षता बढ़ाने के लिए 2022 में टेली मानस में विलय कर दी गई थी। इस परिवर्तन ने मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन संचालन को सुव्यवस्थित कर दिया, जिससे यह अधिक सुलभ हो गया और भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ बेहतर एकीकृत हो गया।
कोविड-19 के दौरान, सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए अहम कदम उठाए। 24/7 हेल्पलाइन ने राष्ट्रव्यापी मनोसामाजिक सहायता प्रदान की, जबकि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आईजीओटी-दीक्षा मंच के ज़रिए ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। जन जागरूकता अभियान ने मीडिया के माध्यम से तनाव प्रबंधन रणनीतियों का प्रसार किया, और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए आधिकारिक दिशानिर्देश और सलाह जारी की गईं। इन हस्तक्षेपों ने महामारी की मनोवैज्ञानिक चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति, 2022
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएसपीएस), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा 2022 में शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर को 10% तक कम करना है। आत्महत्या को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में मान्यता देते हुए, यह रणनीति, प्रारंभिक हस्तक्षेप, संकट प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन पर केंद्रित है।
एनएसपीएस के प्रमुख घटकों में शामिल हैं:
- स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जांच।
- संकट से वक्त के लिए हेल्पलाइन और मनोवैज्ञानिक सहायता केंद्र स्थापित करना।
- मानसिक बीमारी और आत्महत्या से जुड़े सामाजिक मिथक को तोड़ने के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम।
- कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का सशक्त कार्यान्वयन।
छात्रों, किसानों और युवा वयस्कों जैसी उच्च जोखिम वाली आबादी पर ध्यान केंद्रित करके, यह रणनीति, खुद को नुकसान पहुंचाने से रोकने और समग्र कल्याण में सुधार के लिए लक्षित हस्तक्षेप सुनिश्चित करती है।
निष्कर्ष
भारत ने नीतिगत सुधारों, टेली मानस जैसी डिजिटल पहल और एनएमएचपी, आयुष्मान भारत एचडब्ल्यूसी और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति जैसे कार्यक्रमों के तहत सेवाओं तक पहुंच का विस्तार करके, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में खासी प्रगति की है। आगे आने वाले वक्त में भी, भारत को जागरूकता अभियान मजबूत करना चाहिए, कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना चाहिए और डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य समाधानों में निवेश करना चाहिए। व्यक्तिगत कल्याण, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए भारत का मानसिक रूप से स्वस्थ होना ज़रुरी है, और इस कड़ी में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को सुलभ, समावेशी और सामाजिक डर से मुक्त बनाने के लिए एक साथ एक समाज के नज़रिए से देखने की ज़रूरत है।
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